हेल्थ डेस्क: आपने बंजर नदी या फिर पार्क, खाली जगह या जंगल में कई कटीले पौधे देधें होगे। उसमें आपने कभी एक पीले रंग के फूल वाला पौधा देखा है। जिसके पूरे पेड़ में कांटे होते है। उसे आप बेकार समझकर काट देते है या फिर अनदेखा कर देते है। लेकिन आप ये बात बात नहीं जानते है कि वह पौधा बहुत ही कमाल का होता है। इस पौधे को 'सत्यानाशी' पौधे के नाम से जाना जाता है। अब आप सोच रहे होगे कि इसका ऐसा नाम है तो मतलब ये सब काम बेकार ही करता है। लेकिन ऐसा नहीं है इस सत्यनाशी पौधे का मतलब है कि सभी रोगों का नाश करना।
आर्युवेद की बात करें तो यह बहुत ही फायदेमंद औषधि मानी जाती है। इसके बीजों का इस्तेमाल कर आप कई बीमारियों से खुद का बचाव कर सकते है। इसके बीज बिल्कुल सरसों के दानों के बराबर होते है। इसके अलाला इसके फूल भी फायदेमंद है। (पेपर टॉवल से भी ज्यादा सेहत के लिए खतरनाक है जेट-एयर ड्रायर, जानें क्यों )
सत्यानाशी पौधे को कई नामों से जाना जाता है। जैसे स्वर्णक्षीरी, कटुपर्णी, पीला धतूरा, दारुड़ी आदि नामों से जाना जाता है। जानिए यह कैसे है औषधि का वरदान।
Argemone Mexicana Plant
सत्यानाशी पौधा इन बीमारियों से दिलाएं निजात
यह पौधा कई रोगों में दवा का काम करता हैष इसकी पत्तियों का इस्तेमाल मलेरिया बुखार, अल्सर और स्किन संबंधी समस्याओं में किया जाता है। वहीं जड़ का इस्तेमाल यूरिन संबंधी समस्याओं के साथ स्किन संबंधी रोगों से निजात दिलाने में किया जाता है। (अक्षय कुमार जिम न जाकर यूं रखते हैं खुद को इतना फिट, जानें उनका फिटनेस सीक्रेट )
इसके अलावा इसका रस पोलियो, मोतियाबिंद, आंखो की लालिमा, अस्थमा जैसे रोगों से बचाव करती है।
दिलाएं पीलिया से निजात
इसमें ऐसे गुण पाएं जाते है। जो कि आपको पीलिया से निजात दिला सकता है। इसलके लिए एक चम्मच सत्यानाशी तेल और गिलोय को रस को अच्छी से मिलाकर पी लें। इससे आपको लाभ मिलेगा।
ब्रोन्कियल अस्थमा में फायदेमंद
यह पौधा इस प्रकार के अस्थमा में काफी फादेमंद है। इसके लिए सत्यानाशी पौधे की
जड़, पानी या दूध और स्वादानुसार चीनी डालकर इसका सेवन करें। इससे फायदा मिलेगा। इसमें ऐसे से गुण पाएं जाते है। जो कि आपको अस्थमा और खांसी की समस्या से निजात दिला सकते है। इसलिए लिए सत्यानाशी का रस 500 मिली लें और इसे उबालों। जब ये गाढ़ा हो जाएं को इसमें 600 ग्राम गुड़ और 20 ग्राम राल डालकर मिक्स कर लें। इसके बद इनकी गोलियां बना लें। दिन में 3 बार पानी के साथ 1-1 टेबलेट का सेवन करें। इससे अस्थमा में फायदा मिलेगा।
Argemone Mexicana Plant
नपुसंकता को करें दूर
पुरूषों और महिलाओं दोनों की अन्दुरूनी गुप्त बीमारी नपुंसकता, धातुरोग, वीर्य कमजोरी, शुक्राणुओं की गड़बड़ी और
निसंतान कलंक दूर करने में सत्यनाशी पौधा एक अचूक प्राचीनकालीन औषधि है। महिलाओं पुरूर्षों के गुप्त रोगों में सत्यनाशी के फूल रस, पत्तियों का रस आधा चम्मच सुबह शाम कच्चे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। पुरूर्षों महिलाओं के लिए सत्यनाशी लिबिडो बढ़ाने में सहायक होता है।
स्किन संबंधी रोग
अगर आप किसी स्किन संबंधी समस्या से परेशान है तो इसका इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए सत्यानाशी तेल, सत्यानाशी रस और सत्यानाशी दूध को अच्छे से मिला लें। इसके बाद पुराने फोड़े, खुजली वाली जगह
पर लगा लें।
खांसी से दिलाएं छुटकारा
मुंह में छाले होने पर सत्यनाशी के कोमल डंठल और पत्तियां चबानी चाहिए। और कुछ देर बाद थोड़ा दही और चीनी खाने से मुंह के छालों में तुरंत रहत मिलती हैं।
कब्ज से दिलाएं निजात
गैस कब्ज समस्या में सत्यनाशी जड़ और अजवाइन उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। रोज सुबह शाम सत्यनाशी काढ़ा पीने से गैस कब्ज की समस्या मात्र 10-15 दिनों में ठीक करने में सहायक है।
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सत्यानाशी के पौधे का उपरी भाग : तना, पत्तियाँ, फूल, फल और कांटे
सत्यानाशी के पका और सूखा फल
सत्यानाशी का पुष्प, पास से देखने पर
भड़भाड़, सत्यानाशी या घमोई (वानस्पतिक नाम:Argemone mexicana) एक अमेरिकी वनस्पति है, लेकिन भारत में यह सब स्थानों पर पैदा होती है। सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से स्वर्ण सदृश, पीतवर्ण (पीले रंग) का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है। सत्यानाशी का फल चौकोर, कांटेदार, प्याले-जैसा होता है, जिनमें राई की तरह छोटे-छोटे काले बीज भरे रहते हैं, जो जलते कोयलों पर डालने से भड़भड़ बोलते हैं। उत्तर प्रदेश में इसको भड़भांड़ या भड़भड़वा भी कहते है। अवधी में इसे कुटकुटारा कहते है। इस वनस्पति के सारे अंगों पर कांटे होते है। आयुर्वेदिक ग्रंथ 'भावप्रकाश निघण्टु' में इस वनस्पति को स्वर्णक्षीरी या कटुपर्णी के नाम से लिखा है[1]।
इसके बीज जहरीले होते हैं। कभी-कभी सरसों में इसे मिला देने से उसके तेल का उपयोग करने वालों की मृत्यु भी हो जाती है। इसके बीज मिली हुई सरसों के तेल के प्रयोग करने वालो को पेट की झिल्ली ( पेरिटोनियम ) में पानी भरने का एक रोग एपिडेमिक ड्रॉप्सी भी हो जाता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम[संपादित करें]
अंग्रेजी में | Argemone mexicana (Mexican poppy, Mexican prickly poppy, flowering thistle, cardo or cardosanto) |
संस्कृत में | कटुपर्णी, कान्चक्षीरी, स्वर्णक्षीरी, पीतदुग्धा |
हिंदी में | भड़भांड, सत्यानाशी, कुटकुटारा, पीला धतूरा, फिरंगी धतूरा, तिल्मखार, स्याकांटा |
मराठी में | मिल धात्रा, काटे धोत्रा 'बिलायत' |
गुजराती में | दारूड़ी |
पंजाबी में | सत्यानाशी, कटसी, भटकटैया करियाई |
बंगाली में | शियालकांटा, सोना खिरनी |
तमिल में | कुडियोटि्ट, कुश्मकं |
राजस्थान में | कण्टालियो घास |
सत्यानाशी से विविध रोगों का उपचार[संपादित करें]
व्रण/घाव तथा त्वचारोगों में सत्यानाशी का प्रयोग
सत्यानाशी के पत्ते का रस/दूध कीटाणुनाशक एवं विषाणु नाशक होता है।
इसके रस को लगाने से किसी भी प्रकार का घाव ठीक है जाता है । पुराने से पुराना घाव भी ठीक करने में यह समर्थ है।
आयुर्वेद में तथा भारतीय समाज में इसका प्रयोग कुष्ठ रोगों में किया जाता रहा है ।
यह इतना गुणी पौधा है कि कितना भी पुराना घाव हो या दाद, खाज, खुजली हो उसे चुटकियों ठीक कर देता है। यह बांझपन में भी उपयोगी है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- भटकटैया
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ सत्यानाशी Archived 2017-12-01 at the Wayback Machine- वेब दुनिया (अभिगमन तिथि शुक्रवार, 24 नवंबर 2017)