कृषि के वाणिज्य से आप क्या समझते हैं? - krshi ke vaanijy se aap kya samajhate hain?

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वाणिज्य कृषि क्या है तुम्हें बताना चाहूंगा उसे कहते हैं जो खेत से सीधे मंडी तक जाती है तथा यह चीजें कैसे रूप में तब्दील हो जाती है उन्हें दलित या वाणिज्य कृषि का आ जाता है अन्य किसी का ताजा उदाहरण तंबाकू है यह मुख्य तौर पर वाणिज्य कृषि कृषि है

wanijya krishi kya hai tumhe batana chahunga use kehte hain jo khet se sidhe mandi tak jaati hai tatha yah cheezen kaise roop me tabdil ho jaati hai unhe dalit ya wanijya krishi ka aa jata hai anya kisi ka taaza udaharan tambaku hai yah mukhya taur par wanijya krishi krishi hai

वाणिज्य कृषि क्या है तुम्हें बताना चाहूंगा उसे कहते हैं जो खेत से सीधे मंडी तक जाती है तथा

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Download Article (Size: 113K)PreviousNextकृषि का वाणिज्यीकरण

19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारतीय कृषि में एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ, वह था कृषि का वाणिज्यीकरण। इस समय तक कृषि जीवनयापन का एक मार्ग थी न कि व्यापारिक प्रयत्न। अब कृषि पर वाणिज्यिक प्रभाव बढ़ने लगा। अब कुछ विशेष फसलों का उत्पादन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजर के लिये होने लगा न कि ग्रामीण उपयोग के लिये। मूंगफली, गन्ना, पटसन, कपास, तिलहन, तंबाकू, मसालों, फलों तथा सब्जियों जैसे वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन बढ़ गया क्योंकि ये फसलें अब अन्न के स्थान पर अधिक लाभदायक सिद्ध होने लगी थी संभवत: बागान उद्योगो यथा चाय, काफी, रबर एवं नील इत्यादि में तो कृषि का वाणिज्यिकरण अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया। इन बागान उद्योगों का स्वामित्व लगभग यूरोपियनों के हाथो ंमें था इनके उत्पाद मुख्यतया अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने के उद्देश्य से ही तैयार किए जाते थे।

वाणिज्यीकरण और विशेषीकरण की इस प्रक्रिया को कई कारणों ने प्रोत्साहित किया। जैसे मुद्रा अर्थव्यवस्था का प्रसार, रूढ़ि और परंपरा के स्थान पर संविदा और प्रतियोगिता, एकीकृत राष्ट्रीय बाजारों का अभ्युदय, देशी एवं विदेशी व्यापार में वृद्धि, रेलवे एवं सड़क संचार साधनों, राष्ट्रीय मंडी का विकास एवं अंग्रेजी पूंजी के आगमन से विदेशी व्यापार में वृद्धि इत्यादि।

भारतीय कृषकों के लिये कृषि का वाणिज्यीकरण एक विवशता थी। भूमि कर अत्यधिक होने से उसे अदा कर पाने में वह असमर्थ था। फलत: उसे साहूकाराेे से ऋण लेना पड़ता था, जिनकी ब्याज दरें काफी अधिक होती थी। इस ब्याज को चुकान के लिये उसे अपने उत्पाद को काफी कम मूल्य पर बेचना पड़ता था। कई बार तो उसने अपने ही अनाज को साहूकार के यहां बेचकर दुबारा जरूरत पड़ने पर दुगने मूल्य पर उसे खरीदना पड़ जाता था। कृषि मूल्यों पर विदेशी उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी पड़ने लगा था। उदाहरणार्थ 1860 के पश्चातवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू कपास के मूल्यों में जो वृद्धि हुयी, उससे बिचौलियों को काफी लाभ प्राप्त हुआ। जबकि कृषकों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। इस प्रकार 1866 में जब मंदी आयी तो इसकी मार किसानों पर पड़ी जिसके फलस्वरूप गांवों में किसान ऋण के बोझ से और दब गए, उनकी जमीन नीलाम हो गयी, उन्हें अकाल का सामना करना पड़ा तथा दक्षिण भारत में व्यापक पैमाने पर किसानों के आंदोलन हुए। इस प्रकार कृषि के वाणिज्यीकरण से न तो कृषकों को कोई लाभ हुआ और न ही कृषि उत्पादन में कोई वृद्धि हुयी।

इसे सुनेंरोकेंव्यापारिक कृषि, एक प्रकार की खेती है जिसमें फसलों को केवल व्यावसायिक उपयोग के लिए उगाया जाता है। यह खेती का एक आधुनिक तरीका है जो बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस प्रकार की खेती में बड़ी भूमि, श्रम और मशीनों का उपयोग किया जाता है।

भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय कृषि की महत्त्वपूर्ण विशेषता जोत इकाइयों की अधिकता एवं उनके आकार का कम होना है। भारतीय कृषि में जोत के अन्तर्गत कुल क्षेत्रफल खण्डों में विभक्त है तथा सभी खण्ड दूरी पर स्थित हैं। भूमि पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जनसंख्या का अधिक भार है। कृषि उत्पादन मुख्यतया प्रकृति पर निर्भर रहता है।

सामान्य खेती से आपका क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – किसी खेत या फार्म में सामान्य रूप से फसल पैदा करना, सामान्य खेती कहलाता है इस खेती में किसी फसल विशेष को पैदा करने की अनिवार्यता नहीं होती बल्कि किसान की आवश्यकता एवं रूचि के अनुरूप फसल को पैदा किया जाता है

विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि का मुख्य फसल कौन है?

इसे सुनेंरोकेंविस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि की प्रमुख फसल गेहूँ है।

जैविक खेती से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंजैविक खेती (Organic farming) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् १९९० के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है।

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इसे सुनेंरोकेंवाणिज्यिक कृषि वाणिज्यिक कृषि में फ़सल उत्पादन और पशुपालन बाज़ार में विक्रय हेतु किया जाता है। इसमें विस्तृत कृष्ट क्षेत्र और अधिक पूँजी का उपयोग किया जाता है। अधिकांश कार्य मशीनों के द्वारा किया जाता है। वाणिज्यिक कृषि में वाणिज्यिक अनाज कृषि, मिश्रित कृषि और रोपण कृषि शामिल हैं (चित्र 4.5 ) ।

वाणिज्य कृषि क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंव्यापारिक कृषि, एक प्रकार की खेती है जिसमें फसलों को केवल व्यावसायिक उपयोग के लिए उगाया जाता है। इस प्रकार की खेती में बड़ी भूमि, श्रम और मशीनों का उपयोग किया जाता है। एक्वापॉनिक्स खेती व्यावसायिक खेती का सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि इस खेती में हम एक ही कृषि प्रणाली में पौधों और मछलियों को विकसित कर सकते हैं।

वाणिज्य कृषि और निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजो कृषि केवल स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जाती है, उसे निर्वाह कृषि कहा जाता है। जिस कृषि का मुख्य उद्देश्य बाजार में फसल बेचना हो उसे व्यापारिक कृषि कहा जाता है। इसे फसल-विशिष्टीकरण भी कहते हैं।

जीवन निर्वाह कृषि क्या है इस कृषि की तीन प्रमुख विशेषताएँ लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंजब खेती से केवल इतनी उपज होती है कि उससे परिवार का पेट किसी तरह से भर पाए तो ऐसी खेती को जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस तरह की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। आदिम औजार तथा परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है। इस प्रकार की खेती मुख्य रूप से मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर होती है।

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वाणिज्यिक फसल कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंवाणिज्यिक या नकदी फसलों में खाद्यान्नों के अतिरिक्त वे फसलें आती हैं जिससे कृषकों की नकदी की प्राप्ति होती है। इसके अंतर्गत गन्ना, तम्बाकू, फाइबर फसलें इत्यादि आती हैं। वाणिज्यिक फसलों में सर्वाधिक उत्पादन गन्ने का होता है। सभी देशों में भारत में गन्ने के उत्पादन व क्षेत्र में ब्राजील के पश्चात् भारत का दूसरा स्थान है।

वाणिज्यिक का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंधनप्राप्ति के उद्देश्य से वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना व्यापार है, तथा इसके सहायक (जैसे बैंक, यातायात आदि) दौनों को मिलाकर वाणिज्य बनता है। किसी उत्पादन या व्यवसाय का वह भाग जो उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की उनके उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के बीच विनिमय से सम्ब्न्ध रखता है, वाणिज्य कहलाता है।

जीविका निर्वाह कृषि तथा वाणिज्य कृषि में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. जिस प्रकार की खेती से केवल इतनी उपज होती हो कि उससे परिवार का पेट भर सके तो उसे प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस तरह की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर होती है। इस तरह की खेती में आदिम औजार और परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल किया जाता है।

व्यापारिक और बागबानी फसलों के बारे में क्या जानते हैं लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंये फसलें कई उद्योगों के लिए कच्चे माल का काम करती है। बागवानी फसलें – ये फसलें ‘ट्रक फार्मिंग’ के नाम से भी जानी जाती है। केला, आम, चीनी, फूलों आदि की घरेलू खपत खूब है । फूलों की खेती पर्व-त्योहारों, शादी-ब्याह और औषधियों की आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

निर्वाह कृषि कितने प्रकार की होती है?

क्या आप जानते हैं? एग्रीकल्चर (कृषि) – मृदा की जुताई, फसलों को उगाना और पशुपालन का विज्ञान एवं कला है।

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  • (1) निर्वाह कृषि – अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसान द्वारा की कृषि, निर्वाह कृषि कहलाती है।
  • (2) वाणिज्यिक कृषि –
  • चावल –
  • गेहूँ –
  • मिलेट –
  • मक्का –
  • कपास –
  • स्थानांतरी कृषि क्या है इस कृषि की क्या हानियाँ हैं?

    इसे सुनेंरोकेंस्थानांतरित कृषि की निम्नलिखित हानियां हैं – (i) स्थानांतरित कृषि में किसान एक स्थान पर टिक कर नहीं रह सकता। (ii) कृषि बड़े पैमाने पर नहीं की जा सकती। केवल अपने निर्वाह के लिए ही फ़सलें उगाई जाती हैं। (iii) इसमें मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

    भारत में वाणिज्य फसल कौन सी है?

    भारत की प्रमुख वाणिज्यिक फसल कौन सी है?

    इसे सुनेंरोकेंभारत की प्रमुख वाणिज्य फसलें हैं – भारत की प्रमुख वाणिज्य फसलें हैं-कपास, तिलहन, जूट, गन्ना और तम्बाकू इत्यादि जबकि प्रमुख रोपड़ फसलें हैं-चाय, कॉफी नारियल और रबर इत्यादि।

    वाणिज्यिक कृषि किसे कहते हैं इस कृषि का प्रमुख उद्देश्य क्या है और इसके उत्पादन क्षेत्र बताइए?

    इसे सुनेंरोकेंवाणिज्यिक कृषि: जिस प्रकार की खेती का मुख्य उद्देश्य पैदावार की बिक्री करना हो उसे वाणिज्यिक कृषि कहते हैं। इस तरह की कृषि में आधुनिक साजो सामान, अधिक पैदावार वाले बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और खरपतवारनाशक का इस्तेमाल होता है।

    आत्मनिर्वाह कृषि क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंयह एक प्रकार की कृषि है, जो भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम कृषि औजारों जैसे:- लकड़ी के हल, डाओ और खुदाई करने वाली छड़ी तथा परिवार अथवा समुदाय श्रम की मदद से की जाती है। आत्म निर्वाह कृषि में किसान मुख्यत: अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उत्पादन करता है। 1 पुरानी तकनीकी तथा परंपरागत औजारों का प्रयोग होता है।

    वाणिज्यिक कृषि कौन सी है?

    वाणिज्यिक कृषि वाणिज्यिक कृषि में फ़सल उत्पादन और पशुपालन बाज़ार में विक्रय हेतु किया जाता है। इसमें विस्तृत कृष्ट क्षेत्र और अधिक पूँजी का उपयोग किया जाता है। अधिकांश कार्य मशीनों के द्वारा किया जाता हैवाणिज्यिक कृषि में वाणिज्यिक अनाज कृषि, मिश्रित कृषि और रोपण कृषि शामिल हैं (चित्र 4.5 ) ।

    वाणिज्यिक खेती के मुख्य विशेषता क्या है?

    Explanation: (i) व्यावसायिक खेती की मुख्य विशेषता उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए उच्च मात्रा में बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक और कीटनाशक की उच्च मात्रा की आधुनिक जानकारी का उपयोग है।

    कृषि का वाणिज्य करण क्यों किया गया?

    ब्रिटिश सरकार ने भारत में ब्रिटिश उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चे माल के अधिक उत्पादन हेतु उसके अनुरूप आर्थिक नीतियां अपनाईं। सरकार द्वारा परिवहन की सुविधा में किए गए सुधारों से कृषि उत्पादित वस्तुओं का व्यापार व्यापक हो गया। अतः सरकार ने भारतीय कृषि के विशिष्टीकरण एवं वाणिज्यीकरण को बढ़ावा दिया।

    वाणिज्यीकरण का अर्थ क्या है?

    वाणिज्यीकरण संज्ञा अर्थ : व्यवसाय या व्यापार के रूप में लाने की क्रिया।

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