ताजमहल की असली कहानी क्या है? - taajamahal kee asalee kahaanee kya hai?

मित्रो आज तक हमने सुना है कि ताजमहल शाहजहा और मुमताज के प्यार की निशानी है जिसे शाहजहा ने अपनी बेगम की मौत के गम में बनवाया था | मित्रो आज हम इसी विषय पर एक विवादित लेख लिख रहे है जो पुरे तथ्यों के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा | इस लेख को आप हिन्दू-मुस्लिम नजरिये से ना सोचकर भारत के वास्तविक इतिहास के नजरिये से देखे | भारत के एक मशहूर इतिहासकार और लेखक पी.एन.ओक ने अपनी किताब में ताजमहल के वास्तविक इतिहास को ब्यान किया है | मित्रो ओक के गहन अध्ययन को आप गलत नही ठहरा सकते है क्योंकि उन्होंने अपनी खोज आजादी से पहले की थी |
आपको सबसे पहले मै एक तथ्य बताना चाहता हु जिससे ये पता चल सकता है कि उनकी खोज को भारत सरकार ने ध्यान नही दिया | ओक ने ये पुस्तक 1965 में लिखी थी और उस समय भारत सरकार के पास पर्यटन से आय का मुख्य स्त्रोत ताजमहल था | अगर भारत सरकार ओक की बातो को मानकर उसे एक विवादित क्षेत्र मान लेती तो ताजमहल से पर्यटन स्त्रोत खत्म हो जाता | ताजमहल उस समय भारत का सबसे पुराना और जीवंत उदाहरण था और लोग इसे देश विदेश से देखने आते थे जिससे भारतीय पर्यटन से भारत को काफी मुनाफा होता था | लेकिन अगर सरकार ओक की पुस्तक को ज्यादा फैलने नही दिया था क्योंकि उनको डर था कि इससे हिन्दू-मुस्लिम विवाद ना हो जाये जिस तरह रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद हुआ था |
अब भारत सरकार पर्यटन से पैसा कमाने के चक्कर में कभी भी ताजमहल की असली हकीकत लोगो तक नही पहुचा पायेगा | मित्रो जैसा कि आप जानते है कि पूर्व में मुस्लिम शाशको ने कई हिन्दू मंदिरों और स्मारकों को ध्वस्त किया है | आप चाहे तो भारत का इतिहास उठाकर देख सकते है कि भारत प्रारम्भ से ही एक हिन्दू देश था लेकिन मुस्लिम शाशको के चलते मुस्लिम आबादी बढ़ती गयी | मित्रो जैसा कि आप जानते है कि मुस्लिम धर्म की शुरवात अरब देशो से हुयी थी | आप अगर भारत का इतिहास देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि 700 ईस्वी से पहले भारत में एक भी मुस्लिम शाषक या मुस्लिम नही था | मुस्लिम शाशको से पहले भारत में हिन्दुओ की वैदिक परम्परा थी जिसके बाद शुंग , कुषाण ,गुप्त ,मौर्य  ,कादम्ब ,चालुक्य और चोल साम्राज्य रहे है |
700 ईस्वी के बाद अरब देशो से मुस्लिम लोग आकर भारत के सिंध ,बंगाल ,गुजरात और केरल प्रदेशो में बस गये और भारत की हिन्दू महिलाओं से विवाह कर यही बस गये | 643 ईस्वी में अरब देशो से मुहम्मद पैगम्बर की मृत्यु के बाद मुस्लिम धर्म के प्रसार के लिए रशीद खलीफा भारत आया था | महमूद गजनवी के आने से पहले कई मुस्लिम खलीफाओ ने भारत पर राज करने की कोशिश की थी लेकिन हिन्दू राजाओ ने उन्हें भगा दिया था | फिर भी अरब देशो से आये कई मुस्लिम रोजगार के कारण भारत में ही बस गये थे | महमूद गजनवी ने पहली बार भारत में जिहाद शब्द का प्रयोग कर मुस्लिम धर्म का प्रसार करना शुरू किया था आप महमूद गजनवी के इतिहास में आप देख सकते है |
महमूद गजनवी ने भारत के हजारो प्राचीन मन्दिरों को ध्वस्त कर दिया था और वो हर साल सोमनाथ के मन्दिर से हजारो टन सोना लुटकर अपने देश ले जाता था | महमूद गजनवी ने कई शिवलिंगो को तोडकर उन मन्दिरों के स्थान पर मस्जिदों का मिर्माण शुरू करवा दिया था | इस तरह से मुस्लिम शाशको का शुरू से ही मंदिरों को तुड़वाकर मस्जिद बनवाने का इतिहास रहा है | आपको गजनवी के इतिहास में हिन्दू मन्दिरों के ध्वस्त होने के बारे में जरुर मिल जाएगा लेकिन भारत का इतिहास वर्तमान में कई इतिहासों को छुपा रहा है | महमूद गजनवी के बाद मोहम्मद गौरी ने महान पृथ्वीराज चौहान की दयालुता का फायदा उठाकर भारत पर कई बार हमला किया था |
शायद पृथ्वीराज चौहान अगर पहली बार में ही मोहम्मद गौरी को मार देता तो शायद मुस्लिम शाशको का भारत में विस्तार नही हो पाता | उसके बाद मुहम्मद गौरी के गुलाम कुतुबुदीन ऐबक भारत का पहला सुल्तान बना और दिल्ली सल्तनत की शुरुवात की | इसके बाद खिलजी वंश ,तुगलक वंश और सय्यद वंश भारत में आया | अलाउदीन खिलजी तो इतना क्रूर था कि उसने विद्रोह के डर में अपने ही परिवार के लोगो को मरवा दिया था और इस्लाम धर्म अपनाने वाले लगभग 30000 लोगो को सत्ता के डर में मरवा दिया था | उसने भी भारत के कई मन्दिरों को लुटकर ध्वस्त कर दिया और सारा खजाना लुटकर अपने देश लेकर चला गया | लोदी वंश के साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया लेकिन फिर एक ओर मुस्लिम वंश मुगल वंश का आगमन हुआ |मुगल वंश में कुछ बादशाह तो अच्छे हुए थे लेकिन कुछ बादशाओ ने क्रूरता की हदे पार कर दी थी
तो मित्रो आप सोच रहे होंगे कि मै ताजमहल के इतिहास के स्थान पर ये भारत का इतिहास क्यों बता रहा हु लेकिन मित्रो मै आपको भारत के इतिहास से ये स्पस्ट करना चाहता हु कि मुस्लिम शाशको की शुरू से हिन्दू मन्दिरों को ध्वस्त कर इस्लामिक मकबरे या मस्जिद बनाने की प्रुव्रती रही और ऐसा ही ताजमहल के साथ हुआ जो एक समय में शिवजी का मन्दिर हुआ करता था जिसे चौथी शताब्दी में ही बना लिया गया था जिसे राजपूत राजा तेजो महालय कहा करते थे | हिन्दुओ के सरक्षण के कारण मुस्लिम शशक इसको ध्वस्त नही कर पाए थे लेकिन मुगल काल में तेजोमहालय पर मुगलों की नजर पड़ी | वो इतने सुंदर स्मारक को ध्वस्त तो नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने इसे मुस्लिम स्थापत्य कला के नमूने के रूप में बदलने का विचार किया | आइये आपको कुछ तथ्यों के साथ ताजमहल की हकीकत बताते है |
ताजमहल के नाम के बारे में ओक के बताये हुए तथ्य पेश करना चाहता हु कि ताजमहल शब्द का प्रयोग मुगल कागजातों में कही नही किया गया था | अब दूसरा ये है कि शाहजहा की बेगम का नाम मुमताज महल नही था बल्कि उसका असली नाम मुमताज-अल-जमानी था | कई यूरोपीय पर्यटकों ने शाहजहा के दौर में ताजमहल को Taj-e-Mahal कहा जता था जो संस्कृत शब्द तेज-ओ-महालय से निकला था | एक तथ्य ये भी है कि अगर ताज को कब्रगाह माना जाता है तो इसके आगे महल कैसे प्रयुक्त हो सकता है जबकी हमने आपको बताया कि मुमताज के नाम में महल कही नही लगता था |
ताजमहल शब्द संस्कृत शब्द तेजो-महालय से निकला है जो शिव मन्दिर की ओर इशारा करता है और ऐसा माना जाता है कि वो मन्दिर आगरा के भगवान अग्रेश्वर महादेव का मन्दिर था | ताजमहल के अंदर प्रवेश करने से पूर्व जुते चप्पल क्यों खोली जाती है जबकि कब्रगाह में जुटे खोलना आवश्यक नही है लेकिन वात्विकता में वो शिव मन्दिर था तब से जूते चप्पल खोलने की परम्परा रही थी | इसके अलावा ताजमहल के अंदर गुम्बद में अंदर की तरफ 108 लिखा हुआ है जो हिन्दुओं की पवित्र संख्या है | तेजोमहालय शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है जिसे शाहजहा ने कब्जा कर कब्रगाह में परिवर्तित कर दिया था |
आगरा शहर शुरुवात से शिवजी की पूजा का केंद्र रहा है और वहा के लोग प्राचीन समय में पांच शिव मन्दिरों को पूजते थे जिनमे तेजोमहालय में अग्रेश्वर महादेव का निवास था | इसके अलावा ऐसे कई तथ्य है जो साबित कर सकते है कि ताजमहल एक शिव मन्दिर था जिसको शाहजहा ने ताजमहल में परिवर्तित कर दिया | मित्रो इस पोस्ट का उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम आस्थाओं को नुकसान पहचाना नही था बल्कि भारत देश के वास्तविक इतिहास से रूबरू करवाना था इसलिए आप इस पोस्ट पर धर्म से सम्बन्धित कमेंट करने के बजाय इतिहास से सम्बन्धित कमेंट करे ताकि भारत के इतिहास को समझने में आसानी हो सके |

ताजमहल की सच्ची कहानी क्या है?

दरअसल फारसी, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला की अनोखी शैली से बने ताजमहल को मोहब्बत की निशानी कहा जाता है. दावा किया जाता है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में यमुना के किनारे सफेद संगमरमर से इसे बनवाया था. ताजमहल जितना खूबसूरत है, उतने ही विवाद भी इसके साए में पड़े रहे हैं.

ताजमहल के 22 कमरों में क्या है?

याचिका खारिज होने और एएसआई की ओर से रिनोवेशन की तस्वीरें सामने आने के बाद भी 22 कमरों का राज अबूझ पहेली बना हुआ है.

ताजमहल के बंद कमरों में क्या है?

कई इतिहासकारों का मानना है कि इन बंद कमरों में कई हिंदू मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं। इसलिए याचिकाकर्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इजाजत मांगी है कि वे ताजमहल के अंदर 22 कमरे खोलें, जिससे ये मालूम चल सके कि वहां हिंदू मूर्तियां और शिलालेख हैं या फिर नहीं।

ताजमहल के काले होने का क्या कारण है?

एक तो ये ताज महल पहले ही काले पत्थर से बना था ऊपर से समय की मार के कारण ये और भी काला हो गया है. मकबरे को करीब से देखेंगे पर ये पता चलता है कि जिस समय ये बन कर तैयार हुआ होगा उस समय इसकी खूबसूरती देखते बनती होगी. बुरहानपुर की मिट्टी में दीमक और कीड़े लगने की वजह से ही सफेद संगमरमर के ताजमहल को आगरा में बनाया गया था.

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