World Environment Day- आज पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. यह खास दिन लोगों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 5 जून को मनाया जाता है. पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है. लेकिन आज पर्यावरण के प्रति अपनी इस जिम्मेदारी को नजरअंदाज करने की वजह से प्रदूषण फैलता जा रहा है.
इस समस्या से उबरने के लिए पूरी दुनिया को एक होने की जरुरत है. आइए आज इस खास मौके पर जानते हैं वो छोटे-छोटे खास उपाय जिनकी शुरुआत घर से ही करने से आप इस समस्या पर नियत्रंण पा सकते हैं.
प्रदूषण को कंट्रोल करने के उपाय-
-पानी की बर्बादी रोकने के लिए सबसे पहले कोशिश करें कि घर में कोई भी नल टपक न रहा हो. ऐसी हालत में टपकते नलों की मरम्मत जल्द से जल्द करवा लें. इसके अलावा अगर कभी आप किसी जगह अनियंत्रित या खराब बहते हुए सरकारी नल /पाईपलाईन को देखें तो उसे अनदेखा न करें. उसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग में तुरंत करें.
-पर्यावरण को बचाने के लिए दूसरा उपाय ये करें कि नहाने के टब में पानी भरकर नहाने की जगह बाल्टी में पानी भर कर मग से नहाएं. ऐसा करने से पानी की बचत होगी.
-प्रिंटर का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि इसमें इस्तेमाल होने वाले कागज को दोनों तरफ से इस्तेमाल करें. इसके अलावा अपने घर आंगन में थोड़ी सी जगह पेड़ पौधों के लिए रखें. ये हरियाली देने के साथ तापमान भी कम रखते हैं.
-पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं. इसके अलावा सफर के दौरान भी यदि आप कोई फल खाते हैं तो उसकी गुठली थोड़ी देर रूककर मिट्टी में दबा दें.अपने या बच्चों के जन्मदिन हो या कोई भी यादगार क्षण पेड़ लगाकर उन यादों को चिरस्थायी बनाएं.
-बाजार से सामान खरीदने के लिए, गिफ्ट देने के लिए या सब्जी आदि लाने के लिए हमेशा रीयूसेब्ल (Reusable) बैग का इस्तमाल करें.
-धूम्रपान न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है बल्कि इसकी वजह से हवा भी प्रदूषित होती है. धूम्रपान ना करने से वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को बचाया जा सकता हैं.
-आज प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बढ़ते वाहनों की संख्या भी है. ऐसे में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने वाहनों का सही से ख्याल रखें और समय-समय पर प्रदूषण की जांच करवाते रहें. ऐसा करके आप पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं.
प्रदूषण नियंत्रण पर निबंध Pollution Control Essay In Hindi: आज पर्यावरण प्रदूषण (जल, वायु, भूमि, ध्वनि) एक विकराल वैश्विक समस्या का रूप ले चूका हैं. हर देश प्रदूषण नियंत्रण/ पोल्यूशन कंट्रोल की तरफ बढ़ रहा हैं. इस भयानक समस्या के Solution पर निरंतर कार्य चल रहा हैं. आज हम पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के उपायों, प्रयासों के बारे में जानेगे.
प्रदूषण नियंत्रण पर निबंध – Pollution Control Essay In Hindi
Contents show
1 प्रदूषण नियंत्रण पर निबंध – Pollution Control Essay In Hindi
1.1 पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय प्रयास (how to control pollution essay in hindi)
1.2 Read More
प्रस्तावना : आज के विज्ञान के युग ने मानव जाति को कई उपहार प्रदान किये हैं मगर उनके साथ ही कुछ अभिशाप भी मिले हैं प्रदूषण एक ऐसा ही अभिशाप हैं जो विज्ञान की देन हैं तथा जिसे आज समूची दुनियां अपने सिर ढो रही हैं.
प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्रकृति की व्यवस्था अर्थात उसके संतुलन का अव्यवस्थित होना. जिसके नतीजे में न हवा शुद्ध रही, न जल न ही वायु.
मुख्य रूप से प्रदूषण के पांच प्रकार बताए हैं वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण तथा विकिरण प्रदूषण आदि.
वायु-प्रदूषण : घनी मानव आबादी वाले शहरों एवं नगरों में वायु प्रदूषण का सर्वाधिक प्रकोप देखने को मिलता हैं. दिन रात चलने वाले वाहनों, उद्योगों से निकलने वाले धुएँ ने वायु के संतुलन को बिगाड़ दिया हैं.
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अब तो दिल्ली जैसे शहरों में साँस लेना भी दूभर हो गया हैं. सर्दी के मौसम में प्रदूषण के कण हवा में स्पष्ट देखे जा सकते हैं, जो श्वास के जरिये मानव शरीर में जाकर कई घातक बीमारियों को जन्म देते हैं.
जल-प्रदूषण : आज नदियों का निर्मल पानी बदबूदार बन गया हैं. नदी, तालाब आदि में उद्योगों तथा शहरों का अपशिष्ट कचरा तथा मलजल को जलाशयों में प्रवाहित करने से जल को भी प्रदूषित कर दिया हैं. इससे अनेक नयें रोगों का जन्म हो रहा हैं.
ध्वनि-प्रदूषण : मानव के मस्तिष्क की शान्ति तथा प्रकृति का शांत वातावरण तो विज्ञान ने तबाह कर दिया हैं. देर रात तक उद्योगों, वाहनों तथा लाउडस्पीकर की कानफोड़ आवाज से मनुष्य में तनाव की समस्या बढ़ने लगी हैं.
प्रदूषणों के दुष्परिणाम: ऊपर वर्णित तीनो प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हैं. इसके अतिरिक्त विकिरण प्रदूषण इनसे भी बढ़कर नुक्सान देह हैं. भोपाल गैस त्रासदी में देश इसके परिणाम भुगत चूका हैं.
आज मानव के पास न तो स्वच्छ वायु रही न ही स्वच्छ जल या भोजन. तेजी से बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण ने हमारे ऋतु चक्र को भी बदल दिया हैं गर्मी आए दिन बढ़ रही हैं तथा सर्दियों के दिन कम होते जा रहे हैं. आने वाले समय में प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा तो एक दिन पृथ्वी भी मानवरहित हो जाएगी.
प्रदूषण के कारण : प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने के लिए किसी एक कारक को जिम्मेदार ठहराया जा सकता हैं तो वह है विज्ञान के आविष्कार, चाहे वो हमारे घर में चलने वाले फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन हो या ऊर्जा संयंत्र सभी ने प्रदूषण को बढ़ाया हैं वहीँ मानव ने भी वनों की अनियंत्रित कटाई कर इसे आमंत्रित किया हैं.
सुधार के उपाय : यदि हम अपनी पृथ्वी को प्रदूषण से मुक्त करना चाहते हैं तो समस्त मानव समुदाय एकत्रित होकर अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाकर धरा को हरी भरी बनाए.
अब शहरों में पेड़, बगीचे तथा छोटे छोटे उद्यान लगाए व कल कारखानों को मानव आबादी से दूर लगाकर उनमें प्रदूषण नियंत्रण के यंत्र लगाए जाए.
पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय प्रयास (how to control pollution essay in hindi)
पेरिस करार– भारत ने 2 अक्टूबर 2016 को यूएनएफसीसी के लिए पेरिस करार का अनुसमर्थन किया हैं. पेरिस करार दिनांक 4 नवम्बर 2016 को हुआ था.
31 अगस्त 2017 तक 160 पक्षकारों ने पेरिस करार का अनुसमर्थन किया. पेरिस समझौते की मुख्य विशेषताओं में से एक विशेषता राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान हैं.
सीओपी 22– यूएनएफसीसीसी के अंतर्गत 22 वीं कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज 7 से 18 नवम्बर 2016 तक मरकश मोरक्को में आयोजित की गई.
ओजोन परत की सुरक्षा के लिए वर्ष 1985 में वियना कन्वेंशन तथा ओजोन परत को क्षति पहुंचाने वाले पदार्थ के बारे में वर्ष 1987 में मांट्रियल प्रोटोकॉल को अंगीकार किया गया.
भारत इसका पक्षकार हैं. वर्तमान में 197 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश हैं. मांट्रियल प्रोटोकॉल का अधिदेश ओजोन क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन व उपभोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना हैं.
राष्ट्रीय परिवेशी ध्वनि अनुवीक्षण नेटवर्क– केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की सहायता से 7 महानगरों अर्थात मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बंगलौर, लखनऊ एवं हैदराबाद में स्वदेशी परिवेशी ध्वनि अनुवीक्षक प्रणालियाँ स्थापित की हैं.
व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (CEPI)– केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह सूचकांक विकसित किया हैं. बोर्ड द्वारा इस सूचकांक के आधार पर सम्पूर्ण देश में अधिक प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक समूहों की पहचान की जाती हैं.
किसी भी औद्योगिक क्षेत्र के लिए प्रदुषण सूचकांक (PI) 0 से 100 है पीआई का बढ़ता मूल्य औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ने वाले प्रदूषण के भार की बढती डिग्री की ओर इंगित करता हैं. इसके आधार पर उद्योगों को निम्न प्रकार वर्गीकरण किया हैं.
- 60 और उससे अधिक प्रदूषण सूचकांक वाले उद्योग – लाल रंग की श्रेणी में
- 41 से 59 के बीच प्रदूषण सूचकांक वाले उद्योग- नारंगी रंग की श्रेणी में
- 21 से 40 के बीच प्रदूषण सूचकांक वाले उद्योग- हरे रंग की श्रेणी में
- 20 से कम प्रदूषण सूचकांक वाले उद्योग- सफ़ेद रंग की श्रेणी में
बासेल कन्वेंशन– सीमापार जोखिमयुक्त अपशिष्ट का संचालन रोकने और इसका निपटान करने के लिए 22 मार्च 1989 को बासेल स्विटजरलैंड में बासेल कन्वेंशन को अपनाया गया,
जिसका मुख्य उद्देश्य मानवीय स्वास्थ्य व पर्यावरण को जोखिम युक्त अपशिष्ट के प्रतिकूल प्रभावों से सुरक्षित करना हैं. भारत ने जून 1992 में इसका अनुसमर्थन किया, वर्तमान में इसके १८० पक्षकार हैं.