कवि को अपने चार भाईयों और पीहर में आई बहन की भी याद आती है । विवाहिता बहन अपने ससुराल के दुख के कारण पिता के घर आई है । और इधर उसका पाँचवाँ भाई (कवि भवानी प्रसाद मिश्र) भी घर पर नहीं है, जेलवास भोग रहा है । इसीलिए कवि ने बहन की मनोव्यथा व्यक्त करते हुए लिखा है, “हाय रे परिताप के घर ।” यहाँ ‘हाय’ शब्द कवि और उसकी बहन दोनों के हृदय की पीड़ा को व्यक्त करता है । इस कारण कवि ने घर को परिताप का घर कहा है।
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Q3. मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?
Answer. कवि ने बहन के लिए घर को परिताप का घर कहा है। बहन मायके में अपने परिवार वालों से मिलने के लिए खुशी से आती है। वह भाई-बहनों के साथ बिताए हुए क्षणों को याद करती है। घर पहुँचकर जब उसे पता चलता है कि उसका एक भाई जेल में है तो वह बहुत दुखी होती है। इस कारण कवि ने घर को परिताप का घर कहा है।
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मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को परिताप का घर क्यों कहा है?
Text Solution
Solution : बहन जब घर आती है तो यह सोचकर बड़ी खुश रहती है कि वह घर जाकर अपने परिवार <br> के सदस्यों से मिलेगी। घर पाँने के बाद जब उसे पता चलता है कि उसका एक भाई <br> जेल में है तो उस पर क्या बीतती होगी इसी कारण कवि ने घर को परिताप का घर कहा <br> है |
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मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?
Solution
मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ इसलिए कहा है, क्योंकि वहाँ एक भाई का न होना घर के वातावरण को दुखी अवश्य बनाता होगा। बहन भी भाई को वहाँ घर में न देखकर दुखी होती होगी। यही कारण है कि कवि ने अपने घर को ‘परिताप का घर’ कहा है।
Some More Questions From भवानी प्रसाद मिश्र Chapter
और माँ ने कहा होगा,
दुःख कितना बहा होगा,
आँख में किस लिए पानी
वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारा मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होओ न कच्चे,
रो पड़ेंगे और बच्चे,
पिता जी ने कहा होगा,
हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,
धीर मैं खोता कहाँ हूँ,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,
किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा
हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,
और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न
देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,
कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,
पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?
मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?
पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?
निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।
मैं मजे में हूँ सही है
घर नहीं हूँ बस यही है
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से बस विरस है।
कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?