Question 1. Answer: (d) भगवतशरण उपाध्याय Question 2. Answer: (c) आम बोलचाल Question 3. Answer: (c) सोच, ताज़गी और लोकप्रियता में Question 4. Answer: (b) स्त्रियों का Question 5. Answer: (b) बाउल (1) लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की ज़रूरत
नहीं होती। त्योहारों और विशेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। सदा से ये गाए जाते रहे हैं और इनके रचने वाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं। Question 1. Answer: (b) लोच, ताज़गी और लोकप्रियता से Question 2. Answer: (a) ये हमारे दैनिक जीवन में रचे बसे हैं। Question 3. Answer: (d) गाँव के लोगों ने (2)
‘लोकगीत’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(a) प्रेमचंद
(b) विष्णु प्रभाकर
(c) विनय महाजन
(d) भगवतशरण उपाध्याय
लोकगीतों की भाषा कैसी होती है?
(a) संस्कृतनिष्ठ
(b) शास्त्रीय
(c) आम बोलचाल
(d) अनगढ़
लोकगीत शास्त्रीय संगीत से किस मायने में भिन्न है?
(a) लय, सुर और ताल में
(b) मधुरता में
(c) सोच, ताज़गी और लोकप्रियता में
(d) इनमें कोई नहीं
लोकगीतों की रचना में किसका विशेष योगदान है?
(a) बच्चों का
(b) स्त्रियों का
(c) पुरुषों का
(d)
इनमें कोई नहीं
इनमें से कौन बंगाल का लोकगीत है?
(a) कजरी
(b) बाउल
(c) पूरबी
(d) सावन
लोकगीत शास्त्रीय संगीत से किस मायने में भिन्न हैं?
(a) लय, सुर और ताल में
(b) लोच, ताज़गी और लोकप्रियता से
(c) मधुरता से
(d) इनमें कोई नहीं
लोकगीत के लिए साधना की ज़रूरत क्यों नहीं पड़ती?
(a) ये हमारे दैनिक जीवन में रचे बसे हैं।
(b) ये बहुत आसान हैं।
(c) ऊँचे स्तर पर इनकी पूछ नहीं है।
(d) इन्हें कोई भी गा सकता है।
लोकगीतों की रचना किसने की है?
(a) शहर के लोगों ने
(b) संगीतकारों ने
(c) बड़े-बड़े विद्वानों ने
(d) गाँव के लोगों ने
लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार तो बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्य प्रदेश, दकन, छोटा नागपुर में गोंड-खांड, ओराँव-मुंडा, भील-संथाल आदि फैले हुए हैं, जिनमें आज भी जीवन नियमों की जकड़ में बँध न सका और निरवंद्व लहराता है। इनके गीत और नाच अधिकतर साथ-साथ और बड़े दलों में गाए और नाचे जाते हैं। बीस-बीस, तीस-तीस आदमियों और औरतों के दल एक साथ या एक-दूसरे के जवाब में गाते हैं। दिशाएँ गूंज उठती हैं।
Question 1.
आदिवासियों का संगीत कैसा है?
(a) गैर शास्त्रीय
(b) ओजस्वी और सजीव
(c) शास्त्रीय
(d) केवल महिलाओं द्वारा गाए जाने वाला
Answer: (b) ओजस्वी और सजीव
Question 2.
आदिवासियों का जीवन कैसा है?
(a) नियमों में बँधा
(b) बंधन रहित
(c) कठिन
(d) उपर्युक्त
सभी
Answer: (b) बंधन रहित
Question 3.
लोकगीत और नाच किसमें गाए जाते हैं?
(a) समूहों में
(b) अकेले
(c) विशेष वाद्य यंत्रों पर
(d) इनमें कोई नहीं
Answer: (a) समूहों में
(3)
वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में है। उनका संबंध देहात की जनता से है। बड़ी जान होती है इनमें। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के अन्य पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। पंजाब में माहिया आदि इसी प्रकार के हैं। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।
Question 1.
लोकगीतों का वास्तविक संबंध किनसे है?
(a) शहरों से
(b) कस्बों से
(c) गाँव व देहातों से
(d) दूर-दराज के प्रांतों से
Answer: (c) गाँव व देहातों से
Question 2.
बंगाल के प्रमुख लोकगीत कौन से हैं?
(a) चैता
(b) कजरी
(c) माहिया
(d) बाउल और मतिथासीत
Answer: (d) बाउल और मतिथासीत
Question 3.
सोहनी-महीवाल कहाँ का लोकगीत है?
(a) बंगाल का
(b) बिहार का
(c) पंजाब का
(d) उत्तर प्रदेश
Answer: (c) पंजाब का
(4)
भोजपुरी में करीब तीस-चालीस बरसों से ‘बिदेसिया’ का प्रचार हुआ है। गाने वालों के अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। उधर के जिलों में विशेषकर बिहार में बिदेसिया से बढ़कर दूसरे गाने लोकप्रिय नहीं हैं। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती है, परदेशी प्रेमी की और इनमें करुणा और विरह का रस बरसता है। जंगल की जातियों आदि के भी दलगीत होते हैं जो अधिकतर बिरहा आदि में गाए जाते हैं। पुरुष एक ओर और स्त्रियाँ दूसरी ओर एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर गाते हैं और दिशाएँ गुंजा देते हैं। पर इधर कुछ काल से इस प्रकार के दलीय गायन का ह्रास हुआ है? एक-दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं ? अधिकतर से बुंदेलखंडी में गाए जाते हैं। आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है जिसने आल्हा-ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया।
Question 1.
बिदेसिया का प्रचार किस बोली में अधिकतर हुआ है?
(a) बुंदेलखंडी
(b) मैथिली
(c) छत्तीसगढ़
(d) भोजपुरी
Answer: (d) भोजपुरी
Question 2.
“बिदेसिया’ गीत किस प्रकार के होते हैं?
(a) प्रेम के
(b) वीर रस के
(c) हँसी के
(d) करुणा एवं विरह के
Answer: (d) करुणा एवं विरह के
Question 3.
जंगल की जातियों के गीत किस प्रकार गाए जाते हैं?
(a) अकेले
(b) केवल स्त्रियाँ ही गाती हैं।
(c) केवल पुरुष ही गाते हैं
(d) स्त्रियाँ और पुरुष दल बनाकर गाते हैं।
Answer: (d) स्त्रियाँ और पुरुष दल बनाकर गाते हैं।
(5)
लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्योहारों और विशेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। सदा से ये गाए जाते रहे हैं और इनके रचनेवाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं।
Question 1.
गद्यांश के पाठ और
लेखक का नाम लिखिए।
Answer:
पाठ का नाम-लोकगीत
लेखक का नाम-भगवतशरण उपाध्याय
Question 2.
लोकगीत की क्या विशेषता है?
Answer: लोकगीतों की रचना गाँव के लोगों ने ही की है। इनके लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये त्योहारों और विशेष अवसरों पर साधारण ढोलक और झाँझ आदि की सहायता से गाए जाते हैं। इसके लिए विशेष प्रकार के वाद्यों की आवश्यकता नहीं होती।
Question 3.
लोकगीत कब गाए जाते हैं ?
Answer: लोकगीत त्योहारों और विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं।
(6)
वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देहात की जनता से है। बडी जान होती है इसमें। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। पंजाब में माहिया आदि इसी प्रकार के हैं। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाब में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थान में बड़े चाव से गाए जाते हैं।
Question 1.
लोकगीतों का संबंध कहाँ से है?
Answer: लोकगीतों का संबंध गाँव देहातों से है।
Question 2.
चैता, कजरी, बारहमासा, सावन कहाँ गाए जाते हैं ?
Answer: चैता, कजरी, बारहमासा और सावन लोकगीत पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाए जाते हैं।
Question 3.
पंजाबी और राजस्थानी गीतों के नाम लिखो।
Answer: पंजाबी लोकगीत है-हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल तथा माहिया। राजस्थानी लोकगीत है ढोला-मारू।
(7)
एक दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं। अधिकतर ये बुंदेलखंडी में गाए जाते हैं। आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है जिसने आल्हा-ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया, पर निश्चय ही उसके छंद को लेकर जनबोली में उसके विषय को दूसरे देहाती कवियों ने भी समय-समय पर अपने गीतों में उतारा और ये गीत हमारे गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाए जाते हैं। इन्हें गाने वाले गाँव-गाँव ढोलक लिए फिरते हैं। इसी की सीमा पर उन गीतों का भी स्थान है जिन्हें नट रस्सियों पर खेल करते हुए गाते हैं। अधिकतर ये गद्य-पद्यात्मक हैं और इनके अपने बोल हैं।
Question 1.
आल्हा किसमें गाए जाते हैं ?
Answer: आल्हा अधिकतर बुंदेलखंडी में गाए जाते हैं। ये काफी लोकप्रिय हैं।
Question 2.
आल्हा अधिकतर कहाँ गाए जाते हैं ?
Answer: आल्हा अधिकतर बुंदेलखंड क्षेत्र में गाए जाते हैं।
Question 3.
आल्हा गाने वाले कहाँ मिलते हैं?
Answer: आल्हा गाने वाले गाँव-गाँव में ढोलक लिए आल्हा गाते फिरते हैं।
(8)
एक विशेष बात यह है कि नारियों के गाने साधारणत: अकेले नहीं गाए जाते, दल बाँधकर गाए जाते हैं। अनेक कंठ एक साथ फूटते हैं। यद्यपि अधिकतर उनमें मेल नहीं होता, फिर भी त्योहारों और शुभ अवसरों पर वे बहुत ही भले लगते हैं। गाँवों और नगरों में गायिकाएँ भी होती हैं जो विवाह, जन्म आदि के अवसरों पर गाने के लिए बुला ली जाती हैं। सभी ऋतुओं में स्त्रियाँ उल्लसित होकर दल बाँधकर गाती हैं।
Question 1.
गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
Answer:
पाठ का नाम-लोकगीत
लेखक का नाम-भगवतशरण उपाध्याय
Question
2.
नारियों के गीतों की क्या विशेषता है?
Answer: नारियों के गीतों की विशेषताएँ हैं-औरतें दल बाँधकर गाती हैं।
Question 3.
नारियों के गीत सुनने में कैसे लगते हैं ?
Answer: नारियों के गीत सुनने में उनकी आवाज़ में मेल नहीं होता है।