kartik Saini
unread,
Oct 1, 2011, 8:23:16 AM10/1/11
to
अंग्रेजी में किसी भी स्त्री नाम के पूर्व Ms लगाने की प्रथा है . क्यों न हम हिंदी में सभी नाम के पूर्व श्री लगाने की प्रथा आरम्भ करें. स्त्री नाम के भी जैसे श्री दुर्गा आदि देवियों के नाम के पूर्व आता है. इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है क्योंकि अब हिन्दुओं में भी तलाक होते हैं तो तलाकशुदा महिला, विधवा महिला या परित्यक्ता के नाम के पूर्व क्या लगाया जाये अक्सर ये समस्या आती है. जबकि अंग्रेजी सबके के लिए Ms. लगाने की प्रथा है. सुझाव आमंत्रित हैं .
कार्तिक कुमार सैनी
Hariraam
unread,
Oct 1, 2011, 9:48:48 AM10/1/11
to
अधिकांश कार्यालयों में Ms के लिए जो कुमारी, विधवा इत्यादि का प्रतीक होता है, के लिए 'सुश्री' का प्रयोग किया जा रहा है।
-- हरिराम
On 01-10-2011 05:53, kartik Saini wrote:
अंग्रेजी में किसी भी स्त्री नाम के पूर्व Ms लगाने की प्रथा है . क्यों न हम हिंदी में सभी नाम के पूर्व श्री लगाने की प्रथा आरम्भ करें. स्त्री नाम के भी जैसे श्री दुर्गा आदि देवियों के नाम के पूर्व आता है. इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है क्योंकि अब हिन्दुओं में भी तलाक होते हैं तो तलाकशुदा महिला, विधवा महिला या परित्यक्ता के नाम के पूर्व क्या लगाया जाये अक्सर ये समस्या आती है. जबकि अंग्रेजी सबके के लिए Ms. लगाने की प्रथा है. सुझाव आमंत्रित हैं .कार्तिक कुमार सैनी
Nirendra Nagar
unread,
Oct 1, 2011, 7:54:36 PM10/1/11
to
Ms शब्द Miss और Mrs को मिलाकर बनाया गया है और इसका उच्चारण होता है मिज़। इसके लिए सुश्री शब्द बहुत ही माकूल है और हिंदी में चल भी गया है। जो स्त्री अपनी वैवाहिक स्थिति को बताना नहीं चाहती, वह मिज़ लगाती है। यह नारीवादी आंदोलन से जुड़ा हुआ मामला भी है। अगर पुरुष के लिए Mr ही ठीक है, तो स्त्री के लिए Miss या Mrs लिखना-बताना ज़रूरी क्यों? उसके लिए भी एक ही शब्द Ms क्यों नहीं?
मेरा सुझाव है कि जिन स्त्रियों को मिसिज़ या श्रीमती कहलाना पसंद हो, उनके मामले में यही लिखें और जिन्हें मिज़ या सुश्री कहलाना पसंद हो, उनके नाम के साथ सुश्री लगाएं।
वैसे तकनीकी रूप से सोनिया गांधी को भी सुश्री सोनिया गांधी लिखा जा सकता है और मायावती को भी। सुश्री का मतलब कुंवारी या तलाकशुदा नहीं है।
अंग्रेजी में किसी भी स्त्री नाम के पूर्व Ms लगाने की प्रथा है . क्यों न हम हिंदी में सभी नाम के पूर्व श्री लगाने की प्रथा आरम्भ करें. स्त्री नाम के भी जैसे श्री दुर्गा आदि देवियों के नाम के पूर्व आता है. इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है क्योंकि अब हिन्दुओं में भी तलाक होते हैं तो तलाकशुदा महिला, विधवा महिला या परित्यक्ता के नाम के पूर्व क्या लगाया जाये अक्सर ये समस्या आती है. जबकि अंग्रेजी सबके के लिए Ms. लगाने की प्रथा है. सुझाव आमंत्रित हैं .कार्तिक कुमार सैनी
--
Nirendra Nagar
Sr Editor, Navbharattimes.com
9811706360
Suyash Suprabh (सुयश सुप्रभ)
unread,
Oct 1, 2011, 9:19:35 PM10/1/11
to
हरिराम जी और नीरेंद्र जी के सुझाव विचारणीय हैं। हिंदी में अधिकतर लोग 'Ms.' के लिए 'सुश्री' का प्रयोग करते हैं।
सादर,
avdhesh tiwari
unread,
Oct 1, 2011, 9:21:07 PM10/1/11
to
मेरे विचार में भी इसके
लिए 'सुश्री' शब्द उपयुक्त है तथा इसका प्रयोग भी व्यापक रूप से हो रहा है।
-अवधेश तिवारी
Ms शब्द Miss और Mrs को मिलाकर बनाया गया है और इसका उच्चारण होता है मिज़। इसके लिए सुश्री शब्द बहुत ही माकूल है और हिंदी में चल भी गया है। जो स्त्री अपनी वैवाहिक स्थिति को बताना नहीं चाहती, वह मिज़ लगाती है। यह नारीवादी आंदोलन से जुड़ा हुआ मामला भी है। अगर पुरुष के लिए Mr ही ठीक है, तो स्त्री के लिए Miss या Mrs लिखना-बताना ज़रूरी क्यों? उसके लिए भी एक ही शब्द Ms क्यों नहीं?
--
Avdhesh Tiwari
Vinod Sharma
unread,
Oct 2, 2011, 2:05:03 AM10/2/11
to
इस विषय में भाई भोपाली ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि श्री शब्द मूलतः स्त्रीलिंग है, इसीलिए भगवान विष्णु को श्रीपति कहा जाता है। यह तो पुरुषवादी समाज ने श्री और श्रीमान पर अपना अधिकार कर लिया और श्री, जिससे समस्त मानव जाति का जन्म हुआ उसे श्रीहीन बना कर श्रीमती कर दिया. सुश्री का सुझाव बहुत अच्छा है। अगर महिलाओं के लिए भी श्री का ही प्रयोग किया जाए तो माथे पर लगे सिंदूर जैसे शब्द श्रीमती की आवश्यकता ही न पड़े। महिलाओं के लिए श्री के प्रयोग को अहंवादी पुरुष वर्ग कभी भी स्वीकार नहीं करेगा, इसलिए सुश्री का प्रयोग तो तुरंत आरंभ कर देना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए यहाँ देखें
--
Best Regards,
Vinod Sharma
gtalk: vinodjisharma
skype:vinodjisharma
Services Provided:
Translation, Proofreading, Editing, Reviewing, Transcripting, Voice-Over.
ePandit | ई-पण्डित
unread,
Oct 2, 2011, 8:59:00 AM10/2/11
to
भाई भोपाली जी सही हैं। मेरा नाम श्रीश भी ऐसे ही है श्री+ईश अर्थात श्री का स्वामी बोले तो विष्णु। इससे स्पष्ट है कि श्री मूलतः स्त्रीलिंग ही है।
--
Shrish Benjwal Sharma
(श्रीश बेंजवाल शर्मा)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
If u can't beat them, join them.
ePandit://epandit.shrish.in/
kartik Saini
unread,
Oct 3, 2011, 8:54:15 PM10/3/11
to
शर्मा जी एवं श्रीश जी,
मेरे विचार आप लोगो से शब्दश: मिलते हैं. तो क्या हम पुरुषवादी समाज की परवाह न करके श्री शब्द का प्रयोग स्त्री नामों के पूर्व करना आरम्भ कर दें बशर्ते कि सम्बन्धित महिला को एतराज न हो या पहले इसका खूब प्रचार कर लिया जाये कि यह शब्द जो कि लक्ष्मी जी के लिए प्रयुक्त किया जाता है, स्त्रीलिंगी है और जब हमारे धार्मिक गर्न्थों में देवियों के नाम श्री दुर्गा, श्री लक्ष्मी आदि के रूप में पहले ही प्रयोग किया जा रहा है तो आज की महिलाओं को शायद कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. फिर इससे स्त्री पुरुष समानता का बोध भी तो होता है. नवरात्रों के दिनों से बढकर शुभ समय भी और कोई नहीं होगा ऐसे शुभ कार्य के लिए.
सादर !
kartik Saini
unread,
Oct 3, 2011, 9:07:21 PM10/3/11
to
हरिराम जी नमस्कार,
आपने सही कहा. परन्तु मैं यह सुझाव देना चाहता हूँ कि स्त्रियों के लिए अलग से क्यों कुमारी, श्री मति, सुश्री लिखा जाये क्यों न हम अंग्रेजी से भी एक कदम आगे जाकर स्त्री पुरुष सभी के लिए श्री शब्द का प्रयोग करें? हो सकता कई लोग ऐसा भी कहें कि किसी के नाम के आगे श्री शब्द लगाने की भी क्या आवश्यकता है? वास्तव में, मुझे लगता है कि श्री शब्द में सम्मान और शुभ आशीर्वाद दोनों ही हैं. क्योंकि भारतीय परम्परा में कोई भी श्रीहीन रहे तो उसे अच्छा नहीं माना जाता इसलिए श्री युक्त होने का आशीर्वाद भी इस सम्बोधन में है. इसलिए श्री लगाना उचित होना चाहिए. आपसे सुझाव एवं मार्गदर्शन की आशा है.
सादर!
Vinod Sharma
unread,
Oct 3, 2011, 9:46:20 PM10/3/11
to
जी हाँ कार्तिकजी,
अगर इस महती कार्य का बीड़ा उठाना है तो फिर इस समूह से ही क्यों न योजना आरंभ की जाए?
1. इस संबंध में एक सुंदर सा, अपने आप में परिपूर्ण आलेख तैयार किया जाए.
2. कई विद्वानों द्वारा अलग- अलग प्रारूप तैयार किए जाएँ और फिर सबके समावेश से एक अतिम प्रारूप बने।
3. इस आलेख को सभी सामुदायिक मंचों पर प्रचारित किया जाए, जैसे फ़ेसबुक, गूगल+ आदि।
4. जो-जो मित्र जिस मंच के सदस्य हैं वे अपने मंचों पर इस संबंध में चर्चाएँ करें।
5. देश में हजारों महिला संगठन हैं, यथासंभव अधिकाधिक संगठनों को इस आलोख के द्वारा हमारी अभिनव पहल से परिचित कराया जाए।
6. एक बार अनेक मंचों पर इस संबंध में चर्चा आरंभ हो जानी चाहिए, उस के साथ हमारा प्राथमिक उद्देश्य पूर्ण हो जाता है।
7. आज के युग में समाज में पुरुष की अहंवादी सत्ता काफी कमजोर हो चली है, इसलिए हमारे इस अभिनव विचार को सर्वथा अनदेखा तो नहीं ही किया जाएगा।
यह रूपरेखा तो इस अल्पज्ञ दिमाग की उपज है, शेष क्रियाविधि या चरणबद्ध प्रयासों की रूपरेखा सुविज्ञ मित्रों के सुझाव आमंत्रित कर तैयार की जा सकती है।
सादर,
Narendra Kumar Tomar
unread,
Oct 3, 2011, 10:29:46 PM10/3/11
to
अपने राजमर्रा के पेशेवर काम से जरा हट कर यह एक अच्छा प्रयास है, मै इसका समर्थन करता हूं। हां मैं यह अवश्य कहना चाहूंगा कि पुरूश्वादी सत्ता भ्ले ही कमजोर पडी दिखती हो, पुरूषवादी मानसिकता ल्रगभग वैसी ही है, बल्कि कुछ हद तक अधिक उग्र और आक्रामक हुई है। स्त्रीयों के नाम के आगे आदर सूचक
श्री लगाने से इसमें कितना फर्क पडेगा यह कहना तो कठिन है, पर महिलाओं को अवश्य ही अच्छा लगेगा ।
Hariraam
unread,
Oct 4, 2011, 3:18:31 PM10/4/11
to
कहा जाता है कि "शक्ति के बिना शिव भी शव के बराबर होता है।"
इसलिए विष्णु आदि देवता बिना अपनी अर्धांगिनी देवी के असक्त या शव के बराबर होते हैं।
बिना अर्धांगिनी देवी के कोई भी यज्ञादि कार्य पूरे नहीं हो सकते।
इसलिए देवताओं का नामोच्चारण या जप भी उनकी अर्धांगिनी के नामों के बिना फपदायक नहीं होता।
लक्ष्मीनाराण में पहले लक्ष्मी का नाम आता है, फिर नारायण का, सीताराम में पहले सीता का नाम आता है फिर राम का।
भारतीय संस्कृति में नारी को प्रथम स्थान दिया जाता है।
इसलिए हरेक देवताओँ के पहले श्री शब्द लगाया जाने लगा था, (विद्वत-विचार) ताकि उनका नाम-जप फलदायी हो।
इसका अनुकरण करते हुए पुरुषों के नामों के पहले श्री शब्द लगाया जाने लगा।
यदि नारी शक्ति पुरुष शक्ति के बिना अशक्त अनुभव करें तो वे किसी पुरुष सूचक प्रतीक को अपने नाम के पूर्व लगा सकती हैं।
ePandit | ई-पण्डित
unread,
Oct 4, 2011, 11:00:37 PM10/4/11
to
वाह हरिराम जी क्या खूब व्याख्या दी आपने। इस पहलू से तो सोचा ही नहीं था।
४ अक्तूबर २०११ १२:४८ अपराह्न को, Hariraam <> ने लिखा:
--
kartik Saini
unread,
Oct 6, 2011, 12:01:55 AM10/6/11
to
एकदम सही, जैसे प्राचीन काल में शिवशक्ति , शिवपार्वती. शिवजी के नाम के बाद में उनकी पत्नी का नाम आता है. शायद वे भी अपने पति के बिना स्वयं को अपूर्ण मानती रही होंगी या ये कहिये कि उनसे अगाध प्रेम करती होंगी.
Hariraam
unread,
Oct 7, 2011, 10:40:11 AM10/7/11
to
'श्री' शब्द केवल लक्ष्मी का प्रतीक नहीं, बल्कि आदिशक्ति आदिमाता, जिनकी महिमा महालक्ष्मी+महासरस्वती+महाकाली(दुर्गा) के सम्मलित रूप, या महात्रिपुरसन्दरी के 'बीजमंत्र' रूप में विभिन्न शास्त्रों में वर्णित है...
'श्री' यन्त्र, श्री तन्त्र की महिमा तो जगत्-प्रसिद्ध है।
'श्री' मन्त्र के साधकों के स्थल, व 'श्री' देवी मंदिर के आधार पर कश्मीर की राजधानी 'श्रीनगर' का नामकरण हुआ था।
सच कहें तो आजकल सभी मानव किसी न किसी रूप में अशक्त, अस्वस्थ हैं, कोई भी अपने नाम के साथ 'श्री' लगाने का अधिकारी नहीं है।
'श्री' बीजमन्त्र के मूल पाठ का उच्चारण भी शायद ही किसी को शुद्ध रूप में आता हो...
कुछ विद्वान मानते हैं कि श्+ऋ=शृ शुद्ध रूप है(जैसे शृंगार में), (श् के साथ ऋ ध्वनि 8 बार/प्रतिपल प्रकम्पित होनी चाहिए) जो कालक्रम में 'श्+र्+ई'=श्री में अपभ्रंशित हो गया। सही उच्चारण नहीं हुए बिना वैदिक मंत्र फलदायी नहीं होते, वरन् उलटा प्रभाव डाल सकते हैं।
On 05-10-2011 21:31, kartik Saini wrote:
एकदम सही, जैसे प्राचीन काल में शिवशक्ति , शिवपार्वती. शिवजी के नाम के बाद में उनकी पत्नी का नाम आता है. शायद वे भी अपने पति के बिना स्वयं को अपूर्ण मानती रही होंगी या ये कहिये कि उनसे अगाध प्रेम करती होंगी.
कहा जाता है कि "शक्ति के बिना शिव भी शव के बराबर होता है।"
इसलिए विष्णु आदि देवता बिना अपनी अर्धांगिनी देवी के असक्त या शव के बराबर होते हैं।
बिना अर्धांगिनी देवी के कोई भी यज्ञादि कार्य पूरे नहीं हो सकते।
इसलिए देवताओं का नामोच्चारण या जप भी उनकी अर्धांगिनी के नामों के बिना फपदायक नहीं होता।
लक्ष्मीनाराण में पहले लक्ष्मी का नाम आता है, फिर नारायण का, सीताराम में पहले सीता का नाम आता है फिर राम का।
भारतीय संस्कृति में नारी को प्रथम स्थान दिया जाता है।
इसलिए हरेक देवताओँ के पहले श्री शब्द लगाया जाने लगा था, (विद्वत-विचार) ताकि उनका नाम-जप फलदायी हो।
इसका अनुकरण करते हुए पुरुषों के नामों के पहले श्री शब्द लगाया जाने लगा।
यदि नारी शक्ति पुरुष शक्ति के बिना अशक्त अनुभव करें तो वे किसी पुरुष सूचक प्रतीक को अपने नाम के पूर्व लगा सकती हैं।
On 03-10-2011 19:59, Narendra Kumar Tomar wrote:
अपने राजमर्रा के पेशेवर काम से जरा हट कर यह एक अच्छा प्रयास है, मै इसका समर्थन करता हूं। हां मैं यह अवश्य कहना चाहूंगा कि पुरूश्वादी सत्ता भ्ले ही कमजोर पडी दिखती हो, पुरूषवादी मानसिकता ल्रगभग वैसी ही है, बल्कि कुछ हद तक अधिक उग्र और आक्रामक हुई है। स्त्रीयों के नाम के आगे आदर सूचक श्री लगाने से इसमें कितना फर्क पडेगा यह कहना तो कठिन है, पर महिलाओं को अवश्य ही अच्छा लगेगा ।
Nirmal Kumar Bohra
unread,
Oct 7, 2011, 1:23:06 PM10/7/11
to
हिंदी में इस तरह की स्थिति में स्त्रियों के नाम के पहले "सुश्री" शब्द के प्रयोग की प्रथा है जो उचित लगती है। मुझे आशा है कि सभी विद्वानगण इससे सहमत होंगे।
डा. निर्मल कुमार बोहरा
अंग्रेजी में किसी भी स्त्री नाम के पूर्व Ms लगाने की प्रथा है . क्यों न हम हिंदी में सभी नाम के पूर्व श्री लगाने की प्रथा आरम्भ करें. स्त्री नाम के भी जैसे श्री दुर्गा आदि देवियों के नाम के पूर्व आता है. इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है क्योंकि अब हिन्दुओं में भी तलाक होते हैं तो तलाकशुदा महिला, विधवा महिला या परित्यक्ता के नाम के पूर्व क्या लगाया जाये अक्सर ये समस्या आती है. जबकि अंग्रेजी सबके के लिए Ms. लगाने की प्रथा है. सुझाव आमंत्रित हैं .कार्तिक कुमार सैनी
Raghuram. PA. Pilakkool
unread,
Oct 8, 2011, 12:41:21 AM10/8/11
to
जी, आपका कहना ठीक है इससे मै सहमत हुं.