सुशासन का मतलब विकास सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी हो, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे चरितार्थ किया: शाह
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| Updated: Dec 25, 2021, 5:14 PM
नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार ने लोगों को अच्छा लगे इसके लिए कभी फैसले नहीं लिए बल्कि वही फैसले लिए जो लोगों के लिए अच्छे हों, भले ही उसके लिए उसे राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा हो। सुशासन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि देश लंबे समय से सुशासन का इंतजार कर रहा था और आखिरकार इसकी पूर्ति प्रधानमंत्री मोदी ने की। उन्होंने कहा, ‘‘लोग अक्सर कहा करते थे कि स्वराज तो हमें मिल गया लेकिन
सुशासन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि देश लंबे समय से सुशासन का इंतजार कर रहा था और आखिरकार इसकी पूर्ति प्रधानमंत्री मोदी ने की। उन्होंने कहा, ‘‘लोग अक्सर कहा करते थे कि स्वराज तो हमें मिल गया लेकिन सुराज कब मिलेगा...सुशासन कब मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि सुशासन की कमी की वजह से लोगों का लोकतांत्रिक व्यवस्था पर से विश्वास कम होता जा रहा था। उन्होंने कहा कि सुशासन को जमीनी स्तर तक पहुंचाकर प्रधानमंत्री मोदी ने
लोकतंत्र पर जनता का विश्वास बहाल किया है। शाह ने कहा कि लोगों को लगता है कि मोदी 2014 में सरकार चलाने के लिए सत्ता में नहीं आए हैं बल्कि एक साफ-सुथरी, पारदर्शी और कल्याकारी प्रशासन देने के लिए आए हैं और ऐसा करके उन्होंने देश की स्थिति ही बदल दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद लोकतंत्र पर लोगों का भरोसा बढ़ा है क्योंकि उन्हें मोदी सरकार की विकास योजनाओं के लाभ मिलने लगे।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2014 से पहले कई सरकारें बदलीं। कई सरकारें आईं और कई सरकारें गईं। लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो लोगों को लगा कि यह सरकार देश को बदलने आई है ना कि सरकार चलाने।’’
शाह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने वोट बैंक को सामने रखते हुए कुछ निर्णय लिए लेकिन ‘‘नरेंद्र मोदी सरकार लोगों को अच्छा लगे, ऐसे फैसले नहीं लेती है बल्कि लोगों के लिए अच्छे हों, ऐसे फैसले लेती है। यह एक बहुत बड़ा अंतर है। कुछ निर्णयों से आपकों कुछ समय के लिए लोकप्रियता तो हासिल हो जाती हैं लेकिन समस्याएं समाप्त नहीं होतीं।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी ने सभी को साथ लेकर सुशासन को साकार करने दिशा में प्रयास किए।
सुशासन की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की अपेक्षा है कि विकास का जो मॉडल हो सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशक हो और देश का कोई क्षेत्र ऐसा ना हो जिसमें विकास का स्पर्श ना होता हो तथा समाज का कोई व्यक्ति ऐसा ना हो जिसका विकास के मॉडल में समावेश ना हो।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को सुशासन के मंत्र से अपेक्षा है कि एक सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी विकास हो...संपूर्ण भ्रष्टाचार का उन्मूलन हो...पारदर्शी शासन व्यवस्था हो और मूलभूत समस्याओं का समाधान करने के लिए निष्ठावान प्रयास हो।’’
उन्होंने कहा कि सुशासन तभी स्थापित होता है जब सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह और उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सारे प्रयास ऐसे होने चाहिए जिससे कि लोगों का सरकार पर विश्वास और सरकार का लोगों पर विश्वास बढ़े।’’
शाह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पिछले सात सालों में भ्रष्टाचार पर एक बहुत बड़ा कुठाराघात किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘सात साल सरकार में रहने के बाद भी हम विश्वास से कहते हैं कि यह एक ऐसी सरकार है जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है और ना ही कोई यह आरोप लगा सकता है।’’
शाह ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले इस देश मे 60 करोड़ लोग ऐसे थे, जिनके परिवार में एक भी बैंक खाता नहीं था और किसी के घर में बिजली नहीं थी तो किसी के पास घर ही नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘10 करोड़ से ज्यादा परिवार ऐसे थे, जिनके पास शौचालय ही नहीं था लेकिन एक ही सरकार के सात साल के कालखंड में कृषि का भी विकास हुआ है, औद्योगिक विकास भी हुआ है, गांवों में भी विकास हुआ है और शहरों में भी विकास हो रहा है, देश की सीमाएं भी सुरक्षित हुई हैं और पूरे विश्व के साथ हमने संबंध भी अच्छे किये हैं।’’
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सुशासन क्या होता है / What is Good Governance in Hindi
Good Governance
सुशासन ( Good Governance) से तात्पर्य एक ऐसे वातावरण से है – जिसमें सभी नागरिक, चाहे वह किसी भी वर्ग , जाति या समुदाय से आते हो , चाहे वह किसी लिंग के ही क्यों न हो, सभी अपनी पूर्ण क्षमता का विकास कर सकें ।
भारत में सुशासन ( Good Governance) की संकल्पना प्राचीन भारत से ही दृष्टिगोचर होती है । आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में सुशासन के विषय में राजा के गुणों का वर्णन किया है ।
उनके अनुसार –
“अपनी प्रजा की खुशी में उसकी खुशी होती है , उनके कल्याण में अपना कल्याण समझता है। जिससे उसे खुद को खुशी मिलती है , उसे वह अच्छा नहीं समझता।
किंतु जिस किसी भी बात से प्रजा को खुशी होती है , उसे वे उत्तम समझता है। “
आचार्य चाणक्य के ये कथन सुशासन ( Good Governance) की संकल्पना को परिभाषित करते हैं। ऐसा शासन जहाँ जनता के कल्याण या सुख को ऊपर रखा जाता हैं।
महात्मा गांधी की “सु-राज”की संकल्पना भी सुशासन की संकल्पना ( Good Governance) ही है।
सुशासन को अच्छे से समझने के लिए सुशासन के मूलभूत तत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है।
सुशासन ( Good Governance) के आठ मूलभूत तत्व माने जाते हैं :
1. जवाबदेही
2. पारदर्शिता
3. प्रतिक्रियाशीलता
4. समता पूर्व समावेशी
5.प्रभावी और कुशल
6. कानून के शासन का पालन
7. भागीदारी पूर्ण
8. सर्वसम्मति उन्मुख
भारत में सुशासन ( Good Governance) के समक्ष अनेक चुनौतियां मौजूद है। जैसे कि –
1. राजनीति का अपराधीकरण:
राजनीति का अपराधीकरण एक मुख्य समस्या हैं ,जिसके कारण सुशासन की संकल्पना को जमीनी स्तर पर लाने में समस्या उत्पन्न होती है । एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव में बने सांसदों में लगभग 43% पर आपराधिक मुकदमे चल रहे है।
2. भ्रष्टाचार:
ये एक ऐसी समस्या है जो शासन प्रशासन के प्रत्येक स्तर पर अपनी जड़ जमा चुकी हैं। भ्रष्टाचार के कारण अनेक कल्याणकारी योजनाएं अपने वास्तविक स्वरूप में जनता तक नहीं पहुंच पाती हैं तथा जिस कारण जनकल्याणकारी हित में बाधा उत्पन्न होती हैं। भ्रष्टाचार के कारण ही कहीं ना कहीं जनभागीदारी में भी बाधा उत्पन्न होती है।
3. लैंगिक समानता:
सुशासन में सभी वर्गों के कल्याण की संकल्पना की गई है। जिसमें लैंगिग असमानता को समाप्त करते हुए पुरुष और महिला सभी के कल्याण की बात की गई है। परंतु भारत में 21वीं सदी में भी अनेक क्षेत्रों में लैंगिग असमानता बड़े स्तर पर व्याप्त है। जिस कारण सुशासन की संकल्पना को असली चेहरा सुनिश्चित करने के लिए बाधा उत्पन्न होती है।
4. न्याय में देरी:
भारत में न्यायपालिका पर अत्यधिक भार मौजूद है और कहीं ना कहीं न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और अन्य बाहरी हस्तक्षेप के कारण न्याय में देरी होती है। जिस कारण सुशासन को सुनिश्चित करने में एक बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है। यह कहा भी जाता है कि न्याय में देरी अन्याय के समान ही है। अगर न्याय देर से किया जाए तो उस न्याय की कोई महत्व नहीं रहती है। तब तक एक निर्दोष व्यक्ति अनेक कष्टों को सहन कर चुका होता है।
5. हिंसा की बढ़ती घटनाएं:
विकास की पहली सीढ़ी के रूप में शांति और सामाजिक व्यवस्था को देखा जाता है। जिस क्षेत्र में या राज्य में या देश में हिंसक घटनाएं समय-समय पर होती रहती है। वह देश विकास में पिछड़ जाता है। जिससे सुशासन को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने में बाधा उत्पन्न होती है।
6 . जागरूकता का अभाव:
जागरूकता के अभाव के कारण आम जनता अपने हितों को नहीं समझ पाती है। और जान कल्याण के लिए उपयुक्त माध्यमों से बहुत दूर हो जाती है। जागरूकता का अभाव भी जनकल्याणकारी योजनाओं के सफलता में बाधा उत्पन्न करता है।
7. जवाबदेही का भाव:
शासन प्रशासन में जवाबदेहिता के अभाव के कारण भी सुशासन को सुनिश्चित करने में एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। यह आवश्यक है कि प्रशासन में मौजूद कर्मचारियों की जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाए । जिससे वह जनकल्याणकारी कार्यों को कर्तव्य पूर्वक निभाने में अपना योगदान दे सकें।
भारत में सुशासन स्थापित करने हेतु अनेक पहल या कार्य किए गए हैं जो इस प्रकार हैं:
- सूचना का अधिकार
- ई गवर्नेंस
- कानूनी सुधार
- इज ऑफ डूइंग बिजनेस
- विकेंद्रीकरण
- पुलिस सुधार
- कानून का शासन
- शिकायत निवारण तंत्र
- प्रक्रिया का सरलीकरण करना
प्रधानमंत्री की संकल्पना “सबका साथ सबका विकास
सबका विश्वास” सुशासन पर ही आधारित है। हमारे देश ने समय के साथ साथ अनेक ऐसे कार्य या पहले की है । जिनसे सुशासन को प्राप्त किया जा सके।
सुशासन को प्राप्त करने के लिए जनता की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। अतः यह आवश्यक है कि जनता को अपनी जागरूकता का स्तर बढ़ाकर प्रशासन शासन व्यवस्था में बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। ग्रामीण जनता के पास पंचायती राज अधिनियम के माध्यम से स्थानीय स्वशासन का अधिकार प्राप्त है। स्थानीय स्वशासन की संकल्पना को पूर्णरूपेण दिशा देने के
लिए यह आवश्यक है कि स्थानीय नागरिक जागरूकता के साथ स्थानीय शासन में भागीदारी सुनिश्चित करें।
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