राजीव गांधी को मारने वाला कौन था? - raajeev gaandhee ko maarane vaala kaun tha?

21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेंरबदूर में किए गए एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में 4 प्रमुख आरोपी थी। पेरारिवलन ने इस साजिश के मास्टरमाइंड शिवरासन की मदद की थी। 

New Delhi, First Published May 18, 2022, 1:04 PM IST

Rajiv Gandhi Assassination:राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। पेरारिवलन को कोर्ट ने उसके अच्छे बर्ताव को देखते हुए जेल से छोड़ा है। बता दें कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन (Perarivlan) को मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन दया याचिका की सुनवाई में देरी के चलते बाद में उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। वैसे, राजीव गांधी की हत्या में 7 लोग शामल थे, लेकिन मुख्य साजिशकर्ता 4 लोग थे। वहीं पेरारिवलन ने इनकी मदद की थी।  

21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेंरबदूर में हुए एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई थी। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या की साजिश भारत से बाहर रची गई थी। राजीव गांधी की हत्या की साजिश कैसे, कब और कहां रची गई और इसके मुख्य साजिशकर्ता कौन थे, आइए जानते हैं। 

श्रीलंका में रची गई थी हत्या की साजिश : 
बता दें कि राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या की साजिश नवंबर, 1990 में जाफना (श्रीलंका) में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन और उसके 4 साथियों ने रची थी। इनमें बेबी सुब्रह्मण्यम, शिवरासन, मुथुराजा और मुरूगन शामिल थे। राजीव गांधी की हत्या की जिम्मेदारी इन्हीं चार लोगों को दी गई थी। 

जानें किसे मिली क्या जिम्मेदारी : 
मुथुराजा : प्रभाकरन का खास आदमी, हमलावरों के लिए कम्युनिकेशन और पैसों का इंतजाम करना। 
बेबी सुब्रमण्यम : लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) विचारक, हमलावरों के लिए रहने और छुपने का इंतजाम करना। 
मुरुगन : विस्फोट करने में माहिर, आत्मघाती हमले के लिए जरूरी सामान का  इंतजाम करना। 
शिवरासन : लिट्टे के लिए रेकी और जासूसी करने का काम।

शिवरासन ने साजिश में चचेरी बहनों को भी शामिल किया : 
मार्च, 1990 की शुरुआत प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक शिवरासन चेन्नई पहुंचा। यहां वो पोरूर इलाके में रुका और यहीं पर राजीव गांधी की हत्या की पूरी साजिश का खाका तैयार हुआ। शिवरासन ने अपने प्लान में चेन्नई की नलिनी, मुरूगन और भाग्यनाथन के साथ मानवबम की तलाश की। जब मानवबम नहीं मिला तो वो जाफना लौट गया। इसके बाद प्रभाकरन ने शिवरासन की चचेरी बहनों धनू और शुभा को उसके साथ भारत भेजा। 

पेरारिवलन ने ऐसे की थी शिवरासन की मदद : 
शिवरासन धनू और शुभा को अपने साथ नलिनी के घर ले गया। यहां उसने बम एक्सपर्ट से एक ऐसा बम बनाने को कहा, जिसे औरत की कमर में बांधा जा सके। इसके बाद बम एक्सपर्ट ने एक ऐसा बेल्ट तैयार किया, जिसमें RDX से भरे 6 ग्रेनेड रखे जा सकें। इसी बम में धमाके के लिए एजी पेरारिवलन ने मुख्य आरोपी शिवरासन को 9 वोल्‍ट की बैटरी खरीदकर दी थी।

कमर में बम बांध की प्रैक्टिस : 
21 मई को श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी की चुनावी सभा होनी थी। शिवरासन ने फैसला कर लिया था कि इसी दिन इस घटना को अंजाम देना है। 20 मई की रात नलिनी के घर पर शुभा ने धनू को आत्मघाती बम वाली बेल्ट पहनाकर प्रैक्टिस करवाई। इसके बाद अगली सुबह पेरंबदूर की रैली में राजीव गांधी जब भाषण देने पहुंचे तो एक महिला सब-इंस्पेक्टर धनू को उनके करीब जाने से रोकने लगी। इस पर राजीव गांधी उसे टोकते हुए कहा-सबको आने का मौका मिलना चाहिए। बाद में धनू ने राजीव गांधी को माला पहनाई और जैसे ही पैर छूने के लिए झुकी तो तेज धमाका हुआ। 

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Last Updated May 18, 2022, 1:04 PM IST

स्टोरी हाइलाइट्स

  • राजीव गांधी हत्याकांड का दोषी है पेरारिवलन
  • जेल में काट रहा था आजीवन कारावास की सजा
  • कई बार लगा चुका था दया याचिका

देश की सबसे बड़ी अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajeev Gandhi Murder) की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा (life sentence) काट रहे एजी पेरारिवलन (AG Perarivalan) को आखिरकार रिहा करने का फरमान सुना दिया. राजीव गांधी की हत्या ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था. इस मामले में पेरारिवलन समेत 7 लोगों को दोषी पाया गया था. इसके बाद टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई थी. इस खौफनाक हत्याकांड की साजिश में एजी पेरारिवलन का अहम रोल था. 

कौन है एजी पेरारिवलन?
तमिलनाडु के जोलारपेट कस्बे का रहने वाला है एजी पेरारिवलन. राजीव गांधी हत्याकांड में उसकी गिरफ्तारी 11 जून 1991 को हुई थी. पकड़े जाने के वक्त उसकी उम्र महज 19 साल थी. उसने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया है. वो आगे की पढ़ाई के लिए चेन्नई आया था. उसी दौरान राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल लोगों में उसका नाम आया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. उस पर टेरोरिज्म एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट यानी टाडा लगाया था. जेल जाकर भी पेरारिवलन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी थी. उसने जेल में रहते हुए ही 12वीं की परीक्षा पास की थी. जिसमें उसने 91.33 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. फिर उसने तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी से एक डिप्लोमा कोर्स किया था. जिसमें उसे गोल्ड मेडल मिला था. उसकी तालीम यहीं नहीं रुकी. बाद में उसने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से बीसीए किया और फिर कंप्यूटर में ही मास्टर्स की डिग्री हासिल की. पेरारिवलन जेल में अपने कैदी साथियों के साथ मिलकर एक बैंड भी चलाता है.

राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश
1990 में राजीव गांधी की हत्या का प्लान बनाने वाला प्रभाकरन इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता था. लिहाजा उसने इस मिशन की कमान शिवरासन को दी थी, जो उसका विश्वासपात्र था. प्लान को पूरा करने के लिए 1991 में प्रभाकरन ने शिवरासन की चचेरी बहनों धनु और शुभा को उसके साथ भारत भेज दिया था. धनु और शुभा को लेकर शिवरासन अप्रैल 1991 की शुरूआत में चेन्नई पहुंचा. वो धनु और शुभा को नलिनी के घर ले गया. जहां मुरूगन पहले से मौजूद था. शिवरासन ने बेहद शातिर तरीके से पायस- जयकुमारन-बम डिजायनर अरिवू को इनसे अलग रखा. वो खुद पोरूर के ठिकाने में रहता रहा. समय-समय पर सबको कार्रवाई के निर्देश देता था. उस वक्त चेन्नई के तीन ठिकानों पर राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश को पूरा करने का काम चल रहा था. हैरानी की बात ये थी कि शिवरासन के अलावा किसी को नहीं पता था कि टारगेट कौन है.

शिवरासन ने टारगेट का खुलासा किए बिना ही बम एक्सपर्ट अऱिवू से एक ऐसा बम बनाने को कहा जो किसी महिला की कमर में बांधा जा सके. शिवरासन के कहने पर अरिवू ने एक ऐसी बेल्ट डिजाइन की, जिसमें छह आरडीएक्स भरे ग्रेनेड लगाए जा सकें. उसके हर ग्रेनेड में 80 ग्राम C4 आरडीएक्स भरा था. हर ग्रेनेड में दो मिलीमीटर के दो हजार आठ सौ स्पिलिंटर थे. सभी ग्रेनेड सिल्वर तार की मदद से पैरलल जोड़े गए. जिसका सर्किट पूरा करने के लिए बेल्ट में दो स्विच लगाए गए थे. उनमें से एक स्विच बम को चार्ज करने के लिए और दूसरा उसमें धमाका करने के लिए था. 

राजीव गांधी हत्याकांड में पेरारिवलन की भूमिका
बम एक्सपर्ट अऱिवू ने महिला की कमर में बांधे जाने वाले उस बम को ट्रिगर करने के लिए 9 एमएम की बैटरी लगाई थी. साजिश के मास्टरमाइंड शिवरासन ने बैटरी का इंतजाम करने का काम एजी पेरारिवलन को सौंपा था. शिवरासन के आदेश को पूरा करते हुए एजी पेरारिवलन ने बाजार से 9 एमएम की बैटरी खरीदी और उसे खुद शिवरासन तक पहुंचाया था. उसी बैटरी का इस्तेमाल कर धनु ने 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमलाकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी. सीबीआई की एसआईटी ने दावा किया था कि एजी पेरारिवलन इस मामले में लगातार मास्टरमाइंड शिवरासन के संपर्क में था.

पेरारिवलन की गिरफ्तारी और रिहाई
राजीव गांधी की हत्या के बाद देशभर की सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गई थीं. लगातार संदिग्ध आरोपियों की धरपकड़ चल रही थी. इसी दौरान सीबीआई की एसआईटी को बड़ी कामयाबी मिली और 11 जून 1991 को एजी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया. राजीव गांधी हत्याकांड में बम धमाके के लिए इस्तेमाल की गई दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीद कर मास्टरमाइंड शिवरासन को देने का दोष एजी पेरारिवलन के खिलाफ अदालत में सिद्ध हो गया था. इस मामले पेरारिवलन समेत 7 लोग दोषी पाए गए थे, जिन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई थी. लेकिन बाद में कुछ दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. जिसमें पेरारिवलन भी शामिल था. पेरारिवलन को लेकर कई बार सियासी उठा पठक भी हुई. और अब तीन दशक से ज्यादा का वक्त जेल में बिताने के बाद वो जेल से बाहर आया है.

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राजीव गांधी क्यों मारे गए?

21 मई, 1991 को राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी. एलटीटीई की महिला चरमपंथी धनु ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छूए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया.

राजीव गांधी का पूरा नाम क्या है?

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राजीव गांधी की हत्या कौन से सन में हुई थी?

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राजीव गांधी की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी?

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