सिर दर्द एक आम समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है. कुछ मामलों में सिर दर्द अन्य बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है. आमतौर पर सिर दर्द कुछ देर आराम करने से अपने आप ठीक हो जाता है. वहीं, कभी-कभी सिर दर्द अधिक होने पर दवाई भी लेनी पड़ सकती है. सिर दर्द के लिए बाजार में कई एलोपैथिक दवाएं उपलब्ध हैं. ऐसे में सिर दर्द से अधिक परेशान होने पर एसिटामिनोफेन या फिर एस्पिरिन का सेवन किया जा सकता है.
आज इस लेख में आप सिर दर्द होने पर ली जाने वाली एलोपैथिक दवाओं के बारे में जानेंगे -
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सिर दर्द में फायदेमंद एलोपैथिक दवाएं
व्यस्त जीवन शैली व तनाव जैसे कारणों की वजह से सिर दर्द की समस्या हो सकती है. इसके उपचार के लिए कई ओवर-द-काउंटर दवाएं उपलब्ध हैं. सिर दर्द की दवा 3 श्रेणियों के आधार पर ली जा सकती है जैसे - सिर के दर्द के लक्षणों को कम करने के आधार पर, सिर दर्द के कारणों के आधार पर और सिर का दर्द दिन में कितनी बार और कितनी तेज होता है. आइए, सिर दर्द की कुछ खास एलोपैथिक दवाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं -
एसिटामिनोफेन - Acetaminophen
एसिटामिनोफेन का प्रयोग हल्के या तेज सिर दर्द को कम करने के लिए किया जा सकता है. इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी शामिल हैं, जैसे इसका डायरेक्ट सेवन करने से ब्लड काउंट में बदलाव आ सकता है. साथ ही कुछ मामलों में लिवर डेमेज का रिस्क भी बढ़ सकता है.
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एस्पिरिन - Aspirin
एस्पिरिन दवा का प्रयोग भी सिर दर्द के इलाज के रूप में किया जा सकता है. इस दवाई को 19 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना चाहिए. इससे हार्ट बर्न, गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल, ब्लीडिंग, एयरवे का सिकुड़ना और एलर्जिक रिएक्शन जैसे साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं.
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फेनोप्रोफेन - Fenoprofen
फ्लर्बिप्रोफेन - Flurbiprofen
फ्लर्बिप्रोफेन दवा का प्रयोग टेंशन हेडैक व माइग्रेन आदि में किया जाता है. इसका सेवन करने से चक्कर आना, गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल अपसेट, अल्सर होना और देखने में थोड़ी समस्या होना जैसे साइड इफेक्ट्स देखने हो सकते हैं.
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इबूप्रोफेन - Ibuprofen
नेप्रोक्सेन - Naproxen
नेप्रोक्सेन दवा का सेवन हार्मोनल बदलाव के कारण होने वाले सिर दर्द, माइग्रेन और टेंशन से होने वाले सिर दर्द के इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसके साइड इफेक्ट्स में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अपसेट, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग, उल्टियां आना, जी मिचलाना व रैश होना आदि शामिल हैं.
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सिरदर्द मिटाने वाली दवाओं की ओवरडोज ही सिरदर्द की वजह
हेल्थ रिपोर्टर रांची
पेनकिलर की ओवरडोज लेने से किडनी और िलवर डेमेज होता है। पेनकिलर्स के बारे में ज्यादातर लोगों को यही मालूम हैं। लेकिन दर्द दूर करने के लिए ली जाने वाली दवाई भी दर्द की वजह बन रही हैं। इससे लोग अन्जान हैं। विशेष रूप से सिर दर्द में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां लंबे समय तक लेने पर सिर दर्द का कारण बन रही हैं। आजकल हैडेक एक सामान्य प्रॉब्लम बन चुका है। हल्का सा हैडैक होने पर लोग पेनकिलर ले रहे हैं। यह पेनकिलर उनकी रुटीन का हिस्सा बन चुकी है। लंबे समय तक रेगुलर ये पेनकिलर सीवियर हैडेक पैदा कर रही है। यह हैडैक बाद में दवाइयां लेने के बाद भी ठीक नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते लोगों की लाइफस्टाइल प्रभावित हो रही है। वहीं, न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी बढ़ रही है। यहीं नहीं, रुटीन में ली जाने वाली एलर्जी, एसिडिटी, नर्व पेन, ब्लड और शुगर मेडिसीन को ओवरयूज भी नुकसानदायक साबित हो रहा है।
माइग्रेन से ज्यादा खतरनाक हैडेकसिर दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह पर पेनकिलर लेना शुरू करते हैं। पेनकिलर से रिलीफ मिलने पर पेशेंट्स अपनी इच्छानुसार इन दवाइयों की फ्रीक्वेंसी बढ़ा देता है। जिसके चलते एक मात्रा से ज्यादा लगातार ये दवाइयां खाने से ये एक अलग तरह का हैडेक पैदा करती है। यह हैडैक माइग्रेन से अलग होता है। एक स्टडी में यह पाया गया कि आईब्रूफीन, कॉम्बिफ्लेम, नींबू स्लाइड जैसी पेनकिलर लंबे समय तक लेने से उन लोगों में भी हैडेक हो जाता है। जिन्हें कभी हैडेक हुआ ही नहीं था। यह हैडेक इतना तेज होता है कि यह किसी भी दवाई से ठीक नहीं होता है। क्योंकि पेशेंट्स पहले ही पेनकिलर खा चुके होते हैं। इस दर्द में ट्रीटमेंट करना मुश्किल हो जाता है। एेसे में, इन पेशेंट्स का ट्रीटमेंट करते हुए इन दवाइयों को बंद किया जाता है। पेशेंट्स का डिटॉक्सिफिकेशन किया जाता है। यानी बॉडी से पूरा टॉक्सिन निकाला जाता है। बिना पेन किलर उसका दर्द ठीक किया जाता है। इसके लिए लाइफस्टाइल में बदलाव, प्रणायाम और मेडिटेशन करवाया जाता है। इस दर्द को ठीक करने में तीन महीने का समय लगता है।
कौन-कौन सी मेडिसिन की ओवरडोज बढ़ाती है हैडेककॉम्बिफ्लेम, पैरासिटामोल, ब्रूफेन, निमुसलाइट, नेप्रोक्सीन।
कितने प्रकार का होता है हैडेकटेंशन हैडेक, क्लस्टर हैडेक, माइग्रेन, हॉर्मोनल हैडेक, कैफीन हैडेक, एलर्जी और साइनस हैडैक, प्राइमरी और सैकंडरी
तेज सिर दर्द का असरपेशेंट दिनभर कोई एक्टीविटी नहीं कर पाता है। वह दिनभर चिड़चिड़ा रहने के कारण सोता रहता है। सिर दर्द की गोली खाता है। फिर सिरदर्द बढ़ता है।
बचने के लिए क्या करेंसिंगल साल्ट की टेबलेट महीनेभर में 15 से कम खाएं। कॉम्बिनेशन वाले साल्ट की टेबलेट महीने में 10 से कम खाएं।
एक्सपर्ट पैनल : डॉ. सीबी सहाय, न्यूरोलॉजिस्ट, रिम्स, रांची, डॉ. जेके मित्रा फिजिशियन, रिम्स, रांची।
सिट्राजिन की ओवरडोज
ब्रेन को बना देती है डल
हैडैक के अलावा एसिडिटी, गैस, जुकाम और एलर्जी की दवाइयां भी रेगुलर खाते हैं। जुकाम और एलर्जी होने पर सिट्राजीन बार-बार खाते हैं। इस टेबलेट की ओवरडोज लेने पर पेशेंट्स को डलनैस महसूस होती है। वह हमेशा नींद में रहता है। इसके अलावा एसिडिटी की दवाइयां खाने से एसिड का सप्रेशन हो जाता है। पेशेंट्स पेट में हल्की सी जलन महसूस होने पर यह दवाइयां खाना शुरू कर देता है। इससे डाइजेशन के लिए जरूरी एसिड भी खत्म हो जाता है। पेट की स्किन सिकुड़ जाती है। जिसकी वजह से विटामिन बी 12 की कमी होती है। इसके साइडइफेक्ट्स चालू हो जाते हैं। वहीं, बिना डॉक्टर की सलाह हल्की सी जुकाम और खांसी में एंटीबॉयोटिक्स लेना भी नुकसानदायक है। ज्यादातर लोग एंटीबॉयोटिक्स का कोर्स पूरा नहीं कर पाते हैं। इससे रेजिस्टेंट्स डवलप होता है। डाइजेशन बिगड़ जाता है। इसिलए एंटीबॉयोटिक्स के ओवरयूज से बचे।