बजट की अध्यक्षता कौन करता है? - bajat kee adhyakshata kaun karata hai?

आज एक फरवरी है। आज का यह दिन पूरे भारत के लिए बेहद अहम समझा जाता है। दरअसल, इस दिन केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किया जाता है। आमतौर पर पहले बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख में पेश किया जाता था, लेकिन केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद संसद में बजट पेश किए जाने की तारीख में बदलाव किया गया और इसे 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। बजट पेश किए जाने का यह दिन दशकों पुरानी बजट परंपराओं को बदलते हुए तय किया गया। केवल इतना ही नहीं पीएम मोदी के कार्यकाल में बजट से जुड़ी दशकों पुरानी कई परंपराओं को बदला गया है। इस बीच आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। केंद्र सरकार ने बजट से जुड़ी परंपराओं में क्या-क्या बदलाव किया है, आइए जानते हैं…

आम बजट की बदली तारीख

साल 2014 में केंद्र में पीएम मोदी की सरकार आने से पहले तक बजट आमतौर पर फरवरी महीने की आखिरी तारीख यानि 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इस परंपरा को बदला और आम बजट पेश करने की तारीख फरवरी के अंत के बजाय शुरुआत से कर दी गई। यानि बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। यह बजट परंपराओं में एक बड़ा बदलाव था।

रेल बजट का आम बजट में विलय

पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने दशकों से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया। 2016 से पहले तक रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया।

लाल ब्रीफकेस की टूटी परंपरा

बजट इतिहास की परंपराओं को देखें तो वर्ष 1947 से देश का आम बजट संसद में पेश करने हेतु एक लाल रंग के ब्रीफकेस में लाया जाता था। केंद्र सरकार ने साल 2019 में इस परंपरा में भी बदलाव किया। उसके बाद से लाल ब्रीफकेस के बजाय बजट लाल कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में लाया जाने लगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव पर कहा था कि देश का बजट दरअसल देश का बही-खाता होता है, इसलिए उन्होंने बजट के स्वरूप में बदलाव किया है।

टैबलेट में समा गया बजट

वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते देश में टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल बहुत तेजी के साथ बढ़ा। इसके साथ ही बजट भी इससे अछूता नहीं रहा। इस क्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार बजट 2021-22 को संसद में एक टैबलेट के जरिए पेश किया। इस प्रकार बजट टैब ने पारंपरिक बही खाते की जगह ले ली। हालांकि यह टैबलेट बही खाते के समान लाल रंग के कपड़े में ही नजर आया। इसके ऊपर भारत सरकार का चिह्न लगा था।

आया यूनियन बजट मोबाइल एप

पहली बार 2021 में डिजिटल बजट पेश किया गया था। इससे पहले बजट की छपाई होती थी। एक अभूतपूर्व पहल के तहत, केंद्रीय बजट 2021-22 को पेपरलेस रूप में वितरित किया गया। केंद्र सरकार द्वारा इस तरह का कदम पहली बार उठाया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद सदस्यों और आम लोगों को आसानी से और तेजी से बजट से संबंधित अपडेट मिल सके, इसके लिए “यूनियन बजट मोबाइल एप” लॉन्च किया। यह भी केंद्र सरकार द्वारा बजट परंपराओं में किया गया एक बड़ा बदलाव था। मोबाइल एप के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (आमतौर पर इसे बजट के रूप में जाना जाता है), अनुदान की मांग (डीजी), वित्त विधेयक इत्यादि दस्तावेज उपलब्ध होंगे जो कि संविधान के अनुसार तय किए गए हैं। बता दें एप में डाउनलोडिंग, प्रिंटिंग, सर्च, जूम इन और आउट, बाई डायरेक्शनल स्क्रॉलिंग, कंटेंट और एक्सटर्नल लिंक की तालिका आदि के साथ उपयोगकर्ताओं के अनुकूल इंटरफेस उपलब्ध हैं। एप अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। साथ ही यह एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है। एप को केंद्रीय बजट के वेब पोर्टल www.indiabudget.gov.in से भी डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप को आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा विकसित किया गया है।

हर साल होने वाला हलवा समारोह

इस बार बजट की तैयारी से पहले आयोजित किया जाने वाला हलवा समारोह भी नहीं हुआ। दरअसल, हलवा समारोह का काफी पुराना इतिहास रहा है। इस समारोह के साथ ही बजट की छपाई का कार्य शुरू होता था। नॉर्थ ब्लॉक में हर साल बजट से पहले होने वाले इस समारोह में वित्त मंत्री समेत मंत्रालय के अधिकारी हिस्सा लेते थे। इस बार कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए हलवा सेरेमनी का आयोजन नहीं किया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में बदला था समय

पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदला था। वर्ष 1999 से पहले सभी बजट शाम के पांच बजे पेश किए जाते थे, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1999 में यह परंपरा तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया। तब से बजट लोकसभा में सुबह 11 बजे ही पेश हो रहा है।

-भारत में सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में 1860 में आम बजट प्रस्तुत किया गया था। बजट बनाने और पेश करने का श्रेय फाइनेंस मेंबर जेम्स विल्सन को जाता है जिन्होंने 18 फरवरी 1860 को वाइसराय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया था। -भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाला वित्तीय वर्ष 1867 से शुरू हुआ। इससे पहले तक 1 मई से 30 अप्रैल तक का वित्तीय वर्ष होता था।

-‘बजट’ लैटिन शब्द ‘बोजते’ से बना है जिसका अर्थ होता है- ‘चमड़े का थैला’। मध्‍यकाल में पश्चिमी देशों के व्‍यापारी रुपए-पैसे रखने के लिए चमड़े के थैले का प्रयोग करते थे। बाद में आय-व्‍यय का ब्‍योरा ‘बजट’ भी सदन में पेश करने के लिए बैग में ही रखकर लाया जाने लगा।

-आजादी से पहले अं‍तरिम सरकार का बजट ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के लियाकत अली खां ने 9 अक्‍टूबर 1946 से लेकर 14 अगस्त 1947 तक के लिए पेश किया था।

-आजाद भारत का पहला अंतरिम बजट 26 नवंबर 1947 को आरके षण्मुखम शेट्टी ने प्रस्तुत किया था।

-भारतीय संविधान के अनुच्छेद-112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है।

-आम बजट हर साल फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को संसद में पेश किया जाता है जिसे भारत के वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने संसद में बजट भी पेश किया था।

-बजट को लागू करने से पहले इसे संसद द्वारा पास करना आवश्यक होता है।

-जॉन मथाई आजाद भारत के दूसरे वित्तमंत्री बने थे। उन्होंने 1949-50 का बजट पेश करते हुए पूरा बजट नहीं पढ़ा था बल्कि बजट के कुछ खास बिंदुओं को सदन में पढ़ा। इस बजट में पहली बार योजना आयोग और पंचवर्षीय योजना का जिक्र किया गया था।

-सीडी देशमुख रिजर्व बैंक के एकमात्र ऐसे गवर्नर हैं जिन्होंने 1951-52 में अंतरिम बजट प्रस्तुत किया था।

-1955-56 से बजट के दस्तावेज को हिन्दी में भी तैयार किए जाने लगा। इससे पहले बजट केवल अंग्रेजी भाषा में बनाया जाता था।

-भारत के केंद्रीय बजट में 1955-56 में पहली बार कालाधन उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी।

-पहला विशेष बजट यानी मिनी बजट वित्त विधेयकों के माध्यम से प्रचलित घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति की मांग पर ताजा कराधान प्रस्तावों के रूप में 30 नवंबर 1956 को टीटी कृष्णमाचारी द्वारा पेश किया गया था।

-पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बजट को संसद में प्रस्तुत किया।

-मोरारजी देसाई ने अपने 8 साल के कार्यकाल में सर्वाधिक 10 बार संसद में बजट प्रस्तुत किए। -मोरारजी देसाई जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में 5 साल, जबकि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 3 साल देश के वित्तमंत्री रहे।

-वर्ष 1964 और 1968 में वित्तमंत्री मोरारजी देसाई ने आम बजट अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रस्तुत किया था। ऐसा करने वाले वे एकमात्र वित्तमंत्री हैं।

-मोरारजी देसाई ने चार मौकों पर उपप्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किए।

-देसाई के इस्तीफा देने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय का पदभार संभाला था।

-संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली एकमात्र महिला इंदिरा गांधी हैं जिन्होंने 1970 में बजट पेश किया था। इंदिरा गांधी वित्तमंत्री का पद संभालने वाली एकमात्र महिला हैं।

-चौधरी चरण सिंह ने मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में एक बार आम बजट पेश किया। उस समय वे देश के उपप्रधानमंत्री भी थे।

-वित्त पोर्टफोलियो को हासिल करने वाले राज्यसभा के पहले सदस्य प्रणब मुखर्जी ने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।

-1987-88 में वीपी सिंह द्वारा सरकार से अलग हट जाने के बाद राजीव गांधी देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी और नाना जवाहरलाल नेहरू के बाद बजट को प्रस्तुत किया।

-राजीव गांधी ने 1987 के बजट में पहली बार कॉर्पोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स से परिचय कराया था।

-1991 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्तमंत्री बने, लेकिन चुनाव की विवशता के कारण पहली बार वे 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत कर सके।

-1991-92 में अंतरिम तथा फाइनल बजट को अलग-अलग दलों के वित्तमंत्रियों ने संसद में रखा। अंतरिम बजट यशवंत सिन्हा जबकि फाइनल बजट को मनमोहन सिंह ने प्रस्तुत किया।

-तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया। उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और आयात कर को कम करते हुए 300 से अधिक प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक किया।

-1994 में सेवाकर का प्रावधान केंद्रीय बजट में किया गया था। इस बजट को तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था।

-टैक्स के दायरे में सर्विस सेक्टर को लाने के विचार के कारण ही बजट में सर्विस टैक्स का प्रावधान किया गया था।

-1996 में चुनाव के बाद एक गैर-कांग्रेसी नेता ने वित्तमंत्री का पद ग्रहण किया इसलिए 1996-97 का अंतरिम आम बजट पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया। चिदम्बरम उस समय तमिल मानिला कांग्रेस (यूनाइटेड फ्रंट) से संबंधित थे।

-एक संवैधानिक संकट के बाद जब इंद्रकुमार गुजराल का कार्यकाल खत्म हो रहा था, तब पी. चिदंबरम के 1997-98 के आम बजट को पारित करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया था।

-1997-98 के आम बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था। यह दूसरी बार था, जब अंतरिम और फाइनल बजट अलग-अलग पार्टियों के दो मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

-वर्ष 2000 तक अंग्रेजी परंपरा से अनुसार बजट शाम को 5 बजे प्रस्तुत किया जाता था, लेकिन 2001 में एनडीए सरकार ने इस परंपरा को तोड़ते हुए शाम की बजाय सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश किया।

-वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने पहली बार शाम की बजाय सुबह के वक्त बजट प्रस्तुत किया। तब से लेकर हर साल सुबह के ही वक्त बजट पेश किया जाता है।

-सामान्य स्थिति में बजट निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है।

-बजट के लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है जिसके जवाब में विवरण के साथ उन्हें आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्योरा और फंड की आवश्यकता की जानकारी देनी होती है। यह बजट की रूपरेखा के लिए एक आवश्यक कदम है।

बजट को सार्वजनिक करने से पहले इसे बेहद ही गुप्त रखा जाता है।

-बजट बनाने के दौरान वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्नीशियन और स्टेनोग्राफर्स नार्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद में रहते हैं।

-बजट को संसद में पेश करने से पहले 7 दिनों तक इससे जुड़े अधिकारी बाहरी दुनिया से एकदम कट जाते हैं। वे परिजनों से भी बात नहीं कर सकते हैं। किसी आपातकालीन स्थिति में इन अधिकारियों के परिवार उन्हें दिए गए नंबर पर संदेश छोड़ सकते हैं, लेकिन उनसे सीधे बात नहीं कर सकते।

-इस दौरान नॉर्थ ब्लॉक में ‘हलवा सेरेमनी’ का आयोजन किया जाता है। इसके लिए बड़े पैमाने पर हलवा (स्वीट डिश) तैयार किया जाता है जिसे बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है। वित्तमंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं।

-संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं।

-इस दौरान स्टेनोग्राफर्स पर सबसे अधिक नजर रखी जाती है।

-साइबर चोरी की आशंका से बचने के लिए स्टेनोज के कम्प्यूटर्स को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) सर्वर से अलग रखा जाता है।

-इस दौरान एक पॉवरफुल मोबाइल जैमर नॉर्थ ब्लॉक में कॉल्स को ब्लॉक करने और जानकारियों के लीक होने से बचने के लिए इंस्टॉल किया जाता है।

-जहां स्टेनोग्राफर और अन्य अधिकारी काम करते हैं और रहते हैं, वहां वित्तमंत्री के साथ ही इंटेलिजेस ब्यूरो चीफ अचानक दौरा कर सकते हैं। यही क्रम नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट के प्रिंटिंग प्रेस क्षेत्र में भी जारी रहता है।

-पहले बजट पेपर्स राष्ट्रपति भवन में ही छपा करते थे, लेकिन 1950 में बजट पेपर लीक हो जाने के बाद बजट पेपर्स को मिंटो रोड स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा।

-1980 से बजट पेपर नॉर्थ ब्लॉक से प्रिंट होने लगा।

-भारतीय संविधान के अनुच्छेद-122 के अनुसार देश का आम बजट बनाने के लिए 14 जरूरी डॉक्‍यूमेंट्स की आवश्‍कता होती है।

-बजट का भाषण वित्तमंत्री का एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज होता है। इसे बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले मध्यरात्रि में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है।

-बजट का भाषण आमतौर पर दो भागों में संसद में पेश होता है।

-जिस साल लोकसभा का चुनाव होता हैं। उस साल दो बार बजट पेश किया जाता है। पहला- वोट ऑन एकाउंट बजट होता है तो दूसरा कुछ महीने बाद फुल बजट पेश किया जाता है।

-आमतौर पर बजट 11 महीने का तैयार किया जाता है, जो कि अप्रैल से शुरू होकर अगले साल की मार्च तक चलता है।

-देश का बजट एक लीगल डॉक्‍यूमेंट होता है, जो कि विधानमंडल द्वारा पास कराया जाता है। इसे देश का राष्‍ट्रपति एप्रूव करता है।

-बजट के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवंबर में रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में अपने स्टेक होल्डर्स के साथ कंसल्ट शुरू करते हैं। वे सभी मिलकर टैक्स छूट और राजकोषीय प्रोत्साहनों पर बहस करते हैं।

-इस दौरान आगामी वर्ष की बड़ी संभावनाओं पर फोकस रहता है। हितधारकों के साथ आखिरी बैठक होती है जिसकी खुद वित्तमंत्री अध्यक्षता करते हैं।

-योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है।

-आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस के दिन पेश किया जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है।

-राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही केन्द्रीय वित्तमंत्री संसद में आम बजट को पढ़ते हैं।

-संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है।

-वित्तमंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं।

- आमतौर पर बजट दो भागों में बंटा होता है। पहले भाग में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्योरा होता है जबकि दूसरे भाग में आगामी वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव को रखा जाता है।

-बजट प्रस्तुत किए जाने के बाद बजट के प्रस्तावों पर संसद में सामान्य और विस्तृत बहस होती है। आमतौर पर यह बहस लोकसभा में 2 से 4 दिन तक चलती है।

-सदन में बहस के अंतिम दिन स्पीकर की ओर से सभी बकाया अनुदान मांगों को वोट पर रखा जाता है।

-लोकसभा में बहस के बाद विनियोग विधेयक पर वोटिंग के साथ वित्त और धन विधेयक पर वोटिंग होती है।

-संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिन के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

-आजादी के बाद से अब तक 85 बार आम बजट पेश किया जा चुका है जिसमें सामान्य और अंतरिम दोनों शामिल हैं।

-अब तक 67 सामान्य वार्षिक बजट और 14 अंतरिम बजट पेश किया जा चुका है जबकि 4 मौकों पर विशेष बजट (special occasion budgetary proposals) पेश किए गए हैं।

-अरुण जेटली आजाद भारत के 26वें वित्तमंत्री हैं, जो संसद में बजट प्रस्तुत करेंगे।

-मोरारजी देसाई के बाद पी. चिदंबरम दूसरे ऐसे वित्तमंत्री हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा बार बजट पेश किए हैं।

-पी. चिदंबरम कुल 9 बार बजट पेश कर चुके हैं।

-मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चव्हाण और सीडी देशमुख ने देश के लिए 7-7 बार बजट पेश किए हैं।

-मार्च 1998 के सामान्य चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय सरकार का गठन करने वाली थी, तब इस सरकार के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया था।

-1999 के सामान्य चुनाव के बाद यशवंत सिन्हा एक बार फिर वित्तमंत्री बने और 1999-2000 से 2002-2003 तक 4 वार्षिक बजट प्रस्तुत किए।

-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्तमंत्री रहते हुए 6 बार बजट पेश कर चुके हैं।

-देश के चौथे वित्तमंत्री टीटी कृष्णमचारी ने भी 6 बार बजट पेश किए हैं।

-आर. वेंकटरमण और हरिभाई एम. पटेल ने 3-3 बार आम बजट संसद में प्रस्तुत किए।

-जसवंत सिंह, वीपी सिंह, सी. सुब्रमण्यम, आजाद भारत के पहले वित्तमंत्री आरके षणमुखम शेट्टी तथा दूसरे वित्तमंत्री जॉन मथाई ने 2-2 बार देश के लिए बजट पेश किए हैं।

-मई 2004 में चुनाव होने के कारण अंतरिम बजट को जसवंत सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।

-पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चरण सिंह, एनडी तिवारी, मधु दंडवते, एसबी चव्हाण और सचीन्द्र चौधरी ने 1-1 बार बजट पेश किए हैं।

-एनडी तिवारी ने 1988-89, एसबी चव्हाण ने 1989-90 के लिए जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किए थे।

बजट कौन प्रस्तुत करता है?

क्रम सं. क, ख, ग और घ के समक्ष उल्लिखित दस्तावेज क्रमशः भारत के संविधान के अनुच्छेद 112, 113, 114 (3) और 110 (क) द्वारा अधिदेशित हैं, जबकि क्रम सं. च, छ तथा ज के समक्ष दर्शित दस्तावेज राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबन्ध अधिनियम, 2003 के उपबंधों के अनुसार प्रस्तुत किए जाते हैं।

दोनों सदनों की अध्यक्षता कौन करता है?

लोकसभा-अध्यक्ष लोकसभा के सत्रों की अध्यक्षता करता है और सदन के कामकाज का संचालन करता है। वह निर्णय करता है कि कोई विधेयक, धन विधेयक है या नहीं।

संसद के दोनों सदनों को कौन बुलाता है?

राष्ट्रपति समय समय पर संसद के दोनों सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करता है।

सभा में कितने सदस्य होते हैं?

राज्य सभा.

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