एक कण द्वारा तय दूरी व विस्थापन का सापेक्ष अध्ययन
विस्थापन (अंग्रेज़ी: Displacement) एक सदिश राशि है। जब कोई वस्तु एक बिन्दु P से दूसरे बिन्दु Q तक किसी भी पथ से होते हुए गति करती है तो इस विस्थापन [1] का परिमाण उन दो बिन्दुओं के मध्य की निम्नतम दूरी होगी तथा विस्थापन की दिशा, रेखा PQ की दिशा में (P से Q की तरफ) होगी।[2] विस्थापन को s से दर्शाते हैं। विस्थापन का परिमाण काल्पनिक सीधे पथ की लम्बाई है, अतः यह कण द्वारा तय की गई कुल दूरी से अलग हो सकता है। जब कोई वस्तु p बिन्दु से q बिन्दु तक जाती है और वापस पुनः p बिन्दु आ जाती हैं, तब विस्थापन शून्य होगा, जबकि चली गयी दूरी शून्य नहीं होगी।
दृढ़ पिण्ड[संपादित करें]
दृढ़ पिण्ड की गति का अध्ययन के समय वस्तु का घूर्णन भी विस्थापन के रूप में देखा जा सकता है।
विस्थापन के अवकलन[संपादित करें]
स्थिति सदिश s जो कि समय t का फलन है का अवकलज t के सापेक्ष किया जा सकता है। इन अवकलजों का सामान्य उपयोग शुद्ध गतिविज्ञान, नियंत्रण सिद्धान्त और अन्य विज्ञान व अभियांत्रिकी के क्षेत्रों में किया जाता है।
वेग (जहाँ ds' अनन्त सुक्ष्म विस्थापन है।)त्वरणये भी देखें[संपादित करें]
- स्थिति सदिश
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ गणितीय भौतिकी. जयपुर: कॉलेज बुक हाउस.
- ↑ टॉम हेंडर्सन. "गति का शब्दों के साथ वर्णन (डिस्क्रीबिंग मोशन विद वर्ड्स)". द फिज़िक्स क्लासरूम. मूल से 1 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2012.
Transcript
हेलो दोस्तों कैसे दे रखा है कि विस्थापन के लिए निम्नलिखित में से कौन सा सही है बताना ठीक है तो यह नंबर है या सुने नहीं हो सकता है अभी नंबर है किसका जो परिमाण है वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी से अधिक होता है ठीक है दोस्तों जिसको हम समझते हैं पहले अगर विस्थापन को समझते विस्थापन क्या होता है दोस्तों अगर हम एक वृति पथ लेते हैं वैसा
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प्रश्न पूछा गया कि विस्थापन के लिए निम्न में से कौन सा कथन सत्य है पहला यह सुनी नहीं हो सकता है दूसरा इसका प्रमाण वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी से अधिक है या कहा गया सबसे पहले हम विस्थापन को समझे उसकी स्थिति के अनुसार विस्थापन किसे कहते हैं हम किसी एक निश्चित दिशा में किसी निश्चित दिशा में समय के साथ वस्तु की हुए वस्तु में उसकी स्थिति परिवर्तन को स्थिति परिवर्तन को विस्थापन कहां जाता है विस्थापन कहा जाता है विस्थापन के लिए कहते हैं विस्थापन के लिए हम कुछ एक स्थिति देखें जहां पर पहले की स्थिति पर यदि कोई वस्तु एक कन्या पर रखा हुआ है कण की स्थिति एक से प्रदर्शित करते हैं उससे एक निश्चित दूरी निश्चित दूरी अर्थात यहां पर हमने दूसरा बिंदु लिया यदि
एक निश्चित समय में यह दूसरी स्थिति पर आ जाता है इस प्रकार उसकी स्थिति परिवर्तन अर्थात यहां पर उसकी स्थिति मान लीजिए R1 से प्रेषित होती है और यहां पर उसकी आदतों से परिचित होती हैं तब हम विस्थापन की मांग को किस प्रकार निकाल सकते हैं विस्थापन यहां पर हमारे लिए होगा केवल उसकी अंतिम स्थिति अंतिम स्थिति से प्रारंभिक स्थिति के बीच की दूरी या उनके अंतर को प्रारंभिक स्थिति अर्थात हम यह देख पा रहे हैं कि एक निश्चित दिशा में केवल वस्तु के अंतिम स्थिति और किसी पर निर्भर करता है जहां अंतिम स्थिति ऑटो है और पानी की स्थिति और बने अगर इनके बीच कोई निश्चित दूरी यदि हम इसे डी से प्रस्तुत करें तब इसका मान विस्थापन घमंडी रहने वाला है इस प्रकार यदि इस दिशा के लिए बात हो रही तो विस्थापन एक सदिश राशि है या अदिश राशि है अब प्रश्न में पूछा गया है कि कि प्रश्न पहले पहले से भी हमें भी है कि क्या वह था
पंखा मानसूनी नहीं हो सकता पहली स्थिति अब यदि हम इसके लिए R1 देखें कुछ उदाहरण प्रस्तुत प्रस्तुत रूप लिया हुआ है कि यदि कोई वस्तु की एक सैनिक समय पर पीपर यदि स्त्री पर होती है वह दूसरी स्थिति पर कुछ पद है जिसे वह अनुसरण करते हुए जहां ऐसे एक्स की ओर एक से हवाई की ओर तथा वैसे अंतिम रूप से बी की ओर जाती है तब उसके द्वारा तय की गई दूरी और विस्थापन में कुछ ना कुछ अंतर होगा जहां यदि हम विस्थापन को देखें विस्थापन हम किसे बोलते हैं विस्थापन केवल उसकी अंतिम स्थिति और प्रारंभिक स्थिति पर निर्भर करती है जहां उसकी अंतिम स्थिति भी है और चांदी की स्थिति ए है क्योंकि यह दोनों दूरियों का अंतर केवल उनके बीच की एक निश्चित दूरी है उसे हम स्पष्ट कर सकते हैं जबकि दूरी को हम किस प्रकार से देखें दूरी एक अदिश राशि हो सकती है जो इस पर इसके द्वारा चले गए पद की लंबाई पर निर्भर करती है जहां इसकी इसका मांजू क्या होगा
सी एक्स एक्स ए वाय वाय से बी तक की पूरी पूरी इस प्रकार विस्थापन और दूरी में मान अलग-अलग होंगे क्योंकि दूरी का मान यहां पर अधिक है और विस्थापन का मान केवल बिंदु पर निर्भर करता है तब वह कम है अब क्योंकि हम यह देख चुके हैं की दूरी का मान अधिक और विस्थापन का मान कम दूसरी स्त्री पर देखते हैं दूसरे पर मान लीजिए कोई काम है जो कि स्थिति से चला प्रणाम करता है और वह घूमते हुए इस पूरे प्रकरण पर घूमते हुए वापस से आकर बिंदु भी जो कि उसकी प्रारंभिक स्थिति ही है उस पर आकर मिल जाता है अब उसके द्वारा तय की गई दूरी और विस्थापन में हमें अंतर देखना है तब हम विस्थापन क्या जानते हैं विस्थापन होता है उसकी प्रारंभिक स्थिति और अंतिम स्थिति में अंतर जांच की प्रारंभिक स्थिति भी थी माफ कीजिएगा एक और उसके अंतिम स्थिति दी थी तब उसके अंतर को हम किस प्रकार लिखते हैं मंत्र एक ही बिंदु पर उपस्थित है अब इस प्रकार इन का विस्थापन शून्य होगा विस्थापन का मान सुने हो सा
इसी स्थिति पर हम उस वस्तु द्वारा तय की गई दूरी को देखें तब वह दूरी किसी वृत्ताकार पथ में इस तय की गई पद की लंबाई को प्रदर्शित करती है जिसका मानुष के परिधि के बराबर दीदी को हम क्या कहें परिधि को हम उसकी तरफ जाते चाहिए थी हमने आर यहां पर मार रखी है तब उसकी परिधि 2 पाई आर से प्रस्तुत होगी हम कह सकते हैं कि विस्थापन का मान 0 नहीं हो सकता दिया है तब हम कहते हैं कि यह सत्य नहीं है क्योंकि विस्थापन का मान हमने देखा कि वह शून्य हो सकता है इस प्रकार और पूछा गया हमसे की दूसरी स्त्री पर इसका परिमाण वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी से अधिक है तब हम कह सकते हैं कि कभी इसका माल उसके द्वारा तय की गई दूरी से अधिक नहीं होगा क्योंकि दूरी का मान सदैव दूरी का मान सदैव विस्थापन से अधिक या उसके बराबर होगा परंतु इसका मान इस पर निर्भर नहीं करता क्योंकि विस्थापन सदिश राशि
और दूरी अदिश राशि जो दूरी केवल उस पद की लंबाई पर निर्भर करती है और विस्थापन केवल उसके अंतिमा प्रारंभिक स्थिति पर निर्भर करता है इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि इसका विस्थापन का परिमाण वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी से अधिक नहीं हो सकता तब इस प्रकार हमारे प्रश्न के लिए विस्थापन के लिए निम्न में से कौन सा सही है तो दोनों ही कथन सही नहीं है धन्यवाद