मृदा अपरदन के कौन कौन से कारण है? - mrda aparadan ke kaun kaun se kaaran hai?

मृदा अपरदन, मिट्टी का कटावः
मृदा-क्षेत्र में वनस्पति के अभाव के कारण कृत्रिम अथवा प्राकृतिक कारकों द्वारा मिट्टी का खंडित होना या टूट-टूट कर गिरना अथवा पानी से बह जाना।

अपरदन के कारकों द्वारा किसी स्थान से होने वाला मिट्टी का कटाव तथा स्थानांतरण जो यांत्रिक अथवा रासायनिक किसी प्रकार से हो सकता है। बहता जल और पवन मृदा अपरदन के प्रमुख भौतिक कारक हैं तथा मनुष्य द्वारा भूमि का गलत ढंग से प्रयोग, पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति, पशु आदि इस क्रिया में सहायक बन जाते हैं। भूपृष्ठ पर बहते जल द्वारा पृष्ठ प्रवाह (sheet wash), ढालानुकूल कटाव (slope channeling or rilling), अवनलिका कटाव (gullying) आदि के रूप में मृदा अपरदन होता है। पवन द्वारा मृदा अपरदन सामान्यतः शुष्क मरुस्थलों तथा अर्द्ध शुष्क भागों में होता है। मृदा अपरदन मृदा सर्पण (soil creep), मृदा प्रवाह (earth flow), भूस्खलन (land slide) आदि प्रक्रमों द्वारा भी हो सकता है। मृदा अपरदन से भूमि अनुपजाऊ तथा विषम हो जाती है। अतः इसे रोकने के लिए मृदा संरक्षण अति आवश्यक होता है।

भूक्षरण प्राकृतिक कारणों से पृथ्वीपृष्ठ के कुछ अंशों के स्थानांतरण को कहते हैं। कारण ताप का परिवर्तन, वायु, जल तथा हिम है। इनमें जल मुख्य है।

समुद्रतट पर लहरों और ज्वारभाटा की क्रिया के कारण पृथ्वी के भाग टूटकर समुद्र में विलीन होते जाते हैं। मिट्टी अथवा कोमल चट्टानों के सिवाय कड़ी चट्टानों का भी इन क्रियाओं से धीरे धीरे अपक्षय होता रहता है। वर्षा और तुषार भी इस क्रिया में सहायक होते हैं। वर्षा के जल में घुली हुई गैसों की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप, कड़ी चट्टानों का अपक्षय होता है। ऐसा जल भूमि में घुसकर अधिक विलेय पदार्थों के कुछ अंश को भी घुला लेता है और इस प्रकार अलग्न हुए पदार्थों को बहा ले जाता है।

वर्षा, पिघली हुई ठोस बर्फ और तुषार निरंतर भूमि का क्षरण करते हैं। इस प्रकार टूटे हुए अंश नालों या छोटी नदियों से बड़ी नदियों में और इनसे समुद्र में पहुँचते रहते हैं।

नदियों का अथवा अन्य बहता हुआ जल किनारों तथा जल की भूमि को काटकर, मिट्टी को ऊँचे स्थानों से नीचे की ओर बहा ले जाता है। ऐसी मिट्टी बहुत बड़े परिणाम में समुद्र तक पहुँच जाती है और समुद्र पाटने का काम करती है। समुद्र में गिरनेवाले जल में मिट्टी के सिवाय विभिन्न प्रकार के घुले हुए लवण भी होते हैं।

दिन में धूप से तप्त चट्टानों में पड़ी दरारें फैल जाती हैं तथा उनमें अड़े पत्थर नीचे सरक जाते हैं। रात में ठंड पड़ने या वर्षा होने पर चट्टानें सिकुड़ती है और दरारों में पड़े पत्थरों के कारण दरारें और बड़ी हो जाती है। शीतप्रधान देशों में इन्हीं दरारों तथा भूमि के अंदर रिक्त स्थानों में जल भर जाता है। अधिक शीत पड़ने पर जल हिम में परिवर्तित हो जाता है और तब उन स्थानों या दरारों को फाड़कर तोड़ देता है। इन क्रियाओं के बार बार दोहराए जाने से चट्टानों के टुकड़े टुकड़े हो जाते है। इन टुकड़ों को जल और वायु अन्य स्थान पर ले जाते हैं। जिन प्रदेशों में दिन और रात के ताप में अधिक परिवर्तन होता है वहाँ की मिट्टी निरंतर प्रसार और आकुंचन के कारण ढ़ीली हो जाती है एवं वायु अथवा जल द्वारा अन्य स्थानों पर पहुँच जाता है। शुष्क प्रांतों में, जहाँ वनस्पति से ढंकी नहीं होती, वायु अपार बालुकाराशि एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाती है। इस प्रकार सहारा मरुभूमि की रेत, एक ओर सागर पार सिसिली द्वीप तक और दूसरी ओर नाइजीरिया के समुद्र तट तक, पहुँच जाती है। वायु द्वारा उड़ाया हुआ बालू ढूहों अथवा ऊँची चट्टानों के कोमल भागों को काटकर उनकी आकृति में परिवर्तन कर देता है। जल में बहा हुआ पदार्थ सदा ऊँचे स्थान से नीचे को ही जाता है, किंतु वायु द्वारा उड़ाई हुई मिट्टी नीचे स्थान से ऊँचे स्थानों को भी जा सकती है।

गतिशील हिम जिन चट्टानों पर से होकर जाता है उनका क्षरण करता है और इस प्रकार मुक्त हुए पदार्थ को अपने साथ लिए जाता है। वायु तथा नदियों के कार्य की तुलना में, ध्रुव प्रदेश को छोड़कर पृथ्वी के अन्य भागों में, हिम की क्रिया अल्प होती है।

भगवानदास वर्मा

अन्य स्रोतों से

Soil erosion in Hindi (मृदा-अपरदन)

प्राकृतिक कारकों (जैसे-वर्षा, हवा तथा हिम) द्वारा मृदा-कटाव, जो मृदा-निर्माण प्रक्रमों की अपेक्षा तीव्र होता है।

मृदा अपरदन क्या होता है इसके कारण और रोकने के उपाय

What is soil erosion In Hindi : मृदा अपरदन या मिट्टी का कटाव क्या है : भूमि की ऊपरी सतह है पानी या हवा के कारण एक जगह से दूसरी जगह चली जाती है जिसे मृदा अपरदन या मिट्टी का कटाव कहते हैं. ऐसा रेगिस्तान में बहुत ज्यादा होता है क्योंकि वहां पर मिट्टी हवा के साथ बहुत ज्यादा एक जगह से दूसरी जगह चली जाती है. और ऐसी जगह जहां पर कोई भी पेड़ पौधा या घास ना हो वहां की मिट्टी भी पानी के साथ कटकर आगे बह जाती है. जो की मृदा अपरदन का ही रूप है.

मृदा अपरदन के कारण बहुत सारी हानियां होती है जैसे कि उपजाऊ मिट्टी बहकर आगे चली जाए तो वह जमीन उपजाऊ नहीं रहती. इसीलिए मृदा अपरदन को रोकना बहुत ही जरूरी है और मृदा अपरदन को बहुत ही आसानी से रोका भी जा सकता है.मृदा अपरदन होने के कई कारण होते हैं. जैसे की जंगलों की कटाई, बाढ़ और आंधियों का आना, वनों में आग लग जाना, कृषि करने के वैज्ञानिक तरीके इत्यादि. यही मृदा अपरदन के सबसे बड़े और मुख्य कारण होते हैं.

मृदा अपरदन से होने वाली हानियां और कारण

जंगलों की कटाई : आज के समय की सबसे गंभीर समस्या जंगलों की कटाई है. पहले के मुकाबले आज के समय में बहुत ज्यादा मात्रा में पेड़ों को काटा जा रहा है. जिसके कारण वहां की मिट्टी अब पहले जैसी मजबूत नहीं रही और यह बहुत ही आसानी से पानी के साथ में बहा कर आगे चली जाती है. पेड़ों के कट जाने से मिट्टी में नमी नहीं रहती और वह बहुत जल्दी सुखकर हवा के साथ भी उड़ जाती है.

बाढ़ और आंधियों का आना :

अगर किसी नदी पर बांध ना बनाया जाए तो वहां पर बाढ़ आने की बहुत ज्यादा संभावना हो जाती है. और वहां पर बाढ़ आने के कारण उपजाऊ मिट्टी बाढ़ के साथ में रहकर आगे चली जाती है. या अपने स्थान से हट जाती है. जिसके कारण वहां की मिट्टी उपजाऊ नहीं रहती और वहां पर फसल का उगना बहुत कम हो जाता है. और अगर किसी जगह से पेड़ों को काट दिया जाए तो वहां पर भी मिट्टी कमजोर हो जाती है और उस मिट्टी में नमी न होने के कारण वह आंधी के साथ बहुत ही आसानी से उड़ जाती है.

अनियंत्रित पशुओं को चराना :

जब पशुओं को किसी जगह पर चराया जाता है तो वहां पर उसे एक सीमित मात्रा में चराया जाना चाहिए ताकि वहां पर उगी घास की जड़े मिट्टी में बनी रहे. लेकिन ऐसे बहुत से राज्य और शहर है जहां पर पशुओं पर इस प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं है और वह भूमि की सारी खास चढ़ जाते हैं और वहां की भूमि नंगी हो जाती है. जिसके कारण घास की जड़े कमजोर पड़ जाती है और यह भूमि पानी और हवा के साथ में बह कर आगे चली जाती है.

वनों में आग लगना :

बहुत बार किसी कारणवश वनों में आग लग जाती है और वहां के पेड़-पौधे घास इत्यादि जल जाते हैं. जिसके कारण वहां की मिट्टी कमजोर पड़ जाती है. और यह तेज हवाओं के साथ में या बाढ़ के साथ में बह जाती है.

कृषि करने के वैज्ञानिक तरीके :

आज के समय में किसान बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से कृषि करता है. वह एक समय पर ज्यादा से ज्यादा फसल पाने के लिए उसमें अनेक प्रकार के उर्वरक डालता है जो कि मिट्टी की उपजता को कम करती है. और बहुत किसान खेतों में एक ही फसल को बार-बार उगाते हैं जो कि वहां की मिट्टी में ह्यूमस कम कर देता है. इसके अलावा गलत प्रकार से जुताई, सिंचाई करने से भी मृदा अपरदन बढ़ता है.

तो यह कुछ मुख्य कारण है जिन्हें जल्द से जल्द रोका जाना चाहिए क्या इन्हें कम किया जाना चाहिए. ताकि कम से कम मृदा अपरदन हो नहीं तो एक दिन मृदा अपरदन की समस्या बहुत बड़ी समस्या बन जाएगी.

मृदा अपरदन को रोकने के उपाय

मृदा अपरदन को रोकने के लिए या उसे कम करने के लिए कई तरीके हैं जिन्हें हमें अपनाना चाहिए ताकि कम से कम मिट्टी का कटाव हो और मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे.

मजबूत मेड़बंदी :

मृदा अपरदन को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि अपने खेतों या भूमि के चारों तरफ बड़ी और मजबूत मेड़बंदी करें. आप जितनी मजबूत और बड़ी बाड अपने खेतों के चारों तरफ लगाएंगे तो वहां की मिट्टी पानी के साथ वह नहीं पाएगी और मिट्टी का कटाव नहीं हो पाएगा. इसीलिए जहां तक संभव हो उतनी ज्यादा मेड़बंदी करने की कोशिश करें.

भूमि को समतल करें :

बहुत बार किसान अपनी भूमि को समतल नहीं करवाते और वह ढालू भूमि बन जाती है जिसमें वर्षा का पानी एक दिशा में बहुत तेजी से बहता है और वह अपने साथ मिट्टी को भी ले जाता है इसीलिए इस प्रकार के मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए सारी भूमि को समतल रखें ताकि बारिश होने पर किसी भी तरह पानी ना बहे.

जिवांश खाद मिलाना :

रेगिस्तान की भूमि या रेतीली भूमि की मिट्टी बहुत ही हल्की होती है जो कि पानी और हवा के साथ में बहुत ही आसानी से बह जाती है. इसीलिए इस प्रकार की मिट्टी में जीवांश पदार्थ को मिलाया जाना चाहिए ताकि मिट्टी के कारण आपस में बने रहें और यह पानी यह हवा के साथ में ना बहे.

पेड़ पौधे लगाना

रेतीली जगह और जहां पर बहुत तेज हवाएं चलती है वहां पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं. अगर आप खेती करते हैं तो अपने खेत के चारों तरफ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की कोशिश करें ताकि तेज हवाओं का प्रभाव आपके खेत की मिट्टी पर कम से कम पढ़े और वहां की मिट्टी हवा के साथ में उड़ कर ना जा सके.

वनस्पति उगाएं

जो भूमि बिना फसल और घास के होती है वह बहुत ही आसानी से पानी और हवा के साथ में बह जाती है. इसीलिए ज्यादा से ज्यादा वनस्पति पौधे फसल घास इत्यादि भूमि पर उगाएं ताकि वहां की भूमि ज्यादा से ज्यादा मजबूत हो सके और वह आसानी से पानी या हवा के साथ में बह कर ना जाए.

वन संरक्षण :

जैसा की हमने पहले बताया जंगलों की कटाई के कारण मृदा अपरदन में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इसे रोकने के लिए. सरकार द्वारा नियम बनाने जाने चाहिए और वनों की कटाई पर रोक लगा देनी चाहिए. वनों को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सख्त कदम उठाए जाने चाहिए ताकि वनों को बचाया जा सके और इसे मृदा अपरदन को भी होने से रोका जा सके.

बाढ नियंत्रण :

वैसे तो प्रकृति पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है लेकिन बाढ़ को रोकने के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए जाने चाहिए ताकि नदियों के कारण आने वाली बाढ़ को रोका जा सके. जिन नदियों में बाढ़ आने की संभावना ज्यादा होती है उन नदियों से बड़ी बड़ी नहर बनाकर पानी को ऐसे इलाकों में भेज देना चाहिए जहां पर बारिश नहीं होती और बहुत ज्यादा सूखा पड़ता है.. इससे बाढ़ आने की संभावना भी कम हो जाएगी और सूखा इलाका भी पानी युक्त हो जाएगा.

तो यह कुछ खास तरीके हैं जिनकी मृदा अपरदन क्या है इसके दो कारण बताइए? मदद से हम मृदा अपरदन को मिट्टी के कटाव को रोक सकते हैं. इस पोस्ट में आपकोमृदा अपरदन के कारण है मृदा अपरदन से होने वाली हानियां मृदा अपरदन को रोकने के उपाय मिट्टी का कटाव क्या है अपरदन का अर्थ अवनालिका अपरदन मृदा क्षरण मृदा अपरदन कैसे रोका जा सकता है? mrida apardan kise kahte hai मृदा अपरदन से आप क्या समझते हैं? मृदा अपरदन क्या होता है मृदा अपरदन कितने प्रकार का होता है? मृदा अपरदन के प्रकार मृदा अपरदन के प्रभाव से संबंधित पूरी जानकारी देने की कोशिश की है अगर इनके अलावा कोई भी तरीका है जिससे हम मृदा अपरदन को कम कर सकते हैं या रोक सकते हैं या इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बताएं.

मृदा अपरदन के कारण कौन कौन से हैं?

भारत में मृदा अपरदन के मुख्य कारण.
वृक्षों की अविवेकपूर्ण कटाई।.
वानस्पतिक आवरण में कमी।.
वनों में आग लगना।.
भूमि को बंजर/खाली छोड़कर जल व वायु अपरदन के लिये प्रेरित करना।.
मृदा अपरदन को तेज़ करने वाली फसलों को उगाना।.
त्रुटिपूर्ण फसल चक्र अपनाना।.
ढलान की दिशा में कृषि कार्य करना।.
सिंचाई की त्रुटिपूर्ण विधियाँ अपनाना।.

मृदा अपरदन का कौन सा कारण नहीं?

सही उत्तर वन - रोपण है। वन-रोपण मिट्टी के कटाव का कारण नहीं है।

मृदा अपरदन क्या है मृदा अपरदन के कारण लिखिए?

मृदा अपरदन हवा या पानी के तेज बहाव के कारण होता है। यह प्रभाव अधिक होगा जहाँ मृदा खुली रहती है। बड़े स्तर पर वृक्षों और पौधों की कटाई मृदा को खुला छोड़ देती है जिससे यह आसानी से हवा और पानी द्वारा दूर बहा दी जाती है। प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे - सूखा और बाढ़ भी बड़े स्तर पर और अचानक मृदा अपरदन के लिए उत्तरदायी हैं।

मृदा अपरदन के दो प्रकार कौन से हैं?

वर्षा जल अपरदन: वर्षा जल की बूँदों के सीधे सतह से टकराने के कारण मृदा कण पृथक होकर स्थानांतरित हो जाते हैं जिसे वर्षा जल अपरदन कहते हैं।.
परत अपरदन: वर्षा जल की बूंदों एवं जल बहाव के कारण ऊपरी मृदा से एकसमान रूप से पतली परतों के रूप में मृदा का कटाव एवं अलगाव परत अपरदन कहलाता है।.

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