सत्ता की साझेदारी
सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।
भारत में सत्ता की साझेदारी
हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एक सरकार का चुनाव किया जाता है। फिर चुनी हुई सरकार अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करती है, जैसे रोजमर्रा का शासन चलाना, नये नियम बनाना, पुराने नियमों का संशोधन करना, आदि।
लोकतंत्र में जनता ही हर तरह की राजनैतिक शक्ति का स्रोत होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं। ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान मिलता है। जन नीतियों का निर्माण करते समय हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा संभवत: अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।
सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
- समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये
- बहुसंख्यक के आतंक से बचने के लिये
- लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिये
ऊपर दिये गये पहले दो कारण हैं, समझदारी भरे कारण, और अंतिम कारण है सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण।
सत्ता की साझेदारी के रूप:
शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा: सत्ता के विभिन्न अंग हैं; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इन अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से ये अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इस तरह के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज बँटवारा कहते हैं।
इस तरह के बँटवारे से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी एक अंग के पास असीमित शक्ति नहीं रहती है। इससे विभिन्न संस्थानों के बीच शक्ति का संतुलन बना रहता है।
सत्ता के उपयोग का अधिकार कार्यपालिका के पास होता है, लेकिन कार्यपालिका संसद के अधीन होती है। संसद के पास कानून बनाने का अधिकार होता है, लेकिन संसद को जनता को जवाब देना होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र रहती है। न्यायपालिका यह देखती है कि विधायिका और कार्यपालिका द्वारा सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है।
विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा: भारत एक विशाल देश है। इतने बड़े देश में सरकार चलाने के लिए सत्ता की विकेंद्रीकरण जरूरी हो जाता है। हमारे देश में सरकार के दो मुख्य स्तर होते हैं: केंद्र सरकार और राज्य सरकार। पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होती है, तथा गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी राज्य सरकारें लेती हैं। दोनों के अधिकार क्षेत्र में अलग अलग विषय होते हैं। कुछ विषय साझा लिस्ट में रहते हैं।
सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: हमारे देश में विविधता भरी पड़ी है। इस देश में अनगिनत सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूह हैं। इन विविध समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा जरूरी हो जाता है। इस प्रकार के बँटवारे का एक उदाहरण है, समाज के पिछ्ड़े वर्ग के लोगों को मिलने वाला आरक्षण। इस प्रकार के आरक्षण से पिछ्ड़े वर्ग का सरकार में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है।
विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा:राजनैतिक पार्टियों के बीच सत्ता का बँटवारा: सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी या सबसे बड़े राजनैतिक गठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिलता है। इसके बाद जो पार्टियाँ बच जाती हैं, उनसे विपक्ष बनता है। विपक्ष की जिम्मेदारी होती है यह सुनिश्चित करना कि सत्ताधारी पार्टी लोगों की इच्छा के अनुरूप काम करे। इसके अलावा कई तरह की कमेटियाँ बनती हैं जिनके अध्यक्ष और सदस्य अलग-अलग पार्टियों से होते हैं।
दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: एसोचैम, छात्र संगठन, मजदूर यूनियन, आदि विभिन्न प्रकार के दबाव समूह हैं। इन संगठनों के प्रतिनिधि कई नीति निर्धारक अंगों का हिस्सा बनते हैं। इससे इन दबाव समूहों को सत्ता में साझेदारी मिलती है।
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- NCERT प्रश्नोत्तर
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सत्ता के बंटवारे को उदाहरण सहित समझाओ ।
सत्ता के उत्तर-
- क्षैतिज वितरण (सरकार - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच के अगों] - भारत ।
- ऊर्ध्ज्ञाधर वितरण । (केंद्रीय स्तर, राज्य स्तर पर और क्षेत्रीय स्तर के बीच) - भारत ।
- विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बंटवारा । (सामुदायिक सरकार, [बेलिजयम] महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें) - भारत ।
- विभिन्न राजनीतिक दलों, दबाव समूहों और आंदोलनों - सत्ता का बंटवारा ।
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या है? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी देंl
आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके निमनलिखित है-
(i) सरकार के तीन अंग के बीच सत्ता की साझेदारी- लोकतंत्र की सफलता के लिए शासन के तीन अंगों के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है ताकि कोई भी अंग अपनी शक्तियों का अनुप्रयोग न कर सकेl विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका शासन के तीन अंग हैl हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता हैl इस प्रकार संतुलन बना रहता हैl उदाहरण के लिए कानून और अधनियम विधायक द्वारा बनाए और पास किए जाते है इनका कार्यान्वयन कार्यपालिका करती है और न्यायपालिका कानून को तोड़ने वालों को दंडित करती हैl
(ii) विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा- सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा हो सकता हैl हर प्रान्त या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार स्थापित हैl उदाहरणार्थ भारतीय संविधान में केंद्र तथा राज्य सरकारों की शक्ति को अलग-अलग सूचियों में बांट दिया गया हैl
(iii) विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा- सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूह अर्थात् भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता हैl बेल्जियम में इसका उदाहरण हैl
(iv) राजनीतिक दलों, दबाव समूह तथा आंदोलन के बीच सत्ता का बँटवारा- लोकतंत्र में व्यपारी, उद्योगपति, किसान आदि जैसे समूह भी सक्रीय रहते हैl लोकतांत्रिक व्यवस्था में कई बार एक दल को बहुमत न मिलने पर कुछ दल मिलकर गठबंधन सरकार बना लेते हैl उदाहरण के लिए भारत में भी 1999-2004 मिली-जुली सरकार का बोला था, इसी तरह डेनकामार्क में अनेक राजनितिक दल है जो सत्ता का बँटवारा कर सरकार चलाते हैl
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भारतीय सन्दर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
भारतीय सन्दर्भ में सत्ता की साझेदारी में युक्तिपरक कारण समझदारी या तर्क के सिद्धांत पर कार्य करता है जबकि नैतिक तत्व सत्ता के बँटवारे के महत्व को
बतलाता है। युक्तिपरक कारण शक्ति विभाजन के लाभों पर बल देती है और नैतिक कारण वास्तविक शक्ति विभाजन की योग्यता पर बल देते हैं।
युक्तिपरक कारण- भारत एक लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में सत्ता का बँटवारा सामाजिक समूहों के बीच टकराव को कम करता है। भारत में अनेक सामाजिक समूह भाषा, क्षेत्र, लिंग, धर्म, सामाजिक स्तर बांटे जा सकते है। अतः सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष को रोकने के लिए सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की भागीदारी लाभकारी है। इसे सत्ता की भागीदारी का
बौद्धिक दृष्टिकोण का कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि संविधान निर्माण के समय तीन भाषाई फार्मूला विद्यार्थियों पर लागू न कर सभी पर हिंदी भाषा को जबरदस्ती थोप दिया जाता, तो भारत के अनेक भागो में हिंसात्मक आंदोलन चलते रहते परन्तु वर्तमान में भारत के सभी लोग स्वेच्छा से हिंदी, अंग्रेजी, क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ यूरोपीय भाषा भी सीख रहे है।
नैतिक कारण- लोकतंत्र में वह सरकार वैधानिक होती है जिसमे सभी लोग व्यवस्था से जुड़े होते है। सरकार लोकतंत्र को उदारवादी बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयत्न करती है। कानून इस तरह बनाए जाते है जिससे की किसी की भी धार्मिक आस्था और विश्वासों को ठेस न पहुँचे। प्राचीन वर्गों को राजनितिक प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। जिन्हें अभी तक राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता रहा है। सत्ता की भागीदारी का यह दृष्टिकोण नैतिक दृष्टिकोण कहलाता है।
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सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और
नीचे दिए गए कोड के आधार पर जवाब दे:
(अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
(ब) इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है।
इस बयानों में कौन सही है और कौन गलत?
(क) | अ सही है लेकिन ब गलत है। |
(ख) | अ और ब दोनों सही हैं। |
(ग) | अ और ब दोनों सही हैं। |
(घ) | अ गलत हैं लेकिन ब सही है। |
(ख), अ और ब दोनों सही हैं बाकी गलत है, क्योंकि ये दोनों बयान लोकतंत्र में सत्ता की भागेदारी का समर्थन करते हैं।
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बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझीदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:
(क) बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषीय अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
(ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषा बहुसंख्यकों
का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोजगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन-से सही हैं?
(सा) क, ख, ग और घ
(रे) क, ख और घ
(गा) ग और घ
(गा) ग और घ
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सूची I [सत्ता के बँटवारे के स्वरुप] और सूची II [शासन के स्वरूप] में मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें:-
सूची I | सूची II |
1. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा | (क) सामुदायिक सरकार |
2. विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों का बँटवारा | (ख) अधिकारों का वितरण |
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी | (ग) गठबंधन सरकार |
4. दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी | (घ) संघीय सरकार |
1 | 2 | 3 | 4 | |
(सा) | घ | क | ख | ग |
(रे) | ख | ग | घ | क |
(गा) | ख | घ | क | ग |
(मा) | ग | घ | क | ख |
सूची I | सूची II |
1. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा | (ख) अधिकारों का वितरण |
2. विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों का बँटवारा | (घ) संघीय सरकार |
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी | (क) सामुदायिक सरकार |
4. दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी | (ग) गठबंधन सरकार |
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