पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री का नाम क्या है? - pandit javaaharalaal neharoo kee putree ka naam kya hai?

भारत के इतिहास में जवाहरलाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित की जोड़ी ताक़तवर भाई-बहन की जोड़ी बताई जाती थी।

राजनीति में जब हम ताक़तवर महिलाओं की बात करते हैं तो इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी का ज़िक्र ज़रूर किया जाता है, लेकिन नेहरू परिवार में एक और महिला थीं। जिन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने में ना सिर्फ़ अहम भूमिका निभाई थी बल्कि राजनीति में एक अलग छाप भी छोड़ी। हम बात कर रहे हैं जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की जो भारत की पहली महिला मंत्री थीं। जवाहर लाल नेहरू से 11 साल छोटी विजयलक्ष्मी पंडित को साल 1937 में ब्रिटिश इंडिया के यूनाइटेड प्रोविन्सेज में कैबिनेट मंत्री का पद मिला था।

असल ज़िंदगी में विजयलक्ष्मी एक नहीं बल्कि कई वजहों से चर्चा में रहती थीं। उनकी प्रेम कहानी हो या फिर इंदिरा गांधी से मतभेद, ऐसे कई विवाद हैं, जिन्होंने उन्हें सुर्ख़ियों में बनाए रखा था। वहीं जवाहरलाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित की जोड़ी को भारत के इतिहास में सबसे ताक़तवर भाई-बहन जोड़ी बताया जाता था। विजयलक्ष्मी ने अपनी सूझबूझ से भारत को विदेशों में एक नई पहचान दिलाई थी, लेकिन इसके बावजूद एक वक़्त आया जब वह लाचार नज़र आईं। यही नहीं भतीजी इंदिरा गांधी से विजयालक्ष्मी पंडित के संबंध अच्छे नहीं थे। एक वक़्त था जब दोनों एक-दूसरे के विरोधी बनकर खड़े हो गए थे।

19 साल की उम्र में विजयलक्ष्मी को हुआ था प्यार

विजयलक्ष्मी पंडित ने अपनी पढ़ाई-लिखाई इलाहाबाद से शुरू की थी। बाद में वह गांधी और नेहरू परिवार के साथ जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम में लड़ीं। विजयलक्ष्मी जब 19 साल की थीं, तो उन्हें सैयद हुसैन नाम के लड़के से प्यार हो गया था। सैयद हुसैन कोई आम शख़्स नहीं थे, बल्कि प्रतिभाशाली और पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। उनका परिवार भी बहुत प्रतिष्ठित और समृद्ध था। उन्होंने अमेरिका से क़ानून की पढ़ाई की थी। अपने बातचीत के तरीक़े से वह इंगलैंड में भारतीय छात्रों के बीच काफ़ी चर्चित थे। उस समय कई बड़े नेता सैयद हुसैन की प्रतिभा के क़ायल थे। यही नहीं ख़ुद जवाहरलाल नेहरू भी उनसे काफ़ी प्रभावित थे। जब जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू 'इंडिपेडेंट' अख़बार के लिए संपादक की तलाश कर रहे थे, तब लोगों ने उन्हें संपादक पद के लिए सैयद हुसैन का सुझाव दिया था। मोतीलाल के कहने पर सैयद तैयार हो गए और इंडीपेडेंट में बतौर संपादक काम करने लगे। उस वक़्त विजयलक्ष्मी भी अख़बार के संपादन के कामों को सीख रही थीं। यहां वह सैयद से मिली तो काफ़ी प्रभावित हुईं। उनकी बातचीत करने का तरीक़ा और व्यक्तित्व देखने के बाद वह उनके प्यार में पड़ गईं। तब विजयलक्ष्मी 19 साल की थीं, जबकि सैयद हुसैन की उम्र 31 साल थी। उस वक़्त दोनों के प्यार के क़िस्से अख़बारों में छाने लगे थे। प्रेस में दोनों की शादी की अटकलें भी लगाई जाने लगीं थीं।

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दोनों के प्यार के बीच आ गया परिवार

जवाहरलाल नेहरू के पिता को जब अपने बेटी और सैयद हुसैन के अफ़ेयर के बारे में पता चला तो वह इसके ख़िलाफ़ हो गए। वहीं विजयलक्ष्मी ने साफ़-साफ़ अपने परिवार से ज़ाहिर कर दिया था कि वह सैयद से प्यार करती हैं, लेकिन पिता और भाई जवाहरलाल नेहरू को दोनों का रिश्ता पसंद नहीं आया। विजयलक्ष्मी अपनी बात पर अड़ी रहीं, लेकिन इसकी वजह से सैयद हुसैन को इलाहाबाद में रहने में काफ़ी दिक़्क़तें आने लगीं। स्थिति हाथ से निकलते देख मोतीलाल नेहरू ने मज़बूत सैयद हुसैन से अनुरोध किया कि वह अख़बार और इलाहाबाद दोनों छोड़ दें। दोनों की शादी के पीछे अलग-अलग धर्म बताया जाता है। नेटवर्क-18 की रिपोर्ट के अनुसार गांधी परिवार ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि दो अलग-अलग धर्म के लोगों को आपस में शादी करने पर सामाजिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साल 1920 में सैयद इंग्लैंड चले गए और वह वहां से ख़िलाफ़त आंदोलन का हिस्सा बनकर काम करने लगे। इंग्लैंड में रहकर सैयद भारतीय स्वाधीनता की आवाज़ को बुलंद करते रहे। इस अफ़ेयर के ख़त्म होने के बाद भी वह भारत की आज़ादी को लेकर भाषण देते रहे। देश में ही नहीं बल्कि अमेरिका में भी लोग उनके भाषण देने की कला और विचारों से ख़ासे प्रभावित थे। उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

ब्रह्माण बैरिस्टर से हुई विजयलक्ष्मी की शादी

सैयद हुसैन के चले जाने के कुछ वक़्त बाद नेहरू परिवार अपनी बेटी के लिए योग्य वर तलाश करने लगा। साल 1921 में उन्होंने ब्रह्माण बैरिस्टर रंजीत सीताराम पंडित से अपनी बेटी की शादी कर दी। बता दें कि बैरिस्टर रंजीत सीताराम पंडित काफ़ी विद्वान व्यक्ति थे, उन्होंने  महाकाव्य 'राजतरंगिनी' को संस्कृत से अंग्रेज़ी में अनुवाद किया था। शादी के बाद विजयलक्ष्मी के तीन बच्चे हुए। बताया जाता है कि भले ही विजयालक्ष्मी किसी औरे के साथ रिश्ते में जुड़ गईं थीं, लेकिन उनका दिल हमेशा सैयद हुसैन के लिए धड़कता था। शादी के बाद भी दोनों कई बार एक ही जगह पर स्पॉट किए गए थे। 

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इंदिरा गांधी और विजयलक्ष्मी पंडित के बीच मतभेद

भारत की आज़ादी में जवाहर लाल नेहरू ने महत्वपूर्ण रोल निभाया था, उनके बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी सत्ता में आ गईं। इंदिरा गांधी को अपने राजनीतिक विचारों की वजह से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीक़ों की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने इमरजेंसी लागू की थी, तो लोग उनके ख़िलाफ़ हो गए थे। उस वक़्त सिर्फ़ भारत की जनता ही नहीं बल्कि उनकी बुआ विजयलक्ष्मी पंडित भी उनके ख़िलाफ़ नज़र आईं थीं। बताया जाता है कि नेहरू के जाने के बाद इंदिरा जब राजनीति में उतरीं तो उन्होंने बुआ को साइड कर दिया था। एक ताक़तवर महिला के रूप में उभरी विजयलक्ष्मी उस वक़्त लाचार नज़र आईं थीं, लेकिन इमरजेंसी लागू किए जाने के बाद वह इंदिरा गांधी के ख़िलाफ़ खुलकर बोलती नज़र आईं। जब इंदिरा साल 1977 का चुनाव हारी तब विजयलक्ष्मी पंडित को काफी शांति मिली थी।

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जवाहर लाल नेहरू के पूर्वज कौन थे?

मोतीलाल नेहरू का 1931 में इलाहाबाद में निधन हुआ। नेहरू परिवार के दिल्ली में सबसे पहले पूर्वज राज कौल थे।

मोतीलाल नेहरू के कितने बच्चे थे?

पंडित मोतीलाल नेहरू का जन्म ६ मई, १८६१ को आगरा में हुआ। ... Motilal Nehru Biography..

जवाहरलाल नेहरू के कितने संतान थे?

जवाहरलाल नेहरू
राजनीतिक पार्टी
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
जीवनसाथी
Kamala Nehru ( बि. 1916; नि. 1936)
संतान
इंदिरा गाँधी
माई-बाबूजी
मोतीलाल नेहरू Swarup Rani Nehru
जवाहरलाल नेहरू - विकिपीडियाbh.wikipedia.org › wiki › जवाहरलाल_नेहरूnull

नेहरू का असली नाम क्या था?

गंगाधर नेहरू (1827 – 4 फरवरी 1861) वह 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान दिल्ली के कोतवाल (मुख्य पुलिस अधिकारी) थे।

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