मूसला जड़ कितने प्रकार की होती है? - moosala jad kitane prakaar kee hotee hai?

विषयसूची

  • 1 मूसला मूल क्या है?
  • 2 मूसला जड़ में कौन कौन से पौधे आते हैं?
  • 3 रेशेदार फसल कौन सी होती है?
  • 4 मूसला जड़ का उदाहरण क्या है?
  • 5 झकड़ा जड़ क्या है?

मूसला मूल क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमूसला जड़ (Taproot) कुछ पौधों की एक मुख्य केन्द्रीय जड़ होती है जिसमें से अन्य जड़ें निकलती हैं। प्रायः मूसला जड़ लगभग सीधी और मोटी है जिसकी चौड़ाई नीचे जाते-जाते घटती जाती है। यह अक्सर सीधी नीचे की ओर बढ़ती है।

जड़ों में रूपांतरण क्यों होता है?

इसे सुनेंरोकेंअपस्थानिक जड़ों के रूपांतरण (Modifications of adventitious roots): भोजन संग्रह, पौधों को यांत्रिक सहारा (Mechanical support) प्रदान करने अथवा अन्य विशिष्ट कार्यों को करने के उद्देश्य से अपस्थानिक जड़ें अनेक प्रकार से रूपांतरित हो जाती हैं।

मूसला जड़ में कौन कौन से पौधे आते हैं?

इसे सुनेंरोकें(I) मूसला जड़े-इनमें एक मुख्य जड़ होती है। यह भूमि के अंदर लंबाई के रूप में बढ़ती है। मूसला जड़ से अनेक शाखाएं निकलती हैं। उदाहरण-मटर, नीम, आम्।

जड़े कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजड़े दो प्रकार की होती हैं (I) मूसला जड़े (Ii) रेशेदार जड़ें।

रेशेदार फसल कौन सी होती है?

इसे सुनेंरोकेंजैसे- धान, गन्ना, तिलहन, कपास, मक्का, तिल, ज्वार, बाजरा इत्यादि ।

मूसला व रेशेदार जड़ में कैसे अंतर समझेंगे?

इसे सुनेंरोकेंमूसला जड़ के अंदर एक मुख्य जड़ पाई जाती है, जबकि रेशेदार जड़ में मुख्य जड़ का अभाव होता है। मूसला जड़ के लंबाई के अनुपात में बढ़ती हैं, जबकि रेशेदार जड़ लंबाई और चौड़ाई दोनो तरफ बढ़ती हैं। मूसला जड़ में शाखायें पायी जाती है, जबकि रेशेदार जड़ में मुख्य जड़ के अभाव के कारण शाखायें नही पायी जाती हैं।

मूसला जड़ का उदाहरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमूसला जड़ मुख्य जड़ होता है जो अन्य छोटे पक्षीय जड़ों के साथ मिट्टी में बढ़ती है। चुकंदर, गाजर, मूली इत्यादि में मूसला जड़ होती है।

झकड़ा जड़ का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमूसला जड़ तथा रेशेदार या झकड़ा जड़। जिस जड़ में कोई मुख्य जड़ नहीं होती है। बल्कि सभी जड़ें एक ही स्थान से निकलती है। उस जड़ को झकड़ा जड़ कहते हैं।

झकड़ा जड़ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक तो द्विबीजपत्री पौधों में प्राथमिक जड़ बढ़कर मूसला जड़ बनाती है तथा दूसरी प्रकार की वह होती हैं, जिसमें प्राथमिक जड़ मर जाती है। और तने के निचले भाग से जड़ें निकल आती हैं। एकबीजपत्रों में इसी प्रकार की जड़ें होती हैं। इन्हें रेशेदार जड़ या झकड़ा जड़ कहते हैं।

मूल गोप का क्या कार्य है?

इसे सुनेंरोकेंयह जड़ की वृद्धि करती है। यह मूलरोम के सिरे पर स्थित कोमल कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाती है। इसका कोई कार्य नहीं है।

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है। इस लेख जड़ किसे कहते है प्रकार तथा कार्य (What is root its type and function) में। इस लेख में आप जड़ किसे कहते है,

जड़ की परिभाषा, जड़ की विशेषतायें, जड़ के प्रकार तथा जड़ो के कार्य जान पायेंगे। तो आइये दोस्तों करते है, यह लेख जड़ किसे कहते है प्रकार तथा कार्य:-

पादप का वर्गीकरण

जड़ किसे कहते है what is root 

जड़ किसी भी पौधे का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है क्योंकि यह पौधे को आधार प्रदान करने के साथ जल और खनिज लवण प्रदान करता है।

जड़े नीचे की और भूमि के अंदर विकसित होती है। जड़े संवहनीय पौधों का आधारीय बेलनाकार भाग होती है जो बीजों के अंकुरण के समय मूलांकुर से विकसित होती है।

किन्तु इनमें किसी भी प्रकार की पत्तीयाँ, कलियाँ या फूल विकसित नहीं होते। जड़ो का कार्य पृथ्वी से जल (Water) खनिज लवण (Mineral) तथा अन्य आवश्यक पदार्थो का अवशोषण करके पौधों के विभिन्न भागों तक पहुँचाना होता है। 

जड़ की परिभाषा defination of root 

संवहनीय पौधों का वो भाग जो बीजों के अंकुरण के वक्त मूलंकार से निकलता है तथा भूमि की तरफ अंधकार में वृद्धि करता है उन्हें जड़ (Root) कहते है।

जड़ की विशेषतायें characteristics of root 

  1. जड़ों का निर्माण पौधों के मूलांकुर भाग से होता है, जो हमेशा भूमि की तरफ वृद्धि करती है।
  2. जड़ो का रंग मटमैला तथा सफेद होता है, क्योंकि यह हमेशा भूमि में मिट्टी में रहती है।
  3. जड़े ही पौधों का वह भाग होती है, जो प्रकाश की अनुपस्थिति में अंधकार में वृद्धि करती है।
  4. सख्त भूमि के अंदर तथा अंधकार में वृद्धि करने के कारण जड़ो पर पुष्प, पत्तियाँ, कलियाँ विकसित नहीं होती है।
  5. अधिकतर जड़ो पर एककोशिकीय रोम उपस्थित होते है।
  6. जड़े धनात्मक गुरुत्वानुवर्ती तथा ऋणात्मक प्रकाशानुवर्ती का गुण प्रदर्शित करती है।

जड़ के प्रकार type of root 

समान्यता: जड़ों को दो प्रकारों में बांटा गया है:- 

  1. मूसला जड़
  2. अपस्थानिक जड़

1. मूसला जड़ किसे कहते है what is tap root

मूसला जड़ वे जड़े होती हैं, जो एक मुख्य जड़ के रूप में बीजों के मूलांकुर भाग से विकसित होती है, किंतु इनके चारों तरफ कभी-कभी छोटी- छोटी सी पाशर्व शाखाएँ निकलने लगती हैं,

जिन्हें द्वितीयक जड़े कहा जाता है। तथा इन द्वितीयक जड़ों पर भी छोटी-छोटी पाशर्व शाखाएँ निकलती है, जिन्हे तृतीयक जड़े कहते है।

यह सब जड़े मिलकर आपस में एक तंत्र बना लेते हैं, जिसे मूसला जड़ तंत्र कहा जाता है। मूसला जुड़े अधिकतर द्विबीजपत्री पौधों में पाई जाती हैं।

मूसला जडो का रूपांतरण Modifications of tap root

मूसला जड़ मूलांकुर के भाग से एक मुख्य शाखा के रूप में विकसित होती हैं, किंतु भोजन पदार्थों का संग्रह करने के कारण इनकी आकृति बदल जाती है,

तथा यह मोटी और मांशल हो जाती हैं। इनकी आकृति के आधार पर मूसला जड़ो का रूपांतरण निम्न प्रकार से होता है, तथा उन्हें अलग प्रकार के नामों के द्वारा पुकारा जाता है:-  

तुर्करूपी - तुर्करूपी वे जड़े होती है, जो मध्य में से फूल जाती हैं, अर्थात तुर्करूपी जड़ों में मध्य में भोजन पदार्थों का संग्रहण अधिक मात्रा में हो जाता है।

इस कारण यह जड़े मध्य में फूल जाती हैं, किंतु आधार तथा शीर्ष भाग से पतली रहती है, इस कारण इनकी आकृति तुर्करूपी हो जाती है। उदाहरण :- मूली

शंकुरुपी - शंकुरूपी जड़े वे जड़े होती है, जिनमें भोज्य पदार्थों का संग्रह आधार की ओर हो जाता है, जिस कारण यह आधार की ओर

से मोटी हो जाती हैं, तथा नीचे की ओर से पतली रहती है तथा शंकु जैसा रूप धारण कर लेती है। उदाहरण:- गाजर

कुंभीरूपी - कुंभीरूपी जड़े वे जड़े होती हैं, जिनमें भोज्य पदार्थों का संग्रह ऊपर की ओर से अधिक हो जाने के कारण गोल और

फूली हुई दिखाई देती है और नीचे की तरफ से अचानक पतली सी हो जाती है। इसलिए वे कुम्भी जैसी दिखाई देने लगती हैं। उदाहरण:- शलजम, चुकंदर 

न्यूमेटाफोर - जो पौधे दलहनी स्थानों पर उगते है, उनमें भूमिगत जड़ो से कुछ जड़े बाहर की ओर वायु में निकालती है, जो खूंटी के जैसी दिखाई देती है, उन्हें न्यूमेटाफोर कहते है। उदाहरण :- राइजोफोरा, सुंदरी

2. अपस्थानिक जड़े किसे कहते है what is adventitious roots

अपस्थानिक जड़े वे जड़े होती है, जिनका विकास बीजों के मूलांकुर से ना होकर पौधों के अन्य भाग से होता है। कियोकि इनमें मूलांकुर नष्ट हो जाते है। अपस्थानिक जड़े प्राय: एकबीजपत्री में उपस्थित होती है।

अपस्थानिक जड़ो का रूपान्तरण Modifications of adventitious roots

अपस्थानिक जड़ो में भोजन संग्रहण के साथ अन्य कई कार्य जैसे पौधों को यांत्रिक सहारा देना आदि के कारण निम्नप्रकार से रूपान्तरण होता है:-

भोज्य पदार्थो के संग्रहण के कारण

कंदिल जड़े - कंदिल जड़ो की निश्चित आकृति नहीं होती है, कियोकि इन जड़ो में खाद्य पदार्थो का संचय कहीं पर भी हो जाता है, इससे इनकी आकृति निश्चित नहीं रहती। उदाहरण :- शकरकंद

पुलकित जड़े - पुलकित जड़े वे अपस्थानिक जड़े होती हैं, जिनमें कई जड़े मांशल होती है, और फूली रहती है, ये सभी जड़े गुच्छों के रूप में रहती है। उदाहरण :- डहलिया

ग्रंथिल जड़े - ग्रंथिल जड़े शिरे पर फूल जाती है, तथा मांशल हो जाती है। उदाहरण :- आमहल्दी

मणिकमय जड़े- मणिकमय जड़े वे जड़े होती है, जो थोड़ी जगह छोड़ - छोड़ कर फूलती है। तथा मोतियों की माला जैसी दिखती है। उदाहरण :- अँगूर, कोला

यांत्रिक सहारा प्रदान करने के कारण

स्तम्भ मूल - स्तंभ मूल ऐसी जड़े होती हैं, जो अनेक शाखाओं में विभक्त हो जाती हैं और मोटी होकर भूमि में दूर-दूर तक फैली होती हैं।

स्तंभ मूल जड़े वृक्षों की लंबी और मोटी शाखाओं को सहारा प्रदान करने का कार्य करती हैं। उदाहरण :- बरगद इंडियन रवर

अवस्तम्भ मूल - अवस्तम्भ मूल जड़े वे जड़े होती हैं, जो मुख्य तने के आधार से निकलती है और भूमि में तिरछी प्रवेश करती हैं। यह जडे भी पौधों को सहारा देने का कार्य करते हैं। उदाहरण :- मक्का और गन्ना

आरोही मूल - आरोही मूल वे जड़े होती हैं जो हर्बल तनो की सन्धियों अथवा पर्व सन्धियो से निकालती है तथा पौधों को किसी भी आधार से चढ़ने के लिए

सहायता देती हैं। यह जड़े सिरे से फूलकर छोटी - छोटी ग्रंथियाँ बनाती है, जिनसे चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो वायु में सूख जाता है। उदाहरण:- पान, पोथोस

जैविक क्रियाओं के कारण रूपांतरित जड़े

चूषक मूल - यह वे जड़े होती हैं, जो परजीवी पौधों में विकसित होती हैं। इनका काम पोषक पौधों के शरीर में प्रवेश करना होता है, ताकि वे भोज्य पदार्थों का अवशोषण कर सकें। उदाहरण :- चंदन अमरबेल

शवसनी मूल - यह जड़े जलीय पौधों में होती है, जो पौधों को तैरने तथा शवसन के लिए उत्तरदायी होती है। यह जलीय पौधों की प्लावी शाखायों से हल्की स्पंजी जडों के रूप में निकलती है, जिनमें वायु भरी होती है। उदाहरण :-जुसिया

अधिपादप मूल - यह जड़ें अधिपादपों में उपस्थित होती हैं, जो पत्तियों के कक्ष से निकलती है और हवा में लटकती है।

यह वेलमिन नामक स्पंजी ऊतक की मदद से वायु में उपस्थित आद्रता को अवशोषित करती है। उदाहरण :- ओर्किंड

स्वांगीकारण मूल - यह जड़े पौधों के तने के आधार से निकलती है, जो हरी तथा बेलनाकार होती है। कलोरोफिल उपस्थित होने के कारण यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करती है। उदाहरण :- सिंघाड़ा, टिनोस्पोरा 

जड़ का क्या कार्य है what is function of root 

  1. जड़ो का कार्य पेड़ पौधों को मजबूत आधार (Base) प्रदान करना होता है।
  2. जड़ो के मूल रोम तथा कई कोमल भाग जल तथा जल में घुलित खनिज लवण का अवशोषण (Absorption) करते है।
  3. जड़ो द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज लवण संवहनी ऊतक (vascular tissue) द्वारा पौधों के अन्य भाग में पहुँचते है।
  4. जड़े भोज्य पदार्थो के संग्रहण का कार्य भी करती है जिनका उपयोग पौधों द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों में किया जाता है।
  5. जड़ आसपास की मिट्टी को जकड़े हुए रहती है, जिससे मृदा अपरदन (Soil Erosion) की समस्या कम होती है।
  6. पौधों की जड़े जल को अधिक मात्रा में अवशोषित करने की क्षमता रखती है, जिससे जड़े बाढ़ नियंत्रण में भी सहायक होती है। 

दोस्तों आपने इस लेख में जड़ो के बारे में पड़ा कि जड़े क्या होती है, (what is root) कितने प्रकार की होती है, क्या कार्य होता है, आदि। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

इसे भी पढ़े:-

  1. थैलोफाइटा के मुख्य लक्षण
  2. टेरिडोफाइटा के मुख्य लक्षण
  3. अनावृतबीजी पौधों के लक्षण

मूसला जड़ कितने प्रकार के होते हैं?

आकृति के आधार पर मूसला जड़ को विभिन्न नाम से पुकारा जाता है। (a) तर्कुरूपी (Fusiform): इस प्रकार की मूसला जड़े मध्य में फूली हुई तथा आधार एवं शीर्ष की ओर पतली होती हैं। जैसे-मूली (Radish)। (b) शंकुरूपी (Conical): इस प्रकारी की मूसला जड़े आधार की ओर मोटी तथा नीचे की ओर क्रमशः पतली होती हैं

मूसला जड़ कौन सी होती है?

प्रायः मूसला जड़ लगभग सीधी और मोटी है जिसकी चौड़ाई नीचे जाते-जाते घटती जाती है। यह अक्सर सीधी नीचे की ओर बढ़ती है। कुछ गाजर व चुकंदर जैसे पौधो में मूसला जड़ में पौधा उसमें आहार जमा करता है, जिससे मनुष्य व अन्य प्राणी उन्हें खोदकर खाते हैं।

4 प्रकार की जड़ें क्या हैं?

Solution : जड़ें मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं- <br> (i) मूसला जड़-जिन पौधों में जड़ें असमान होती हैं उनमें एक मुख्य जड़ और शेष छोटी-छोटी जड़ें होती हैं, उनमें मुख्य जड़ को . मूसला जड़. कहते हैं तथा छोटी जड़ें . पार्श्व जड़ें.

जर कितने प्रकार के होते हैं?

जड़े दो प्रकार की होती हैं (I) मूसला जड़े (Ii) रेशेदार जड़ें।

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