वर्षा ऋतु में क्या क्या होता है in Hindi? - varsha rtu mein kya kya hota hai in hindi?

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Varsha Ritu in Hindi पर 8 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं

  • ऋतुओं की रानी: वर्षा
  • 10 Lines Essay on Varsha Ritu in Hindi
  • Varsha Ritu Essay in Hindi (250 Words)
  • Varsha Ritu Par Nibandh in Hindi (350 Words)
  • वर्षा ऋतु निबंध in Hindi (400 Words)
  • Varsha Ritu Essay in Hindi (500 Words)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध (600 Words)
  • Varsha Ritu Essay in Hindi (1000 Words)

ऋतुओं की रानी: वर्षा

10 Lines Essay on Varsha Ritu in Hindi

  1. वर्षा ऋतु जुलाई के महीने में आती है। यह सितंबर तक जारी रहती है।
  2. यह ऋतु हमें सूरज की चिलचिलाती गरमी से राहत दिलाती है। इस ऋतु में प्यासी धरती को जल मिलता है। इस ऋतु में आसमान में बादल उमड़ने-घुमरने लगते है।
  3. बादलों को देखकर मोर नाचने लगते है। नदियों तथा तालाब पानी से भर जाते है। झर-झर करते झरने और कल-कल करती नदियाँ इठलाने-बलखाने लगती है।
  4. पक्षियों का कलरव पूरे वातावरण को मंत्रमुग्ध कर देता है। पेड़-पौधे हरे-भरे तथा ताजा हो जाते हैं।
  5. Varsha Ritu में इंद्रधनुष दिखाई पड़ता है। किसानों के लिए तो यह ऋतु वरदानस्वरूप है। इस समय वे खेतों में नई-नई फसलें लगाते है।
  6. बच्चे वर्षा के पानी में खेलना पसंद करते है।
  7. लेकिन कभी-कभी भारी वर्षा मानव जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। सड़को तथा नालियों में पानी भर जाता है।
  8. वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। तरह-तरह के कीड़ोंमकोड़ों के काटने से भयंकर बीमारियों उत्पन्न हो जाती है।
  9. कहीं-कहीं अतिवृष्टि के कारण बाढ़ आ आती है जिससे जान-माल को काफी नुकसान पहुँचता है। ये चीजे हमारे जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती है।
  10. फिर भी, हम सभी वर्षा ऋतु का दिल खोलकर स्वागत करते है। यह हमे नया जीवन तथा ताजगी देती है।

Varsha Ritu Essay in Hindi (250 Words)

वर्षा को ऋतुओं की रानी कहा गया है। इसका कारण है इसी के कारण पेड़-पौधे, लता व वनस्पतियों की उत्पत्ति एवं विकास होता है। वसंत ऋतु हो या ग्रीष्म, शिशिर हो या हेमंत, वर्षा हो या फिर शरद ऋतु, इन सभी में वर्षा के कारण ही परिवर्तन होता है।

ज्येष्ठ माह की गर्मी के कारण समस्त जीव व्याकुल रहते हैं। ऐसे में वर्षा उन्हें शीतलता प्रदान करती हैं।

वर्षा होने से चारों ओर हरियाली-ही-हरियाली दिखाई देती है। ताल-तलैया जल से भरकर बहने लगते हैं। मेंढक के टर्राने की आवाज़ सुनाई देती है। नदियों में भरपूर जल होता है। किसानों के मुख से अकस्मात् ही गीत के स्वर फूट पड़ते हैं। धान की रोपाई के समय गीत की बहार होती है। उत्तर भारत में गीत, कजली आल्हा गाए जाते हैं। रक्षा बंधन, जन्माष्टमी आदि त्योहार भी इसी समय मनाए जाते हैं। 

Varsha Ritu में कभी-कभी भीषण बाढ़ भी आती है। इसके कारण लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ता है। बाढ़ और तेज़ वर्षा के कारण मकान गिर जाते हैं। करोड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हो जाती है। भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बाढ़ के बाद बीमारियाँ फैलती हैं। इसके परिणामस्वरूप लोगों को अपूर्णनीय क्षति होती है। वस्तुतः फिर भी वर्षा के अभाव में जीवन संभव नहीं है। यही कारण है कि हम सभी ऋतु की रानी वर्षा का भरपूर स्वागत करते हैं।

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Varsha Ritu Par Nibandh in Hindi (350 Words)

भारत में प्रति वर्ष छह: ऋतुएं में आती है – हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, और शरद। सभी ऋतुओं का अपना महत्व तथा अपनी विशेषताएं है, पर इन में वर्षा ऋतु अपना विशेष स्थान रखती है इसे ऋतुओं की रानी की उपाधि दी गई है।

About Varsha Ritu in Hindi

मई जून के महीने में भयंकर गर्मी पड़ती है धरती का कोना कोना तपने लगता है पेड़ पौधे सूख जाते हैं सभी जीव जंतुओं का गर्मी से बुरा हाल हो जाता है। जुलाई के आगमन के साथ ही वर्षा ऋतु आरंभ हो जाती है। आसमान में घटा छा जाती है काले काले बादल घिर जाते हैं। बादलों को देखकर सभी खुश हो जाते हैं ठंडी हवा से गर्मी से राहत मिलने लगती है। रिमझिम बारिश की बूंदे बरसने लगती है बारिश के बाद चारों तरफ हरियाली छा जाती है। नदी नाले तालाब आदि सब पानी से लबालब भर जाते हैं। सब कुछ नया नया सा प्रतीत होने लगता है।

Varsha Ritu Mein Kya Kya Hota Hai

कई बार बारिश के कारण बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है कभी-कभी मुसलाधार पानी बरसने लगता है लगातार वर्षा होने के कारण नदियों में बाढ़ आ जाती है। नदी किनारे के पेड़ पौधे उखड़ कर वह जाते हैं। गांव नगरों में पानी भर जाता है मकान ढह जाते हैं और रास्ते बंद हो जाते हैं। सारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है शहरों में तो वर्षा के कारण और भी बुरा हाल हो जाता है रास्ते में कीचड़ और गंदगी हो जाती है। सड़कों पर गड्ढे में पानी भर जाता है वाहनों का लंबा जाम लग जाता है।

वर्षा में कई प्रकार के कीड़े मकोड़े मच्छर मक्खी आदि पैदा हो जाते हैं। इनसे कई बीमारियां फैल जाती है। इन बीमारियों से बचना आवश्यक हो जाता है, यदि बारिश ना हो तो भी स्थिति खराब हो जाती है। कई राज्यों में सूखा पड़ जाता है। कृषि के लिए पर्याप्त जल नहीं मिल पाता अन्यथा वनस्पतियां उत्पन्न नहीं हो पाती। इन सभी समस्याओं के बावजूद वर्षा ऋतु हमारे जीवन का आधार है। इसके कारण ही पानी आदि संभव हो पाते हैं इसलिए ऋतुओं की रानी की सभी प्रतीक्षा करते हैं।

वर्षा ऋतु निबंध in Hindi (400 Words)

परिचय

Varsha Ritu ऋतुओं की रानी है। सारे संसार में सभी ऋतुओं में यह एक ख़ास ऋतु है। संसार के बड़े-बड़े कवियों एवं लेखकों ने इस ऋतु की काफी प्रशंसा की है और इसपर अच्छी-अच्छी कविताएं अवं निबंध लिखी हैं। यह ऋतु इंसान, जानवर, पेड़-पौधों को जीवन यापन करने में मदद देती है, प्यासों को पानी देती है और माँ की तरह मनुष्य का पालन-पोषण करती है।

प्राकृतिक सौंदर्य

इसके प्रभाव से प्रकृति लहलहा उठती है; सूखे पेड़ – पौधों और सूखी पत्तियों में नयी जान आ जाती है। पुरे संसार में हरियाली छा जाती है। भिन्न-भिन्न प्रकार के पशु – पक्षी अपनी मधुर स्वर से वन और उपवनों की शोभा बढ़ाते हैं।

तालाब में मेंढक टर्र-टर्र आवाज़ करने लगते हैं, दुबली-पतली लताएँ बढ़कर फैलने लगती हैं और वृक्षों से लिपटने लगती हैं। घने जंगलों में मोर पंछी मस्त होकर नाचने और झूमने लगते हैं।
सारी प्रकृति एक नयी उमंग और एक नया रूप धारण कर नये जीवन का अभिनंदन करती है। सूखी नदियां किनारों को तोड़ती-मरोड़ती आगे बढ़ती हैं। और कभी-कभी किनारों के पेड़-पौधों को उखाड़-पछाड़कर गिराने लगती हैं।

इस ऋतु में ऐसा लगता है, किसी ने सारी भूमि पर हरी चादर बिछा दी हो। खेत-खलिहान, बाग-बगीचे, ताल-तलैया, आहर-पोखर-सभी भरे-पूरे हो उठते हैं।
आकाश काले मेघों से भर बिजली चमकाते है और कभी भी बादल गरजते हैं। जब वर्षा की नन्हीं बूंदें छोटे-बड़े पत्तों पर गिरती हैं तब ऐसा लगता है मानो मोती झर रहे हों। गाँव के किसान झूम उठते हैं।

लाभ

Varsa Ritu संसार के लिए नये जीवन का अमृत अथवा बहुमूलय उपहार लेकर आती है। सभी नया जीवन पाकर असीम आनंद का अनुभव करते हैं। यदि वर्षा न हो तो चारों ओर हाहाकार मच जाय, अन्न की उपज न हो और सारे लोग भूख से तड़प कर मर जाएँ, देश में अकाल की स्तिथि होने लगे। इतना ही नहीं, मनुष्य की तरह पशु-पक्षी अन्य जानवर भी मर जाएँगे। वर्षा ऋतू के आभाव में जब पशुओं को खाना नहीं मिलता है, तब उनकी भी हालत गंभीर होने लगती है।

हानि

Varsha Ritu कभी जीवन प्रदान करती है, तो कभी जीवन बर्बाद भी कर देती है। अधिक वर्षा के कारण गांवों और शहरों को डूबा (बाढ़) भी देती है। शहर तो साफ-सुथरी कर जाती हैं, किंतु गाँवों की राहों में कीचड़ जैसी गन्दगी हो जाने के कारण लोगों के आने-जाने में बड़ी कठिनाई होती है।

इस ऋतु में जहरीले कीड़े, मच्छर और मक्खियां बड़ी संख्या में निकल आती हैं, जिनसे मलेरिया, हैजा आदि रोग भयानक रूप धारण कर लेते हैं। लगातार वर्षा होने के कारण गरीबों के मिटटी के घर गिर पड़ते हैं और वे बेघर और लाचार हो जाते हैं। यदि बाढ़ आ जाती है तो, खेत-खलियान और गाँव-घर सब बर्बाद हो जाते हैं।

उपसंहार

Varsha Ritu खुशियों, उत्साह और आशा की ऋतू है। यह जीवन-यापन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि सभी ऋतुओं में इसका सबसे ऊँचा स्थान है यदि यह न होती, तो जीवन और जीवनशैली की सत्ता ही हमेशा के लिए ख़तम हो गयी होती।

Varsha Ritu Essay in Hindi (500 Words)

Varsha Ritu ऋतुओं में पटरानी है। यह जब सज धज कर आती है, तब सारी सृष्टि
चहक उठती है; यह जब कोपभवन में जाती है, तब एक दशरथ की बात कौन कहे,
हरेक प्राणी की आँखों के आगे अँधेरा-सा छाने लगता है। वैसे तो इस ऋतु का पर्यटन काल आश्विन से कार्तिक तक है, किन्तु राम-नाम के युगल वर्णो जैसे पवित्र सावन और भादों मास ही इसकी मनोवांछित लीला-भूमि हैं।

वर्षा ऋतू के गुणगान

Varsha Ritu में प्राकृतिक सौन्दर्य अपनी तरुणाई पर रहता है। लगता है जैसे हरी मखमली कालीन पर प्राकृतिक-सुन्दरी लेटी हो।
इस ऋतु का गुणगानं वैदिक ऋषियों ने ‘निकामे निकामे नः पर्जन्योऽभिवर्षतु’, अर्थात् ‘हमारे मन-मुताबिक बादल बरसा करें कहकर किया था।

तबसे शायद ही कोई उत्कृष्ट कवि हो, जिसने इसकी महिमा न गायी हो। आदिकवि वाल्मीकि ने लिखा है कि बिजली की पताका और बलाका की माला धारण किये हुए शैलशिखर-से डीलडौलवाले मेघ रणमत्त गजेन्द्र की तरह गर्जन करते हैं।
वर्षा-ऋतु के आगमन से सर्वत्र संगीतोत्सव हो जाता है – भौरे का गुंजन वीणा की झंकार है, मेढक की ध्वनि कण्ठताल है तथा मेघगर्जन मृदंग की धमक है।

पंतजी ने लिखा है

झमझम-झमझम मेघ बरसते हैं सावन के
छमछम गिरती बूंदें तरुओं से छन-छनके,
चमचम बिजली लिपट रही रे उर से घन के
थम-थम दिन के नभ में सपने जगते मन के।

‘नजीर’ अकबराबादी फरमाते हैं

बादल हवा के ऊपर ही मस्त छा रहे हैं।
झड़ियों की मस्तियों से धूमें मचा रहे हैं।
ड़ते हैं पानी हरजा जल-थल बना रहे हैं।
गुलजार भींगते हैं, सब्जे नहा रहे हैं।
क्या-क्या मची हैं, यारो, बरसात की बहारें।

Varsha Ritu ke फायदे

वर्षा ऋतु केवल नयन-रंजन ही नहीं करती, इसके आगमन पर ही कृषि का फल निर्भर करता है-ऐसा कविकुलगुरु कालिदास ने ठीक ही कहा है।

अँगरेजी की एक कहावत है “Handsome is that handsome does” वर्षा ऋतु सुन्दर इसलिए भी है कि यह सुन्दर काम करती है। सारे संसार में अकाल का ताण्डव हो जाय, भूख की ज्वाला में सृष्टि की हर खूबसूरत कली मुरझा जाय, यदि वर्षा देवी का पदार्पण न हो।
सावन की बदरिया बरसकर भले ही, किसी दीवानी मीरा को उसके मनभावन के आवन की सुधि दे जाय, किन्तु हमें तो इसमें नवजीवन की शिवा के आगमन की ही सूचना मिलती है।

Varsha Ritu के नुकसान

कभी-कभी अतिवष्टि (बाढ़) हो जाती है और इसमें हमें किसी इन्द्रकोप की भनक मिलने लगती है और तब सरकार को बड़ी मुश्किल से गोवर्द्धन पर्वत उठाना पड़ता है; किन्त अतिवष्टि से जो जन धन की क्षति होती है, उसकी पूर्ति असम्भव है। सचमुच ‘अति’ होती ही बुरी है- अति सर्वत्र वर्जयेत् ! फिर भी, वर्षाऋतु महारानी ही नहीं, वह महादेवी है जिसके कृपा-कटाक्ष के लिए हम सभी लालायित रहते हैं।

उपसंहार

इसके आज्ञाकारी अनुचर मेघ से हम कह उठते हैं—’हे मेघ । तुम सूर्य के लाल नयन में काजल डालकर उसे सुला दो, वृष्टि के चुम्बन बिखेरकर तुम चले जाओ, जिससे हमारे अंग हर्ष से फड़क उठे।

सूर्येर रक्तिम नयने तुमि मेघ !
दाउ से कज्जल पाड़ाओ घूम।
वृष्टिर चुम्बन बिथारि चले जाउ-अंगे हर्षेर पडक झम !

वर्षा ऋतु पर निबंध (600 Words)

भारतवर्ष षट् ऋतुओं का देश है। यहाँ ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत और वसंत का ऋतुचक्र एक-दूसरे के पीछे चलता हुआ एक वर्ष की अपनी मंजिल का घेरा पार कर लेता है। यों तो अपने विशेष रूप-सौंदर्य में हर ऋतू का अपना विशिष्टि स्थान है; पर वसंत को हमारे यहाँ ऋतुराज और वर्षा को ऋतुओं (Varsha Ritu) की रानी कहा गया है। सच्चाई यह है कि हमारे इस कृषि-प्रधान देश भारत में वसंत का वह महत्त्व नहीं है, जो वर्षा का है।

बंसत फरवरी और मार्च इन दो महीनों में अपना सौंदर्य और रूप-रंग चराचर पर बिखेरता हुआ आता है, पर इस देश की 90 प्रतिशत जनता न उसका आगमन देख पाती है और न उसके प्रस्थान को ही अनुभव करती है। कुछ गिने-चुने भले ही वसंत में फूलो-भरी प्रकृति की शोभा देखकर मुग्ध हो उठे, पर अधिकांश के लिए तो उसका आना या न आना दोनों बराबर हैं, जबकि वर्षा के संबंध में यह नहीं कहा जा सकता।

Varsha Ritu को ‘चौमासा’ भी कहा गया है; अर्थात् वर्षा के चार महीने माने जाते हैं। – आषाढ़, सावन, भादों और आश्विन । जेठ को कठिन गर्मी से जब धरती गर्म तवे की तरह जलने लगती है, धूल के गुब्बार नाचते हुए आकाश की तरफ उठकर बहुत ऊँचे चले जाते हैं, दूर-दूर दोपहरी का घना सन्नाटा, काँपती हुई धरती, प्यासे चराचर त्राहि-त्राहि कर उठते हैं तो वर्षा रानी का हृदय पसीज उठता है।

पूर्व दिशा से ठंडी-ठंडी हवा बहने लगती है जो इस बात का सन्देश देती है कि वर्षा रानी की सवारी बहुत दूर नहीं है। अचानक आकाश पर काले-काले बादल लहराने लगते हैं। क्षितिज पर उल्लास से भरे सफेद-सफेद बगलों की पंक्तियाँ उड़ती हैं; अधमरे पशु-पक्षियों और नर-नारियों में नव जीवन का संचार हो उठता है और सबकी आँखें आकाश की ओर प्रतीक्षा में लग जाती है-कब झिमिर-झिमिर वर्षा की अमृत फुहारें बरसने लगें।

सावन और भादों के दोनों महीनों में आकाश काले-काले बादलों से घिरा रहता है। बीच-बीच में बादल गरजते हैं, बिजली चमकती है, धुंआधार वर्षा होती है और तेज़ हवाएँ चलती हैं। कभी-कभी ओले भी गिरते हैं। नद-निर्झर उछल पड़ते हैं; तालाब पानी से भर जाते हैं; गाँव की गलियों और खेत-खलिहानों में पानी भर जाता है। रास्ता चलना कठिन हो जाता है-विशेष रूप में गाँव में रात के समय बरसती वर्षा में बड़ा भयानक दृश्य उपस्थित हो जाता है। ऐसे समय में घोर अंधकार में वर्षा के थपेड़ों को झेलकर इधर से उधर जा पाना सचमुच बड़ी टेढ़ी खीर है।

कभी-कभी तो सुबह से ही आकाश काले-काले बादलों से भरा होता है। मौसम बड़ा सुहावना हो जाता बै। लगता है कि बादल दिन-भर रहेंगे, पर बरसेंगे नहीं। ऐसे मौसम में लोग आनंद मनोरंजन और पिकनिक के विविध कार्यक्रम बनाकर घरों से निकल पड़ते हैं और मौसम का भरपूर आनंद उठाते हैं। उस समय हमें तुलसी की यह चौपाई बहुत याद आती हैं

वर्षाकाल मेघ नभ-छाए। गरजत लागत परम सुहाए।

Varsha Ritu एक सुहावनी ऋतु है। इस ऋतु में लहराते हुए खेत, जंगल और वन बड़े लुभावने लगते हैं, जब बरसती हुई रिमझिम फुहारों में खेतों में मोर नाचते हैं, पपीहे पुकारते हैं और आम मीठे मधुर रस से भरकर चूसने वालों को निमंत्रित करते हैं तो लोग मनाते हैं कि वर्षा की यह सुहावनी ऋतु कभी न जाए; पर ऐसा नहीं होता। चार – पाँच दिन में ही लोग ऊब जाते है और सूर्य को देखने के लिए लालायित हो उठते हैं।

Varsha Ritu Essay in Hindi (1000 Words)

प्रस्तावना

अभी किचित् आशा न थी कि गर्मी की तपन को झूठलाती हुई अकस्मात वर्षा हो जाएगी। गर्मी की तपन से सभी परेशान थे। वृक्षों के नीचे जहाँ तहाँ मोर विश्राम कर रहे थे। केकारव कर गर्मी से अपनी व्याकुलता को प्रकट कर रहे थे। मुर्झाए से बिना जल के अपनी व्यथा को कह रहे थे। तालाब में नित्य आने वाले पक्षी प्यास की व्याकुलता से चोंच उठाए चीख रहे थे, जिन्हें देखकर ऐसा लगता था कि प्रार्थना कर रहे हों कि मेघ जल्दी आओ और हमारी प्यास बुझाओ। मैं मित्रो के साथ ताज-महल के सौंदर्य-दर्शन के लिए आगरा जा रहा था। हम सब कार में थे।

गर्मी के कारण इस यात्रा का निर्णय उचित नहीं लग रहा था। लम्बी यात्रा के बाद पेड़ों की घनी छाया में रुके। जहाँ रूके वहाँ सड़क से कुछ दूर तालाब था। जहा पंछियों की मानसिकता को देखा और परखा। कार खड़ी करके कुछ ही कदमों पर होटल में गए। थोडी देर रुके विश्राम किया। कुछ ही समय बीता होगा कि लगा पक्षियों की प्रार्थना मेघों ने सुन ली और आँधी-तूफान मेघों के साथ आ गया हम देखते ही रह गए और हैरान हुए।

मुसलाधार वर्षा और दिन में ही अंधेरा

तूफान के साथ आकाश में घोर-गर्जना करते हुए बादल घिर आए। मोटी-मोटी बूंदें गिरने लगीं। इतनी ही देर में होटल यात्रियों से भर गया। सभी वर्षा से बचने का प्रयास करने लगे। तालाब में उपस्थित पक्षी सारस द्विगुणित शोर करने लगे। छाया में बैठे मोरों ने पेड़ों की शाखाओं का सहारा लिया प्रसन्नता बिखेरते हुए केकारव करने लगे। देखते ही देखते आकाश में इतने घने बादल छा गए कि दिन में ही अंधेरे का आभास होने लगा।

सूर्य का प्रचण्ड ताप शान्त हो गया। सबसे अच्छा लग रहा था पेड़ों पर बैठे, कलरव करते हुए या नाचते हुए मोर । होटल में एकत्र भीड़ आश्चर्य करते हुए प्रकृति का अदभूत खेल बताते हुए बातें कर रहे थे। देखते ही देखते गड़गड़ाहट के साथ मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई। वाहन जहाँ के तहाँ थम गए।

तूफान के साथ बौछारें होटल में अन्दर आने लगी और सबको भिगोने लगीं। गर्मी में ठिठुरन होने लगी। बौछारो से बचने का प्रयास करने लगे, किन्तु पर्याप्त स्थान न होने के कारण कोई भी बौछारों से बिना भीगे न बच सके। कंपकंपी बढ़ने लगी। वर्षा ने दिन में ही अंधेरे का आभास कराकर अपना चमत्कार दिखाया। थोड़ी देर वर्षा थमी। लोग होटल से बाहर आए, निगाह पसारी, देखा सभी खेत और समीप का तालाब लबालब भर गया। सबने अपने कपडे निचोडे। हम सबके पास दूसरे कपड़े थे। कार की ओर लपके और कपड़े बदले। वहाँ से लौटना उचित समझा और लौट पड़े।

केवल अभी वर्षा थमी थी, या कहो कि बादल श्वाँस ले रहे थे या इण्टरवल हो गया था, बिजली चमक-चमक कर सिंहनाद करके विज्ञापन दिखा रही थी और भय पैदा कर रही थी। कार लौटा कर मोड़कर वापस आने का मन बना कर लौटने लगे क्योंकि ताजमहल के सौन्दर्य को देखने का उत्साह बिजली की चमक ने पूर्णतः समाप्त कर दिया।

वर्षा के आनन्द में भय

अब ताजमहल के सौन्दर्य दर्शन से प्रकृति का सौन्दर्य मनोहारी और भयदायक अधिक लग रहा था। अब गर्मी नहीं सूर्य की तपन नहीं थी। इधर-उधर निहार रहे थे। पेड़ों की मुर्झाई पत्तियाँ नाँच-नाँच कर हवा के साथ साँय-साँय कर रही थीं। पुरी तरह आनन्द विभोर दिखाई दे रही थी।

पत्तियों के साथ कार भी सॉय-साँय करते हुए वेग से बढ़ रही थी। इतने में इष्टरवल समाप्त हआ, वर्षा ने फिर दूसरा दृश्य दिखाना शुरू कर दिया। हृदय को कँपा देने वाली बार-बार बिजली कडकने लगी। सर्प सी लहरियाँ लेते हुए बिजली कौंधने लगी। ऐसी लगती कि बिजली की चमक हमें ही छू लेना चाहती है।

वर्षा का आनन्द और भय दाना के साथ समाए हुए थे। वर्षा का वेग पल-पल तेज होता जा रहा था कि कार की गति कम करनी पड़ी। सामने स आते वाहन लाइट जलाने पर समीप आने पर ही दिखाई देते थे। आगे बढ़े और देखा कि प्रकृति का सौन्दर्य व्यवधान बन गया। छोटे-बड़े वाहन पक्की सड़क से नीचे उतरने पर दल-दल हुए धरती में धंस गए।

वर्षा के कारण निकलने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा था। लोग काँप रहे थे। फिर थोड़ी दूर पर विशाल वृक्ष गिर कर चुनौती दे रहा था कि अब मुझे पार कर नहीं निकल सकते। पीछे धंसे वाहनों की तरह कहीं हमारी कार भी दल-दल में न धंस जाए। साहस बटोरकर मन में भय लिए राम-राम करते हुए धीरे-धीरे किनारे से निकल गए। घर की सीमा में पहुँचे। राहत की सांस लौटी, दिन में अंधेरा था अब सांय और रात का अंधेरा होने वाला था। दिन में ही तारे कैसे दिखाई देते हैं, यह आज साक्षात् अनुभव हो गया। चारों ओर पानी ही पानी था।

जान बची तो लाखों पाए

यद्यपि घर तक जाने का रास्ता पक्का था, किन्तु पानी ने उसे पूरी तरह ढक लिया था। धीरे-धीरे अनुमान से रास्ता ढूँढ़ते हुए रेंगते हुए अन्ततः घर पहुँचे। घर पहुँचते ही अपने परिवार और पड़ौसी हमें उसी दिन लौटा हुआ पाकर उपहासात्मक प्रश्नों की बौछार कर रहे थे। ताजमहल क दर्शन हुए? कैसा था ताजमहल, वर्षा में उसकी धूल आदि धुल गई होगी और अधिक सुन्दर, चमकदार लगा होगा ? ऐसे-ऐसे प्रश्न किए जा रहे थे। कोई कह रहे थे-वर्षा का आनन्द जो इन्होंने लिया, और कोई क्या लेगा। यही क्या कम है-कि जान बची तो लाखों पाए, लौट के बुद्धू घर आए। भगवान का शुक्र है सही-सलामत घर आए।

वर्षा ऋतू के नुक्सान

प्रकृति के ऐसे चमत्कारों में भी एक चमत्कार है, कि गए थे, भयावह गर्मी थी, और लौटे कंपा देने वाली ठण्ड और चारों ओर पानी। एक ही दिन में धरती की प्यास बुझ गई। पक्षियों के रेन-बसेरे नष्ट हो गए। पशुओं के लिए कयामत बन गई। झोंपड़ी आदि में रहने वालों के लिए वर्षा कहर बन गई। यह वर्षा हमारे लिए अनेक प्रश्न खड़े कर गई कि प्रकृति से कोई पार नहीं पा सकता है। अनुकूल वर्षा ही हित कर होती है।

वर्षा का अभाव अकाल का कारण होता है। त्राहि-त्राहि का स्वर धीरे-धीरे सुनाई देता है तो अतिवर्षा विनाश का ताण्डव करती है। अतिवर्षा में यकायक ही त्राहि-त्राहि का स्वर एक साथ ही फूट पड़ता है। श्रावण माह के गीत चीख-पुकारों में बदल जाते हैं। नदियाँ अपने प्रवाह में गाँवों को डुबोती हुई फसलों को चौपट करती हुई उच्छृखल हो जाती हैं।

उपसंहार

सारी व्यवस्थाएँ चरमरा जाती हैं। जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो तड़प उठता है। यही वर्षा प्राणि-जगत, वनस्पति जगत का आधार है। अतः इसके अति और अभाव दोनों रूप भयावह होते हैं। नदी-नालों का वर्षा में इतराना, इठलाना, मेढ़कों का टर्राना, मोरों का नाचना, प्रकृति का उन्माद तभी अच्छा लगता है जब वर्षा अनुकूल होती है। वह अमृत-तुल्य होती है। ऐसी वर्षा के प्रति तुलसीदासजी ने कहा है

वर्षाकाल मेघ नभ छाए।
गरजत लागत परम सुहाए।

तो दोस्तों आपको यह Varsha Ritu Hindi Essay पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

वर्षा ऋतु में क्या क्या किया जाता है?

वर्षा ऋतु में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं। ये हर एक के लिये शुभ मौसम होता है और सभी इसमें खुशी के साथ ढेर सारी मस्ती करते है। इस मौसम में हम सभी पके हुये आम का लुत्फ उठाते है। वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है।

वर्षा ऋतु के आगमन पर क्या क्या होता है?

ना होती बारिश, धरती बंजर और वीरान था। कितना मूल्यवान है वर्षा जल और धरती का संरक्षण, बंद करो व्यर्थ बहाना,वनाच्छादित जमीन का भक्षण। वर्षा ऋतु का आगमन कितना उत्साहित है मन।

वर्षा ऋतु में कौन कौन से परिवर्तन होते हैं?

1 Answer.
वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन-वर्षा को जीवनदायिनी ऋतु कहा जाता है। ... .
ग्रीष्म ऋतु में तवे सी जलने वाली धरती शीतल हो जाती है।.
धरती पर सूखती दूब और मुरझाए से पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं।.
पेड़-पौधे नहाए-धोए तरोताज़ा-सा प्रतीत होते हैं।.
प्रकृति हरी-भरी हो जाती हैं तथा फ़सलें लहलहा उठती हैं।.

वर्षा ऋतु का दूसरा नाम क्या है?

इस मौसम में सूर्य देव धरती पर जमकर अपनी कृपा बरसाते हैं. इसमें दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं. यह ऋतु मई और जून में रहता है. वर्षा को मॉनसून कहा जाता है.

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