सिंधु घाटी सभ्यता के नष्ट होने के क्या कारण थे? - sindhu ghaatee sabhyata ke nasht hone ke kya kaaran the?

क्या आप जानते हैं हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या-क्या कारण थे

हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक है।1800 ई० पू० के आस-पास हड़प्पा सभ्यता के पतन के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगे थे। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस सम्बन्ध में अब भी मतभेद बना हुआ है। इस लेख में हमने हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों को के बारे में बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

Do you know the causes of decline of the Harappan Civilisation HN

हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक है।1800 ई० पू० के आस-पास हड़प्पा सभ्यता के पतन के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगे थे। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस सम्बन्ध में अब भी मतभेद बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण हडप्पा सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। 

ज्यादातर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप से हुआ, हालाकि इस सभ्यता का विकास नदी के घाटी में ही हुयी थी तो बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है। वही कुछ और विद्वानो का कहना है की केवल बाढ़ इतनी विशाल सभ्यता का पतन का कारण नहीं हो सकती। इसलिए बाढ़ के अलावा और भी कारणों जैसे - आग लग जाना, महामारी, बाहरी आक्रमण आदि का समर्थन कुछ विद्वान करते हैं।

फिर भी तर्कसंगत लगता है कि पहले तो यहाँ बाढ़ का प्रकोप हुआ होगा, जिसमें भारी जान-माल की हानि हुई होगी, उसके बाद मृतको के शवों के सड़ने व अन्य कारणों से महामारी फैली गयी होगी तथा खाद्य सामग्री का अभाव हो गया होगा जिससे बचे हुए अधिकांश लोग भी मर गये होंगे तथा कुछ लोग सुदूर स्थानों पर चले गये होंगे।

सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थलों की सूची

हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में विभिन्न विद्वानों का विभिन्न राय

विचारक (विद्वान)

विचार (मान्यता)

स्टुअर्ट, पिगॉट और गॉर्डन-चाइल्ड

बाहरी आक्रमण (आर्यन आक्रमण)

एम.आर साहनी

जलप्लावन (बाढ़)

के.वी.आर केनेडी

महामारी

मार्शल और रायक्स

भू-तात्विक परिवर्तन (Tectonic Disturbances)

ऑरेल स्ट्रेन और ए.एन घोष

जलवायु परिवर्तन

वाल्टर फेयरसर्विस

वनों की कटाई, संसाधनों की कमी, पारिस्थितिकीय असंतुलन

मार्शल, एस.आर राव और मैकी

बाढ़

जी.एफ हेल्स

घाघगर नदी के बहाव में परिवर्तन के कारण विनाश।

व्हीलर

अपनी किताब प्राचीन भारत में उन्होंने उल्लेख किया है कि सभ्यता का पतन वास्तव में बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक और राजनीतिक पतन ही मुख्य कारण था।

जॉर्ज डेल्स

'द मिथिकल नरसंहार ऐट मोहन जोदड़ो' में व्हीलर की घुसपैठ के सिद्धांत को नकारते हुए उन्होंने  तर्क दिया है कि पाए गए कंकाल हड़प्पा काल से संबंधित नहीं थे और समाधी या दफ़न करने का तरीका हड़प्पा काल से मिलता नहीं है।

हड़प्पा सभ्यता के पतन में निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तनों से प्रमाणित की जा सकती है:

1. मुहरों, लिपि, विशिष्ट मोती और मिट्टी के बर्तनों की अनुपस्थिति।

2. स्थानीय वजन के उपयोग के लिए मानकीकृत वजन प्रणाली में बदलाव।

3. घर निर्माण तकनीक में बदलाव और बड़े सार्वजनिक ढांचे निर्माण में गिरावट।

4. पक्की ईंटों के बदले पुनः कच्चे ईंटों का प्रयोग प्रारम्भ हो गया था। कुल मिलाकर केन्द्रीकृत ढांचे का पतन होना।

खुदार्इ के दौरान मिले तथ्यों से ही विद्वानों ने इसके पतन के कुछ कारण अनुमानों के आधार पर निकाले है और इसके इलावा कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है की कैसे वैभवशाली हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ था।

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सिंधु या हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण 

harappa sabhyata ke patan ke karan;सिंधु या हड़प्पा सभ्यता का अन्त कब  क्यों, और कैसै हुआ? इस विषय मे संतोषजनक उत्तर देना अत्यंत कठिन है। इस संस्कृति के विघटन एवं विनाश की समस्या बड़ी जटिल है। अभी तक इसका कोई संतोषजनक उत्तर पुरातत्वविद नही दे सके है। 

जिस प्रकार हड़प्पा की नगर सभ्यता के प्रादुर्भाव या उसकी उत्पत्ति के बारे मे विद्वानों मे मतभेद है, उसी तरह उसका अंत भी दुर्बोध, अस्पष्ट तथा मूढ़ है और उसने विद्वानों को जिज्ञासा की एक पहेली मे डाल रखा है।

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निश्चित साक्ष्यों के अभाव मे इस सभ्यता के अंत के लिए विभिन्न प्रकार के अनुमान विद्वानों ने लगाये है। इन विभिन्न अनुमानों मे कौन सा सही है और कौन सा गलत है? यह निर्धारित करना सरल नही है और न यह बताना संभव है कि इनमे से कौन कितनी मात्र मे उत्तरदायी था। विभिन्न इतिहासकारों ने सिन्धु सभ्यता के पतन के विषय मे अनुमान द्वारा तर्क प्रस्तुत किये है, जिनका वर्णन इस प्रकार है--

1. आर्यों का आक्रमण 

बहुत से विद्वानों का यह मानना है कि आर्यों के आक्रमण से यह सभ्यता नष्ट हुई होगी। कुछ व्यक्तियों के ऐसे अस्थिपंजर मिले है जिन पर पर आक्रमण साफ स्पष्ट होता है। तीन सेमिट्रीज (cemetries)- आर. 37, एच-12 तथा एच 1 से यह स्पष्ट होता है कि अन्तिम सेमिट्री (अर्थात् एच-I) आर्यों की थी। अतः भूतत्व विज्ञान का आधार पर ऐसा स्पष्ट होता प्रतीत होता है कि आर्यों ने इस सभ्यता को नष्ट किया। 

2. जल प्लावन 

प्रसिद्ध भूगर्भशास्त्री साहनी का विचार है कि सिंधु सभ्यता के विनाश का प्रमुख कारण जल प्लावन था। इस समय सम्भवतः रावी एवं सिंधु नदी के प्रवाह की दिशा मे परिवर्तन होने अथवा बाढ़ आने से ऐसा हुआ होगा। मार्शल, मौके और एस. आर. राव का यह मत भी यही है। 

3. भूकम्प 

डेल्स, लेम्ब्रिक तथा राइक्स का मत है कि सम्भवतः किसी शक्तिशाली भूकम्प के द्वारा इस सभ्यता का विनाश हुआ होगा।

4. संक्रामक रोग 

कुछ ने मलेरिया जैसे रोग के बड़े पैमाने पर फैलने पर लोगो का स्वास्थ्य गिर जाने की संभावना व्यक्त की है और कुछ ने तो कंकालों की हड्डीयों का अध्ययन कर मत व्यक्त किया है कि मलेरिया के कारण हड्डियों का ठीक-ठीक विकास नही पाया था। इतिहास मे ऐसे प्रमाण मिलते है जब पूरी की पूरी बस्तियों को ऐसे रोगों ने अपने प्रभाव से उजाड़ दिया हो।

5. जनसंख्या मे वृद्धि 

इसके अलावा सिंधु सभ्यता के पतन के सम्बन्ध मे यह भी कहा जाता है कि जनसंख्या मे वृद्धि होने से आय मे कमी हो गई। अतः यहाँ के लोग कहीं और चले गए तथा उनकी सभ्यता बेआश्रित ही नष्ट हो गई। परन्तु इस कथन की कोई प्रामाणिकता नही है।

6. जलवायु मे परिवर्तन 

कुछ विद्वानों यह मानते है कि जलवायु मे परिवर्तन होने के कारण इस सभ्यता का विनाश हुआ। लेकिन रक्स (Raikes) डायसन, जूनियर (Dyson, Je.) फेअरसर्विस (Fairservice) आदि विद्वानों का मत है कि कोई ऐसा जलवायु मे परिवर्तन नही हुआ जिसके कारण सिंधु घाटी सभ्यता नष्ट हुई। 

7. राजनीतिक एवं आर्थिक विघटन 

कुछ इतिहासकारों का विचार है कि सिंधु सभ्यता का विनाश (पतत) तत्कालीन राजनीतिक एवं आर्थिक विघटन के कारण हुआ। सिन्धु सभ्यता तथा मैसोपोटामिया से प्राप्त साक्ष्यों से पता चलता है कि अन्तिम चरण मे सिंधु सभ्यता का विदेशों से व्यापार अत्यंत कम हो गया था। यह इस बात का द्योतक है कि सिंधु सभ्यताकालीन समाज का अन्तिम दिनों मे कुशल नेतृत्व प्राप्त नही था। वैदेशिक व्यापार कम होने पर स्वाभाविक था कि तत्कालीन समाज पर दुष्परिणाम पड़ता।

8. प्रशासनिक शिथिलता 

जान मार्शल को मुअन जोदड़ो के उत्खनन मे ऊपरी स्तरों से कतिपय ऐसे साक्ष्य मिले थे, जिनके आधार पर उन्होंने प्रस्तावित किया कि नगर प्रशासन मे शिथिलता सी आ गई थी, नागरिको का स्तर गितरा जा रहा था। फलतः परवर्ती चरण के निर्माण मे सड़को एवं गलियों का अतिक्रमण होने लगा था। तब निर्माण मे पुरानी ईंटो का इस्तेमाल होने लगा था। दीवालों की चौड़ाई कम होने लगी थी। इसी प्रकार अन्य नागरिक बसाहटों मे भी नागरिक जीवन मे ह्रास दिखाई पड़ता है। पकी ईंटो के स्थान पर कच्ची ईंटो का प्रयोग होने लगा था। नगरीय बस्तियों का आकार घटने लगा था। फलतः यहाँ की सभ्यता पतन की ओर अग्रसर हुई। 

9. उत्साह की कमी 

ऐसा भी कहा जाता है कि हड़प्पा की नगर सभ्यता के लोगों मे धीरे-धीरे उत्साह खत्म सोने लगा तथा वे आलसी हो गये। अतः वे अपनी सभ्यता को चिरस्थायी नही रख सके।

10. बाहरी आक्रमण 

अनेक इतिहासकार सिंधु सभ्यता के पतन का एक प्रमुख कारण बाह्रा आक्रमण मानते है। अनेक संस्कृतियों का वैदेशिक आक्रमणों के कारण पतन हुआ है। टाॅयनबी का भी विचार है कि जब किसी भी सभ्यता मे सम्पन्नता आती है तो दैनिक आवश्यकताओं की आसानी से पूर्ति होने के कारण लोग आलसी एवं विलासी हो जाते है। अतः शत्रुओं को उन पर आक्रमण करने का अवसर प्राप्त हो जाता है। ऐसा सम्भव हो सकता है कि सिंधु सभ्यता के साथ भी ऐसा ही हुआ हो।

11. स्वाभाविक कारण 

उत्थान पतन प्रकृति का शाश्वत नियम है। उत्थान के बाद पतन स्वाभाविक है। यह तो प्रायः निश्चित प्रतीत होता है कि हड़प्पा संस्कृति का विघटन या पतन एक कारण से नही हुआ था। समय के साथ पतन के कारण बनते रहे और अन्ततः इस संस्कृति का अंत हो गया। मुअन जोदड़ो के तीसरे काल के अवशेषों से लगता है कि यहां के नगरजनों मे आये शैथिल्य एवं प्रशासनिक व्यवस्था की शिथिलता के कारण यहां की नगरीय परम्परा मे विकृति आ गई। लोग अतिक्रमण करने लगे। कुम्भकार अपने भट्टे सड़कों पर बनाने लगे। भवन निर्माण का क्रम बिगड़ने लगा। इन सब कारणों से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां के निवासियों की सांस्कृतिक सोच मे काफी कुछ विकृति आ गई थी। परिणामस्वरूप यह उच्च नगरीय सभ्यता पतन की ओर अग्रसर हुई। स्टुअर्ट पिगट का मत है कि ईरानी पठार की जनजातियों का पूर्व की ओर देशान्तरण हुआ, जिसका प्रभाव हड़प्पा संस्कृति के ह्रास पर पड़ा। इस प्रकार विविध कारणों के साथ इस संस्कृति के पतन मे स्वाभाविक कारण को भी काफी कुछ उत्तरदायी माना जा सकता है।

दामोदरदास कोसाम्बी ने इस सभ्यता के पतन का कारण कृषि व्यवस्था का लोप बतलाया है। वह चाहे धारा बदलने से हुआ हो या प्रलयंकारी बाढ़ से। जब सहायत भूमि ने अन्न अतिरेक पैदा करना बंद कर दिया तो नगर समाप्त हो गये। 

उपर्युक्त सभी कारणों अथवा इनमे से किसी एक विशिष्ट कारण से ही सम्भवतः सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ होगा। तथ्य जो भी हो लेकिन यह तय सा लगता है कि लोग अपने माल-असबाब सहित चले गये थे क्योंकि खुदाई मे कोई कीमती चीज नही मिली।

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सिंधु घाटी सभ्यता के नष्ट होने का क्या कारण है?

इसके नष्ट होने का एक प्रमुख कारण सिंधु नदी की बाढ़ को माना जाता है, जो अपने प्रवाह के साथ नगरों तथा गाँवों को बहा ले गई होगी। इसका अन्य कारण यह भी माना जाता है कि मौसम-परिवर्तन के कारण ज़मीन सूखती गई हो और चारों ओर रेगिस्तान हो गया हो।

हड़प्पा सभ्यता के नष्ट होने के क्या कारण हो सकते थे?

अपनी किताब प्राचीन भारत में उन्होंने उल्लेख किया है कि सभ्यता का पतन वास्तव में बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक और राजनीतिक पतन ही मुख्य कारण था।

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