गोपियों के मन को जानकर श्रीकृष्ण ने की थी माखन की चोरी
अरवल। भागवत कथा धर्मरूपी विज्ञान की ध्वजा का फहराता हुआ अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है। श्रीमद् भागवत एक ऐसा सिंहनाद है जो मनुष्य को अर्जुन के समान योद्धा बना देता है। उक्त बातें स्वामी रंग रामानुजाचार्य जी महाराज ने प्रखंड क्षेत्र के चकिया गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कही।उन्होंने कहा की बिना भोग लगाए खाने वाले चोर होते हैं। स्वामी जीने ये बातें माखन चोरी लीला प्रसंग में कही।
अरवल। भागवत कथा धर्मरूपी विज्ञान की ध्वजा का फहराता हुआ अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है। श्रीमद् भागवत एक ऐसा सिंहनाद है जो मनुष्य को अर्जुन के समान योद्धा बना देता है। उक्त बातें स्वामी रंग रामानुजाचार्य जी महाराज ने प्रखंड क्षेत्र के चकिया गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कही।उन्होंने कहा की बिना भोग लगाए खाने वाले चोर होते हैं। स्वामी जीने ये बातें माखन चोरी लीला प्रसंग में कही। उन्होंने कहा कि गोपियों के मन को जानकर भगवान श्री कृष्ण माखन चोरी की लीला की है। भगवान श्री कृष्ण ने यह जान लिया कि गोपियों के मन में ऐसा भाव है कि भगवान मेरे यहां भी माखन खाते। गोपियां भगवान श्री कृष्ण को मक्खन खिलाने के बहाने बुलाती और उनसे नाचने को बोलती गाने को बोलती और तब मक्खन खिलाती। फिर भगवान बाल मंडली बनाकर माखन चोरी की लीला करने लगे। एक बार एक गोपी के घर माखन चुराने गए। गोपी ने कहा की मैं यशोदा से कह दूंगी तेरा लाला चोर है । भगवान फिर से उसी के घर में जानकर माखन चोरी करने गए । गोपी पहले से ही उस घर में छुपी हुई थी। जब भगवान माखन की हांडी में हाथ लगाए और खाने के लिए शुरू ही किए थे कि गोपी ने उनकी हाथ पकड़ ली। और कही चलो यशोदा कहती है ना कि मेरा लाला चोर नहीं है। आज पता चलेगा कि उसका लाला चोर है या नहीं। गोपी लेकर भगवान श्री कृष्ण को घर को जाने लगी घर जाकर कहती है यशोदा जी देखो तेरा लाला चोर है या नहीं। भगवान श्री कृष्ण सोचें कि यदि मां को पता चल गया कि मेरा बेटा चोर है, तो वह बहुत पीटेगी। भगवान ने जो गोपी पकड़ कर ले गई थी उसी के बेटा बन गये। यशोदा जी बाहर आई और कही कौन चोर है । गोपी फिर से बोली देखो तेरा बेटा चोर है या नहीं। यशोदा जी बोली कि पहले घूंघट उठाओ और देखो की यह किसका बेटा है। जब गोपी घूंघट उठाती है तो देखती है कि यह बेटा मेरा ही है। वह सोचती है कि मेरा बेटा कहां से चला आया। फिर क्या था यशोदा जी उस गोपी पर खूब बरसीं । मेरे बेटे को बदनाम करने के लिए न जाने यहां की गोपियां क्या-क्या करेंगी। फिर शर्म से गोपी लौट रही थी कि भगवान श्री कृष्ण आगे से छेक कर रोके और उन्होंने कहा की तुम मुझे चोर बनाना चाहती थी। सारा धन मेरा ही है जो मेरा भोग लगाकर भोग नहीं खाता वह चोर है। चोर वह सारे लोग हैं जो मेरा भोग लगाकर नहीं खाते। आगे श्री स्वामी जी ने कहा की सभी लोग को चाहिए कि भगवान का भोग लगाकर ही भोजन करें उससे सभी का कल्याण भी होगा और उनके हृदय में भक्ति भी बढ़ेगी।
Edited By: Jagran
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद Textbook Exercise Questions and Answers.
RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 15 सूरदास के पद
RBSE Class 8 Hindi सूरदास के पद Textbook Questions and Answers
पदों से -
प्रश्न 1.
बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?
उत्तर :
बालक श्रीकृष्ण चोटी बड़ी होने के लोभ में आकर दूध पीने को तैयार हुए।
प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
उत्तर :
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि कब उनकी चोटी बड़ी होगी और कब यह लम्बी और मोटी होगी।
प्रश्न 3.
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौनसे खाद्य पदार्थ को अधिक पसन्द करते हैं?
उत्तर :
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को खाना अधिक पसन्द करते हैं।
प्रश्न 4.
"तैं ही पूत अनोखी जायौ" पंक्तियों में ग्वालिन के मन के कौनसे भाव मुखरित हो रहे हैं?
उत्तर :
गोपी के इस कथन में शिकायत रूप में उलाहना के भाव मुखरित हो रहे हैं, क्योंकि बार-बार शिकायत करने पर भी यशोदा कुछ नहीं कहती हैं। बालक कृष्ण घर में घुसकर माखन-दही खाने के अलावा उनका नुकसान भी करता है। इसके साथ ही
चोरी खुद करता है और खाने पीने में अपने साथियों को भी शामिल कर लेता है। लगता है कि तुमने ही अनोखे पुत्र को जन्म दिया है।
प्रश्न 5.
मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ासा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
उत्तर :
मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते थे, क्योंकि मक्खन ऊँचाई पर छींके पर रखा हुआ होता था, उसे चुराने और निकालने में जल्दीबाजी और हड़बड़ाहट के कारण थोड़ा-सा बिखर जाता होगा।
प्रश्न 6.
दोनों पदों में से
आपको कौनसा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर :
दोनों पदों में से हमें दूसरा पद अधिक अच्छा लगा, क्योंकि उसमें कृष्ण का माखन चुराना, अपने मित्रों को दहीमाखन का आनन्द लुटवाना तथा गोपी द्वारा यशोदाजी से उनकी शिकायत करना में सहजता और सरसता विद्यमान है।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
उत्तर :
जब श्रीकृष्ण ऊखल के सहारे चढ़कर छींके में रखा माखन खाया
करते थे, उस समय उनकी उम्र सातआठ साल की रही होगी, क्योंकि तभी तो सावधानी बरतने पर भी चोरी का भाव उनके मन में रहता था जिससे हड़बड़ाहट के कारण उतारते और खाते समय मक्खन बिखर जाता था।
प्रश्न 2.
ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और
चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल-लीला से कीजिए।
उत्तर :
रविवार को घर पर अतिथि आने वाले थे इसलिए पिताजी बाजार से उनके स्वागत-सत्कार के लिए शनिवार को ही मिठाइयाँ खरीदकर घर ले आये और उन्होंने माँ को रखने के लिए दे दी। मैं यह बात जान गया और मिठाई का नाम सुनते ही मेरे मुँह में पानी आ गया। उसी समय माँ पड़ोस में कुछ लेने चली गयी। मौका देखकर मैं रसोई में घुस गया और डिब्बा खोलकर जैसे ही मैंने एक रसगुल्ला खाया कि माँ आ गयी। मैंने हड़बड़ाहट
में डिब्बा बन्द किया लेकिन वह ठीक तरह से बन्द नहीं हुआ।
उस डिब्बे को देखकर माँ ने मेरी चोरी पकड़ ली और पूछा कि तू यहाँ क्या कर रहा था? मैंने कहा कि कुछ भी नहीं कर रहा था, केवल मिठाई का डिब्बा खोलकर रसगुल्ले गिन रहा था और देख रहा था कि कहीं चींटियाँ तो नहीं घुस गयी हैं। यदि घुस गयी हों तो उन्हें निकाल दूँ। माँ मेरी बहानेपूर्ण बातों को सुनकर मुस्करायी और उसने मुझे गले लगा लिया।
प्रश्न 3.
किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके
अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन, इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।
उत्तर :
मैं गर्मियों में अपनी बहिन के ससुराल गया। वहाँ उनके पिछवाड़े में लीची का पेड़ था। मैं उस पर चढ़कर लीचियाँ खाने लगा। हड़बड़ी में पेड़ से उबरते समय कुछ लीचियाँ नीचे गिर गईं और एक टहनी भी टूट गई। तभी जीजाजी की छोटी बहिन ने मुझे देख लिया और उसने बहिन से मेरी शिकायत कर दी। तब बहिन ने मुझे डाँटा और भविष्य में ऐसी गलती न करने के लिए कहा।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुराने वाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।
उत्तर :
माखनचोर।
प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर :
गिरधर, माखनचोर, बंशीधर, गोपाल, मुरारी।
प्रश्न 3.
कुछ शब्द
परस्पर मिलते-जुलते अर्थ वाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं और कुछ विपरीत अर्थ वाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम। जैसे -
पर्यायवाची - चन्द्रमा: शशि, इंदु, राका
मधुकर : भ्रमर, भौंरा, मधुप।
सूर्य : रवि, भानु, दिनकर।
विपरीतार्थक - दिन-रात, श्वेत-श्याम, शीत-उष्ण।
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
उत्तर :
(i) शब्द - पर्यायवाची
मैया = माता, जननी, माँ,
धात्री।
बलराम = हलधर, बलदाऊ।
हरि = प्रभु, ईश्वर, नारायण, परमात्मा।
मन्दिर = घर, आलय, निकेतन।
दु्ध = दुग्ध, पय, क्षीर, गोरस।
सूरज = रवि, भानु, दिनकर, दिवाकर, भास्कर।
दिवस = दिन, दिवा, वासर, वार।
सखा = मित्र, सहचर, मीत, दोस्त।
(ii) शब्द - विपरीतार्थक
कच्चा
= पक्का
दिवस = रात्रि
समर्थ = असमर्थ
पक्ष = विपक्ष
प्रकट = ओझल
प्रधान = गौण
आकर्षण = अपकर्षण
लोभ = निर्लोभ
(अन्य शब्द ढूँढ़कर स्वयं लिखिए।)
RBSE Class 8 Hindi सूरदास के पद Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण को सबसे प्रिय लगता था -
(क) दूध पीना
(ख) माखन खाना
(ग) रोटी खाना
(घ) माखन-रोटी खाना।
उत्तर :
(घ) माखन-रोटी खाना।
प्रश्न 2.
गोपी ने यशोदा को शिकायत की -
(क) ग्वाल बालों की
(ख) बलराम की
(ग) श्रीकृष्ण की
(घ) श्रीदामा की।
उत्तर :
(ग) श्रीकृष्ण की
प्रश्न 3.
कृष्ण यशोदा से पूछते थे
(क) दूध पीने के बारे में
(ख) चोटी बढ़ने के बारे में
(ग) राधा के बारे में
(घ)
बलदाऊ के बारे में।
उत्तर :
(ख) चोटी बढ़ने के बारे में
प्रश्न 4.
गोपी ने यशोदा से कृष्ण की शिकायत की थी
(क) मटकी फोड़ने की
(ख) दूध फैलाने की
(ग) माखन खाने की
(घ) रास्ता रोकने की।
उत्तर :
(ग) माखन खाने की
प्रश्न 5.
बाल कृष्ण माता यशोदा से किसके बारे में पूछ रहे हैं?
(क) चोटी के बारे में
(ख) दूध के बारे में
(ग) माखन के बारे में
(घ) दही के बारे में।
उत्तर :
(क) चोटी के बारे में
प्रश्न 6.
बाल कृष्ण किसको लंबी और मोटी होने की बात कहते हैं?
(क) चोटी को
(ख) बालों को
(ग) बछड़ी को
(घ) भुजाओं को
उत्तर :
(क) चोटी को
प्रश्न 7.
मैया बाल कृष्ण को क्या नहीं देती है?
(क) खाने को दूध-दही
(ख) खाने को दही-रोटी
(ग) खाने को फल-मिठाई
(घ) खाने को माखन-रोटी।
उत्तर :
(घ) खाने को माखन-रोटी।
प्रश्न 8.
माता यशोदा ने किसमें डूबकर बाल कृष्ण को गले से लगा लिया?
(क) स्नेह में
(ख) प्रेम में
(ग) ममत्व में
(घ) अपनत्व में
उत्तर :
(ग) ममत्व में
प्रश्न 9.
गोपी के अनुसार बाल कृष्ण किसके सहारे छीके पर चढ़े थे?
(क) ऊखल के
(ख) ताख के
(ग) सीढ़ी के
(घ) साथियों के
उत्तर :
(क) ऊखल के
प्रश्न 10.
गोपी कृष्ण को कैसा पुत्र कहती है?
(क) शरारती
(ख) अनोखा
(ग) चोर
(घ) मालबी
उत्तर :
(ख) अनोखा
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये
सही शब्दों से कीजिए -
- किती बार ......................... दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी। (मोहिं/तोहिं)
- ............... दिवस जानि घर सूनो ढूंढि-ढंढोरि आप ही आयौ। (सायं/दुपहर)
- सूर स्याम कौं हटकि न राखै मैं ही ................. अनोखौ जायौ। (पूत/सपूत)
उत्तर :
- मोहिं
- दुपहर
- पूत।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 12.
माता यशोदा दोनों भाइयों को क्या आशीर्वाद
देती थीं?
उत्तर :
माता यशोदा दोनों भाइयों को दीर्घजीवी होने का आशीर्वाद देती थी।
प्रश्न 13.
माँ यशोदा ने चोटी बढ़ने का कृष्ण को क्या प्रलोभन दिया?
उत्तर :
माँ यशोदा ने कृष्ण को प्रलोभन दिया कि कच्चा दूध पीने से चोटी लम्बी हो जायेगी।
प्रश्न 14.
कृष्ण कैसी चोटी चाहते हैं?
उत्तर :
कृष्ण भाई बलराम के समान लम्बी और मोटी चोटी चाहते हैं।
प्रश्न 15.
'गोरस' का आशय क्या है?
उत्तर :
गोरस का आशय है - दूध से बने पदार्थ-दही, मक्खन, घी आदि।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव लिखिएसूर स्याम कौं हरकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।
उत्तर :
गोपी ने कहा कि तुम अपने पुत्र को धमका-समझाकर नहीं रखती हो, तुमने ऐसा अनोखा पुत्र क्यों पैदा किया।
प्रश्न
17.
मैया यशोदा बाल कृष्ण को रोजाना पीने के लिए क्या देती है?
उत्तर :
मैया यशोदा बाल कृष्ण को रोजाना पीने के लिए कच्चा दूध देती है।
प्रश्न 18.
पहले पद में कृष्ण के किस रूप का चित्रण हुआ है?
उत्तर :
पहले पद में कृष्ण के बाल रूप का चित्रण हुआ है।
प्रश्न 19.
माँ यशोदा कृष्ण को माखन-रोटी खाने के लिए क्यों नहीं देती है?
उत्तर :
माँ यशोदा कृष्ण को माखन-रोटी खाने के लिए इसलिए नहीं देती, क्योंकि उनके
अनुसार माखन-रोटी खाने से चोटी नहीं बढ़ती है।
प्रश्न 20.
बाल कृष्ण किसके घर किस समय और क्यों आए थे?
उत्तर :
बाल कृष्ण गोपी के घर दोपहर के समय माखनचोरी करने आए थे।
प्रश्न 21.
बाल कृष्ण दूध-दही और माखन का क्या करते
उत्तर :
बाल-कृष्ण दूध-दही और माखन को खुद खाते, सखाओं को
खिलाते तथा जमीन पर भी गिरा देते।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 22.
गोपी यशोदाजी के पास क्यों गयी?
उत्तर :
गोपी यशोदाजी के पास कृष्ण की शिकायत करने के लिए गयी कि वह दोपहर को सूना घर समझकर दरवाजा खोलकर माखन व दूध-दही खा जाता है और अपने साथियों को भी खिलाता है।
प्रश्न 23.
आपके अनुसार श्रीकृष्ण बाल सखाओं के साथ दोपहर को ही माखन चोरी क्यों करते हैं?
उत्तर :
श्रीकृष्ण बाल सखाओं के साथ दोपहर को माखन इसलिए
चुराते थे, क्योंकि उस समय सभी गोपियाँ व औरतें | घरों में आराम कर रही होती थीं। वातावरण एकदम शांत होता था। इसलिए यही समय माखन चोरी हेतु उत्तम होता था।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 24.
गोपी ने यशोदा को यह उलाहना क्यों दिया कि क्या तूने ही अनोखा पुत्र पैदा किया है?
उत्तर :
गोपियों
को ऐसा लगता था कि यशोदा से कृष्ण की कितनी भी शिकायत करो लेकिन वे उससे कुछ भी नहीं कहतीं। यशोदा उनकी हर अच्छी-बुरी हरकत पर हमेशा ही दीवानी-सी रहती थीं। परिणामस्वरूप वे चाहकर भी कृष्ण को दण्डित न कर पाती थीं। इसलिए गोपी ने यशोदा को उलाहना दिया।
सूरदास के पद Summary in Hindi
सप्रसंग व्याख्याएँ -
1. मैया, कबहिं बढ़ेगी। ...................... हरि-हलधर की जोटी।
कठिन शब्दार्थ :
- किती = कितनी।
- पियत = पीते हुए।
- अजहुँ = आज भी।
- लांबी = लम्बी।
- काढ़त = कंघी करना।
- गुहत = गूंथना।
- भुइँ = भूमि।
- लोटी = लोटना।
- काँचौ = कच्चा।
- पचि-पचि = बार-बार।
- चिरजीवी = दीर्घायु हो।
- जोटी = जोड़ी।
प्रसंग - यह पद 'सूरदास के पद' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता महाकवि सूरदास हैं। श्रीकृष्ण बड़े भाई बलराम की लम्बी चोटी देखकर माता यशोदा से बार-बार पूछते हैं कि माँ मेरी चोटी कब बढ़ेगी।
व्याख्या - बालक श्रीकृष्ण जब देखते हैं कि उनके सिर की चोटी छोटी है तो वे अपनी माता यशोदा से पूछते हैं कि हे माँ! मेरी चोटी कब बढ़ेगी। मुझे कितना समय दूध पीते हुए हो गया फिर भी यह अब भी छोटी-सी ही बनी हुई है। तुम तो कहती थीं कि दूध पीते रहने से यह बलराम भैया की चोटी की तरह लम्बी और मोटी हो जायेगी। तुम यह भी कहती थीं कि बार-बार बाल बनाने, गूंथने से, नहलाने-धुलाने से यह इतनी बड़ी हो जायेगी कि खुलने पर नागिन की तरह जमीन पर लोट जायेगी।
तुम बार-बार मुझे कच्चा दूध पिलाती रहती हो और खाने के लिए माखन और रोटी भी नहीं देती हो। सूरदास कहते हैं कि कृष्ण की ऐसी बातों को सुनकर माता यशोदा आशीर्वाद देती हुई कहती हैं कि भगवान करें कि तुम दोनों भाई (श्रीकृष्ण और बलराम) लम्बे समय तक जीओ और तुम दोनों की जोड़ी बनी रहे।
2. तेरे लाल ....................................................... अनोखौ जायौ।
कठिन शब्दार्थ :
- सूनो = सुनसान।
- दैदि-बँढ़ोरि = खोज-खोजकर।
- किवारि = दरवाजा।
- पैठि = बैठकर।
- खवायौ = खिला दिया।
- ऊखल = ओखली।
- सींके = छींका।
- अनभावत = जो अच्छा न लगे।
- ढरकायौ = फैला देना।
- गोरस = दूध, दही, मक्खन।
- ढोटा = बेटा।
- जायौ = पैदा करना।
प्रसंग - यह पद सूरदास द्वारा रचित 'सूरदास के पद' पाठ से लिया गया है। कृष्ण कुछ बड़े हो जाने पर ग्वालिनों के घर से दूध-मक्खन आदि चुराकर खाते हैं। कृष्ण की इस चोरी का पता एक गोपी को चल जाता है। वह यशोदा के पास जाकर उलाहने भरे शब्दों में शिकायत करती है।
व्याख्या - गोपी यशोदाजी से कहती है कि तुम्हारे लाल कृष्ण ने मेरा माखन (मक्खन) खा लिया है। दिन में| दोपहर के समय घर को सूना समझकर, ढूँढ़ता हुआ खुद ही घर में आ गया और उसने घर का दरवाजा खोलकर घर में बैठकर दूध-दही अपने सब संगी-साथियों को खिलाया। मैंने मक्खन का पात्र छींके के ऊपर रखा था, परन्तु तुम्हारे लड़के ने ऊखल पर चढ़कर छींके से सारा मक्खन ले लिया और जो अच्छा लगा उसे खा लिया और जो अच्छा नहीं लगा, उसे जमीन पर गिरा दिया।
यह एक दिन की बात नहीं है, नित-प्रति की बात हो गयी है। इससे मुझे प्रतिदिन दूध-दही व मक्खन की हानि हो रही है। पता नहीं तुम्हारा यह बेटा ऐसे ढंग कहाँ से सीख आया है। सूरदासजी कहते हैं कि गोपी यशोदा से कहती है कि तुमने अपने पुत्र को मना तो किया नहीं। लगता है कि तुम्हीं ने अनोखे पुत्र को पैदा किया है।