नवजात शिशु के पेट में गैस बने तो क्या करना चाहिए? - navajaat shishu ke pet mein gais bane to kya karana chaahie?

Published on: 8 February 2022, 18:57 pm IST

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अगर आप अभी हाल ही में मां बनी हैं, तो हर रोज आप एक नए अनुभव से गुजर रही होंगी। इन्हीं में से एक है बेबी का रोना। आप अनुभव करेंगी कि हर बार बेबी के रोने का तरीका अलग होता है। और यह लिंक होता है उसे होने वाली समस्या के साथ। कई बार बेबी के लगातार रोने की वजह उसका पेट फूलना यानी ब्लोटिंग भी हो सकती है। आइए जानें क्या है इसका कारण और आप इससे कैसे बेबी को बचा सकती हैं। 

नवजात शिशुओं का मां को विशेष ध्यान रखना पड़ता है। कई बार मां अपने नवजात शिशु का पेट फूलने (Bloating) से अत्यधिक चिंतित हो जाती है। हालांकि, ब्लोटिंग का कारण पता चल जाए, तो उसका सही उपचार किया जा सकता है। 

क्या हैं शिशुओं में पेट फूलने के कारण 

आपको बता दें शिशु को जल्दीबाजी में स्तनपान कराने या ज्यादा दूध पिलाने के कारण ब्लोटिंग की समस्या आ सकती है। दरअसल, दूध में लैक्टोज नामक तत्व पाया जाता है। इसी कारण नवजात को पेट में कब्ज की समस्या आ जाती है। जिससे कई बार बच्चे को मल त्यागने में भी परेशानी आती है। 

लखनऊ के डफर‍िन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग व‍िशेषज्ञ डॉ. सलमान खान, शिशुओं को होने वाली ब्लोटिंग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। उनके सुझावों को अमल करके आप भी ब्लोटिंग की समस्या आने पर अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल कर सकते हैं।  

शिशुओं में पेट फूलने के लक्षण (Symptoms of stomach bloating in newborns) 

डॉ. खान का कहना हैं कि शिशुओं में ब्लोटिंग की समस्या आने पर बच्चा दूध पिलाने के बाद भी रोता रहता है। ऐसे में तुरंत अपने बेबी का पेट चेक करें और पता लगाए कि पेट पहले से ज्यादा फूला हुआ तो नहीं है। कई बार शिशु ब्लोटिंग या कब्ज होने पर दूध नहीं पीने से मना करता है। अगर, आपका बच्चा बार-बार दूध निकाल रहा है, तो समझ जाएं कि उसे दूध नहीं पच पा रहा है। इसके अलावा डकार और हिचकी भी इसके लक्षण हो सकते हैं। 

ज्यादा दूध पिलाने के कारण ब्लोटिंग की समस्या आ सकती है। चित्र: शटरस्टॉक

क्या हैं शिशुओं में ब्लोटिंग का कारण? (Causes of stomach bloating in newborns) 

नवजात में ब्लोटिंग का सबसे बड़ा कारण कब्ज है। कब्ज के कारण पेट में गैस बनती है और बच्चे का पेट फूल जाता है। दरअसल, कब्ज के कारण पेट में ऑक्सीजन, कॉर्बनडाइऑक्‍साइड, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन जैसी गैस बन जाती है। जिससे शिशु का पेट फूल जाता है और वह जोर से रोने लगता है। 

इसी तरह शिशु को जल्दबाजी में दूध पिलाने के कारण भी ब्लोटिंग की प्रॉब्लम हो जाती है। बता दें कि वयस्कों की तरह शिशुओं का पाचन तंत्र मजबूत नहीं होता है। ऐसे में उसे रुककर स्तनपान कराना चाहिए। अत्यधिक मात्रा में दूध पीने से पेट में लैक्टोज की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण भी ब्लोटिंग की समस्या आती है। यदि आपका बच्चा स्तनपान के बावजूद रो रहा है तो हो सकता है कि ब्लोटिंग के कारण उसका पेट दर्द कर रहा हो।  

यहां हैं कुछ घरेलू उपाय जो शिशुओं को ब्लोटिंग की समस्‍या से निजात दिला सकते हैं  (How to prevent stomach bloating in newborns) 

  1. यदि शिशु का पेट फूल गया हो, तो उसकी नाभि में हींग लगा दें। इससे ब्लोटिंग से निजात मिल जाएगी। 
  2. आपको लग रहा है कि आपके बच्चे का पेट फूला हुआ है तो धीमे-धीमे और हल्के हाथों से मसाज करें। 
  3. स्तनपान कराते समय कुछ बातों का ध्यान रखकर आप शिशु को इस समस्या से बचा सकते हैं। जैसे स्तनपान के बाद शिशु की पीठ थपथपाये। इससे ब्लोटिंग की समस्या नहीं आएगी। 
  4. गैस से निजात दिलाने में डकार बेहद आवश्यक फैक्टर है। इसके लिए स्तनपान के बाद शिशु को कंधे पर लेकर थोड़ी देर घुमाये। इससे शिशु को डकार लेने में मदद मिलेगी।  

अंत में…

अपने नवजात शिशु में ब्लोटिंग की समस्या के दौरान पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे बुखार, उल्टी और दस्त की समस्या तो नहीं है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

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नवजात शिशु को गैस होना आम बात है। शिशु को दूध पिलाने का कोई निश्चित समय नहीं होता है, इसलिए वह कभी भी मां का दूध पीने लगते हैं। ऐसे में शिशु पूरे दिन में करीब 16 से 20 बार तक गैस निकाल सकते हैं। गैस की वजह से शिशुओं को कुछ हद तक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कुछ शिशुओं को गैस बाहर निकालने में परेशानी नहीं होती है, जबकि कुछ शिशुओं को गैस अधिक परेशान कर सकती है। अगर आपका शिशु बिना किसी कारणवश बैचेन होकर बार-बार रो रहा हो, तो यह उसकी गैस होने की समस्या का संकेत हो सकता है।

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शिशुओं की इसी परेशानी को आगे विस्तार से बताया जा रहा है। इसमें नवजात शिशु को गैस होने के लक्षण, शिशु को गैस के कारण, नवजात शिशुओं की गैस का इलाज, शिशु को गैस होने पर डॉक्टर के पास कब लेकर जाएं और नवजात शिशु को गैस होने पर बचाव आदि विषयों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

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Image: Shutterstock

आपने अक्सर देखा होगा कि नवजात शिशु दिन में कई बार गैस पास करते हैं। अगर बच्चा दिनभर में 15-20 बार से ज्यादा गैस पास करे, तो इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं है। समय पर गैस पास करते रहना बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, लेकिन कई बार यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, जिससे बच्चा परेशान हो जाता है। इसके चलते वह काफी रोता है और चिड़चिड़ा भी हो जाता है। अगर आपके शिशु को भी गैस की समस्या होती है और इसके चलते वह काफी परेशान रहता है, तो मॉमजंक्शन का यह लेख आपके काम आएगा। इस लेख में हम बताएंगे कि किन कारणों से शिशु को गैस होती है, इसके लक्षण क्या हैं और गैस का इलाज कैसे करें आदि।

आइए, पहले जानते हैं कि किन कारणों से शिशुओं में गैस की समस्या होती है।

शिशुओं को गैस और ब्लोटिंग किन कारणों से होती है? | Bacho Me Gas Ki Problem

शुरुआती तीन महीनों में शिशुओं को गैस होना आम बात है, क्योंकि इस दौरान उनकी आंतों का विकास हो रहा होता है। जब शिशु का शरीर मां का दूध या फॉर्मूला दूध का पाचन करता है, तो उसके पेट में गैस बनने लगती है। वहीं, जब छह महीने के बाद शिशु को ठोस आहार देना शुरू किया जाता है, तो ऐसे में नए खाद्य पदार्थों के चलते उसके पेट में गैस बनने लगती है। इसके अलावा, अन्य कई कारणों से शिशु को गैस हो सकती है, जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं :

  1. जल्दी-जल्दी फॉर्मूला पीना : शिशु कई बार फॉर्मूला दूध जल्दी-जल्दी पीने लगते हैं। वो बोतल से तेज-तेज दूध पीते हैं। इससे उनके पेट में हवा भी चली जाती है, जो गैस का कारण बनती है।
  1. निप्पल ठीक से न लेना : जो शिशु निप्पल को ठीक से मुंह में नहीं लेते और निप्पल व मुंह के बीच गैप रह जाता है, तो बच्चे के पेट में हवा जा सकती है, जिस कारण गैस बनती है।
  1. रोने के कारण : कई शिशु कुछ भी खाने से पहले बहुत रोते हैं। बहुत ज्यादा रोने से भी शिशु के पेट में हवा चली जाती है, जिससे उसे गैस बनने लगती है।
  1. दूध पिलाने के बीच डकार न दिलाना : दूध पिलाते समय बीच में डकार न ले पाने के कारण भी बच्चे को गैस होने लगती है।
  1. फॉर्मूला दूध मिलाने पर : जब आप बोतल को हिलाकर दूध को मिलाते हैं, तो इसमें झाग के रूप में हवा इकट्ठी हो जाती है। फिर जब यह दूध बच्चा पीता है, तो उसे गैस बनने लगती है।
  1. मां की डाइट : मां जो खाती है, उसका पोषण ब्रेस्ट मिल्क के जरिए शिशु तक पहुंचता है। ऐसे में अगर मां कुछ ऐसा खाती है, जिससे गैस बनती है, तो उससे बच्चे को भी गैस हो सकती है।

लेख के अगले भाग में इस समस्या से संबंधित लक्षणों के बारे में बताया गया है।

नवजात शिशु के पेट में गैस होने के लक्षण

बेशक, नवजात शिशु बोल नहीं पाते, ऐसे में आपको समझना होगा कि उसे किस चीज से तकलीफ हो रही है। नीचे हम कुछ संकेत बता रहे हैं, जिन्हें पहचानते हुए आप समझ पाएंगी कि आपके शिशु को गैस हुई है।

  • घबराहट और चिड़चिड़ापन : गैस होने का यह पहला संकेत हो सकता है। खासतौर पर उसे दूध पिलाने के बाद। गैस होने पर बच्चे को घबराहट होने लग सकती है और वो चिड़चिड़ा हो सकता है।
  • ब्लोटिंग: बच्चे का फूला हुआ पेट गैस होने का संकेत हो सकता है। ऐसे में उसका पेट कड़ा महसूस होगा।
  • पैरों को पेट की ओर खींचना : गैस होने पर बच्चा अपने पैरों को पेट की ओर खींचने की कोशिश करता है।
  • पेट को रगड़ना : जब बच्चे को पेट में किसी तरह की परेशानी होती है, तो हो सकता है कि वो अपने पेट पर हाथ लगाकर रगड़े। ऐसा करके वो अपनी असहजता व्यक्त कर सकता है।
  • बच्चे के पेट से आवाज आना : जब आसपास बिल्कुल शांति हो, तो हो सकता है बच्चे के पेट में गैस होने पर उसके पेट से किसी तरह की आवाज सुनाई दे। ऐसा पेट में गैस घूमने के कारण हो सकता है।
  • बहुत जोर से रोना : पेट में गैस बनने से होने वाली तकलीफ के चलते बच्चा जोर-जोर से रोने लगता है।
  • डकार लेना : इसके अलावा, अगर बच्चा बार-बार डकार ले रहा है, तो यह भी गैस होने का लक्षण हो सकता है।

आइए, अब जानते हैं गैस होने की अवस्था में शिशु का इलाज कैसे किया जाना चाहिए।

नवजात शिशुओं को गैस होने पर सीधा दवा का इस्तेमाल न करें। अगर बच्चे को गैस हो रही है, तो आप डॉक्टर से पूछकर उसे ग्राइप वॉटर दे सकते हैं (1)। यह बच्चे को गैस के साथ-साथ अन्य पेट संबंधी अन्य परेशानियों से राहत दिलाने में मदद करता है। ग्राइप वॉटर में सोडियम बाइकार्बोनेट और जड़ी-बूटियां होती हैं। ये शिशु के पेट को गर्माहट पहुंचाती हैं और गैस दूर करने में मदद करती है। जब भी आपको लगे कि बच्चा गैस के कारण रो रहा है, तो आप उसे ग्राइप वॉटर दे सकते हैं। इसे डॉक्टर की सलाह पर ही बच्चे को दें।

प्रोबायोटिक्स : अगर आपके बच्चे ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया है, तो उसे गैस होने पर आप प्रोबायोटिक्स दे सकते हैं (2)। कई शोधों में भी यह बात सामने आई है कि कुछ प्रोबायोटिक्स शिशु को गैस से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप बच्चे को आहार में दही जरूर खिलाएं।

लेख में आगे हम कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं, जो शिशु की समस्या को कुछ कम कर सकते हैं।

शिशुओं में गैस के घरेलू उपचार

नीचे हम शिशुओं को गैस से राहत दिलाने के लिए कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं, जो आपके काम आएंगे :

  1. डकार दिलाएं : बच्चे को दूध पिलाने के बाद समय पर डकार दिलाने से गैस की समस्या दूर हो सकती है। इसके लिए आप दूध पिलाने के बाद बच्चे को हाथों में उठाएं और उसका सिर अपने कंधे पर रखते हुए पीठ पर हाथ तब तक फेरें, जब तक बच्चे को डकार न आए। इस दौरान अपने कंधे पर एक कपड़ा रख लें, क्योंकि कभी-कभी डकार लेते समय बच्चा मुंह से दूध निकाल देता है (3)।
  1. बच्चे को पेट के बल लिटाना : बाल रोग विशेषज्ञ की मानें, तो नियमित रूप से बच्चे को थोड़ी देर के लिए पेट के बल लिटाने से भी उसे गैस से राहत मिलती है। बच्चे को गैस होने पर आप उसे एक-दो मिनट के लिए पेट के बल लिटा सकती हैं। अगर आपको लगे कि बच्चा असहज हो रहा है, तो उसे वापस पीठ के बल लिटा दें (4)।

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  1. पेट की मालिश : शिशु के पेट पर हल्के हाथों से मालिश करने से भी गैस दूर होती है। इसके लिए आप बच्चों के डॉक्टर से मालिश के सही तरीके के बारे में पूछ सकते हैं।
  1. निप्पल की सही पकड़ : इस बात पर ध्यान दें कि आपका बच्चा दूध पीते समय निप्पल को मुंह से ठीक तरह से पकड़ रहा हो। बोतल से दूध पिलाते समय बोतल को सीधा रखें, ताकि हवा उसके अंदर न जाएं।
  1. बोतल का छेद सामान्य हो : जिस निप्पल से शिशु दूध पीता हो, उसका छेद न तो ज्यादा बड़ा होना चाहिए और न ज्यादा छोटा। छेद छोटा होने से बच्चे को दूध पीने में परेशानी हो सकती है और बड़ा होने से दूध जरूरत से ज्यादा मुंह में जाने लगता है।
  1. हींग का इस्तेमाल : शिशु को गैस होने पर आप हींग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप थोड़े से हींग को पानी में घोलें और शिशु की नाभि के आसपास लगाएं। इससे बच्चे को राहत मिलेगी (5)।
  1. सही फीडिंग अवस्था : ध्यान रहे कि दूध पीते समय शिशु का सिर उसके पेट के मुकाबले थाेड़ा ऊपर की तरफ रहे। इससे शिशु के पेट में गैस इकट्ठा नहीं होगी। साथ ही शिशु के मुंह से दूध निकालने की समस्या भी कम हो सकती है।

आइए, अब इस समस्या से संबंधित कुछ दवाओं के बारे में बात कर लेते हैं।

क्या गैस से राहत पाने की कोई दवा है?

अगर घरेलू उपाय अपनाकर भी शिशु को गैस से राहत नहीं मिलती, तो बेहतर है कि आप उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा खुद से देने की कोशिश न करें। डॉक्टर शिशु के लिए सिमेथीकॉन युक्त दवा दे सकते हैं (6)। यह दवा गैस के बड़े-बड़े बुलबुलों को छोटा करती है, जिससे शिशु गैस आसानी से बाहर निकाल सकता है।

क्या रिफ्लक्स शिशुओं में गैस का कारण बनता है?

हां, रिफ्लक्स के कारण भी गैस बनने लगती है (7)। जब शिशु के शरीर में एसिड रिफ्लक्स बनता है, तो यह मुंह तक आने लगता है। इस समय तक शिशु का लोअर इसोफैगियल स्फिंक्टर (यह आहार नलिका के अंत में मांसपेशियों का एक समूह जैसा होता है, जो पेट से जाकर मिलता है) विकसित हो रहा होता है। ऐसे में लोअर इसोफैगियल स्फिंक्टर के खुलने और बंद होने पर गैस पेट में जा सकती है, जिससे शिशु को ब्लोटिंग और गैस की समस्या हो सकती है। यह समस्या ज्यादातर केवल दूध पीने वाले बच्चों के साथ होती है। जैसै-जैसे वो ठोस आहार लेने लगते हैं, यह समस्या धीरे-धीरे कम होने लगती है।

इस विषय के संबंध में और जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह लेख।

मेरे शिशु को गैस होने पर डॉक्टर को कब बुलाएं?

यूं तो गैस की समस्या जल्द ही ठीक हो जाती है, लेकिन कभी-कभी यह समस्या गंभीर हो सकती है। ऐसे में तुरंत शिशु को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए :

      • अगर बच्चा तीन दिन तक रोजाना करीब तीन घंटे तक लगातार रोता रहे (3)।
      • अगर शिशु को दस्त या कब्ज हुई हो और वो पिछले एक सप्ताह से मल नहीं त्याग रहा हो।
      • अगर बच्चा ठीक से न खाए और उसकी भूख कम होने लगी हो।
      • अगर गैस के कारण शिशु ठीक से सो न पाए।
      • अगर बच्चा सुस्त दिखाई दे।
      • अगर बच्चे को बुखार हो जाए।

ये कुछ ऐसे संकेत हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से शिशु का चेकअप कराना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या ठोस भोजन से बच्चों में गैस बन सकती है?

हां, बच्चों को ठोस आहार से गैस हो सकती है। शुरुआती छह महीनों में बच्चा केवल मां का दूध पीता है। इसके बाद जब उसे ठोस आहार देना शुरू किया जाता है, तो अचानक से पेट में ऐसा भोजन जाने से गैस बन सकती है। इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जो गैस उत्पन्न करते हैं, जैसे गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, प्याज, सेब, अनाज, चीज व योगर्ट आदि। ऐसे में आप छह महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों को दूध उत्पादों के अलावा ये चीजें खिला सकते हैं, लेकिन एक साथ ज्यादा खाना न खिलाते हुए थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खिलाएं। अगर फिर भी बच्चे को इनसे गैस हो रही है, तो एक बार डॉक्टर से पूछ लें।

क्या स्तनपान के दौरान मां के आहार से भी शिशु को गैस हो सकती है?

हां, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली व बीन्स जैसी सब्जियां गैस पैदा करती हैं (8), जिससे आपका शिशु भी प्रभावित हो सकता है। वहीं, मां के मिर्च-मसाले वाली चीजें खाने से भी शिशु को गैस हो जाती है। जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं को एक जैसी चीजों से ही गैस हो। ऐसे में इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि आप क्या खा रही हैं और किससे आपको गैस हो रही है।

भले ही गैस की समस्या शिशुओं को काफी परेशान करती है, लेकिन अगर आप ऊपर बताई गई बातों पर ध्यान देंगे, तो यकीनन बच्चे को गैस की समस्या से राहत दिला पाएंगे। उम्मीद है कि अगली बार अगर आपके बच्चे को गैस होती है, तो इस लेख में बताए गए नुस्खे आपके काम आएंगे। आप इस लेख को अपने परिचितों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि उन्हें भी इसका लाभ मिल सके। शिशु से संबंधित ऐसी अन्य जानकारियों के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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    1 महीने के बच्चे के पेट में गैस बने तो क्या करें?

    हींग लगाएं- शिशु को पेट में दर्द और गैस की समस्या होने पर हींग का इस्तेमाल करें. ... .
    बोतल चेक करें- कई बार हम बच्चे को जल्दी और ज्यादा मात्रा में दूध पिलाने के चक्कर में बोतल का छेद मोटा कर देते हैं. ... .
    पेट के बल लिटा दें- अगर बच्चे को पेट में गैस हो रही है तो उसे पेट के बल लिटा दें..

    नवजात शिशु के पेट में गैस क्यों बनती है?

    जन्‍म के शुरुआती 3 महीने शिशुओं के लिये बेहद नाजुक होते हैं। इस दौरान उनकी आंतों का विकास हो रहा होता है जिसकी वजह से उनके पेट में गैस बनने की समस्‍या आम होती है। इसके अलावा जब शिशु 6 महीने का हो जाता है तब उसे नए खाद्य पदार्थ दिये जाते हैं जिसके चलते पेट में गैस बनने लगती है।

    पेट में गैस बन रही हो तो क्या करना चाहिए?

    - अगर पेट में गैस फंस गई है और निकल नहीं पा रही तो इसके लिए अदरक और पुदीने का पानी काफी काम आ सकता है. सौंफ और एप्पल साइडर विनेगर भी काफी मददगार साबित होता है. - गुनगुना पानी या हर्बल टी पीने से भी आपको इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है. - योग की कुछ मुद्राओं से भी इस समस्या से छुटाकारा पाया ज सकता है.

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