खेजड़ी वृक्ष की आयु कितनी होती है? - khejadee vrksh kee aayu kitanee hotee hai?

खेजड़ी वैज्ञानिक वर्गीकरणद्विपद नाम
जगत: पादप
विभाग: माग्नोल्योप्सीदा
वर्ग: माग्नोल्योफ़ीता
गण: फ़ाबालेस्
कुल: फ़ाबाकेऐ
वंश: प्रोसोपीस्
जाति: P. cineraria
Prosopis cineraria (प्रोसोपीस कीनेरार्या)
(L.) ड्रूस

खेजड़ी या शमी एक वृक्ष है जो थार के मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। यह वहां के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके अन्य नामों में घफ़ (संयुक्त अरब अमीरात), खेजड़ी, जांट/जांटी, सांगरी (राजस्थान),

छोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है। खेजड़ी का वृक्ष जेठ के महीने में भी हरा रहता है। ऐसी गर्मी में जब रेगिस्तान में जानवरों के लिए धूप से बचने का कोई सहारा नहीं होता तब यह पेड़ छाया देता है। जब खाने को कुछ नहीं होता है तब यह चारा देता है, जो लूंग कहलाता है। इसका फूल मींझर कहलाता है। इसका फल सांगरी कहलाता है, जिसकी सब्जी बनाई जाती है। यह फल सूखने पर खोखा कहलाता है जो सूखा मेवा है। इसकी लकड़ी मजबूत होती है जो किसान के लिए जलाने और फर्नीचर बनाने के काम आती है। इसकी जड़ से हल बनता है। अकाल के समय रेगिस्तान के आदमी और जानवरों का यही एक मात्र सहारा है। सन १८९९ में दुर्भिक्ष अकाल पड़ा था जिसको छपनिया अकाल कहते हैं, उस समय रेगिस्तान के लोग इस पेड़ के तनों के छिलके खाकर जिन्दा रहे थे। इस पेड़ के नीचे अनाज की पैदावार ज्यादा होती है।

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व

राजस्थानी भाषा में कन्हैयालाल सेठिया की कविता 'मींझर' बहुत प्रसिद्द है। यह थार के रेगिस्तान में पाए जाने वाले वृक्ष खेजड़ी के सम्बन्ध में है। इस कविता में खेजड़ी की उपयोगिता और महत्व का सुन्दर चित्रण किया गया है।[1] दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा भी है। [2] रावण दहन के बाद घर लौटते समय शमी के पत्ते लूट कर लाने की प्रथा है जो स्वर्ण का प्रतीक मानी जाती है। इसके अनेक औषधीय गुण भी है। पांडवों द्वारा अज्ञातवास के अंतिम वर्ष में गांडीव धनुष इसी पेड़ में छुपाए जाने के उल्लेख मिलते हैं। इसी प्रकार लंका विजय से पूर्व भगवान राम द्वारा शमी के वृक्ष की पूजा का उल्लेख मिलता है।[3] शमी या खेजड़ी के वृक्ष की लकड़ी यज्ञ की समिधा के लिए पवित्र मानी जाती है। वसन्त ऋतु में समिधा के लिए शमी की लकड़ी का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार वारों में शनिवार को शमी की समिधा का विशेष महत्त्व है।[4]

१९८३ में इसे राजस्थान राज्य का राज्य वृक्ष घोषित कर दिया था।

सन्दर्भ

  1. सेतिया "खेजड़लो/कन्हैयालाल सेतिया". विकिस्रोत. अभिगमन तिथि १६ नवंबर २००९. [मृत कड़ियाँ]
  2. "शमी पूजन". वेबदुनिया. मूल (एचटीएम) से 2 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ नवंबर २००९.
  3. "रावण को हराने के लिए राम ने किया था सूर्य का ध्यान" (सीएमएस). नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि १६ नवंबर २००९.
  4. "समिधाएँ". गायत्री परिवार. मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ नवंबर २००९.

खेजड़ी की उम्र कितनी है?

इसका फल सांगरी कहलाता है, जिसकी सब्जी बनाई जाती है। यह फल सूखने पर खोखा कहलाता है जो सूखा मेवा है। इसकी लकड़ी मजबूत होती है जो किसान के लिए जलाने और फर्नीचर बनाने के काम आती है। इसकी जड़ से हल बनता है। ... .

सिकोया पेड़ की उम्र कितनी होती है?

जो इन पेड़ों को नहीं जानते उनके लिए वर्षावन की सघन भूलभुलैया में 15 मीटर लंबे सिनकोना पेड़ों को पहचानना मुश्किल हो सकता है.

सबसे ज्यादा कौन से पेड़ की उम्र होती है?

इसकी उम्र 4853 साल है. लेकिन ग्रेट ग्रैंडफादर की उम्र 5,484 साल है.

पेड़ की उम्र का पता कैसे लगाएं?

(v) तने पर कायिक कलिकाएँ या तो उसके अग्र सिरे ( शीर्षस्थ कलिका-apical bud) पर पाई जाती हैं, जिससे पौधा ऊपर की ओर वृद्धि करता है, या फिर पत्ती के कक्ष क्षेत्र में (कक्षीय कलिकाएँ) पाई जाती हैं जो पार्श्व शाखा बनाती हैं। (vi) तने पर पुष्पी कलिकाएँ (शीर्षस्थ अथवा कक्षीय) बनती हैं जिनसे पुष्प बनते हैं।

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