निम्नलिखित में से कौन सा अवलोकन विधि का गुण है? - nimnalikhit mein se kaun sa avalokan vidhi ka gun hai?

प्रेक्षक उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी प्रेक्षण की गयी परिघटना से सम्बन्धित जानकारी एकत्र करता है किन्तु उस परिघटना में हस्तक्षेप नहीं करता।हवाई आवागमन का प्रेक्षण करते हुए एक प्रेक्षक

किसी सजीव प्राणी (जैसे मानव) द्वारा अपने ज्ञानेन्द्रियों (senses) के द्वारा अथवा किसी अन्य कृत्रिम उपकरण (जैसे बहुमापी) द्वारा बाह्य जगत का ज्ञान प्राप्त करना प्रेक्षण (Observation) कहलाता है। प्रेक्षण की क्रिया में संकलित आंकड़ों को भी 'प्रेक्षण' कहते हैं। प्रेक्षण वैज्ञानिक विधि का प्रमुख अंग है।

सी.ए. मोजर ने अपनी पुस्तक ‘सर्वे मैथड्स इन सोशल इनवेस्टीगेशन’ में स्पष्ट किया है कि अवलोकन में कानों तथा वाणी की अपेक्षा नेत्रों के प्रयोग की स्वतन्त्रता पर बल दिया जाता है। अर्थात्, यह किसी घटना को उसके वास्तविक रूप में देखने पर बल देता है। श्रीमती पी.वी.यंग ने अपनी कृति ‘‘सांइटिफिक सोशल सर्वेज एण्ड रिसर्च’’ में कहा है कि ‘‘अवलोकन को नेत्रों द्वारा सामूहिक व्यवहार एवं जटिल सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ सम्पूर्णता की रचना करने वाली पृथक इकायों के अध्ययन की विचारपूर्ण पद्धति के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।’’[1] अन्यत्र श्रीमती यंग लिखती है कि ‘‘अवलोकन स्वत: विकसित घटनाओं का उनके घटित होने के समय ही अपने नेत्रों द्वारा व्यवस्थित तथा जानबूझ कर किया गया अध्ययन है।’’ इन परिभाषाओं में निम्न बातों पर बल दिया गया है-

  • (1) अवलोकन का सम्बन्ध कृत्रिम घटनाओं एवं व्यवहारों से न हो कर, स्वाभाविक रूप से अथवा स्वत: विकसित होने वाली घटनाओं से है।
  • (2) अवलोकनकर्त्ता की उपस्थिति घटनाओं के घटित होने के समय ही आवश्यक है ताकि वह उन्हें उसी समय देख सके।
  • (3) अवलोकन को सोच समझकर या व्यवस्थित रूप में आयोजित किया जाता है।

उपरोक्त परिभाषााओं के अध्ययन से यह स्पष्ट है कि प्रेक्षण विधि, प्राथमिक सामग्री (Primary data) के संग्रहण की प्रत्यक्ष विधि है। प्रेक्षण का तात्पर्य उस प्रविधि से है जिसमें नेत्रों द्वारा नवीन अथवा प्राथमिक तत्यों का विचाारपूर्वक संकलन किया जाता है। उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर हम प्रेक्षण की निम्न विशेषतायें स्पष्ट कर सकते हैं-

मानवीय इन्द्रियों का पूर्ण प्रयोग- यद्यपि अवलोकन में हम कानों एवं वाक् शक्ति का प्रयोग भी करते हैं, परन्तु इनका प्रयोग अपेक्षाकृत कम होता है। इसमें नेत्रों के प्रयोग पर अधिक बल दिया जाता है। अर्थात्, अवलोकनकर्त्ता जो भी देखता है- वही संकलित करता है।

उद्देश्यपूर्ण एवं सूक्ष्म अध्ययन- प्रेक्षण विधि सामान्य निरीक्षण से भिन्न होती है। हम हर समय ही कुछ न कुछ देखते रहते हैं, परन्तु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे प्रेक्षण नहीं कहा जा सकता। वैज्ञानिक अवलोकन का एक निश्चित उद्देश्य होता है और उसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुये समाज वैज्ञानिक सामाजिक घटनाओं का अवलोकन करते हैं।

प्रत्यक्ष अध्ययन- प्रेक्षण पद्धति की यह विशेषता है कि इसमें अनुसन्धानकर्त्ता स्वयं ही अध्ययन क्षेत्र में जाकर अवलोकन करता है, और वांछित सूचनाएँ एकत्र करता है।

कार्य-कारण सम्बन्धों का पता लगाना- सामान्य प्रेक्षण में प्रेक्षणकर्ता घटनाओं को केवल सतही तौर पर देखता है, जबकि वैज्ञानिक अवलोकन में घटनाओं के बीच विद्यमान कार्य-कारण सम्बन्धों को खोजा जाता है ताकि उनक़े आधार पर सिद्धान्तों का निर्माण किया जा सके।

निष्पक्षता- चूंकि प्रेक्षण में प्रेक्षणकर्ता स्वयं अपनी आँखों से घटनाओं को घटते हुये देखता है, अत: उसके निष्कर्ष निष्पक्ष होते हैं।

'सामूहिक व्यवहार का अध्ययन- सामाजिक अनुसन्धान में जिस प्रकार से व्यक्तिगत व्यवहार का अध्ययन करने के लिये ‘‘वैयक्तित्व अध्ययन पद्धति’’ को उत्तम माना जाता है, उसी प्रकार से सामूहिक व्यवहार का अध्ययन करने के लिये प्रेक्षण विधि को उत्तम माना जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "अवलोकन का अर्थ, प्रकार एवं विशेषताएं". मूल से 6 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जून 2019.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • अन्तर्दर्शन

अवलोकन विधि

  • अवलोकन विधि (Observation Method)
  • अवलोकन विधि के गुण (Merits of Ol servation Method)
  • अवलोकन विधि की सीमाएँ (Limitations of Observation Methods)
    • Important Links…
  • Disclaimer

अवलोकन विधि (Observation Method)

वास्तविक जीवन परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार के अध्ययन का सबसे प्रचलित तरीका अवलोकन ही है। मनोवैज्ञानिक थार्नडाइक और जर्सिल्ड ने प्रारम्भ में इसी विधि का प्रयोग किया था। अवलोकन विधि में दो चरणों का प्रयोग होता है-

प्रथम चरण- अवलोकनकर्ता यह निश्चित करता है कि उसे व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का अवलोकन करना है।

द्वितीय चरण- अवलोकनकर्ता चयनित विशेषताओं से सम्बन्धित प्रयोज्य की गतिविधियों का उसके वास्तविक जीवन की स्थितियों में अवलोकन करता है।

अवलोकन दो प्रकार से किया जा सकता है-

(1) बिना छिपे- इस प्रकार में अवलोकनकर्ता स्वयं को छिपाता नहीं है। वह प्रयोज्य के सामने रहता है। कभी-कभी अवलोकनकर्ता प्रयोज्य के समूह का सदस्य भी बन जाता है। उदाहरणार्थ- हिमालय की घाटियों में रहने वाले आदिम लोगों का अध्ययन करने के लिए एक सामाजिक शोधकर्त्ता दो महीने तक उनके समूह में रहा, उनके तमाम क्रियाकलापों और उत्सवों में भाग लेता रहा।

(2) बिना सामने आए- दूसरे प्रकार में अवलोकनकर्ता सामने नहीं आता। वह ऐसे स्थान पर रह कर अवलोकन करता है जहाँ से उसकी उपस्थिति का एहसास विषयी को नहीं होता। इस प्रकार में अवलोकनकर्त्ता टेपरिकॉर्डर, कैमरा, दूरबीन आदि का भी प्रयोग कर सकता है। अवलोकन के परिणामों की सत्यता को परखने के लिए उन्हीं परिस्थितियों से बार-बार अवलोकन किया जा सकता है या कई अवलोकनकर्ताओं के एक समूह का भी प्रयोग किया जा सकता है।

अवलोकन विधि के गुण (Merits of Ol servation Method)

इस विधि के निम्नलिखित गुण हैं-

1. आवश्यकतानुसार यंत्र या उपकरणों का प्रयोग करके अवलोकित तथ्यों की सत्यता को प्रमाणित किया जा सकता है।

2. छोटे बालकों के व्यक्तित्व मापन के लिए यह विधि बहुत उपयोगी है।

3. इसमें मापनकर्ता प्रयोज्य या विषयी के गुणों या विशेषताओं का स्वयं अवलोकन करता है।

4. यह विधि कम खर्चीली होती है।

अवलोकन विधि की सीमाएँ (Limitations of Observation Methods)

अवलोकन विधि की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. व्यक्तित्व के सीमित गुणों या विशेषताओं का ही अवलोकन सम्भव हो पाता है।

2. यदि एक से अधिक अवलोकनकर्ता होते हैं, तो उनके अवलोकन के भिन्न-भिन्न परिणाम प्राप्त होते हैं। अतः अवलोकन द्वारा तथ्य सामग्री पूर्ण निष्पक्ष नहीं हो पाती।

3. अवलोकनकर्ता स्वतंत्र रूप से निरीक्षा व विचार करता है अतः वह घटनाओं को अपने दृष्टिकोण से देखता है, उसके पूर्वाग्रह भी सम्मिलित हो जाते हैं।

Important Links…

  • ब्रूनर का खोज अधिगम सिद्धान्त
  • गैने के सीखने के सिद्धान्त
  • थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धान्त
  • अधिगम का गेस्टाल्ट सिद्धान्त
  • उद्दीपक अनुक्रिया सिद्धान्त या S-R अधिगम सिद्धान्त
  • स्किनर का सक्रिय अनुबन्धन का सिद्धान्त
  • पैवलोव का सम्बद्ध अनुक्रिया सिद्धान्त
  • थार्नडाइक द्वारा निर्मित अधिगम नियम
  • सीखने की प्रक्रिया
  • सीखने की प्रक्रिया में सहायक कारक
  • अधिगम के क्षेत्र एवं व्यावहारिक परिणाम
  • अधिगम के सिद्धांत
  • अधिगम के प्रकार
  • शिक्षण का अर्थ
  • शिक्षण की परिभाषाएँ
  • शिक्षण और अधिगम में सम्बन्ध

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अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं इसके गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए?

अवलोकन के गुणदोष - Merits and Demerits of Observation 1) अवलोकन अत्यंत सरल व स्वाभाविक प्रविधि है। 2) यह प्रारम्भिक अध्ययन प्रविधि है। 3) इसकी सहायता से प्रत्यक्ष तौर पर अध्ययन समूह का अध्ययन किया जा सकता है। 4) इस प्रविधि से संकलित आंकड़ें अन्य प्रविधियों की तुलना में अधिक यथार्थ व विश्वसनीय होते हैं

अवलोकन कौन सी विधि है?

अवलोकन अध्ययन की वह विधि है जिसमें अध्ययन विषय एवं घटना का अति सूक्ष्म तथा गहन अध्ययन किया जाता है। इसमे घटनाओं की वास्तविक प्रकृति, उनकी गम्भीरता, विस्तार एवं परस्पर सम्बन्धों का सूक्ष्म अवलोकन करके ही वास्तविक तथ्यों का संकलन किया जाता है।

निम्नलिखित में से कौन सा सहभागी अवलोकन का गुण नहीं है?

सहभागी प्रेक्षण के माध्यम से अध्ययन के दौरान शोध कर्ता से यह आशा की जाती है कि वह अपना अध्ययन मूल्य निरपेक्ष होकर करे। इसका तात्पर्य है कि वह अपने अध्ययन के दौरान अपने निजी ये अपने सामाजिक परिवेश के मूल्यों को सामने न लाये। वह नृजातीय समूह का अध्ययन उनके स्वयं के मूल्यों के संदर्भ में करें।

अवलोकन शब्द के लिए निम्नलिखित में से कौन सी परिभाषा मान्य है?

सम्पूर्ण समुच्चय को मात्रकों की प्रणाली (या पद्धति) कहते हैं ।

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