देश भक्ति से क्या समझते हैं? - desh bhakti se kya samajhate hain?

देश भक्ति पर निबन्ध | Essay on Patriotism in Hindi!

देशभक्ति का तात्पर्य अपने देश के साथ प्रेम करना है । यह मानव के हृदय में जलने वाली ईश्वरीय ज्वाला है जो अपनी जन्म भूमि को अन्य सभी से अधिक प्यार करने की शिक्षा देती है ।

देशभक्त अपने देश के लिए बड़े से बड़े त्याग करने के लिए आतुर रहते हैं और अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान होने के लिए सदा तैयार रहते हैं । कूपर ने कहा है ” इंगलैंड में कितनी भी कमियाँ क्यों न हो, मैं फिर भी इससे प्यार करता हूँ । ”

देशभक्ति एक श्रेष्ठ गुण है । एक संस्कृत उक्ति में कहा गया है कि मां और मातृभूमि तो स्वर्ग से भी महान है । अपने देश के दु:खों और खतरों में हमें इसके साथ खड़ा होने, इसके लिए कार्य करने और यदि आवश्यकता पड़े तो इसके लिए अपना जीवन अर्पण करने के लिए तैयार रहना चाहिए । क्या इसी देश ने अपनी गोदी में हमें खिलाया नही, अपनी विपुलता से हमारा पोषण और अपनी हार्दिकता से हमें सुरक्षा प्रदान नहीं की? अपने देश से प्यार न करना अकृतज्ञता के सिवाय कुछ नही ।

पुरन्तु इसका तात्पर्य यह नही है कि देशभक्ति ही सब कुछ है – यह हमेशा ही मनुष्य के लिए श्रेष्ठतम कर्तव्य नही होता । संकीर्ण विचार से परिपूर्ण देशभक्ति निश्चित रूप से खतरनाक है । ”मेरा देश, चाहे ठीक हो या गलत” अंग्रेजी के एक कवि की यह उक्ति मूर्खतापूर्ण और मानवता के प्रति अपराध है ।

इसी प्रकार की कुछ मूर्खतापूर्ण बाते है जिनकी अंग्रेज अपने संबंध में तो बड़ी-बड़ी डींगे मारते है और दूसरों के बारे में निन्दा करते है । एच.जी.वेल्स ने कहा है कि “देशभक्ति केवल अपने बारे में दावे करने, झण्डे का भावुकतापूर्ण जय-जयकार करना मात्र ही रह गया है और रचनात्मक कर्तव्यों पर कोई ध्यान नही दिया जाता ।’’ देशभक्ति का यही वह स्वरूप है जिसकी रवीन्द्र नाथ ने राष्ट्रवाद के अपने भाषणों मैं निन्दा की थी ।

कट्‌टरतापूर्ण देशभक्ति निरन्तर ही युद्ध का कारण बनता रहा है ऐसी देशभक्ति का विकास तभी होता है जब युद्ध होता है । इसीलिए विद्वान चीनी दार्शनिक लाओत्से ने इसे ”एक निकृष्ट और हानिकारक भावना” और ”एक मूर्खतापूर्ण सिद्धान्त” कहा था । दूसरे विश्व युद्ध का कारण हिटलर की शेखीपूर्ण और आक्रामक देशभक्ति ही थी । सभी युद्ध इसी प्रकार की भावनाओं से पैदा होते है ।

देशभक्त जार्ज वाशिंगटन ने एक बार एक मित्र को लिखा था “एक महान और लम्बी अवधि तक चलने वाल युद्ध केवल देश- भक्ति के सिद्धान्त के भरोसे नही लड़ा जा सकता ।’’ बर्नाड शॉ ने कहा था ”तब तक विश्व में शान्ति स्थापित नही हो सकती जब तक मानवजाति से इस देश-भक्ति को मिटा नही दिया जाता ।”

दूसरे लोगो के बारे मे अनुमान लगाते समय देशभक्ति हमें अविवेकपूर्ण, पक्षपाती और अनुदार बना देती है । प्रत्येक देश, प्रत्येक जाति में कोई न कोई खास विशेषता होती है जो विश्व की सांस्कृतिक परम्परा में योगदान दे सकती है । यह कहना मूर्खता है कि किसी एक राष्ट्र को सभी ईश्वरीय गुणों का एकाधिकार प्राप्त है ।

किसी समय हमारे नेता विश्व को आध्यात्म का ज्ञान देने के भारत के महान् श्रेय की बाते करते थे, क्योंकि इससे हम सभी के अन्दर बैठे देशभक्ति की भावना को तुष्टि मिलती है । परन्तु राष्ट्रप्रेम की भावना से प्रेरणा लेने वाले ऐसे सभी जोश गलत हैं । किसी भी राष्ट्र के पास सद्‌गुणों का एकाधिकार नही है । देशभक्ति को दूसरे लोगों की संस्कृति के यथोचित सम्मान द्वारा मर्यादित किया जाना चाहिए ।

जब भी हम अपने राष्ट्र के बारे में शेखी मारने लगे तो एडिथ कैवल्स के इन महान शब्दों को याद रखना चाहिए ‘मुझे किसी के प्रति भी मृणा और कटुता नही रखनी चाहिए ।’ यही बात महात्मा गाँधी ने जेल की सलाखों के पीछे से कही थी । देशभक्ति अच्छी है परन्तु इसके द्वारा मानवता के प्रति सार्वभौमिक प्रेम की भावना को दबाया नही जाना चाहिए ।

इसके कारण हमें ‘एक विश्व’ की विकासशील धारणा के प्रति उदासीन नही हो जाना चाहिए । वास्तव में हम देशभक्ति को कोरे राष्ट्रवाद के साथ मिला देते हैं । यदि हम इन दोनों के भेद को स्पष्ट रख सके तो देशभक्ति की भावना की हम बड़ी-बड़ी डींगें मारने के निरर्थक भुलावे से अपने आप को बचा सकते है ।

एक लेखक ने एक बार कहा था कि जहाँ ”देशभक्ति सामूहिक उत्तरदायित्व की एक सजीव भावना है वहाँ राष्ट्रवाद उस मूर्ख मुर्गे के समान है जो अपने ही घूरे पर बैठा किलकारता रहता है ।” राष्ट्रवाद एक प्रकार की संकीर्णता है जो बाकी मानव समाज के लिए अपना दरवाजा बंद रखती है ।

यह देशभक्ति नहीं होती है कि केवल अपने ही देश को सर्वोत्कृष्ट माना जाए । हमें अपने देश से तो प्रेम करना ही चाहिए परन्तु हमें किसी अन्य देश अथवा व्यक्ति से घृणा नहीं करनी चाहिए । सच्चे देशभक्त को दूसरे देशों का भी वैसा ही सम्मान करना चाहिए, जैसा वह अपने देश का सम्मान करता है । उसे दूसरे देशों से सीखने, उनकी सहायता करने और उन्हें सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए । तभी देशभक्ति धीरे-धीरे भाईचारे की भावना में बदल जाएगी ।

What do you mean by patriotism?

What do you mean by patriotism? /WHAT IS PATRIOTISM ? देशभक्ति का अर्थ किसी विशेष ( space )जगह विशेष का उत्थान से जुड़ा हुआ   है ।  तथा भक्ति का अर्थ लगाव या शरणागति या  प्रेम होता है ।  देश के प्रति लगाव देश भक्ति है । देश के प्रति प्रेम देश भक्ति है  । जहां भक्ति है वहाँ समर्पण का भावना आता है  । अर्थात देश के प्रति समर्पण की भावना । देश भक्ति दूसरे अर्थों में जहां समर्पण आएगा  । वहां लोग व्यक्तिगत हितों का बलिदान कर देंगे । अर्थात देश के लिए अपने व्यक्तिगत हितों का बलिदान दे देना देश भक्ति है । किसी खास क्षेत्र में जगह पर रह रहे व्यक्ति के लिए त्याग करना भी देश भक्ति के अंतर्गत आता है । 

क्या देश भक्ति किसी जगह और जगह में रहने वाले लोग के प्रति त्याग समर्पण बलिदान का भावना है । (What is patriotism example?) :-

देशभक्ति नैसर्गिक होता है । यह कृत्रिम नहीं होता है । इसे हम कुछ तर्कों से समझने का कोशिश करेंगे । जैसे किन चीजों को लगभग लगभग मनुष्य के समाज ,संस्कृति इत्यादि चीजों से बनाया जाता है । लेकिन हम भावनाओं का जांच करें । पशु के साथ जांच किया जाता है । जिसमें हम पाते हैं ?जिस जगह पर रहता है । उस जगह की पशुओं को भी लगाव हो जाता है । यदि गाय किसी स्थान पर रहता है । भले दिन भर कहीं चले जाए । लेकिन शाम को वह अपने स्थान पर पहुंच जाता है। अन्य जानवरों में भी ऐसी भावनाएं देखने को मिलती है । जैसे कुत्ता अगर एक मालिक के पास राहत है । तो उसके प्रति समर्पण का भाव उत्पन्न हो जाता है । इस तरह हम कह सकते हैं कि देश भक्ति एक प्राकृतिक भावना है। यदि प्राकृतिक भावना नहीं होती तो मनुष्य एवं जानवर मे अलग अलग होती । इससे हम समझ सकते है  । देशभक्ति एक प्राकृतिक भावना है । 

WHAT IS PATRIOTISM । देशभक्ति क्या है ।

देशभक्ति और राष्ट्रवाद में अंतर क्या है:-(DIFFERENCE BETWEEN PATRIOTISM AND NATIONALISM)

देशभक्ति (PATRIOTISM) राष्ट्रवाद (NATIONALISM)
देश भक्ति प्राकृतिक(NATURAL) होता है ।  राष्ट्रवाद कृत्रिम (ARTIFICIAL)होता है । 
देश भक्ति को पैदा नहीं किया जाता । वह किसी स्थान विशेष पर रहने पर खुद आ जाता है।   राष्ट्रवाद पुलिस, मीडिया ,संविधान,झण्डा ,खासप्रतिक, देश की न्याय व्यवस्था तथा विभिन्न चीजों से बनाया जाता है। 
देश भक्ति में हमेशा कल्याण की भावना होती है ।  राष्ट्रवाद में अगर दूसरा देश दुखी है तो हम सुखी हैं । ऐसा भावनाएं होती है । 
देशभक्त में सभी देश एक जैसा होता है।  उसमें श्रेष्ठता की भावना नहीं होती है ।  राष्ट्रवाद में श्रेष्ठता की भावना होती है । 
देश भक्ति में अपने देश को प्रेम करने पर घृणा की भावना नहीं होती है ।  राष्ट्रवाद में ईर्ष्या घृणा जैसे भावनाएं उत्पन्न होती है भारत पाकिस्तान की अगर मैच चल रहा है।  तो खेल की नैतिकता समान रूप से दोनों देशों में लागू होती है । लेकिन यदि पाकिस्तान जीत रहा है तो भारत के लोग दुखी होंगे । यह राष्ट्रवाद है । 
देश भक्ति समावेशन inclusion निर्भर करता है ।  राष्ट्रवाद व्यावर्तन exclusion पर निर्भर करता है । 
देश भक्ति में जैसा लगाव अपने देश के प्रति होता है।  वैसा ही लगाओ दूसरे देश के प्रति भी होता है । देश भक्ति में “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना होती  राष्ट्रवाद में प्रतिस्पर्धा की भावना होती है । 

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कुछ मिथक शास्त्र से भी हम दे देशभक्ति को श्रेष्ठ मान सकते हैं । जय श्री राम लक्ष्मण संवाद :-

“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” 

राम लक्ष्मण से कह रहे हैं । अपनी जन्मभूमि पर रहने का सुख स्वर्ग के सुख से भी बड़ा होता है । 

वायु पुराण में ऐसे ही प्रसंग है :-

गायन्ति देवाः किल गीतकानि ,धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे।

इसका मतलब है कि अपने देश में जन्म होने के लिए देवता भी  विभिन्न प्रकार की गीत गा रहे हैं । देवता भी इस भारत भूमि में आने के लिए ललाइट हैं । इस प्रकार हम देशभक्ति को तथा राष्ट्रवाद को समझ सकते हैं । 

देश भक्ति के 4 तत्व निम्नलिखित हैं(ELEMENTS OF PATRIOTISM) 

  1. विशेष लगाव या प्रेम किसी स्थान विशेष के प्रति ऐसा लगाव या प्रेम जो किसी दूसरे जगहों से नहीं हो सकता यह प्रेम देशभक्ति कहलाता है। 
  2. उस जगह के साथ व्यक्तिगत जुराब की भावना । वहां के परंपरा खानपान रहन-सहन पहनावा भाषा से एक व्यक्तिगत जुराब । जो किसी अन्य जगहों पर समान स्थिति होने के बाद भी नहीं हो सकता। बिहार के लोगों को लिट्टी चोखा से जुराब । बिहार के लोगों को दही चुरा से विशेष लगाव । वैसे ही उत्तर प्रदेश राजस्थान गुजरात अन्य जगहों के व्यक्ति अगर दुनिया में किसी भी स्थान पर जाते हैं । तो अपने खानपान से जुड़ा बना रहता है।  इसे ही देशभक्ति कहते हैं। 
  3. उस स्थान के लिए समय आने पर अपने हितों को त्याग देना सामूहिक हित के लिए निजी हित को त्याग देना । 
  4. special concern FOR well being of a country उस जगह के बारे में आप भलाई सोचते हैं । जिससे कि आपका लगाओ स्थान की तरक्की पर अपना तरक्की की भावना । एवं स्थान विशेष के व्यक्तियों का कल्याण के बारे में सोचना। 

देशभक्ति कब वरदान है और कब अभिशाप:-(pros and cons of patriotism)

  • देश भक्ति तब अच्छी होती है । जब स्वीकार अनुरूप मापदंडों के प्रोत्साहित करने में सहायक होती है । लेकिन सहिष्णुता को दरकिनार कर यदि हम देश भक्ति के नाम पर हत्या तथा हिंसक चीजों को शुरू कर देते हैं । नैतिक मापदंड की और यह देश भक्ति रोक रही है । सिर्फ एक जगह विशेष के नाम पर जैसे किसी जगह विशेष को हिंदू क्षेत्र घोषित कर मुसलमानों पर हिंसा किया जाए । तो यह देश भक्ति का अभिशाप कहलाता है अल्पसंख्यक का शोषण देशभक्ति का अभिशाप कहलाता है । 
  • किसी एक संस्कृति को सर्वोच्च मान लेना तथा उसके अनुरूप कार्य संपादित करना तथा दूसरी संस्कृति को हिन बताना देशभक्ति का अभिशाप है । यह देश भक्ति का अभिशाप कहलाता है । जब वसुधैव कुटुंबकम की बात आती है । देशभक्ति वरदान कहलाती है । .  लेकिन जब किसी स्थान विशेष को सर्वश्रेष्ठ बताया जाता है । तो देश भक्ति अभिशाप हो जाती है। 
  • जब एक मानव को श्रेष्ठ तथा दूसरे मानव को हिन माना जाता है । किसी स्थान विशेष पर तो यह देश भक्ति का अभिशाप है । लेकिन जब मानव मूल्यों की रक्षा की जाती है तो देश भक्ति का वरदान है । जैसे एक भूखंड में बाहर से आने वाले व्यक्ति को हिन समझा जाता । तथा उसके अंदर रहने वाले व्यक्ति श्रेष्टता की भावना होती है  । 
  • जब हम देश भक्ति के नाम पर नैतिक मापदंडों से इसी लक्ष्य को प्राप्त करते हैं । तो यह वरदान कहलाता है । लेकिन जब अनैतिक मापदंडों से लक्ष्य को प्राप्त करते हैं । सिर्फ और सिर्फ देश भक्ति के नाम पर तो या अभिशाप है । जैसे हिंदू और मुसलमान एक जगह पैदा हुए एक मे श्रेष्टता की भावना और दूसरे में हीनता की देशभक्ति का अभिशाप है। 
  • जब दो व्यक्ति एक जगह पर पैदा होता है तो 1 को मूलनिवासी नहीं माना जाएगा और दूसरे को उसके विरासत तथा इतिहास के आधार पर मूलनिवासी माना जाना । यह देशभक्ति का अभिशाप है लेकिन यदि एक जगह पर जन्म लिए लोगों में मूलनिवासी का भावना होना देश भक्ति का वरदान है। 
  • किसी एक पहचान को जब हम सर्वोच्च मानकर देश का मूल पहचान मान लेते तो दूसरे पहचान को मानने वाले लोगों में द्वेष की भावना उत्पन्न होती है । क्योंकि पहचान सबके लिए प्यारा होता है । जैसे दक्षिण भारतीयों के लिए धोती पहनना उनकी स्थानीय भोजन उनकी पहचान है । लेकिन उसी जगह पर जब हम उत्तर भारतीयों का भोजन पहनावा बस को देश की पहचान के रूप में जोड़ देते हैं।  तो दक्षिण भारतीयों को इससे समस्या होती है । अतः देश भक्ति एक पहचान पर नहीं होना चाहिए । अगर पहचान में विविधता होगी तो देश भक्ति एक वरदान के रूप में उभर कर आएगा। 
  • जब इजरायल ईरान के लोग अपने देशों के प्रति मर मिटने का भावना रखते हैं तो यह राष्ट्रवाद की भावना में इसने दूसरे देश के प्रति घृणा का भाव उत्पन्न होता है लेकिन यदि वसुधैव कुटुंबकम की धारणा व्यक्ति रखें तो संपूर्ण विश्व उसका घर के सामान लगेगा। 
  • अमेरिका चीन देशभक्ति के नाम पर दूसरे देश में अपने आप को सुपीरियर या श्रेष्ठ समझते हैं । इससे वह अन्य देशों के लोगों के बीच अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं । इससे यह पता चलता है कि राष्ट्रवाद विचारों को संकुचित कर देता है । यदि वह विचार किसी विशेष देश का हो लेकिन देशभक्ति विचारों के दायर को बड़ा करता है । 

 तो इस प्रकार ऐसे अनेक अभिशाप और वरदान देशभक्ति के हैं। देशभक्ति के विविन्न आयाम है लेकिन आज की अन्तराष्ट्रिय नैतीकता मे देशभक्ति जरूरी है । 

देशभक्ति के लाभ :-

एक जगह विशेष से जब प्रेम होता है तो उसमें सेवा की भावना उत्पन्न होती है । 

  • सेवा की नैतिकता आती है । (SERVICE ETHICS)
  • समर्पण की भावना आता है । 
  • उस मिट्टी वहां के लोग के लिए समानुभूति आएगी 
  • सहानुभूति आएगी SYMPATHY 
  • सर्वे भवंतु सुखिनः का भाव आएगा 
  • अगर दूसरा व्यक्ति अपने किसी स्थान विशेष से खुश है । तो हम भी अपने स्थान विशेष से खुश हूं इस स्थिति में मिट्टी के लोगों के प्रति लोग मर मिटने के लिए तैयार होते हैं । 
  • किसी खास लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं । 
  • समुदाय वादCOMMUNALISM  बहाल होता है है । जो एक अच्छे समाज के निर्माण में सहायक होता है । 

देशभक्ति से निम्नलिखित प्रकार की नैतिकता उत्पन्न होती है :-

  • कर्तव्य के नैतिकता DUTY ETHICS
  • सेवा की नैतिकता SERVICE ETHICS
  • समानुभूति EMPATHY
  • सहानुभूति SYMPATHY
  • प्रेम LOVE
  • परवाह CARE
  • भावनात्मक लगाव EMOTIONAL ATTATCHMENT 
  • सामाजिक लगाव SOCIAL ATTATCHMENT

 जैसे अनेकों नैतिकता का उभार होता है। इस तरह देश भक्ति एक अच्छी विचारधारा है । एक अच्छी भावना है सिर्फ इसका सकारात्मक प्रयोग होना चाहिए। 

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सिविल सर्विस में देशभक्ति के फायदे:-PROFIT OF PATRIOTISM IN CIVIL SERVICES

जब आप सिविल सेवा में जाते हैं तो निम्नलिखित जिम्मेदारी होते हैं:-

  •   वह सेवा के भाव से जाया जाता है 
  • वंचित वर्गों के उत्थान के लिए जाया जाता है 
  • समाज के अंतिम पंक्तियों में खड़े लोगों के परेशानियों की समाधान के लिए जाया जाता है । 
  • मानव मूल्य की रक्षा के लिए जाया जाता है जो । 
  • व्यक्ति जो सबसे वंचित हैं उन तक आधारभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए सेवा भाव से लोग सिविल सर्विस में जाते हैं । 

यदि उनमें देशभक्ति रहे तो 

उनमें समानुभूति का गुण आएगा । जिससे वह लोगों की समस्याओं को अपनी समस्या मानकर उसे समझाने का कोशिश करेंगे । वह लोगों से जुड़ेंगे । क्योंकि उन्हें किसी देश से प्रेम है और जहां प्रेम होगी वहां

  •  त्याग 
  • बलिदान 
  • सेवा 
  • कर्तव्य 
  • प्रेम 
  • करुणा 

इत्यादि का भाव जरूर आएगा इसीलिए सिविल सेवा के लिए देशभक्ति बहुत ही जरूरी चाहिए। WHAT IS PATRIOTISM 

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देश भक्ति से आप क्या समझते हैं?

अपने देश से प्रेम करना और सदा उसका कल्याण सोचना राष्ट्रभक्ति या देशभक्ति (Patriotism) कहलाता है। राजनिष्ठा से बढकर देशनिष्ठा होती है। देशभक्ति सबसे पहले आती है, उसके बाद राजनिष्ठा. लेकिन देशभक्ति और राजनिष्ठा दोनो अलग अलग शब्द है.

देशभक्ति का महत्व क्या है?

देशभक्त होने का मतलब है किसी के देश और उसके हितों से प्यार और समर्थन करना। दूसरे शब्दों में, एक देशभक्त वह होता है जो अपनी मातृभूमि, अपने लोगों और राजनीतिक व्यवस्था के प्रति वफादार होता है और इसके विकास के लिए काम करता है। देशभक्त होने का मतलब उन व्यक्तियों के शब्दों का पालन करना नहीं है जो सत्ता में हैं।

देशभक्ति की भावना से आप क्या समझते हैं?

देशभक्ति कोई संकुचित भावना नहीं है। यह एक ऐसी भावना है जो नागरिकों में अपने देश के प्रति होती है अर्थात् यह भावना प्रत्येक नागरिक के हृदय में उत्पन्न होती है। देशभक्ति की भावना के कारण प्रत्येक व्यक्ति अपने देश को अपनी माँ के समान समझता है और उसकी रक्षा हेतु सदैव बलिदान देने के लिए तत्पर रहता है।

असली देशभक्ति क्या है?

असली देशभक्ति यही है कि आप अपने देश से प्रेम करो , देश से जुड़ी हर उस चीज से प्रेम करो जिनसे आपके देश की पहचान होती हो। साथ ही हर उस चीज/सोच का विरोध करो जिससे राष्ट्र की अस्मिता को चोट पहुंचती हो।

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