भारत के 11 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं? - bhaarat ke 11 maulik adhikaar kaun kaun se hain?

|| भारत के संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं? भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार क्या क्या हैं? भारत में कुल कितने मौलिक अधिकार है? 7 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं? 11 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं? भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार क्या है? ||

हमारे देश के संविधान में नागरिकों को क्या अधिकार प्रदान किए गए हैं? इनमें मौलिक अधिकार कितने हैं? उसके कर्त्तव्य क्या हैं? आदि के बारे में जानना केवल इसलिए आवश्यक नहीं है कि ये प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुतायत से पूछे जाते हैंए वरन इनके बारे में जानना इसलिए भी आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक को उसके संविधान के बारे में जानकारी होनी ही चाहिए।

अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति उसे सजग होना ही चाहिए। आज इस पोस्ट में हम यही कोशिश करेंगे। आपको बताएंगे कि भारत के संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं? भारत के नागरिक को संविधान में कौन से मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं? आइए शुरू करते हैं.

संविधान क्या है? (What is constitution?)

दोस्तों, इससे पूर्व कि हम भारत के संविधान में कुल अनुच्छेद की बात करें एवं भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को जानें, पहले यह जानना जरूरी है कि संविधान क्या है? (What is constitution?) आपको बता दें कि यह किसी भी देश का मौलिक कानून है।

यह सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा एवं मुख्य कार्यों का निर्धारण करता है। यह सरकार एवं देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है। सरकार के मुख्य अंगों विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की व्यवस्था करता है।

यह नागरिकों के अधिकारों एवं स्वतंत्रता (rights and freedom) की रक्षा करता है। साथ ही राज्य को वैचारिक समर्थन एवं वैधता प्रदान करता है। भविष्य के मद्देनजर यह आदर्श शासन संरचना का भी निर्माण करता है।

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भारत का संविधान कब पारित एवं लागू हुआ? (When did indian constitution pass?)

दोस्तों, आपको बता दें कि भारत के संविधान (constitution of India) को संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को पारित किया। इसे देश भर में 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इस दिन को भारत देश में गणतंत्र दिवस (republic day) के रूप में भी मनाते हैं।

गण का अर्थ है लोग (people) यानी नागरिक एवं तंत्र का अर्थ है सिस्टम (system)। हमारा देश लोकतांत्रिक व्यवस्था (democratic system) पर आधारित है। इसीलिए इसे गणतंत्र पुकारा गया। लोकतांत्रिक शासन का अर्थ है-जनता का शासन, जनता के लिए, जनता के द्वारा।

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भारत के संविधान की क्या क्या विशेषताएं हैं? (What are the special features of Indian constitution?)

मित्रों, अब हम आपको जानकारी देंगे कि भारत के संविधान की क्या क्या विशेषताएं हैं। हमारे संविधान की कई ऐसी खासियत हैं, जो दूसरे देशों के संविधान में देखने को नहीं मिलतीं। हमारे देश के संविधान की ये विशेषताएं इस प्रकार से हैं.

  • यह दुनिया का सबसे विस्तृत एवं लिखित (detailed and written) संविधान है।
  • इसमें विभिन्न देशों जैसे-ब्रिटेन (Britain), अमेरिका (America), आस्ट्रेलिया (Australia), जापान (Japan), जर्मनी (Germany), कनाडा (Canada), आयरलैंड (Ireland), रूस (Russia) आदि के संविधानों की विशेषताओं को सम्मिलित किया गया है।
  • भारत में संघ एवं राज्य (union and state) दोनों के लिए एक ही संविधान है। यह एकता एवं राष्ट्रवाद (unity and nationalism) का सम्मिश्रण है।
  • भारत का संविधान एक साथ कठोर (solid) भी है एवं लचीला (flexible) भी। जैसे-इसमें संशोधन के लिए विशेष प्रक्रियाओं की आवश्यकता है। लचीला इस प्रकार से कि तय होने के बाद संशोधन आसानी से किया जा सकता है।
  • भारत का संविधान 18 वर्श से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, लिंग आदि से परे समान दृष्टि से देखता है। उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव निषिद्ध है।

भारत के संविधान में कितने अनुच्छेद हैं? (How many articles are there in the Indian constitution?)

दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के संविधान में कुल 470 अनुच्छेद (article) हैं। इसके 25 भाग हैं एवं 12 अनुसूचियां हैं। मूल रूप से संविधान में 395 अनुच्छेद थे। वह 22 भाग एवं 8 अनुसूचियों में विभक्त था।

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लेकिन लगातार संवैधानिक संशोधन अधिनियमों (constitutional amendment acts) के पश्चात अब 75 अनुच्छेद अधिक हो गए हैं। अब हम आपको बताएंगे कि प्रत्येक अनुच्छेद में किस प्रकार के प्रावधान (provision) किए गए हैं। इसकी जानकारी इस प्रकार से है.

1. अनुच्छेद 1-4 संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र, नए राज्य का निर्माण।
2. अनुच्छेद 5-11 नागरिकता संबंधी प्रावधान।
3. अनुच्छेद 12-35 मौलिक अधिकार संबंधी प्रावधान।
4. अनुच्छेद 36-51 राज्य के नीति निर्देशक तत्व।
4ए. अनुच्छेद 51ए मौलिक कर्तव्य संबंधी प्रावधान।

5. अनुच्छेद 52-151 इसमें संघ सरकार संबंधी प्रावधान किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं-।

  • अध्याय-1 अनुच्छेद 52-78 कार्यकारी।
  • अध्याय-2 अनुच्छेद 79-122 संसद।
  • अध्याय-3 अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां।
  • अध्याय-4 अनुच्छेद 124-147 संघ न्यायपालिका।
  • अध्याय-5 अनुच्छेद 148-151 भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक।

6. अनुच्छेद 152-237 राज्य सरकार से संबंधित प्रावधान, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • अध्याय-1 अनुच्छेद 152 सामान्य।
  • अध्याय-2 अनुच्छेद 153-167 कार्यपालिका।
  • अध्याय-3 अनुच्छेद 168-212 राज्य विधानमंडल।
  • अध्याय-4 अनुच्छेद 213 राज्यपाल की विधायी शक्तियां।
  • अध्याय-5 अनुच्छेद 214-232 उच्च न्यायालय।
  • अध्याय-6 अनुच्छेद 233-237 अधीनस्थ न्यायालय

7. 7वें संविधान संशोधन अधिनियम 1956 द्वारा निरसित पहली अनुसूची के बी भाग वाले राज्य।
8. अनुच्छेद 239-242 केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन संबंधी प्रावधान।
9. अनुच्छेद 243-243O पंचायतों संबंधी प्रावधान।
9ए. अनुच्छेद 243P से 243ZG नगरीय निकायों संबंधी प्रावधान।
9बी. अनुच्छेद 243H से 243ZT सहकारी समितियां।
10. अनुच्छेद 244-244A अनुसूचित एवं जनजातीय क्षेत्र संबंधी प्रावधान।

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11. अनुच्छेद 245 से 263 संघ एवं राज्यों के बीच संबंध, इनका ब्योरा इस प्रकार से है-

  • अध्याय-1 अनुच्छेद 245-255 विधायी संबंध।
  • अध्याय-2 अनुच्छेद 256-263 प्रशासनिक संबंध

12. अनुच्छेद 264-300A वित्त, संपत्ति, अनुबंध एवं सूट। इनका ब्योरा कुछ यूं है-

  • अध्याय-1 अनुच्छेद 264-291 वित्त।
  • अध्याय-2 अनुच्छेद 292-293 उधार लेना।
  • अध्याय-3 अनुच्छेद 294-300 संपत्ति, अनुबंध, अधिकार, कर्तव्य, दायित्व एवं सुविधाएं।
  • अध्याय-4 अनुच्छेद 300A संपत्ति का अधिकार।

13. अनुच्छेद 301-307 भारत के क्षेत्र के अंतर्गत व्यापार, वाणिज्य एवं समागम।
14. अनुच्छेद 308-323 संघ एवं राज्यों के अधीन सेवाएं।
14ए. अनुच्छेद 323A-323B न्यायाधिकरण।
15. अनुच्छेद 324-329A चुनाव।
16. अनुच्छेद 330-342 कुछ वर्गों के संबंध में विशेष प्रावधान।

17. अनुच्छेद 343-351 आधिकारिक भाषा

  • अध्याय-1 अनुच्छेद 343-344 संघ की भाषा।
  • अध्याय-2 अनुच्छेद 346-347 क्षेत्रीय भाषाएं।
  • अध्याय-3 अनुच्छेद 348-349 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की भाषा।
  • अध्याय-4 अनुच्छेद 150-351 विशेष निर्देश

18. अनुच्छेद 352 से 360 आपात उपबंध संबंधी प्रावधान।
19. अनुच्छेद 361-367 विविध।
20. अनुच्छेद 368 संविधान संशोधन।
21. अनुच्छेद 169-392 अस्थाई, संक्रमणकालीन एवं विशेष प्रावधान।
22. अनुच्छेद 393 से 395 संक्षिप्त नाम, प्रारंभ एवं निरसन हिंदी में प्राधिकृत पाठ।

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भारत में नागरिकों के कितने मौलिक अधिकार हैं? (How many fundamental rights indian citizens have?)

दोस्तों, आपको बता दें कि इस समय देश के नागरिकों को कुल 6 मौलिक अधिकार हैं। हालांकि पहले देश के नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार (fundamental rights) प्राप्त थे। इनमें संपत्ति का अधिकार (right to property) भी शामिल थाए लेकिन बाद में 1978 में 44वें संशोधन अधिनियम द्वारा उसे मौलिक अधिकारों की श्रेणी से बाहर कर (out of fundamental category) दिया गया।

अलबत्ता, यह देश में अब एक कानूनी/विधिक अधिकार (legal right) है। मौलिक अधिकारों की बात करें तो इस समय भारत के नागरिकों को जो 6 मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, वे इस प्रकार से हैं.

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1. समानता का अधिकार (right to equality)

दोस्तों, सबसे पहली बात समानता के अधिकार की। भारतीय संविधान भारत देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। संविधान के अनुच्छेद 14-18 में इस अधिकार की विस्तृत व्याख्या दी गई है। इसके मुख्य अनुच्छेद एवं उसके आशय इस प्रकार हैं.

  • अनुच्छेद 13 : मौलिक अधिकारों के साथ असंगत अथवा उनका अपमान करने वाले कानूनों की व्याख्या।
  • अनुच्छेद 14 : कानून के समक्ष समानता की बात।
  • अनुच्छेद 15 : धर्म, नस्ल, जाति, लिंग अथवा जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध।
  • अनुच्छेद 16ः सार्वजनिक रोजगार के मसलों में अवसरों की समानता की बात।
  • अनुच्छेद 17ः अस्पृश्यता यानी छुआछूत का उन्मूलन।
  • अनुच्छेद 18ः उपाधियों का उन्मूलन।

2. स्वतंत्रता का अधिकार (right to freedom)

दोस्तों, स्वतंत्रता का अधिकार एक आजाद देश के स्वतंत्रता से रहने, बोलने आदि के अधिकार से संबंधित है। आपको बता दें कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक इस अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है। इससे संबंधित मुख्य अनुच्छेद एवं उनका आशय इस प्रकार से है.

  • अनुच्छेद 19 : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में कुछ अधिकारों का संरक्षण।
  • अनुच्छेद 19(1)(a) : भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 19(1)(b) : शांतिपूर्वक एवं बगैर हथियार एकत्र होने की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 19(1)(c) : संघ अथवा संघ बनाने की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 19(1)(d) भारत के संपूर्ण क्षेत्र में आजादी से घूमने की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 19(1)(e) भारत देश के राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग में निवास करने एवं बसने की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 19(1)(g) किसी भी पेशे का अभ्यास, व्यवसाय/व्यापार करने की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद 21 : जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
  • अनुच्छेद 21A : प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार।

3. शोषण के विरूद्ध अधिकार (right against exploitation)

मित्रों, शोषण के विरूद्ध अधिकार वह हथियार है, जिसका इस्तेमाल भारत के नागरिक अपने शोषण एवं अन्याय के खिलाफ कर सकते हैं। अनुच्छेद 23 से अनुच्छेद 24 तक में इसकी व्याख्या है। इसके मुख्य अनुच्छेद एवं उनका आशय इस प्रकार से है.

  • अनुच्छेद 23 : मानव तस्करी एवं जबरन श्रम का निषेध
  • अनुच्छेद 24 : फैक्टरियों/ कारखानों में बच्चों के श्रम, रोजगार पर प्रतिबंध।

4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (right to freedom of religion)

भारत को एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र की संज्ञा दी गई है। भारत देश में लोगों को यहां के संविधान के अनुसार धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। यानी वे किसी भी धर्म को मानने, उसका पालन करने एवं त्यागने के लिए स्वतंत्र हैं। इस अधिकार की व्याख्या अनुच्छेद 25-28 तक की गई है। इसके मुख्य अनुच्छेद एवं उनका आशय इस प्रकार से है.

  • अनुच्छेद 25 : अंतरात्मा की आवाज पर किसी भी धर्म को चुनने की स्वतंत्रता। उसके अभ्यास एवं प्रचार की स्वतंत्रता।

5. सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (cultural and educational right)

देश में नागरिकों को शिक्षा का समान अधिकार प्रदान किया गया है। इसके साथ उसे अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं को मानने एवं प्रचार का भी पूरा अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 29-30 में इस अधिकार की विस्तार से व्याख्या की गई है। के मुख्य अनुच्छेद एवं उनके आशय इस प्रकार से हैं.

  • अनुच्छेद 29 : अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा।
  • अनुच्छेद 30 : अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार।

6. संवैधानिक उपचार का अधिकार (right to constitutional remedies)

संविधान ने देश के नागरिकों को संवैधानिक उपचार का अधिकार दिया है। इसका अर्थ है कि यदि उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की राह में कोई बाधा अथवा व्यवधान आ रहा है तो वे संवैधानिक उपचार का भी अधिकार रखते हैं। अनुच्छेद 32 से 226 तक इसकी व्याख्या की गई है। इसके मुख्य अनुच्छेद एवं उनके आशय इस प्रकार से हैं.

  • अनुच्छेद 32 : रिट समेत मौलिक अधिकारों को लागू करने के उपाय।

देश में सबसे चर्चित संविधान संशोधन कौन से रहे हैं? (Which have been the most popular constitutional amendments in the country?)

साथियों, देश में ऐसे कई संविधान संशोधन किए गए हैं, जो बेहद चर्चित रहे हैं। ये ऐसे संशोधन हैं, जिन्होंने सियासत की दिशा एवं वैधानिक संस्थाओं की दशा को पूरी तरह बदलकर रख दिया।

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अब हम आपको देश में बेहद चर्चित रहे ऐसे ही संविधान संशोधन अधिनियमों का ब्योरा अवरोही क्रम में उपलब्ध कराएंगे। ये इस प्रकार से हैं.

19वां संशोधन अधिनियम, 1975-

मित्रों, यह संशोधन किए जाने का आधार राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता थी, जिस वजह से यह बेहद चर्चित रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) ने समाजवादी नेता राजनारायण (Raj narayan) की याचिका पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के लोकसभा में निर्वाचन को अवैध करार दे दिया था। इसकी प्रतिक्रियास्वरूप संविधान में यह 39वां संशोधन अनिधियम लाया गया। इसमें यह व्यवस्था की गई-

  • राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोकसभा अध्यक्ष से संबंधित विवादों को न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार से बाहर कर दिया गया।
  • तय किया गया कि इन तमाम लोगों से संबंधित विवादों का निस्तारण संसद (parliament) द्वारा सुनिश्चित किए गए प्राधिकरण (authority) द्वारा किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त 9वीं अनुसूची में कई केंद्रीय अधिनियम भी एड (add) किए गए।

42वां संशोधन अधिनियम, 1976

इसे सबसे महत्वपूर्ण संशोधन माना जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे लघु संविधान का भी रूप दिया गया।

  • इसने स्वर्ण सिंह समिति (swarn Singh committee) की सिफारिशों (recommendations) को प्रभावी बना दिया।
  • इसके अनुसार संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द में समाजवादी, पंथ निरपेक्ष एवं अखंडता जोड़े गए।
  • एक नए भाग-4ए में नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया।
  • इसके द्वारा कैबिनेट की सलाह मानने के लिए राष्ट्रपति को बाध्य कर दिया गया।
  • प्रशासनिक अधिकरणों एवं अन्य मामलों के लिए अधिकरणों की व्यवस्था की गई।
  • वर्ष 1971 की जनगणना (census) के आधार पर वर्ष 2001 तक लोकसभा एवं राज्य विधानसभा की सीटों को निश्चित कर दिया गया।
  • संवैधानिक संशोधन को न्यायिक जांच (judicial investigation) से बाहर कर दिया गया।
  • सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट (supreme court and high court) की न्यायिक समीक्षा एवं रिट न्यायक्षेत्र की शक्तियों में कटौती की गई।
  • संसद (parliament) को राष्ट्र विरोधी शक्तियों (anti national powers) से निपटने के लिए कानून बनाने की शक्ति दी गई। तथा तय किया गया कि ये मौलिक अधिकारों से प्रभावित नहीं होंगी।
  • तीन नए नीति निर्देशक तत्व (policy directive principles) जोड़े गए। ये थे-समान न्याय एवं निशुल्क विधिक सहायता, उद्योगों के प्रबंधन में कर्मकारों की सहभागिता, पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन एवं वन, वन्यजीवों का संरक्षण करना।
  • किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि को एक बार में छह माह से बढ़ाकर एक साल तक कर दिया जाना।
  • संसद एवं राज्य विधानसभाओं से कोरम की आवश्यकता को समाप्त किया गया।
  • अखिल भारतीय विधि सेवा के सृजन का प्रावधान किया गया।

44वां संशोधन अधिनियम, 1978

इस संशोधन के जरिए कई प्रकार की व्यवस्थाएं की गईं। जैसे.

  • संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटा दिया गया।
  • लोकसभा एवं विधानसभाओं का कार्यकाल को पुनः 5 वर्ष कर दिया गया।
  • संसद एवं राज्य विधानसभाओं में कोरम की आवश्यकता को पूर्ववत कर दिया गया।
  • संसद एवं राज्य विधानसभाओं की कार्रवाई की खबरों के समाचार पत्रों में प्रकाशन को संवैधानिक संरक्षण दिया गया।
  • .कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिए एक बार लौटाने/वापस करने की राष्ट्रपति को शक्ति दी गई, लेकिन पुनर्विचारित सलाह को मानने के लिए राष्ट्रपति को बाध्य बना दिया गया।
  • कैबिनेट (cabinet) की लिखित सिफारिश (written recommendation) के आधार पर ही राष्ट्रपति के राष्ट्रीय आपात यानी नेशनल इमरजेंसी (national emergency) की घोषणा की व्यवस्था दी गई।
  • अनुच्छेद 20 एवं 21 के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों को नेशनल इमरजेंसी के दौरान निलंबित नहीं किए जाने सकने की व्यवस्था दी गई।
  • उस उपबंध को हटा दिया गया, जिसमें न्यायपालिका की राष्ट्रपति एवं उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवादों पर फैसला देने की शक्ति खत्म कर दी गई थी।

50वां संशोधन अधिनियम, 1984

इस महत्वपूर्ण संशोधन के माध्यम से संसद को खुफिया संगठनों/ सशस्त्र बलों/ खुफिया सूचना के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणालियों में कार्य करने वाले व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने की शक्ति दी गई। ये वो समय थाए जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के अंगरक्षकों द्वारा कर दी गई थी।

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52वां संशोधन अधिनियम, 1985

इस संशोधन अधिनियम को दल बदल एवं आयाराम-गयारााम की सियासत को रोकने के उद्देश्य से लाया गया। इसके माध्यम से संसद एवं विधानमंडलों के सदस्यों को दल.बदल के आधार पर अयोग्य करार दिए जाने की व्यवस्था दी गई। इसके साथ ही 10वीं अनुसूची जोड़ी गई।

आपको बता दें कि पद, पैसे के लालच में आकर जन प्रतिनिधि दूसरी पार्टी में पाला बदलने लगे थे, जिससे हार्स ट्रेडिंग की प्रथा चलन में आ गई थी, जिस पर रोक आवश्यक थी।

61वां संशोधन अधिनियम, 1989

यह एक बेहद महत्वपूर्ण संशोधन था। इसके जरिए लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में मतदान की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। इससे बालिग होने के साथ ही युवाओं को वोट का अधिकार मिल गया।

69वां संशोधन अधिनियम, 1991

इस संशोधन के जरिए ही केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा (special status) देते हुए उसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (national capital region) यानी एनसीआर (NCR) दिल्ली बना दिया गया। दिल्ली (Delhi) के लिए 70 सदस्यीय विधानसभा एवं 7 सदस्यीय मंत्रि परिषद (council of ministers) की भी व्यवस्था की गई।

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हमारे भारत का संविधान तैयार होने में कितने दिन लगे थे? (How many days it took to prepare constitution of our India?)

मित्रों, आपके लिए यह जानना रुचिकर रहेगा कि हमारे देश भारत का संविधान (constitution of India) कितने दिन में बनकर तैयार हुआ था। आपको बता दें कि इसके निर्माण में 2 साल, 11 महीने, 18 दिन लगे थे यानी करीब करीब 3 साल। ऐसा इसलिए क्योंकि यह संविधान हाथ से लिखा गया था। हिंदी एवं अंग्रेजी में लिखी गईं यह हस्तलिखित कॉपियां आज भी संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी (central library) में सुरक्षित हैं।

इसे हीलियम गैस के चैंबर (helium gas chamber) में रखा गया है, ताकि यह खराब न हो। दोस्तों, एक और रोचक बात लगे हाथों आपको बता दें। संविधान की पांडुलिपि में कुल 251 पन्ने हैं, जिनका वजन 3.75 किलोग्राम है। संविधान को अपने हाथों से प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है।

विशेष बात यह है कि उन्होंने इस कार्य के लिए एक भी पैसा नहीं लिया। दरअसल, वे एक कैलिग्राफी आर्टिस्ट (calligraphy artist) थे। बताया जाता है कि 1901 में दिल्ली में पैदा हुए प्रेम नारायण रायजादा ने संविधान लिखने के लिए एक शर्त भी पंडित जवाहर लाल नेहरू (pandit Jawaharlal Nehru) के सामने रख दी थी।

इसके अनुसार संविधान के हर पेज पर उनका नाम लिखा होगा। संविधान के अंतिम पेज पर उनका एवं उनके दादा का नाम लिखा जाएगा। इसके साथ ही संविधान के आखिरी पन्ने पर उनका नाम एवं उनके दादा का नाम लिखा जाएगा। कहा जाता है कि उनकी यह शर्त सहर्ष मान ली गई।

संविधान के लिखित दस्तावेजों (written documents) को शांति निकेतन (Shanti Niketan) के नंदलाल बोस (nandlal Bose) एवं उनकी टीम ने सजाया था। विशेष बात यह है कि नंद लाल बोस ही वे व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत रत्न , (Bharat Ratna) एवं पद्मश्री (Padma Shri) ने डिजाइन (design) किया था। इतने महान लोगों के हस्ताक्षर एवं कृतित्व समेटे भारतीय संविधान भारतवासियों के लिए एक अमूल्य धरोहर है एवं कहना न होगा कि हमेशा रहेगी।

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कौन सा दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है? (Which day is celebrated as construction day?)

यह अधिकतर लोगों को नहीं पता कि संविधान के दिवस के रूप में कौन सा दिन मनाया जाता है। आपको बता दें दोस्तों कि 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस (constitution day) के रूप में भी मनाया जाता है। यह हम आपको बता ही चुके हैं कि इसी दिन संविधान सभा ने इस संविधान को पारित किया था।

संविधान सभा का गठन भारत की स्वतंत्रता के पश्चात हुआ था और उसने अपना कार्य 9 दिसंबर, 1946 से शुरू किया था। संविधान निर्माण के दौरान संविधान सभा की कुल 114 बैठकें आयोजित हुईं एवं उस काल की एवं बैठकों की विशेष बात यह थी कि इन बैठकों में जनता एवं प्रेस (public/press) को शिरकत करने की पूरी आजादी दी गई थी।

यह तो आप जानते ही होंगे कि संविधान की प्रारूप समिति (format committee) के अध्यक्ष डा भीमराव रामजी अंबेडकर (dr Bhim Rao ram ji ambedkar) भी थे, जिन्हें देशवासी आज बाबा साहेब अंबेडकर के नाम से भी याद करते हैं। प्रतिवर्ष उनके जन्मोत्सव 14 अप्रैल के दिन देश भर में विविध कार्यक्रम किए जाते हैं।

बहुत से राजनेता (politicians) हैं, जो उन्हें आदर्श बताकर सियासत में अपने आपको साबित करने में सक्षम हुए हैं। देश के अनेक शहरों में संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं लगी हैं।

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संविधान सभा में कौन कौन शामिल था? (Who were included in the samvidhan sabha?)

मित्रों, अब आपको संविधान तैयार करने वाली संविधान सभा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। आपको बता दें कि भारत के पहले राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr rajendra prasad) इस संविधान सभा के अध्यक्ष थे। डॉ बीआर अंबेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।

सच्चिदानंद सिन्हा इसके अस्थाई अध्यक्ष थे। वहीं, वीएन राव संवैधानिक सलाहकार थे। उपाध्यक्ष के रूप में हरेंद्र कुमार मुखर्जी एवं वीटी कृष्णमाचारी कार्य कर रहे थे। इससे पूर्व संविधान सभा की मांग पहली बार 1895 में बाल गंगाधर तिलक (bal gangadhar tilak) ने उठाई थी। 1938 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा बनाने का निर्णय लिया था।

संविधान सभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए थे। चुनाव (election) जुलाई, 1946 में हुआ था। यह बात तो आप जानते ही हैं दोस्तों कि भारत को आजादी के साथ ही बंटवारे का भी दंश झेलना पड़ा था। आपको बता दें कि बंटवारे के पश्चात इसके कुल सदस्यों 389 में से भारत में 299 सदस्य ही रह गए थे।

इनमें से 229 चुने हुए सदस्य थे, 70 सदस्य मनोनीत थे। कुल महिला सदस्यों (women members) की संख्या 15 थी। संविधान सभा में उस वक्त प्रत्येक प्रांत से प्रतिनिधित्व रखने की कोशिश की गई थी।

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संविधान की जानकारी होनी क्यों आवश्यक है? (Why it is necessary to have knowledge of constitution?)

मित्रों, ऐसा कतई नहीं है कि आपको केवल पढ़ाई के उद्देश्य से संविधान की जानकारी होनी चाहिए। आप जिस देश में रहते हैं आपको वहां के संविधान की जानकारी होनी ही चाहिए। आपको इससे आपके मौलिक अधिकारों का पता चलता है। आप जान पाते हैं कि आपको वे अधिकार प्राप्त हो रहे हैं अथवा नहीं।

इसके अतिरिक्त इसमें आपके मौलिक कर्तव्य का भी उल्लेख किया गया है। आपको जानना चाहिए कि यदि आप भारत के निवासी हैं तो बतौर नागरिक आपको किन किन कर्तव्य का पालन करना होगा।

यह जानकारी आपको कई परिस्थितियों में बचने से बचाती है। इसके अतिरिक्त यदि आप विधि के छात्र हैं, रिसर्च स्कॉलर हैं अथवा प्रतियोगी परीक्षा में बैठने जा रहे हैं तो आपको संविधान की जानकारी होना अनिवार्य है ही।

संविधान सभा में भारत का संविधान कब पारित हुआ?

भारत का संविधान संविधान सभा में 26 नवंबर, 1949 को पारित हुआ।

हमारे देश का संविधान कब लागू हुआ?

हमारे देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।

संविधान के लागू होने का दिन हम किस रूप में मनाते हैं?

इसीलिए हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

भारत के संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं?

भारत के संविधान में कुल 470 अनुच्छेद हैं।

मूल रूप से भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद थे?

मूल रूप से भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद थे।

वर्तमान में भारत के नागरिकों को संविधान में कितने मौलिक अधिकार प्रदत्त हैं?

वर्तमान में भारत के नागरिकों को संविधान में 6 मौलिक अधिकार प्रदत्त हैं।

मूल रूप से संविधान में भारत के नागरिकों को कितने मौलिक अधिकार प्राप्त थे?

मूल रूप से संविधान में भारत के नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार प्राप्त थे।

संविधान में भारतीय नागरिकों को मौन कौन से मौलिक अधिकार दिए गए हैं?

संविधान में भारतीय नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं-समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरूद्ध अधिकार, सांस्कृतिक एवं शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक उपचार का अधिकार।

किस अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर किया गया है?

संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। ऐसा 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा किया गया।

मौलिक अधिकार से संपत्ति के अधिकार को कब बाहर किया गया?

आज से करीब 44 वर्ष पूर्व 1978 में संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर किया गया। अब यह कानूनी अधिकार के अंतर्गत आता है।

संविधान की हस्तलिखित प्रति कहां रखी है?

संविधान की हस्तलिखित प्रति संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी है।

संविधान को अपने हाथों से किसने लिखा है?

संविधान को अपने हाथों से प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है।

संविधान की हस्तलिखित पांडुलिपि में कितने पन्ने हैं एवं इसका वजन कितना है?

संविधान की हस्तलिखित पांडुलिपि में 251 पन्ने हैं एवं इसका वजन 3.75 किलोग्राम है।

आजादी के बाद संविधान सभा की सदस्य संख्या कितनी रह गई थी?

आजादी के पश्चात बंटवारे की वजह से संविधान सभा की सदस्य संख्या, जो 389 थी, वह घटकर 299 रह गई थी।

संविधान सभा की मांग सबसे पहले किसने उठाई थी?

संविधान सभा की मांग सबसे पहले 1895 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने उठाई थी।

दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) के जरिए आपको भारत में कितने अनुच्छेद हैं एवं भारत निवासियों के मूल अधिकार कौन कौन से हैं, इसकी विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल है तो आप नीचे दिए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके उसे हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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11 वां मौलिक कर्तव्य कौन सा है?

यह कर्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था। इस सूची में जोड़ा गया 11वां मौलिक कर्तव्य है: 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना, और माता-पिता के रूप में कर्तव्य यह सुनिश्चित करना कि उनके बच्चे को ऐसे अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

११ मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?

11 मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं.
भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तब्य होगा कि –.
वह संविधान का पालन करे और राष्ट्रीय जज एक राष्ट्रीय गान का आदर करे।.
स्वतंत्रताग्राहो राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरणा देने वाले उच्च आदशों का आदर तथा पालन करे।.
भारत को प्रभुसता, एकता और अखंडता की रक्षा करे।.

मौलिक कर्तव्य कितने हैं उनके नाम?

मूल रूप से मौलिक कर्त्तव्यों की संख्या 10 थी, बाद में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के माध्यम से एक और कर्तव्य जोड़ा गया था। सभी ग्यारह कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद 51-ए (भाग- IV-ए) में सूचीबद्ध हैं

भारत में कुल कितने मौलिक अधिकार है?

मूल रूप में भारत के संविधान के भाग III में सात मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया था। इनमें सम्पति का अधिकार शामिल था। जिसे 44वें संविधान संशोधन द्वारा हटा दिया गया था। अब केवल छः मौलिक अधिकार हैं; जो इस प्रकार है।

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