दुनिया का सबसे बड़ा गणपति कौन है? - duniya ka sabase bada ganapati kaun hai?

इस लेख में हम आपको एशिया में मौजूद सबसे विशाल और सबसे ऊंची गणपति मूर्ति के बारे में बताने जा रहे हैं।

अच्छा! अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि गणेश जी की सबसे ऊंची मूर्ति कहां मौजूद है? तो संभवत आपका जवाब होगा भारत के ही किसी राज्य में होगी। शायद, आप महाराष्ट्र राज्य का नाम सबसे पहले बोले। क्यूंकि, भारत में सबसे अधिक गणेश जी की पूजा महाराष्ट्र में ही होती है। लेकिन, जब आपसे ये बोला जाए कि ये मूर्ति भारत में नहीं बल्कि एशिया के किसी अन्य देश में मौजूद है, तो यक़ीनन आपका जवाब नेपाल, कम्बोडिया या मलेशिया हो सकता है।

लेकिन, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत, नेपाल, कम्बोडिया या मलेशिया में नहीं बल्कि, ये मूर्ति थाईलैंड में है। जी हां, एशिया में गणेश जी की सबसे विशाल मूर्ति थाईलैंड में है। आज इस लेख में हम आपको इस मूर्ति के बार में करीब से बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में।

थाईलैंड के किस शहर में है मूर्ति  

आपको बता दें कि ये मूर्ति थाईलैंड के ख्लॉन्ग ख्वेन शहर में मौजूद है। ख्लॉन्ग ख्वेन शहर को कई लोग चाचोएंगशाओ (Chachoengsao) नाम से भी जानते हैं। इसे 'सिटी ऑफ गणेश' के नाम से जाना जाता है। ये मूर्ति लगभग 40 मीटर उंची है जो पूर्ण रूप से कांस्य धातु द्वारा निर्मित है। इस मूर्ति को एक इंटरनेशनल पार्क में बनवाया गया है, जहां हर साल लाखों भारतीय सैलानी भी घूमने के लिए जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: जरूर जाएं दिल्ली के इन 6 मंदिरों में दर्शन करने

कब बनकर तैयार हुई मूर्ति 

इस मूर्ति को देखकर कई लोग ये अंदाज़ा लगाते हैं कि ये मूर्ति सदियों पुरानी है। लेकिन, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये मूर्ति सदियों पुरानी नहीं, बल्कि इसका निर्माण वर्ष 2012 में किया गया था। साल 2008 से लेकर साल 2012 के बीच मूर्ति बनकर तैयार हुई थी। इस जगह को पहले पार्क में तब्दील किया गया फिर कुछ वर्षों बाद इस पार्क में गणेशा जी की मूर्ति की स्थापना की गई। लगभग 800 से अधिक कांस्य के हिस्से को मिलाकर इस मूर्ति का निर्माण किया गया है। (देखिए दुनिया के 10 सबसे भव्य मंदिरों की एक झलक)

मूर्ति की संरचना 

इस मूर्ति को लेकर कहा जाता है कि इस मूर्ति का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि किसी भी तूफान और भूकंप के आने पर भी इसको कोई नुकसान नहीं हो सकता है। गणेश जी के हाथों में कई फलों को देखा जा सकता है। उनके पेट पर सांप और सूंड में एक लड्डू है और पैरों में चूहा बैठा देखा जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए ये बता दें कि थाईलैंड में भाग्य और सफलता के देवता के रूप में गणेशा जी को पूजा जाता है। (विश्व के सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर अंगकोर वाट!)

इसे भी पढ़ें: गोल्डन टेंपल ही नहीं, पंजाब के इन मंदिरों की भी है अपनी एक आस्था

अन्य विशाल मूर्तियों के बारे में 

भारत के बारे में जिक्र करें तो कहा जाता है कि इंदौर में स्थित गणपति की 25 फीट ऊंची मूर्ति भारत की सबसे ऊंची मूर्ति है। इस मूर्ति की स्थापना 1875 में की गई थी। हालांकि, कई लोगों का यह भी मानना है कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भी भारत की सबसे ऊंची गणेश जी की मूर्ति मौजूद है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit:(@pbs.twimg.com,www.telanganamata.com)

क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?

बेहतर अनुभव करने के लिए HerZindagi मोबाइल ऐप डाउनलोड करें

Disclaimer

आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

बड़ा गणपति मंदिर, इंदौर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर गणेश जी की विशाल प्रतिमा के कारण विख्‍यात है। गणेश जी की यह मूर्ति 25 फीट ऊंची है जिसे पूरी दुनिया में गणपति की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1875 में किया गया था।

किंवदंतियों के अनुसार, अवंतिका ( उज्‍जैन ) के एक निवासी, श्री दाधीच ने रात में भगवान गणेश की मूर्ति का सपना देखा और अगले दिन उठकर वहां मंदिर बनवाने का फैसला लिया। यह इस मूर्ति के विन्‍यास का सबसे दिलचस्‍प किस्‍सा है।

इस मूर्ति का निर्माण ईटों, चूने के पत्‍थरों, गुड़, सात पठारों की मिट्टी, घोडों, गाय और हाथियों के पैरों कुचली मिट्टी व कीचड़, पंचरत्‍नों के पाउडर ( हीरा, पन्‍ना, मोती, माणिक और पुखराज ) और कई धार्मिक स्‍थलों के पवित्र जल से किया गया है। मूर्ति का ढ़ांचा, सोने, चांदी, पीतल, तांबे और लोहे से बना हुआ है।

नई दिल्ली: गणेशजी की सबसे ऊंची मूर्ति की चर्चा करें तो आप सभी सोचेंगे कि ऐसी मूर्ति भारत में ही होगी और वो भी महाराष्ट्र में होगी, जो गणपति पूजा का सबसे बड़ा केन्द्र है. लेकिन जब आप से कहा जाए कि वो मूर्ति भारत में नहीं है तो आप अनुमान नहीं लगा पाएंगे कि वो किस देश में हो सकती है. नेपाल या कम्बोडिया के मुकाबले भला ऐसा कौन देश हो सकता है, जो गणेशजी पर इतनी श्रद्धा रखता हो कि उनकी दुनिया में सबसे ऊंची मूर्ति बना दे. ये मूर्ति सदियों पुरानी नहीं है, बल्कि 2012 में ही बनकर तैयार हुई है. ये मूर्ति बनी है थाइलैंड के ख्लॉन्ग ख्वेन शहर (khlong khwang) में. यहां एक गणेश इंटरनेशनल पार्क (Ganesh International Park) बनाया गया है, जिसमें कांसे (Bronze) की ये 39 मीटर ऊंची मूर्ति लगाई गई है.

इस मूर्ति को आप ध्यान से देखेंगे तो उनके सर पर कमल का फूल और उसके बीच में ‘ओम’ बनाया गया है. इस मूर्ति को कांसे के 854 अलग अलग हिस्सों से मिलाकर बनाया गया है. इस मूर्ति समेत पूरे पार्क को बनाने में 2008 से लेकर 2012 तक 4 साल का समय  लगा. थाइलैंड में जिन 4 फलों को पवित्र कार्यों में रखा जाता है, वो सभी फल गणेश जी के हाथों में रखे गए हैं, जिनमें से एक है कटहल, दूसरा आम, तीसरा गन्ना और चौथा केला. आम को इस इलाके का प्रतीक फल माना जाता है जो समृद्धि का प्रतीक भी है. उनके पेट पर एक सांप लपेटा हुआ है, सूंड में एक लड्डू है और पैरों में चूहा बैठा है. हाथों पर ब्रेसलेट और पैरों का आभूषण बुद्धिमत्ता की निशानी है, थाइलैंड में गणेशजी की मान्यता ज्ञान और बुद्धिमत्ता के देवता के तौर होती है.

ये भी पढ़ें- Ganesh Chaturthi 2020: गणपति के 8 चमत्कारी और सिद्ध मंदिर, जानें इनके बारे में

अब आपको ये जानने की दिलचस्पी होगी कि इसको आखिर बनवाया किसने है. इसके लिए आपको थोड़ा सा गूगल करके वहां की अयोध्या यानी अयुथ्या साम्राज्य (Ayutthaya Kingdom) के बारे में विस्तार से पढ़ना पड़ेगा. इस साम्राज्य के तहत चाचोएंगशाओ (Chachoengsao) नाम का एक शहर 1549 में बसाया गया था, जहां चाचोएंगशाओ एसोशिएयन (Chachoengsao Association) नाम की एक संस्था कई तरह के धार्मिक और सामाजिक कार्यों को पूरा कराने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहती है. इस एसोसिएशन के प्रेसीडेंट पोल जेन समाचाई वानीशेनी ने ये तय किया था कि विश्व की सबसे ऊंची गणेश की मूर्ति यहां लगाई जाएगी और इसके बाद जगह की तलाश शुरू हुई.

उसके बाद पास के ख्लॉन्ग ख्वेन (Khlong Khuean) शहर में 40,000 वर्ग मीटर की ये जगह तलाशी गई, यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है और पूरी तरह कृषि प्रधान क्षेत्र होने की वजह से भी यही जगह भगवान की मूर्ति की स्थापना के लिए चुनी गई. पहले यहां एक इंटरनेशनल गणेश पार्क बनाया गया, फिर उसमें ये मूर्ति लगाई गई. चाचोएंगशाओ एसोशिएशन ने यहां एक सेंट्रल म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जो स्थानीय इतिहास को सुरक्षित रखने के उद्धेश्य से बनाया गया था. इस इलाके में सदियों तक हिंदू सभ्यता पुष्पित और पल्लवित हुई. पिछले कुछ सालों में केन्द्रीय थाइलैंड में बैंक पैकोंग नदी के आसपास का ये क्षेत्र सबसे बड़े टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर उभरा है. दरअसल वो लोग एक इंटरनेशनल भगवान की मूर्ति वहां चाहते थे और ऐसे में गणेशजी के नाम पर सहमति बनी. ये मूर्ति वहां के प्रख्यात मूर्तिविद पिटक चर्लेमलाओ की उत्कृष्ट कारीगरी का नमूना है. इस मूर्ति को लेकर एसोसिएशन का दावा है कि ये विश्व की सबसे ऊंची गणेश मूर्ति है और अभी तक किसी ने उनके इस दावे को चुनौती नहीं दी है. 

दुनिया का सबसे बड़ा गणपति कौन सा है?

विश्व की सबसे ऊँची और विशाल गणेश प्रतिमा के बतौर बड़े गणपति की ख्याति है। शहर के पश्चिम क्षेत्र में मल्हारगंज के आखिरी छोर पर ये गणेश विराजमान हैं। इन्हें उज्जैन के चिंतामण गणेश की प्रेरणा से नारायण दाधीच ने 120 वर्ष पूर्व बनवाया था।

गणपति का असली नाम क्या है?

कहते हैं कि भगवान गणेशजी का मस्तक या सिर कटने के पूर्व उनका नाम विनायक था। परंतु जब उनका मस्तक काटा गया और फिर उसे पर हाथी का मस्तक लगाया गया तो सभी उन्हें गजानन कहने लगे। फिर जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तो उन्हें गणपति और गणेश कहने लगे।

गणपति के पिता कौन थे?

भगवान गणेश देवो के देव भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र हैं। भगवान गणेश की पत्नी का नाम रिद्धि और सिद्धि है। रिद्धि और सिद्धि भगवान विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं।

गणपति की कितनी पत्नी है?

1. गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं, जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। 2. सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के 2 पुत्र हुए।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग