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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक डायरी लिखी गई थी, जो दुनिया में अब भी सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक है. इस डायरी को किसी बड़े लेखक ने नहीं बल्कि एक छोटी सी बच्ची ने लिखा था. जिसका नाम ऐन फ्रैंक था. डायरी का नाम था 'The Diary of young girl'. ऐन फ्रैंक का परिवार यहूदी होने की वजह से एमस्टर्डम में छिपकर रह रहा था लेकिन वह नाजियों की नजर से बच नहीं पाए और पकड़े गए. जिसके बाद इस छोटी बच्ची ऐन ने अपनी डायरी में छिपकर रहने के दौरान बिताई गई जिंदगी के बारे में लिखा है. आइए जानते हैं ऐन की डायरी के बारे में...
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ऐन फ्रैंक का जन्म आज ही के दिन 12 जून 1929 को हुआ था.
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इस डायरी में 12 जून 1942 से 1 अगस्त 1944 के बीच उनकी जिंदगी में जो घटा ब्यौरा है. यह डायरी उन्हें 13वें जन्मदिन पर तोहफे में मिली थी.
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ऐन फ्रैंक की डायरी में दिल को छू जाने वाले और युद्ध से लोगों का जीवन किस कदर प्रभावित होता है, उसके बारे में विस्तार से बताया गया है. ऐन फ्रैंक की मौत यातना शिविर में हुई थी.
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ऐन की लिखी हुई ये डायरी उनके पिता ने पहली बार 1947 में छापी थी. लेकिन बाद में उन्हें पकड़कर बर्गेन-बेल्सन प्रताड़ना केंद्र (torture centre) भेज दिया गया, जहां उनकी टाइफस की वजह से मौत हो गई थी.
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इस डायरी की 3 करोड़ प्रतियां बिकी और 67 भाषाओं में अनुवाद किया था.
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बता दें, जब नीदरलैंड पर नाजी ने कब्जा कर लिया तो ऐन और उसके परिवार को दो साल अपने परिवार के साथ छिपी रही थीं.
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जब ऐन को 13वें जन्मदिन पर डायरी गिफ्ट की गई तो उन्होंने अपनी डायरी का नाम 'Kitty' रखा था. जिसमें वह अपने दिनचर्या और दोस्तों के बारे में लिखा करती थी.
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ऐन ने 12 जून 1942 को डायरी में पहली एंट्री में जो लिखा वह था - "मुझे उम्मीद है कि मैं तुमको सब कुछ बता पाउंगी क्योंकि मैंने अब तक यह बात किसी से नहीं कही है, और मैं आशा करती हूं की तुमसे मुझे चैन और सुकून मिलेगा''. ऐन फ्रैंक का निधन 12 मार्च 1945 में हुआ था.
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ऐन की डायरी में लास्ट पेज में 1 अगस्त 1944 में लिखा है कि 4 अगस्त 1944 को, उस गुप्त आवास में रहने वाले आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसमें मीप गीस और बेप फोस्क्यूल दो सचिव थे, जो उस भवन में काम कर रहे थे, उनको ऐन की डायरियां फर्श पर बिखरी-फैली मिलीं थी.
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मीप गैस ने सुरक्षा के ख्याल से उनको उठाकर मेज की दराज में रख दिया. लड़ाई यानी द्वितीय महायुद्ध के बाद जब यह बात साफ हो गई कि ऐन इस दुनिया में नहीं रही, तो उसने उन डायरियों को बिना पढ़े ही ऐन के पिता ओटो फ्रांक को सौंप दिया.
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काफी सोच-विचार करके ओटो फ्रांक ने अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने और उस डायरी को प्रकाशित करने का निर्णय लिया. (एेन फ्रैंक की घर की तस्वीरें (फोटो: gettyimages)
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आपको बता दें, ऐन ने उस समय अपनी डायरी को लिखना शुरू किया जब वह 13 साल की थी और जब उसने यह डायरी लिखनी छोड़ी उस समय ऐन की उम्र 15 साल थी. ऐन ने अपनी डायरी में पसंद और नापसंद के बारे में बेहिचक लिखा. (एेन फ्रैंक की घर की तस्वीरें (फोटो: gettyimages)
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1980 में जब ओटो फ्रांक की मृत्यु हुई, तो वे अपनी बेटी की पांडुलिपि की वसीयत एम्सटर्डम स्थित नीदरलैंड स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर वार डाक्यूमेंटेशन के नाम कर गए, क्योंकि इस डायरी की विश्वसनीयता को इसके प्रकाशन के समय से ही चुनौती दी जाती रहीं. जब हर प्रकार से यह बात साबित हो गई कि यह डायरी असली है, तो इसे सम्पूर्ण रूप में और इस संबंध में किए गए विस्तृत अध्ययन के परिणामों के साथ प्रकाशित किया गया. (एेन फ्रैंक की घर की तस्वीरें (फोटो: gettyimages)
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बात दें, ऐन फ्रैंक की डायरी मिलने के कुछ ही महीने बाद ब्रितानी और कनाडाई सैनिकों ने नीदरलैंड को नाजियों से मुक्त करा लिया.
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ऐन फ्रैंक की डायरी के बारे में सीबीएसई की 10वीं क्लास में 'The Story Of A Young Girl' के नाम से चैप्टर है. ऐन फ्रैंक ने डायरी में लिखा था - 'मैं परेशानियों के बारे में कभी नहीं सोचती , बल्कि उन अच्छे पलों को याद करती हूं जो अब भी बाकी हैं. एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में आज भी ऐन फ्रैक की डायरी का काफी महत्व है. (फोटो: gettyimages)