रामायण का अंतिम कांड कौन सा है - raamaayan ka antim kaand kaun sa hai

रामायण (ramayana kandas) में 7 कांड हैं, जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा की गई है, इसमें लगभग 24,000 श्लोक, 500 सर्ग एवं 7 कांड हैं। प्रभु श्री राम के वन से अयोध्या लौटने के बाद रामायण की रचना हुई है, जिसके मुख्य पात्र- श्री राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, सुग्रीव, अंगद, मेघनाद, विभीषण, कुंभकर्ण तथा रावण हैं। रामायण के 7 अध्याय हैं जिन्हें कांड के नाम से जाना जाता हैं।

आइए जानते हैं रामायण कांड के सारे नामों के बारे में-7 kandas of ramayana

1. बालकांड,

2. अयोध्या कांड,

3. अरण्य कांड

4. सुंदर कांड,

5. किष्किंधा कांड,

6. युद्ध कांड (लंका कांड),

7. उत्तर कांड।


रामायण में 7 कांड हैं। रामायण वाल्मीकि द्वारा लिखी गयी हिन्दू रघुवंश राजा राम के चरित्र, संघर्ष की जीवन गाथा है श्री राम की इस गाथा को वाल्मीकि रामायण तथा वाल्मीकि को आदिकवि कहा जाता है।जिस कारण वाल्मीकि रामायण को आदि रामायण और आदिकाव्य के नाम से भी जाना जाता है जिसमे 7 काण्ड यानी अध्याय और 24,000 श्लोक हैं। संभव रूप से रामायण का पहला और अन्तिम कांड रामायण में बाद में जोड़ा गया है क्योंकि इसके दो से लेकर छटवें अध्याय यानी कांड तक इसमें सिर्फ इस बात पर ध्यान दिया गया है की राम विष्णु के अवतार थे।

कुछ मान्यताओं के अनुसार ये मन जाता है की इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि ने इसे 600 ई.पू. में लिखा था जिसके पीछे का कारण महाभारत से जुड़ा है महाभारत जो इसके पश्चात आया जिसमें जैन, शैव, पाशुपत और अन्य धार्मिक परम्पराओं का वर्णन है। इसके अनुसार रामायण गौतम बुद्ध के काल से पूर्व का होना चाहिये। जो की इसलिए भी सही माना जाता है क्यों की बौद्ध जातक में रामायण के पात्रों का वर्णन किया गया है जबकि रामायण में जातको का कोई वर्णन नहीं है जिससे यह अंदेशा लगाया जाता है की रामायण बौद्ध धर्म से पूर्व का हैं।

रामायण के ‘7’ कांड

  1. बालकाण्ड
  2. अयोध्याकाण्ड
  3. अरण्यकाण्ड
  4. किष्किन्धाकाण्ड
  5. सुंदरकाण्ड
  6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
  7. उत्तरकाण्ड

1. बालकाण्ड जो की रामायण का सबसे बड़ा कांड है इसमें राम के बालपन से जुडी गाथाओं से लेकर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के विवाह तक का वर्णन किया गया है।

यह कहानी शुरू होती है अयोध्या नगरी से, अयोध्या  के राजा दशरथ, जिनकी तीन पत्नियाँ थी कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा जिनसे उन्हें चार पुत्र थे राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। बालकाण्ड के इस अध्याय में राजा के पुत्र राम और लक्ष्मण,  ऋषि विश्वामित्र के साथ उनके आश्रम चले जाते है राक्षसों से ऋषि विश्वामित्र की रक्षा हेतु, ऐसी दौरान वे कई राक्षसों वद्ध भी करते है, और साथ ही अहल्या को भी उसके स्राप से मुक्त करते है।

उसके बाद सीता स्वयम्बर के दौरान राम शिवधनुष को उठाकर उनका विवाह सीता से हो जाता है साथ ही लक्ष्मण का विवाह उर्मिला, भरत का माण्डवी और  शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से, इसके आगे की कथा का वर्णन अयोध्याकाण्ड में किया गया है।

2. अयोध्याकाण्ड में राम के विवाह के जीवन कृत्य से लेकर, किस तरह राम को अयोध्या छोड़कर जाना पड़ा इस विषय का वर्णन किया गया।

इस अध्याय में रानी  कैकेयी की दासी मन्थरा द्वारा उन्हें भड़काया जाता है जिसके बाद कैकेयी राम के राज्याभिषेक पर रोक लगाकर, राजा दशरथ से वरदान के रूप में राम के लिए चौदह वर्षों का वनवास मांगती है, जिसके बाद राम सीता और लक्ष्मण के साथ वन चले जाते है और चित्रकूट में निवास करते है।

इसके कुछ समय बाद ही दशरथ का स्वर्गवास हो जाता है बड़े पुत्र राम के अभाव में राजा दशरथ की अन्त्येष्टि क्रिया भरत द्वारा सम्पन की जाती है जिसके पश्चात भरत अयोध्या राज्य की राज़्यगद्दी को अस्वीकार कर देते है और राम से मिलने के लिए वन निकल जाते है, राम से भेंट के बाद भरत उन्हें पिता की मृत्यु की बात बताकर उनके सामने अयोध्या लौटने का प्रस्ताव रखते है परन्तु राम अयोध्या लौटने से मना कर देते है जिसपर भरत राम की चरण पादुका के साथ अयोध्या वापिस लोट जाते है और उन्हें अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजित कर देते है।     

3. अरण्यकाण्ड में मुख्यत रावण द्वारा सीता को हरने और सीता की खोज में राम के निकलने से जुड़ी कथाओ का वर्णन किया गया है।

अरण्य अध्याय में राम  चित्रकूट से पलायन कर  अत्रि ऋषि के आश्रम उसके बाद वे,  शरभंग मुनि, सुतीक्ष्ण, अगस्त्य आदि ऋषियों से भेंट करते हुये दण्डक वन पहुंचे जहाँ उनकी भेंट  जटायु से हुई इसके बाद उन्होंने पंचवटी को अपना निवास स्थान बनाया

जिसके बाद लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा के नाक और कान काटने की घटना घटित हुयी प्रतिशोध लेने के लिए   शूर्पणखा ने खर-दूषण की सहायता ली लेकिन राम ने खर-दूषण संहार कर डाला जिसके बाद शूर्पणखा रावण के पास गयी और सारी बाते बताई, बदला लेने के लिए रावण ने मारीच को स्वर्णमृग बना कर भेजा सीता के कहने पर राम, लक्ष्मण को सीता के पास छोड़कर स्वर्णमृग के पीछे चले गये। जिसके बाद राम की आवाज बना कर ‘हा लक्ष्मण’ का क्रन्दन कर मारीच की मृत्यु हो गयी जिसे सुन कर सीता ने लक्ष्मण को राम के पास भेज दिया। अकेली सीता देख रावण ने छलपूर्वक हरण कर उसे लंका ले गया। रास्ते में जटायु द्वारा सीता को बचाने के प्रयास में जटायु घायल हो गया,

जिसके बाद जटायु के बताये जाने पर सीता की तलाश में राम दक्षिण दिशा की और निकल पड़े।

4. किष्किन्धाकाण्ड में हनुमान और राम मिलाब, बालि के वध और हनुमान द्वारा लंका की और प्रस्थान करने के कृत्य का वर्णन किया गया है।

इस अध्याय में सीता की खोज में निकले राम और लक्ष्मण की भेंट हनुमान से होती है जिसके पश्चात हनुमान जी उनकी मित्रता सुग्रीव  से करवाते है, और राम बालि से सुग्रीव  के युद्ध में सुग्रीव  की मदद कर उन्हें  किष्किन्धा राज्य का राजा तथा बालि के पुत्र अंगद को युवराज का पद दे देते है।

जिसके बाद सुग्रीव वचन अनुसार वानरों की एक सेना को सीता की खोज में भेजते है जिसके दौरान वे सीता की खोज में समुद्रतट पर पहुंच गये  जहां पर उनकी भेंट सम्पाती से हुई। जिसने वानरों को बताया कि रावण ने सीता को लंका अशोकवाटिका में रखा है। 

5. सुंदरकाण्ड में हनुमान लंका में सीता माता से भेंट करके वापस लौटने और नल और नील के द्वारा लंका तक पुल बनाने का उपाय बताने का वर्णन किया हैं।

सुंदरकाण्ड के इस अध्याय में  जाम्बवन्त के कहने पर हनुमान लंका की और प्रस्थान करते है रास्ते में कई कठिनाइयों को पार करके वे अशोकवाटिका पहुंचते है अशोकवाटिका में विध्वंस मचाकर रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर, लंका का दहन करके वे सीता की चूड़ामणि के साथ वापिस लौटते है साथ भी लंका में अपमानित होने के बाद विभीषण भी राम के शरण में पहुंच जाते है जिसके बाद  नल और नील द्वारा लंका तक पहुंचने के लिए पुल का निर्माण किया जाता है।

6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) में राम और सेना का पल द्वारा लंका पहुंच कर रावण के वध ने पश्च्यात अयोध्या प्रस्थान करने का वर्णन किया क्या है।

यह रामायण का अंतिम अध्याय है जिसमे लंका तक पुल निर्माण के बाद राम की सेना लंका पहुँचती है और दोनों पछो के बीच युद्ध आरम्भ होता है जिसके दौरान मेघनाद के शक्तिबाण के वार से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते है और हनुमान जी  संजीवनी लाने के लिए निकलते है औषधि लेकर आने के बाद सुषेण के उपचार से लक्ष्मण स्वस्थ जाते है और युद्ध में  कुम्भकर्ण, मेघनाद और भी कही योद्धाओ की मृत्यु के बाद अन्त में रावण राम के हाथों मारा जाता है।

जिसके पश्चात विभीषण को लंका सौंप सभी अयोध्या के लिये प्रस्थान करते है।

7. उत्तरकाण्ड राम कथा का एक उपसंहार है जिसमे राम के अयोध्या लोटन के बाद के सभी कार्यों का वर्णन किया गया है।

जो की वास्तविक रामायण का हिस्सा नहीं है, जो की वाल्मीकि द्वारा लिखी गयी थी।

आशा है की यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी अन्य इसी तरह की जानकारी के लिए हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करे।

रामायण के अंतिम कांड का क्या नाम है?

रामायण के अंतिम काण्ड का नाम उत्तरा काण्ड है | इसमें लंका से लौटने पर अयोध्या में श्रीं राम के जीवन के बारे में विस्तार से बताया गया है | उनका राज्याभिषेक, अयोध्या के राजा के रूप में उनका शासन, एक धोबी द्वारा आरोप के बाद उनकी पत्नी सीता का निर्वासन, उनके जुड़वां बेटों लव और कुश का वन में जन्म, सीता की मृत्यु का समापन ...

रामायण में 7 कांड कौन से हैं?

उन्होंने बताया कि बाल कांड श्रीराम के पैर, अयोध्या कांड कमर, अरण्य कांड श्रीरामजी का पेट, किष्किंधा कांड श्रीराम का ह्रदय, सुंदरकांड भगवान राम का गला और ग्रीवा है तथा लंका कांड भगवान का मुख है।

संपूर्ण रामायण में कितने कांड हैं?

रामायण में सात काण्ड हैं - बालकाण्ड, अयोध्यकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, लङ्काकाण्ड और उत्तरकाण्ड।

रामायण का अंत कैसे हुआ?

लक्ष्मण जी के लिए वह भी मृत्यु सामान ही था,इसलिए वो सरयू नदी में समा गए और शेषनाग का रूप धारण कर लिया। भाई की जलसमाधि से आहत होकर श्रीराम ने भी जल समाधि का निर्णय लिया। वो सरयू नदी के अंदर गए और भगवान विष्णु का अवतार ले लिया। इस तरह श्रीराम ने मानव शरीर त्याग दिया और बैकुंठ धाम चले गए।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग