भारत का एक राज्य, राजस्थान अपनी राजशाही और समृद्ध विरासत के लिए विश्व भर में जाना जाता हैं। देश में अंग्रेज़ी हुकूमत के आने के पहले तक राजस्थान में भी देश के अन्य हिस्सों की ही तरह राजतन्त्र चलता था। इस पर अलग अलग राजाओं का शासन रहा है। उस समय के राजाओं ने राजस्थान में अपने शासन की कुछ ऐसी विरासत छोड़ी हैं जो कि आज तक राजस्थान में मौजूद है।
देश के अन्य हिस्सों के राजाओं की तरह राजस्थान में भी शासन करने वाले राजाओं ने अलग अलग महल और क़िलों का निर्माण कराया था। उस समय के निर्मित कुछ क़िले इतने भव्य हैं सैकड़ों साल बीत जाने के बाद, आज भी इसकी भव्यता देखते ही बनती है। इस कारण कुछ किले आज ही बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उन्ही क़िले में से एक किला मेहरानगढ़ का किला है। यह राजस्थान ही नही, बल्कि भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है।
मेहरानगढ़ का किला
इस किले का निर्माण सन 1460 के आसपास मंडोर ( अब राजस्थान ) के शासक राव जोधा ( Rao Jodha ) द्वारा करवाया गया था। राव जोधा को ही जोधपुर शहर के स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने जोधपुर की स्थापना 1459 में किया था। यह किला जोधपुर में ही हैं। इस विशाल किले का निर्माण शहर से 410 मीटर ऊपर किया गया था जो कि चारो ओर से एक मोटी Boundary से घिरा हुआ था। इस Boundary के अंदर कई आलीशान महल हैं जो कि अपनी निर्माण कला और साजसज्जा के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
इस किले के में कुल 7 गेट ( दरवाजा ) हैं। इनमें से प्रत्येक गेट अपने आप में एक विजयी गाथा समेटे हुए है। कहा जाता है कि जब राजा युद्ध में जीत दर्ज करते थे तब जीत की स्मारक के रूप में इन गेटों का निर्माण करवाया जाता था। इस महल का 7वां दरवाजा महाराजा मान सिंह द्वारा बनाया गया था। इस सातवें दरवाज़े को जय पोल हैं। इसका अर्थ विजयी यानी जीत होता हैं। फत्तेहपोल नाम के दरवाजे के निर्माण महाराजा अजित सिंघजी द्वारा करवाया गया था। उन्होंने इसका निर्माण मुग़लो को हराने के बाद किया था।
इस 700 एकड़ में फैले विशाल किले के अंदर मोती महल, शीश महल जैसे शानदार महल मौजूद है। इन महल में की गयी नक्काशी आज भी आकर्षण का केंद्र है। बड़ी संख्या में शैलानी इस ओर विशेष रूप से घूमने आते हैं। इसके अलावा फूल महल, सिलेह खाना और दौलत खाना भी इसके अंदर ही मौजूद है जो कि आकर्षण का केन्द्र है।
इस किले के अन्दर मौजूद म्यूज़ियम आज भी राजस्थान के बेहतरीन म्यूज़ियम में से एक है। इस म्यूज़ियम के अंदर उस दौर के शाही पालकी भी मौजूद है। इसके साथ साथ यहां शाही पालने, चित्र, Musical Instrument, आभूषण और फर्नीचर भी मौजूद है। इस महल के टॉप पर पुरानी तोप भी मौजूद है। यहां से शहर का बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता हैं। इस मयूज़म में मुग़लकाल के कुछ संरक्षित किए हुए कला भी देखने को मिलते हैं।
राजस्थान राज्य स्थित प्रमुख राजा एवं उनका काल निम्न है —
राजस्थान के राजा एवं उनका काल
राजा का नाम — उनका काल
1. अनूप सिंह — 1669-1698 ई.
2. अजीत सिहं —1678-1724 ई.
3. बीका — 1465-1504 ई. (बीकानेर)
4. भारमल — 1547-1573 ई. (ढूंढाढ़)
5. हम्मीर — 1326-1364 ई.
6. जैत्रसिहं — 1213-1250 ई. (मेवाड़)
7. जयसिहं द्वितीय — 1700-1743 ई.
8. क्षेत्रसिहं — 1364-1382 ई.
9. लक्षसिहं (लाखा) — 1382-1421 ई.
10. मोकल — 1421-1433 ई.
11. महाराणा कुम्भा — 1433-1468 ई.
12. महाराणा रायमल — 1473-1509 ई. (मेवाड़)
13. महाराणा सांग — 1509-1528 ई.
14. महाराणा उदय सिहं — 1537-1577 ई.
15. महाराणा प्रताप — 1572-1597 ई.
16. महाराज सूरसिंह — 1595-1619 ई. (जोधपुर)
17. महाराणा अमर सिहं — 1595-1620 ई. (मेवाड़)
18. महाराणा राजसिहं — 1652-1680 ई.
19. मान सिहं — 1589-1614 ई.
20. महाराणा कर्ण सिहं — 1620-1628 ई.
21. मिर्जा राजा जयसिहं — 1621-1667 ई.
22. महाराजा रायसिहं —1574-1612 ई. (बीकानेर)
23. महाराज दलपति सिहं — 1612-1613 ई.
24. महाराजा सूरसिहं — 1613-1631 ई.
25. महाराजा गज सिहं — 1919-1638 ई.
26. महाराजा जसवंत सिहं प्रथम — 1638-1678 ई.
27. महाराज कर्ण सिहं — 1631-1669 ई.
28. महाराजा सुंजान सिहं — 1700-1735 ई.
29. महाराजा गजसिहं — 1746-1787 ई.
30. महाराव अर्जुन सिहं —1720-1723 ई.
31. महाराव भीम सिहं — 1707-1720 ई.
32. मधोासिहं — 1634-1648 ई. (कोटा )
33. पृथ्वीराज चौहान तृतीय — 1177-1192 ई.
34. रत्नसिहं — 1302-1303 ई.
35. रावरणमल — 1427-1438 ई. (मारवाड़)
36. राव जोधा — 1438-1489. ई.
37. राव गंगा — 1515-1531 ई. (मारवाड़ के राठौड़)
38. राव मालदेव — 1531-1572 ई.
39. राव चन्द्रसेन — 1562-1583 ई.
40. राव शत्रुशाल हाड़ा — 1621-1658 ई.
41. राव भाम सिहं हाड़ा — 1658-1681 ई.
42. राव अनिरूद्ध हाड़ा — 1681-1695 ई.
43. राव दुर्जन सिहं — 1723-1756 ई.
44. राव सुर्जन — 1569-1585 ई. (बूंदी)
45. राव भोज — 1585-1607 ई.
46. राव रतन — 1607-1621 ई.
47. राव किशोर सिहं — 1684-1696 ई.
48. राव रामसिहं — 1696-1707 ई.
49. राव जगत सिहं — 1658-1683 ई.
50. राव मुकुंद हाड़ा — 1648-1658 ई.
51. राव राजा बुद्ध सिहं — 1695-1739 ई.
52. समरसिहं — 1267-73 से 1302 ई.
53. तेजसिहं – 1252-1267 ई. 1267 से 1273 के बीच देहान्त अनुमानित
⇒ पढ़ें राजस्थान का सामान्य ज्ञान (Topic wise)
Rajasthan GK Notes पढ़ने के लिए — यहाँ क्लिक करें