मिट्टी का तेल के क्या नुकसान है? - mittee ka tel ke kya nukasaan hai?

सीतापुर। रामकोट थाना क्षेत्र में रविवार सुबह एक साल की मासूम ने धोखे से केरोसिन पी लिया। हालत बिगड़ने पर जानकारी जब परिजनों को हुई तो सभी के होश उड़ गए। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

ग्राम अबदीपुर निवासी वीर बहादुर की पुत्री रंगोली (एक) रविवार की सुबह घर में खेल रही थी। वहां पर केरोसिन से भरी कांच की एक शीशी रखी हुई थी। बच्ची ने खेल-खेल में केरोसिन से भरी शीशी खोलकर पी ली। कुछ देर बाद अचानक उसकी हालत बिगड़ने लगी, लेकिन परिजन समझ नहीं पा रहे थे। इसी बीच उनकी निगाह बच्ची के पास पड़ी केरोसिन की शीशी पर गई। केरोसिन की गंध से परिजनों को यह समझते देर न लगी कि उसने शीशी में रखा केरोसिन पी लिया है। वे उसे लेकर सीधे जिला अस्पताल पहुंचे। यहां बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक केरोसिन पीने के कारण बच्ची के पेट के साथ-साथ फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचा है।

केरोसिन फेफड़ों के लिये घातक
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि केरोसिन फेफड़ों के लिये घातक होता है। जब बच्चा या युवा इसका सेवन कर लेता है तो आहार नली के अलावा मिट्टी का तेल श्वास नली के माध्यम से भी फेफड़ों तक पहुंच जाता है। श्वास नली में तेल जाते ही सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। एस्पीरेशन निमोनाइटिस हो जाती है। इस बीमारी पर काबू पाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। ऐसी दशा में तत्काल पीड़ित को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। संक्रमण बढ़ने से जान पर भी बन सकती है।

लक्षण
श्वास लेने में दिक्कत
बुखार आना
खांसी आना
ये न करें
बच्चे को उल्टी न कराएं।
पेट साफ करने वाली औषधियां न दें।
खाने के लिए कुछ न दें।
झोलाछाप के पास न जाएं।

मिट्टी तेल (केरोसिन) के औषधीय प्रयोग / लाभ : mitti tel ke aushadhi prayog / labh

1)  तुरन्त के कटे छिले घाव पर मिट्टी के तैल का फोहा रखने से रक्त का प्रवाह तुरन्त बन्द हो जाता है तथा पीड़ा भी तत्काल शान्त हो जाती है । इसे नित्य बांधने से आघातज व्रण अपने आप भरकर सूख जाते हैं। बशर्ते उस व्रण में मिट्टी तैल के अतिरिवत धूल और पानी न लगने पाये ।  ( और पढ़ें –  बहते खून को रोकने के लिए अपनाएं ये 28 देसी आयुर्वेदिक नुस्खे  )

2)  कटे, छिले या छिदे घाव पर तुरन्त मिट्टी का तैल मलने से पीड़ा में राहत मिलती है।  ( और पढ़ें – चोट लगने का 30 घरेलू इलाज )

3)  बर्र दंश, पिपीलिका दंश, मूषक दंश, कीटदंश की पीड़ा, दाह और खुजली मिट्टी का तेल लगाने से दूर हो जाती है ।  ( और पढ़ें – कीड़े-मकोड़े बिच्छू ततैया काटने के 40 घरेलु उपचार )

4)  एक छोटी (चाय वाली चम्मच) कुछ दिनों तक लालटेन या लैम्प में जलने के पश्चात् बचा हुआ तैल सुबह-शाम कुछ दिन सेवन करने से श्वास रोग (दमा) में आराम होता है ।
नोट-तैल पीने के उपरान्त अडूसे के पत्तों का रस दो चम्मच अवश्य सेवन करलें ।  ( और पढ़ें –अस्थमा–दमा-श्वास के 170 आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )

5)  जला हुआ मिट्टी का तैल, नहाने वाला साबून, खाने वाला नमक सभी 1-1 तोला और शुद्ध सरसों का तैल 5 तोला लें । पहले खरल में नमक और साबुन डालकर भली प्रकार पीसें तदुपरान्त सरसों का तैल मिलाकर रखलें । यह तैल मोच, पसलियों का दर्द, अर्कुलनिशा (साईटिका) आदि वात रोगों पर अचूक कार्य करता है ।  ( और पढ़ें –साईटिका के 24 घरेलु उपचार )

6)  मिट्टी का तैल, गन्धक, कपूर तीनों को सममात्रा में लेकर पीसकर मिलाकर दाद को भली प्रकार खुजलाकर प्रतिदिन लगाने से दाद जड़मूल से मिटता है ।  ( और पढ़ें – दाद को जड़ से मिटायेंगे यह 16 घरेलु नुस्खे )

7)  गाय के गोबर का रस (गोबर कड़े कपड़े में रखकर निचोड़े) और मिट्टी का तेल 1-1 तोला लेकर मिलालें । दाद, चम्बल को पैसे से खुजलाकर दिन में तीन बार लगायें । कुछ ही दिनों में शर्तिया नष्ट हो जाता है ।

8)  कपूर और गन्धक 1-1 माशा लेकर मिट्टी के तैल में खरल करें । मरहम बनाकर दाद को साफ करके ऊँगली से मलने से दाद नष्ट हो जाता है ।

9)  मिट्टी का तैल दो बूंद बताशे में रखकर नित्य खाने से शीत पित्त ठीक हो जाता है ।

10) मिट्टी का तैल और सेंधानमक मिलाकर रगड़ने से बिच्छू का जहर तुरन्त उतर जाता है और रोता हुआ रोगी खिलखिलाकर हँस पड़ता है। ( और पढ़ें – बिच्छू काटने पर असरकारक प्रयोग )

11)  अग्निदाह और तरल दाह पर मिट्टी का तैल लगायें। इसके सामने बरनौल आयटमेन्ट इत्यादि का प्रयोग भी अति तुच्छ है । ( और पढ़ें – आग से जलने पर 79 घरेलु उपचार )

12)  मिट्टी का तैल 40 ग्राम, पिसा हुआ कपूर 10 ग्राम दोनों को शीशी में डालकर मजबूत कार्क लगाकर आधा घण्टा धूप में रखदें । फिर शीशी को खूब हिलाकर दोनों को मिलालें । शरीर में जहाँ कहीं भी बात का दर्द हो वहाँ इसकी मालिश करके सिंकाई कर दें । दर्द ठीक हो जाएगा ।  ( और पढ़ें – वात नाशक 50  घरेलु उपचार)

नोट-गन्धक, सुहागा, चूना, चीनी और कपूर 1-1 छटांक लेकर 10 सेर मिट्टी के तैल में पीसकर मिलाकर रखदें । कुछ समय पश्चात् दुर्गन्ध बिल्कुल ही समाप्त हो जाएगी । इस प्रकार का तैल कई प्रकार की औषधियों के काम में ले सकते हैं।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

मिट्टी के तेल के क्या नुकसान है?

कैरोसिन ऑयल पीने से एस्पीरेशन निमोनाइटिस नामक बीमारी होती है एसपी सिंह का कहना है कि केरोसिन फेफड़ों के लिये घातक होता है। जब बच्चा या युवा इसका सेवन कर लेता है तो आहार नली के अलावा मिट्टी का तेल श्वास नली के माध्यम से भी फेफड़ों तक पहुंच जाता है। श्वास नली में तेल जाते ही सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

मिट्टी का तेल लगाने से क्या फायदा?

कट या स्क्रैच लग जाने पर मिट्टी का तेल एक एंटीसेप्टिक की तरह इस्तेमाल होता था। मिट्टी का तेल सिर की जूँ मारने, जानवरों में फटे या संक्रमित खुरों को इन्फेक्शन से बचाने, यहाँ तक कि चुन्ना काटने पर एक फेमस नुस्खे के रूप में इस्तेमाल होता था। वोर्म इन्फेक्शन में इसे बतौर लोशन उपयोग किया जाता था।

मिट्टी का तेल क्यों बंद कर दिया?

Kerosene Oil- खबर तो यह है कि केरोसीन अब भी चलन से बाहर नहीं हुआ है. कई राज्य अभी भी केंद्र सरकार से केरोसीन मांगते हैं और लोग भी इसे इस्तेमाल करते हैं. केंद्र केरोसीन पर सब्सिडी को बंद कर चुका है Kerosene Oil-केरोसिन यानी मिट्टी के तेल का शायद नई पीढ़ी के कई लोगों ने नाम भी न सुना हो.

मिट्टी का तेल कैसे साफ करें?

अगर कपड़ों में मिट्टी के तेल का दाग नजर आ रहा है तो उसे दूर करने के लिए उस स्थान पर अल्कोहल रब कर दें। 6 कप पानी में एक कप अल्कोहल मिक्स करें और किसी सॉफ़्ट ब्रश से रब करें। अब इस मिश्रण में कपड़े को एक घंटे के लिए सोक होने के लिए छोड़ दें, फिर इसे रिंस कर लें। आप चाहें तो इसकी जगह अमोनिया का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

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