मन का आपा खोइ का क्या आशय है? - man ka aapa khoi ka kya aashay hai?

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महाकवि संत कबीर दास जी के दोहे में कहा गया है कि ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय इसका अर्थ है हमें इसलिए मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे दूसरों को शीतलता और अनुभव हो और साथ ही हमारा मन भी प्रसन्न हो उठे

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विषयसूची

  • 1 मन का आपा खोना का क्या अर्थ है *?
  • 2 मन का आपा खोने का क्या आशय है Class 10 MCQ?
  • 3 तन के शीतल होने का क्या अभिप्राय है * शरीर का ठंडा होना सुख व शांति अनुभव करना मर जाना?
  • 4 कस्तूरी कुंडलि बसै इस पंक्ति में कुंडलि का क्या अर्थ है *?
  • 5 तन के शीतलता का क्या अर्थ है?
  • 6 तन के शीतल होने का क्या अभिप्राय है *?
  • 7 काव्यांश में आपा शब्द का क्या अर्थ है *?
  • 8 अषिर का क्या अर्थ है Class 10?
  • 9 आषिर का क्या अर्थ है?

मन का आपा खोना का क्या अर्थ है *?

इसे सुनेंरोकेंअर्थ- अभिमान त्यागना।

मन का आपा खोने का क्या आशय है Class 10 MCQ?

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मन का आपा खोए का क्या अर्थ है * अंदर का अहंकार नष्ट होना इंसान के प्राण निकल जाना घमंडी होना जगत में प्रसिद्ध होना?

इसे सुनेंरोकें“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।” इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ शब्द का प्रयोग घमंड अर्थात् अंहकार के लिए प्रयुक्त हुआ है। पहली पंक्ति में कबीर का कहना है कि मनुष्य को अपने स्वभाव से अहंकार को त्याग देना चाहिए ताकि सभी उस पर कृपाभाव रखें।

तन की शीतलता का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: तन की शीतलता का मतलब → सुख और शान्ति का अनुभव करना ।

तन के शीतल होने का क्या अभिप्राय है * शरीर का ठंडा होना सुख व शांति अनुभव करना मर जाना?

इसे सुनेंरोकेंअपना तन सीतल करै ,औरन कौ सुख होइ।। व्याख्या -: इसमें कबीरदास जी कहते है कि हमें अपने मन का अहंकार त्याग कर ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जिसमे हमारा अपना तन मन भी सवस्थ रहे और दूसरों को भी कोई कष्ट न हो अर्थात दूसरों को भी सुख प्राप्त हो।

कस्तूरी कुंडलि बसै इस पंक्ति में कुंडलि का क्या अर्थ है *?

इसे सुनेंरोकेंइस पंक्ति में कवि कहता है कि जिस प्रकार हिरण अपनी नाभि से आती सुगंध पर मोहित रहता है परन्तु वह यह नहीं जानता कि यह सुगंध उसकी नाभि में से आ रही है।

कस्तूरी किसका प्रतीक है क अज्ञानी जीव का ख आध्यात्मिक जीव का ग भक्त का घ भ्रष्ट व्यक्ति का?

इसे सुनेंरोकें➲ कस्तूरी ईश्वर और आत्मज्ञान का प्रतीक है। ✎… कबीर की साखी में कबीर के अनुसार कस्तूरी ईश्वर का प्रतीक है, क्योंकि कस्तूरी हिरण की नाभि में पाई जाती है, लेकिन इस बात से अनजान होता है।

कबीरदास जी कैसी वाणी बोलने की प्रेरणा देते हैं MCQ?

इसे सुनेंरोकेंकबीरदास जी कैसी वाणी बोलने की प्रेरणा देते हैं? (क) अहंकार त्यागकर मीठी वाणी बोलने की प्रेरणा देते हैं।

तन के शीतलता का क्या अर्थ है?

तन के शीतल होने का क्या अभिप्राय है *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. कबीर जी इस दोहे में समझाते है: हमें हमेशा अपने तन , मन को शीतल रखना चाहिए| हमें हमेशा सरल शब्द बोलने चाहिए| अच्छे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए| हमारे शब्दों में ताकत होती है जो दूसरों को ख़ुशी देती है| हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वालों का मन भी प्रसन्न हो उठे।

मन का आपा खोने का क्या तात्पर्य है a मन का खो जाना b अपने आप में खोना C अहंकार को त्यागना D अहंकार को अपनाना?

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आपा शब्द से कवि का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- मन का आपा खोने का तात्पर्य है अपने मन से अहंकार को त्याग देना।

काव्यांश में आपा शब्द का क्या अर्थ है *?

इसे सुनेंरोकेंSolution. यहाँ ‘आपा’ शब्द घमंड के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। इस कारण वह दूसरे को हीन समझता है।

अषिर का क्या अर्थ है Class 10?

इसे सुनेंरोकें’ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’− इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? इन पंक्तियों द्वारा कवि ने प्रेम की महत्ता को बताया है। ईश्वर को पाने के लिए लोग न जाने कितने यतन-जतन करते हैं पर उन्हें समझना चाहिए कि ईश्वर को पाने के लिए एक अक्षर प्रेम का अर्थात ईश्वर को पढ़ लेना ही पर्याप्त है।

अषिर का क्या अर्थ है A शब्द B पंक्ति C पुस्तक D अक्षर?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: Answer: इस पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहते है कि जिस व्यक्ति ने ईश्वर का एक अक्षर भी पढ़ लिया है, वहीं वास्तविक ज्ञानी है। ईश्वर ही एक मात्र सत्य है और उसे जानेवाला ही सच्चे अर्थों में ज्ञानी है ।

माँहि से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंमाही फ़ारसी [संज्ञा स्त्रीलिंग] मछली ; मत्स्य ; मीन।

आषिर का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंआपको बता दें कि आशीर नाम का अर्थ लिविंग, आकर्षक, दिलचस्प होता है।

मन का आपा खोए का क्या अर्थ है?

मन का आपा खोने का अर्थ है, अहंकार का त्याग करना।

मन का आपा खोई का क्या तात्पर्य है क मन का खो जाना ग अहंकार को त्यागना ख अपने आप में खोना घ अहंकार को अपनाना?

मन का आपा खोने का अर्थ है, अपने अंदर का सारा अहंकार त्याग देना और दुसरे में प्रस्सनता बांटना। कबीरदास ने कहा था की ऐसे वाणी बोलिये जो मन का आपा खोये, अर्थात ऐसे वचन का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे दूसरों को भी मिठास मिले और स्वयं को भी प्रस्सनता मिले।

मन का आपा का क्या आशय है Class 10?

व्याख्या -: इसमें कबीरदास जी कहते है कि हमें अपने मन का अहंकार त्याग कर ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जिसमे हमारा अपना तन मन भी सवस्थ रहे और दूसरों को भी कोई कष्ट न हो अर्थात दूसरों को भी सुख प्राप्त हो।

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