कोलिक बेबी कई घंटों तक लगातार रो सकता है और कभी पेट दर्द या अन्य किसी वजह से बच्चा रोता है। बच्चे को आराम देने के लिए ग्राइप वॉटर पर विश्वास किया
जाता है। आइए जानते हैं कि शिशु को दिए जाने वाला ग्राइप वॉटर कितना सुरक्षित है।क्या होता है ग्राइप वॉटर
शिशु में कोलिक के लक्षणों से राहत दिलाने के लिए डॉक्टर के पर्चे के बिना कई प्रोडक्ट मिलते हैं। आपको इनमें से वही विकल्प चुनना चाहिए जो सुरक्षित हो। ग्राइप वॉटर लिक्विड रूप में आता है और यह एक हर्बल उपाय
है। इसमें सौंफ,
अदरक,
कैमोमाइल,
मुलेठी,
दालचीनी और लेमन बाम होता है।
गैस होने पर पेट दर्द की वजह से बच्चे ज्यादा रोते हैं। कुछ बच्चे दिन में लगातार कई घंटों तक रोते हैं तो कुछ में यह समस्या कई सप्ताह तक देखी जा सकती है। चूंकि, जड़ी-बूटियां पाचन में मदद करती हैं इसलिए ग्राइप वॉटर का इस्तेमाल कोलिक से राहत पाने के लिए किया जा सकता है। दांत आने पर दर्द होने और हिचकी के लिए भी ग्राइप वॉटर का इस्तेमाल किया जाता है।
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क्या शिशु के लिए ग्राइप वॉटर सुरक्षित है
कई तरह के ग्राइप वॉटर होते हैं। शुगर और एल्कोहल युक्त ग्राइप वॉटर भी आता है। बहुत ज्यादा शुगर की वजह से दांतों में कीड़ा लग सकता है और इससे शिशु के दूध पीने में भी बदलाव आ सकता है।
आप ऐसे ग्राइप वॉटर को चुनें जो शिशु के लिए सुरक्षित हों। पैकेट पर लिखी गई सामग्रियों को अच्छी तरह से पढ़ने के बाद ही खरीदें। आप सोडियम बायोकार्बोनेट और पुदीना युक्त ग्राइप वॉटर भी दे सकते हैं।
सोडियम बायोकार्बोनेट या बेकिंग सोडा डॉक्टर की सलाह के बिना कोलिक बेबी को नहीं देना चाहिए। इससे शिशु के पेट में पीएच लेवल पर असर पड़ सकता है और शिशु में कोलिक के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
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पुदीना युक्त ग्राइप वॉटर शिशु में रिफलक्स के लक्षणों को बढ़ा सकता है। ग्लूटेन, डेयरी, पैराबींस और वेजिटेबल कार्बन युक्त ग्राइप वॉटर देने से भी बचना चाहिए।
आमतौर पर ग्राइप वॉटर शिशु के लिए सुरक्षित होता है लेकिन एक महीने से कम उम्र के शिशु को इसकी सलाह नहीं दी जाती है। इस उम्र तक शिशु के पाचन तंत्र का विकास हो रहा होता है।
शिशु को कब दें ग्राइप वॉटर
ग्राइप वॉटर के उत्पादक यह दावा करते हैं दो सप्ताह तक के शिशु को ग्राइप वॉटर दिया जा सकता है। हालांकि, एक महीने के होने तक शिशु को ग्राइप वॉटर नहीं देना चाहिए। कई लोगों का यह भी मानना है कि छह महीने तक के शिशु को ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क ही देना चाहिए।
इसलिए बेहतर होगा कि शिशु को ग्राइप वॉटर देने से पहले पीडियाट्रिशियन से बात कर लें। दूध पिलाने के लगभग दस मिनट बाद शिशु को ग्राइप वॉटर देना सही रहता है। आप चम्मच या ड्रॉपर से ग्राइप वॉटर दे सकती हैं।
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विषयसूची
ग्राइप वाटर बच्चों को कब से देना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंशिशु को कब दें ग्राइप वॉटर ग्राइप वॉटर के उत्पादक यह दावा करते हैं दो सप्ताह तक के शिशु को ग्राइप वॉटर दिया जा सकता है। हालांकि, एक महीने के होने तक शिशु को ग्राइप वॉटर नहीं देना चाहिए। कई लोगों का यह भी मानना है कि छह महीने तक के शिशु को ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क ही देना चाहिए।
ग्राइप वाटर पिलाने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंग्राइप वॉटर की मदद से शिशु के पेट में बन रही गैस बाहर निकल जाती है। इसमें मौजूद प्राकृतिक जड़ी बूटियां शिशु में गैस की शिकायत को दूर करने में मदद करती हैं। ये पाचन तंत्र को ठीक करता है और पेट दर्द से आराम दिलाता है। कई बार शिशु को हम ठोस आहार में कई ऐसी चीजें खिला देते हैं जिससे उसे गैस, एसिडिटी और पेट दर्द हो जाता है।
बच्चों को ग्राइप वाटर कैसे दिया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंशिशु के दूध पीने या खाने के करीब दस मिनट बाद आप उसे ग्राइप वाटर दे सकती हैं। इसको ड्रोपर या किसी चम्मच की सहायता से शिशु को दिया जा सकता है। इसका स्वाद अधिकांश शिशु को पंसद आता है और वह इसे पीने में किसी भी तरह की कोई आनाकानी नहीं करते हैं।
इसे सुनेंरोकेंग्राइप वॉटर के उत्पादक यह दावा करते हैं दो सप्ताह तक के शिशु को ग्राइप वॉटर दिया जा सकता है। हालांकि, एक महीने के होने तक शिशु को ग्राइप वॉटर नहीं देना चाहिए। कई लोगों का यह भी मानना है कि छह महीने तक के शिशु को ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क ही देना चाहिए।
डाबर ग्राइप वाटर क्या है?
इसे सुनेंरोकेंडाबर ग्राइप वाटर (Dabur Gripe Water) डाबर फार्मा लिमिटेड का एक ऐसा उत्पाद है जो जड़ी बूटियों का मिश्रण है और यह बच्चों में कोलिक, हवा और अपचन से राहत प्रदान करने का काम करता है। कोलिक एक ऐसी स्थिति है जो नवजात शिशुओं में बेचैनी और अनियंत्रित रोने का कारण बनती है।
बच्चों को ग्राइप वाटर पिलाने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंयह बच्चे की पाचन क्रिया को बेहतर कर उन्हें आराम देता है और गैस के साथ-साथ पेट की अन्य समस्याओं से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है। हालांकि, वैज्ञानिक शोध के अनुसार ग्राइप वाटर शिशु को देना सही नहीं है (1), लेकिन पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर शिशु को ग्राइप वाटर दिया जा रहा है।
बच्चों को ग्राइप वाटर कैसे दें?
ग्राइप वॉटर बनाने का तरीका
- एक पैन गैस पर रखें और उसमें पानी डालकर उबालें।
- एक सूती कपड़े में अदरक, कैमोमाइल, सौंफ और इलायची बांध लें।
- अब पानी की गैस बंद कर दें और उसमें बनाई गई पोटली को डाल दें।
- फिर पोटली को निकाल लें और इसमें कोकोनट शुगर, दालचीनी और लौंग डालें।
- यह मिश्रण तैयार होने के बाद एक सप्ताह तक चल सकता है।
2 मंथ बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे?
बच्चों में कब्ज दूर करने के घरेलू तरीके
- एक्सरसाइज मूवमेंट करने से शिशु की मल त्याग की क्रिया वयस्कों की तरह ही उत्तेजित होती है।
- सेब का रस बच्चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्ज हो सकती है।
- गर्म पानी से नहलाना
- ऑर्गेनिक नारियल तेल
- टमाटर
- सौंफ
- पपीता
- तरल पदार्थ
ग्राइप वाटर से क्या लाभ होता है?
2 महीने का बच्चा कितनी बार पॉटी करता है?
इसे सुनेंरोकेंकितनी बार पॉटी करता है नवजात शिशु? – frequency of baby poop in Hindi. आपका नवजात शिशु एक दिन में कितनी बार पॉटी करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा दिनभर में कितनी बार दूध पी रहा है। अगर बच्चा पूरी तरह से सिर्फ मां का दूध पीता है तो वह 1 दिन में 3 बार या फिर ज्यादा से ज्यादा 8 बार भी पॉटी कर सकता है।
2 महीने के बच्चे ki कब्ज हो तो क्या करें?
आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्ज को दूर कर सकते हैं.
- व्यायाम कराएं
- गुनगुने पानी से नहलाएं
- नारियल तेल का प्रयोग
- सौंफ का पानी
- तरल पदार्थ का सेवन
- मालिश जरूरी
- फल और सब्जियों की प्यूरी दें