न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 भारत क्या है? - nyoonatam majadooree adhiniyam 1948 bhaarat kya hai?

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम - 1948

असंगठित क्षेत्र के  मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करनेके  उद्देश्य से तथा उनके  हितों की रक्षा के  लिए यह कानून बनाया गया। जिसमें मजदूरी की न्यूनतम दरों का निर्धारण करना, समय पर मजदूरी का भुगतान करना तथा समयोपरि भत्ता  इत्यादि की उचित दरें तय कर भुगतान कराना इस कानून का उद्देश्य रहा है।

रेलवे में यह कानून निर्माण और मरम्मत, रख-रखाव, पत्थर तोड़ने के  काम में लग मजदूर, रेल पथ पर नियोजित आकस्मिक मजदूर इत्यादि पर यह कानून लागू होता है।

सामान्यतया न्यूनतम मजदूरी की दरे  राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कर अधिसूचित की जाती है।

उद्देश्य

बाजार की परिस्थितियां एवं महंगाई को देखते  हुए मजदूरी की न्यूनतम दरें तय करना, समय-समय पर स्थानीय मूल्य सूचकांक को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम मूल्य निश्चित करना, मजदूरी का भुगतान बिना अनाधिकृत कटौतियों के  सुनिश्चित करना, श्रमिकों व्यवस्क एवं किशोरों के  लिए कार्य का समय व साप्ताहिक विश्राम निर्धारित करना, अधिनियम के प्रावधानों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए समुचित प्राधिकारी, निरीक्षकों की नियुक्ति करना, मजदूरी भुगतान के तरीकों, समय, प्रकार इत्यादि की शिकायतों का निपटारा करना। 

लागू  होने  की सीमाए 

इस कानून में उन रोजगारों की अनुसूची दी गई है जिनमें काम करने वाले मजदूरों पर यह कानून लागू होता है। सामान्यतः यह कानून ऐसे असंगठित रोजगारों पर लागू होता है जहां 20 से कम कर्मचारी कार्य करते हो।रेलवे में भी यह कानून आकस्मिक मजदूरों के  मामलो में लागू होता हैं। जो विभागीय तौर पर अस्थाई रूप से नियुक्त किये गये हो   अथवा रेलवे के  उन ठेकेदारों के  अधीन नियोजित हो जिनका कार्य भवन निर्माण, रेल पथ, रेलवे ब्रिज या पुल, बैलास्ट इत्यादि के कार्यों पर कार्यरत हो।

मुख्य प्रावधान

  • काम के दिनों एवं घंटें, विश्राम का दिन इत्यादि निर्धारित करने की व्यवस्था करना,
  • मजदूरी भुगतान के तरीके , मजदूरी से की जाने वाली कटौतियां, समयोपरि भत्ता  इत्यादि के बारें में व्यवस्था करना,
  • मजदूरी भुगतान की विधि एवं अवधि निर्धारित करना,
  • सेवामुक्त कर दिये गये व्यक्ति को कार्यमुक्ति के अगले 48 घंटों के भीतर काम दिन तक मजदूरी भुगतान करने की व्यवस्था करना,
  • दैनिक मजदूरी निकालने के लिए 26 दिनों को एक मास के बराबर मानना,
  • स्थानीय सरकार एवं प्राधिकारियों के द्वारा स्थानीय मुल्य सूचकांक को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम मजदूरी की दरे  तय की जाती है जिसे  रेल प्राधिकारियों द्वारा क्षेत्रीय श्रमायुक्त, सहायक श्रमायुक्त अथवा श्रम प्रर्वतन अधिकारी से प्राप्त करनी होती है,
  • न्यूनतम मजदूरी की दरों को मूल्य सूचकांक को ध्यान में रखते  हुए समय समय पर संशोधित करना। यदि किसी क्षेत्र में  स्थानीय प्राधिकार द्वारा नियत दरों की तुलना में राज्य सरकार द्वारा नियत दरें अधिक है तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए,
  • किसी भी नियोजक द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी भुगतान नहीं करनेके  मामले  पर निगरानी रखना,
  • इस कानून की धारा 8 के अधीन एक केन्द्रीय मंत्रणा बोर्ड होता है यह बोर्ड न्यूनतम दरों के बारें में सिफारिश करता है तथा समय-समय पर दरों की समीक्षा करता है।

वर्तमान में न्यूनतम मजदूरी के तहत देश को पाँच क्षेत्रो  में वर्गीकृत किया गया है: ए, बी1, बी2, सी तथा डी अर्थात सारे शहर एवं नगर को इन क्षेत्रों के अधीन  वर्गीकृत किये गये है।

रेलवे के मामलो  मे  जहाँ यह कानून लागू होता है महाप्रबंधक और मंडल रेल प्रबंधक श्रम मंत्रालय की दरों पर क्रमशः 33-1/3 प्रतिशत और 20 प्रतिशत बढ़ाकर भुगतान कर सकते है। समयोपरि भत्तों  का भुगतान दुगुनी दर से किये जाने का प्रावधान है। दावें  एव  शिकायते   कोई भी मजदूर जो इस कानून के दायरे  में आता है। मजदूरी भुगतान के संबंध में अपनी शिकायत अथवा दावा छः माह के भीतर सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत कर सकता है जो संबंधित नियोजक को सुनवाई का पूरा अवसर प्रदान करते  हुए नियमानुसार मजदूरी भुगतान के आदेश के साथ-साथ क्षतिपूर्ति का आदेश भी दे  सकता है। क्षतिपूर्ति की राशि भुगतान योग्य राशि का 10 गुना तक हो सकती है।

नोटिस एव  रजिस्टर

जिन रोजगारों पर यह कानून लागू होता हो वहां निम्नलिखित नोटिस एवं रजिस्टर का प्रतिपादन किया जाना आवश्यक होता है -

  1. दैनिक मजदूरी दर का नोटिस
  2. अधिनियम का संक्षिप्त सारांश
  3. स्थानीय भाषा/हिन्दी भाषा/अंग्रेजी भाषा में नोटिस लगाया जाना
  4. मजदूरी भुगतान अवधि का नोटिस
  5. मजदूरी भुगतान की तिथि का नोटिस
  6. श्रम प्रर्वतन अधिकारी का नाम, पता , टेलीफोन नम्बर, कार्यालय इत्यादि का नोटिस
  7. मजदूरी का रजिस्टर
  8. उपस्थिति का रजिस्टर
  9. समयोपरि भत्तों  का रजिस्टर
  10. दण्ड का रजिस्टर
  11. फार्म नं. 89 में वार्षिक रिटर्न

दण्ड एव  शास्तियाँ

कानून के  प्रावधानों की अनुपालना करने के लिए राज्य सरकार द्वारा निरीक्षकों की नियुक्ति की गई है जो किसी भी रोजगार में उपस्थित होकर अभिलेखों की जाँच कर सकता है, दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है तथा अतिरिक्त गवाहियाँ ले सकता है और अधिनियम के प्रावधान का पालन नहीं करने पर सक्षम प्राधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है जो निम्नलिखित दण्ड एवं शास्तियाँ आरोपित कर सकता है -



न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के उद्देश्य क्या है?

असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करनेके उद्देश्य से तथा उनके हितों की रक्षा के लिए यह कानून बनाया गया। जिसमें मजदूरी की न्यूनतम दरों का निर्धारण करना, समय पर मजदूरी का भुगतान करना तथा समयोपरि भत्ता इत्यादि की उचित दरें तय कर भुगतान कराना इस कानून का उद्देश्य रहा है।

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम से आप क्या समझते हैं?

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (Minimum Wages Act, 1948) भारत की संसद द्वारा पारित एक श्रम कानून है जो कुशल तथा अकुशल श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी का निर्धारण करता है। यह अधिनियम सरकार को विनिर्दिष्ट रोजगारों में कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए प्राधिकृत करता है।

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 कब लागू हुआ?

इसे 1946 में पास कर दिया गया और 15.3.48 से इसे प्रभावी बनाया गया । अधिनियम में उन सभी रोजगारों की सूची शामिल है जिनके लिए उपयुक्त प्रशासनों द्वारा न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण किया जाना है। केन्द्रीय दायरे में 45 अनुसूचित रोजगार हैं जबकि राज्य के दायरे में ऐसे रोजगारों की संख्या लगभग 1679 है।

भारत में न्यूनतम मजदूरी क्या है?

इस हिसाब से भारत न्यूनतम मजदूरी में इन देशों से बहुत पीछे है। श्रम मंत्रालय के एक नोटिफिकेशन के अनुसार भारत में न्यूनतम मजदूरी 228 रुपए प्रतिदिन है यानी अगर एक घंटे की मजदूरी की बात की जाए यह 28 रुपए है।

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