यूरेनियम उत्पादन में कौन सा राज्य प्रथम है? - yooreniyam utpaadan mein kaun sa raajy pratham hai?

इस जगह का पता लगाने के लिए यहां चार साल तक सर्वे किया गया. परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव श्रीकुमार बनर्जी का कहना है कि तुमालापल्ली में पाए गए इस खदान में से डेढ़ टन यूरेनियम मिल सकता है. भारत के एक दैनिक ने बनर्जी के हवाले से रिपोर्ट दी है, "अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि खान में 49,000 टन अयस्क है. और इस बात के संकेत हैं कि वहां का भंडार इसका तिगुना हो सकता है."

उनका कहना है, "अगर ऐसा होता है, तो यह दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार होगा."

पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि इस भंडार में सिर्फ 15,000 टन यूरेनियम हो सकता है. भंडार में इस साल के आखिर से काम शुरू हो जाएगा. हालांकि तुमालापल्ली में पाए गए यूरेनियम की गुणवत्ता के बारे में कुछ नहीं बताया गया है. भारत में पहले से भी यूरेनियम के भंडार हैं लेकिन गुणवत्ता में वे उतने अच्छे नहीं हैं. इसलिए भारत को फ्रांस, कजाकिस्तान, रूस और दूसरी जगहों से यूरेनियम का आयात करना पड़ता है.

हालांकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि नई सप्लाई के बाद भी भारत अपनी जरूरत का यूरेनियम नहीं जुटा सकता है और इसके बाद भी उसे दूसरे देशों से यूरेनियम का आयात करना होगा.

भारत अपनी ऊर्जा जरूरत का तीन प्रतिशत से भी कम हिस्सा परमाणु ऊर्जा के तौर पर हासिल करता है और इसकी कोशिश है कि 2050 तक इसे बढ़ा कर कुल जरूरत का एक चौथाई कर दिया जाए.

Q. विश्व का सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक देश कौन सा है?
Answer: [D] कजाखस्तान
Notes: कजाखस्तान यूरेनियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, 23,800 टन यूरेनियम का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जाता है, जो की वैश्विक उत्पादन का 39.3% हिस्सा है।

आंध्र प्रदेश के बाद झारखंड में ही यूरेनियम सबसे अधिक भंडार है। पूर्वी सिंहभूम जिले में ही इसके सात खानें हैं। खनन और प्रसंस्करण की प्रक्रिया बहुत ही सुरक्षित है। खनिकों के लिए भी स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है। यह कहना था यूरेनियम कारपोरेशन आॅफ इंडिा के वरिष्ठ प्रबंधक डाॅ. ए षाडंगी का।

एनआईटी में चल रहे खनिज प्रसंस्करण कार्यशाला के पांचवें दिन अतिथि के तौर पर पहुंचे यूसिल के वरिष्ठ प्रबंधक डाॅ. ए षाडंगी ने कहा कि यूरेनियम प्रसंस्करण की प्रक्रिया बताई। उन्होंने कहा कि जो देश यूरेनियम का ज्यादा उत्पादन करते है, वे इसका उपयोग नहीं करते। वहीं जो यूरेनियम उपयोग करते है, उत्पादन में सक्ष्म नहीं है। भारत में यूरेनियम का उत्पादन हो रहा है, पर आवश्यकता से कम। हमारे यहां जो यूरेनियम अयस्क हैं वह बहुत ही निम्न कोटि का है, फिर भी भारत तकनीकी विकास कर यूरेनियम की आवश्यकता पूरा करने में प्रयासरत है, इस दौरान उन्होंने कहा कि यूरेनियम की आवश्यकता को पूरा करने के लिए वैकल्पिक साधन जैसे समुद्र का जल और अत्यधिक खाद से प्रभावित मिट्टी से यूरेनियम उत्पादन का तकनीक विकसित करने के प्रयास का बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कुछ देश डीप लिचिंग प्रक्रिया अपनाते हैं। भारत में पर्यावरण की दृष्टि से यह उचित नहीं है। इसलिए हम यहां उस पद्धति का उपयोग नहीं करते हैं।

कार्यशाला में यूसिल के वरिष्ठ प्रबंधक डाॅ. ए षाडंगी ने यूरेनियम प्रसंस्करण की प्रक्रिया बताई
प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते एक्सपर्ट

मनी मैटर्स ने खींचा ध्यान
नवल किशोर ने प्रतिभागियों के साथ \\\"मनी मैटर्स\\\" चर्चा की। उन्होंने पैसे के बारे में कहा कि पैसा कहता है \\\"अगर आज तुम मुझे संभाल लोगे तो कल मैं तुम्हें संभाल लूंगा\\\"। एनआई टी के डाॅ. रंजीत प्रसाद ने खनिज प्रसंस्करण के विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला। प्रथम सत्र की अध्यक्षता मेटलर्जी विभाग केबीके सिंह एवं एनएमएल के डाॅ. केडी मेहता ने किया। दूसरे सत्र में प्रतिभागी एनएमएल का पायलट प्लांट देखने के लिए गए और खनिज प्रसंस्करण में उपयोग होने वाले उपकरणों को देखा और कार्य प्रक्रिया को समझा। शनिवार को कार्यशाला का समापन समारोह है। समारोह के मुख्य अतिथि विज्ञान और तकनीकी विभाग के निदेशक डाॅ. अरुण कुमार होंगे और विशिष्ट अतिथि टाटा स्टील के क्वालिटी हेड डॉक्टर अनूप कुमार होंगे।

यूरेनियम खनन जमीन से यूरेनियम अयस्क की निकासी की प्रक्रिया है। 2015 में दुनिया भर में यूरेनियम का उत्पादन 60,496 टन हुआ था। पूरे दुनिया में 63 फीसदी उत्पादन मात्र तीन देशों कजाकिस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में होता है। इन तीन देशों के अलावा एक हजार टन उत्पादन करने वाले देशों में निगेर, रूस, नामीबिया, उज्बेकिस्तान, चीन, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन हैं। खनन से प्राप्त यूरेनियम का लगभग पूरी तरह से परमाणु संयंत्रों में ईंधन के रूप में प्रयोग होता है।

यूरेनियम अयस्क प्राप्त करने हेतु अयस्क सामग्री को पिसा जाता है, जिससे सभी कण समान आकार के हो और उसके पश्चात रासायनिक अभिक्रिया द्वारा यूरेनियम को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा एक पीले रंग का शुष्क चूर्ण प्राप्त होता है। इसे यूरेनियम के बाजार में U3O8 के रूप में बेच दिया जाता है।

यूरेनियम का खोज वर्ष 1789 में किया गया था, लेकिन खनन करने वालों ने यूरेनियम अयस्क को पहले ही देख लिया था। यूरेनियम का ऑक्‍साइड जो राल जैसी वस्तुओं में पाया जाता है, के बारे में क्रूसने होरी ने वर्ष 1565 में बताया था। इसके बाद और इसके खोज से पूर्व जैचीमोव में 1727 और स्च्वर्जवल्ड में 1763 में इसके अयस्क मिलने का पता चला था।

उन्नीसवीं सदी में यूरेनियम अयस्क बोहेमिया और कॉर्नवल में खनन करने से प्राप्त होता था। पहली बार जानकर इसके खनन का कार्य जैचीमोव में हुआ था। इसे चाँदी खनन का शहर भी कहा जाता है। मैरी क्यूरी ने भी जैचीमोव से निकाले अयस्क से ही रेडियम नामक तत्व को अलग किया था। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले तक इसका उपयोग मुख्य रूप से रेडियम प्राप्त करने के लिए किया जाता था। इसका उपयोग स्वास्थ्य से जुड़े कार्यों, घड़ी और अन्य चीजों में चमकीले रंग के रूप में किया जाता था, पर इसका उपयोग कुछ अन्य स्थानों में भी किया गया था, जो हानिकारक था। इस यूरेनियम का उपयोग मुख्यतः पीले रंग में उपयोग किया जाता था।

खुले खड्ढे वाली विधि में ऐसे स्रोतों को ढूंढा जाता है, जहां अयस्क प्राप्त हो सके। इस विधि में उस स्थान पर खोदाई की जाती है या उस जगह को विष्फोट द्वारा उड़ाया जाता है, जिससे अयस्क का हिस्सा दिखने लगे। इस प्रक्रिया में लोडर और डंप ट्रकों का इस्तेमाल किया जाता है। विकिरण अर्थात रेडिएशन से बचने के लिए मजदूर ज़्यादातर अपने कैबिन में रहते हैं। इसके अलावा ऐसे स्थानों में धूल के कर्ण बहुत अधिक मात्रा में उड़ते रहते हैं, जिसे कम करने के लिए ऐसे जगहों में अत्यधिक मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

भूमिगत खनन और खुले गड्ढे की विधि में कोई खास अंतर नहीं है। यदि अयस्क भूमि के काफी भीतर उपस्थित हो, तो ऐसी स्थिति में खुले गड्ढे वाली विधि के स्थान पर भूमिगत खनन विधि का उपयोग किया जाता है। यह विधि भी काफी हद तक उसी प्रकार होती है, जिस प्रकार सोने, तांबे एवं अन्य ठोस अयस्कों को निकाला जाता है। इसमें सुरंग बनाए जाते हैं, जिससे भूमिगत खदान तक पहुंचा जा सके।

वर्ष 1981 से अमेरिका का ऊर्जा विभाग, वहाँ के यूरेनियम की कीमतों और तादाद के बारे में जानकारी देता रहता है। इसकी कीमत वर्ष 1981 में 32.90 अमेरिकी डॉलर प्रति पाउण्ड U3O8 थी। यह 1990 में गिरकर 12.55 पर आ गया और 2000 में यह 10 अमरीकी डॉलर से भी नीचे चला गया। यूरेनियम का मूल्य 1970 के आसपास बहुत अधिक था, परमाणु सूचना केन्द्र ने 1978 में बताया कि ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम की कीमत इस दौरान 43 अमरीकी डॉलर/lb-U3O8 थी। यूरेनियम का अब तक का सबसे कम मूल्य वर्ष 2001 में था। इस दौरान इसकी कीमत 7 डॉलर प्रति एलबी था, लेकिन अप्रैल 2007 में इसकी कीमतों में उछाल आया और मूल्य बढ़ कर 113 अमेरिकी डॉलर हो गया।

भारत में यूरेनियम उत्पादन में प्रथम राज्य कौन सा है?

आंध्र प्रदेश के बाद झारखंड में ही यूरेनियम सबसे अधिक भंडार है।

यूरेनियम के उत्पादन में कौन सा देश प्रथम स्थान पर है?

सही उत्तर कज़ाकिस्तान है। 50 वर्षों से अधिक से, कज़ाकिस्तान यूरेनियम का एक प्रमुख उत्पादक रहा है। कज़ाकिस्तान में दुनिया के यूरेनियम भण्डार का 12% है। 2001 और 2013 के बीच आउटपुट 2022 से बढ़कर लगभग 22,550 U टन प्रति वर्ष हो गया, जिससे कज़ाकिस्तान यूरेनियम का दुनिया का अग्रणी उत्पादक बन गया।

भारत में यूरेनियम का उत्पादन कहाँ सबसे अधिक होता है?

आंध्र प्रदेश में कडप्पा ज़िले के तुम्मलपल्ली में डेढ़ लाख टन यूरेनियम का भंडार होने की संभावना पर सरकारी स्तर पर तो ख़ुशी जताई गई है मगर इस बात को लेकर भी आशंकाएँ हैं कि वहाँ उपलब्ध यूरेनियम का कितना इस्तेमाल हो पाएगा.

विश्व में सबसे अधिक यूरेनियम का उत्पादन कहाँ होता है?

Notes: कजाखस्तान यूरेनियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, 23,800 टन यूरेनियम का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जाता है, जो की वैश्विक उत्पादन का 39.3% हिस्सा है

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