कुटिलता का विलोम शब्द क्या है? - kutilata ka vilom shabd kya hai?

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कुटिल का विलोम शब्द, कुटिल शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, कुटिल का उल्टा dar ka vilom shabd

शब्द (word)  विलोम (vilom)
कुटिल सरल  
Kutil Saral
             

‌‌‌कुटिल का विलोम शब्द

दोस्तों कुटिल का विलोम शब्द होता है सरल ।और बात करें कुटिल के अर्थ की तो इसका मतलब होता है चालू या जो चालबाज हो उसके लिए यह शब्द प्रयोग मे लिया जाता है। ‌‌‌जो इंसान चतुर है उसके लिए कुटिल शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है।असल मे जो इंसान बुराई पूर्ण काम करता है उसके लिए यह शब्द प्रयोग मे लिया जाता है। अब बात करें कुटिल कौन है तो वह सब इंसान कुटिल हैं जो दूसरों को धोखा देते हैं। और उनको पिड़ा पहुंचाते हैं।

‌‌‌वैसे कुटिलता के बारे मे आपको और अधिक समझाने की जरूरत नहीं है।क्योंकि आपने न जानते कितने कुटिल इंसान देखेंहोंगे । और आप इसकी परिभाषा को बहुत ही अच्छी तरह से जानते ही होंगे ।

‌‌‌इस धरती पर उत्पति और अंत का चक्र हमेशा ही चलता रहता है। और इसका कभी भी अंत नहीं हो सकता है। पहले जब कोई सभ्यता विकसित होती है तो काफी प्रगति करती है और उसके बाद एक ऐसा समय आता है कि वह प्रगति करना बंद कर देती है और उसका पतन होना शूरू हो जाता है।

‌‌‌इस धरती पर अब तक न जाने कितनी इंसानी सभ्यताएं आई और उनका अंत हो गया ।सभी का अंत इसी प्रकार से हुआ । असल मे कल युग जिसको हम आज का समय मान रहे हैं उसके अंदर इंसानों मे सबसे अधिक कुटिलता होती है।‌‌‌कुटिलता का भी अपना कारण होता है।जैसे जैसे संसाधनों की कमी होती है वैसे वैसे ही इंसान कुटिल हो जाता है। और यह कुटिलता तब नहीं होगी जब आपके पास अधिक से अधिक संसाधन हो ।

‌‌‌फिर भी आज जो भ्रष्टाचार बढ़ रहा है वह इसी कुटिलता के कारण ही बढ़ रहा है। लोग अज्ञानी होते जा रहे हैं। नोटबंदी मे एक महिला डॉक्टर के यहां पर न जाने कितने नोट निकले जैसे कि सारे नोट वह साथ लेकर मरेगी । बेचारी को नोटो से इतना मोह हो गया कि नोट पकड़े जाने पर अस्पताल मे भर्ती होना पड़ा ।‌‌‌और दवाओ का तो कहना ही क्या 10 रूपये की दवा मार्केट मे 100 रूपये मे बिकती है। उसके बारे मे कोई भी पूछने वाला नहीं है।

‌‌‌लेकिन यही कुटिलता बाद मे काफी घातक होती है।असल मे अपनी बुरी आदतें लालच और लोभ के चलते हम जीवन मे पालतू चीजों के पीछे पड़े रहते हैं और जब जीवन का अंत समय आता है तो बहुत ही दुखी मन से विदा लेते हैं। यमराज जबरदस्ती ले जाता है। और उसके बाद अपनी अतृप्त वासनाओं के चलते हम प्रेत बनकर घूमते हैं। मरने ‌‌‌से पहले तो ऐसे लोग दूसरों को परेशान करते ही हैं।वरन मरने के बाद भी ऐसे लोग दूसरों को परेशान करने से नहीं चुकते हैं। इस प्रकार के प्रेत लोगों को तांत्रिक भी पकड़ लेते हैं और उसके बाद उनको भोग देकर उनसे मनचाहा काम करवा लेते हैं।

‌‌‌भले ही यह सब हमे आंखों से नजर नहीं आता है।लेकिन जिन साधकों की द्रष्टि खुली होती है वे यह सब चीजें आसानी से देख लेते हैं। वे यहां पर बैठे बैठे दूर दूर की चीजें बता देते हैं।

‌‌‌सरल का अर्थ और मतलब

दोस्तों कुटिलता एक इंसानी अवगुण होता है। जो इंसान कुटिल नहीं है वह सरल है।अक्सर आपने अनेक ऐसे इंसान को देखा होगा जोकि स्वाभाव से काफी सरल होते हैं। वे देखने मे भी आपको सिंपल ही लगेंगे ।

उनके मन मे चोर नहीं होता है वे जो भी कहेंगे सब कुछ साफ साफ कहेंगे ।‌‌‌इस प्रकार के इंसानों को साफ दिल के इंसान कहा जाता है।हालांकि साफ दिल के इंसानों का अब जीना मुश्किल हो चुका है। चारो ओर बिखरे हुए कुटिल लोग उनका जिना हराम कर चुके हैं। हालांकि कुछ लोग आपको ऐसे भी देखने को मिलते हैं जो दिल के तो साफ होते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर कुटिल बनते हैं। हालांकि ‌‌‌वे दूसरों को सबक सीखाने के लिए कुटिल बनते हैं।हालांकि कुटिलता यह नहीं है। जो इंसान आपके साथ अच्छा कर रहा है और आप उसके साथ गलत कर रहे हैं यही कुटिलता है।

‌‌‌अब आप पूछ सकते हैं कि स्वाभाव की सरलता और कुटिलता कैसे पैदा होती है ? तो इसका कारण बहुत सारे होते हैं।जो इंसान स्वाभाव से अच्छा होता है उसे बचपन से वैसे ही माहौल के अंदर रखा गया होता है। तो उससे आप कुटिलता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। और जो कुटिल होता है उसको बचपन से इसी प्रकार का माहौल ‌‌‌मिला है तो आप उसे अच्छाई की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।दोस्तों स्वाभाव की सरलता और कुटिलता दोनों ही घातक होती हैं। यदि स्वाभाविक रूप से आप सरल हैं तो कोई दूसरा आकर आपका शोषण करेंगा । और यदि आप बहुत अधिक कुटिल हो जाते हैं तो आप दूसरों का शोषण करने लग जाते हैं लेकिन यदि आप जरूरत पड़ने पर ‌‌‌ कुटिल और सरल होते हैं तो यह एक अच्छी बात हो सकती है।

‌‌‌एक कहावत तो  आपने सुनी ही होगी कि सांप का बेटा सपोला होता है वह काटना कभी भी नहीं भूलता है आप चाहे उसे कितना भी दूध पिलाओ ।इसका मतलब यही है कि जो इंसान जिस प्रकार के माहौल के अंदर रहता है उसके अंदर उसी प्रकार के गुण आ जाते हैं और वह गुण उसके रंगों मे बस जाते हैं।

‌‌‌यह बात सही है कि इंसान का पीछला जन्म संस्कार उसके वर्तमान को प्रभावित करते हैं या कहें कि पूर्व संस्कारों के आधार पर ही तो वर्तमान जन्म निश्चित होता है। हालांकि हम पूर्व जन्म को आसानी से याद नहीं कर पाते हैं लेकिन यह होता है।

‌‌‌कर्म संस्कारों की गहरी परत हमारे अंदर होती हैं।यदि एक इंसान पीछले कई जन्मों मे काफी अच्छे स्वाभाव का था तो वह अपने इसी तरह के सरल स्वाभाव के चलते इसी तरह के घर मे जन्म लेगा ।

‌‌‌इसलिए कुटिलता और सरलता आपके अंदर बहुत पहले से मौजूद हैं। यह बात अलग है कि यह किसी जन्म मे बहुत अधिक होती हैं तो किसी दूसरे जन्म मे कम होती हैं।

‌‌‌दोस्तों आपको सिर्फ सरल नहीं होना चाहिए और ना ही सिर्फ कुटिल होना चाहिए ।इनके बीच संतुलन बनाकर चलना चाहिए इसी के अंदर आपकी और समाज की भलाई है।

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