बरगद के पेड़ पर दूध चढ़ाने से क्या होता है? - baragad ke ped par doodh chadhaane se kya hota hai?

बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल वृक्ष है. हिन्दू परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है. अलग-अलग देवों से अलग अलग वृक्ष उत्पन्न हुए हैं, उस समय यक्षों के राजा मणिभद्र से वटवृक्ष उत्पन्न हुआ. ऐसा मानते हैं इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है.

यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है, इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है. जिस प्रकार पीपल को विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है, उसी प्रकार बरगद को शिव जी माना जाता है.

यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है, इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं. यह बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है, अतः इसे "अक्षयवट" भी कहा जाता है.

हमेशा याद रखें पूजा करने के ये 12 नियम...

बरगद के वृक्ष का वैज्ञानिक और अनोखा महत्व क्या है ?
- इसकी छाया सीधे मन पर असर डालती है और मन को शांत बनाये रखती है .
- अकाल में भी यह वृक्ष हरा भरा रहता है , अतः इस समय पशुओं को इसके पत्ते और लोगों को इसके फल पर निर्वाह करना सरल होता है .
- इसकी डालियों और पत्तों से दूध निकलता है जिसका तांत्रिक प्रयोग होता है .
- इसकी छाल और पत्तों से औषधियां भी बनाई जाती हैं.

शनि पीड़ा से मिलती है मुक्ति
- वटवृक्ष की जड़ में भगवान शिव का ध्यान करते हुए नियमित जल अर्पित करें .
- हर शनिवार को इस वृक्ष के तने में काला सूत तीन बार लपेटें.
- वहां दीपक जलाएं  और वृक्ष से कृपा की प्रार्थना करें .
- इसके बाद वहीं वटवृक्ष के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करें.
- ये प्रयोग करने वाले को कभी भी कोई ग्रह पीड़ा नहीं दे सकता चाहे वो शनि हो या राहु.

ऐसे करेंगे उपासना तो होगी संतान प्राप्ति
- जहां तक संभव हो बरगद का वृक्ष लगायें और लगवाएं.
- हर सोमवार को बरगद की जड़ में जल डालें.
- इसके बाद उसके नीचे बैठकर "ॐ नमः शिवाय" का कम से कम 11 माला जाप करें .
- आपकी संतान उत्पत्ति की अभिलाषा शीघ्र से शीघ्र पूरी होग.

ऐसे होगा दाम्पत्य जीवन उत्तम
- पीला सूत, फूल और जल लेकर प्रातः काल वट वृक्ष के निकट जाएं.
- इसके बाद पहले वट वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं .
- फिर वृक्ष की जड़ में जल डालें और पुष्प अर्पित करें.
- वट वृक्ष की 9 बार परिक्रमा करें और पीली सूत उसके तने में लपेटते जाएं .
- सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें.

बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल वृक्ष है , हिन्दू परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है. अलग अलग देवों से अलग अलग वृक्ष उत्पन्न हुए, उस समय यक्षों के राजा मणिभद्र से वटवृक्ष उत्पन्न हुआ. ऐसा मानते हैं इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है. यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है , इसकी छाल में विष्णु ,जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है. जिस प्रकार पीपल को विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है , उसी प्रकार बरगद को शिव जी माना जाता है. यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है, इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं. यह बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है , अतः इसे "अक्षयवट" भी कहा जाता है.  

बरगद के वृक्ष का वैज्ञानिक और अनोखा महत्व क्या है ?

- इसकी छाया सीधे मन पर असर डालती है , और मन को शांत बनाये रखती है

- अकाल में भी यह वृक्ष हरा भरा रहता है , अतः इस समय पशुओं को इसके पत्ते और लोगों को इसके फल पर निर्वाह करना सरल होता है

- इसकी डालियों और पत्तों से दूध निकलता है जिसका तांत्रिक प्रयोग होता है

- इसकी छाल और पत्तों से औषधियां भी बनाई जाती हैं

बरगद के वृक्ष की किस प्रकार करें उपासना ताकि शनि की पीड़ा से मुक्ति मिले

- वटवृक्ष की जड़ में भगवान् शिव का ध्यान करते हुए नियमित जल अर्पित करें

- हर शनिवार को इस वृक्ष के तने में काला सूत तीन बार लपेटें

- वहां दीपक जलाएं , और वृक्ष से कृपा की प्रार्थना करें   

- इसके बाद वहीँ वटवृक्ष के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करें

- ये प्रयोग करने वाले को कभी भी कोई ग्रह पीड़ा नहीं दे सकता , चाहे वो शनि हो या राहु

बरगद के वृक्ष की किस प्रकार उपासना करें कि संतान की प्राप्ति हो

- जहाँ तक संभव हो बरगद का वृक्ष लगायें और लगवाएं

- हर सोमवार को बरगद की जड़ में जल डालें

- इसके बाद उसके नीचे बैठकर "ॐ नमः शिवाय" का कम से कम 11 माला जाप करें

- आपकी संतान उत्पत्ति की अभिलाषा शीघ्र से शीघ्र पूरी होगी

किस प्रकार बरगद के वृक्ष की उपासना से दाम्पत्य जीवन उत्तम होगा

- अमावस्या के दिन पीली सूत, फूल और जल लेकर प्रातः काल वट वृक्ष के निकट जाएं

- इसके बाद पहले वट वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं

- फिर वृक्ष की जड़ में जल डालें और पुष्प अर्पित करें

- वट वृक्ष की 9 बार परिक्रमा करें और पीली सूत उसके तने में लपेटते जाएँ

- सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें

बरगद के पेड़ को वट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। आपने अपने घरों के आसपास या मंदिरों में बरगद का पेड़ देखा होगा। महिलाएं बट सावित्री की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। बरगद का पेड़ बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाला होता है। क्या आप जानते हैं कि रोगों के इलाज में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ (Banyan tree) एक उत्तम औषधि भी है और आप बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।

केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल (bargad ka fal), बरगद के बीज, बरगद का दूध (bargad ka doodh) भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ (Bargad ka ped) से कफ, वात, पित्‍त दोष को ठीक किया जा सकता है। नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि बरगद के पेड़ के और क्या-क्या लाभ हैं।

Contents

  • 1 बरगद क्या है? (What is Banyan Tree in Hindi?)
  • 2 अनेक भाषाओं में बरगद के नाम (Name of Banyan Tree in Different Languages)
  • 3 बरगद के पेड़ के फायदे और उपयोग (Banyan Tree Benefits and Uses in Hindi)
    • 3.1 बालों की समस्‍या में बरगद के पेड़ के फायदे (Banyan Tree Benefits to Treat Hair Problem in Hindi)
    • 3.2 बरगद के फायदे आंखों के रोगों में (Uses of Bargad Tree in Eye Disease in Hindi)
    • 3.3 नाक से खून आने पर बरगद के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Banyan Tree to Stop Nasal Bleeding in Hindi)
    • 3.4 कान के रोगों में बरगद के पेड़ से फायदे (Banyan Tree Benefits in Ear Disease in Hindi)
    • 3.5 बरगद के औषधीय गुण से चेहरे की चमक में बढ़ोतरी (Benefits of Banyan Tree in Glowing Skin in Hindi)
    • 3.6 दांतों के रोग में बरगद के पेड़ के फायदे (Benefits of Banyan Tree Bark to Treat Dental Disease in Hindi)
    • 3.7 टॉन्सिल रोग में बरगद के पेड़ से लाभ (Banyan Tree Milk Benefits in Tonsil Disease Treatment in Hindi)
    • 3.8 बरगद के औषधीय गुण से खांसी और जुकाम का इलाज (Bargad Tree Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)
    • 3.9 पेचिश में बरगद के पेड़ से लाभ (Benefits of Bargad Tree to Stop Dysentery in Hindi)
    • 3.10 बरगद के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Bargat Tree Milk to Stop Diarrhea in Hindi)
    • 3.11 खूनी की उल्‍टी रोकने में बरगद का गुण फायदेमंद (Bargat Tree Benefits in Hematemesis Treatment in Hindi)
    • 3.12 बार-बार प्‍यास लगने की समस्‍या में बरगद का गुण लाभदायक (Bargad Tree Benefits to Control Excessive Thirst Problem in Hindi)
    • 3.13 बरगद के पत्‍तों के सेवन से खूनी बवासीर में लाभ (Benefits of Banyan Tree Leaves in Piles in Hindi)
    • 3.14 मधुमेह (डायबिटीज) में बरगद की छाल से लाभ (Benefits of Banyan Tree Bark to Control Diabetes in Hindi)
    • 3.15 मूत्र रोग (पेशाब की समस्‍या) में बरगद के बीज से फायदा (Banyan Tree Seed Benefits for Urinary Disease in Hindi)
    • 3.16 मासिक धर्म विकार में बरगद के सेवन से फायदा (Benefits of Banyan Tree in Menstrual Disorder in Hindi)
    • 3.17 सिफलिस (उपदंश) से में बरगद की जटा से लाभ (Use of Bargad to Treat Syphilis in Hindi)
    • 3.18 सूजाक में बरगद की छाल से लाभ (Banyan Tree Uses in Gonorrhea Treatment in Hindi)
    • 3.19 गर्भधारण में फायदेमंद बरगद की छाल का उपयोग (Bargad Tree Bark is Useful During Pregnancy in Hindi)
    • 3.20 योनि के ढीलेपन में फायदेमंद बरगद के कोपलों का सेवन (Uses of Bargad Tree Beneficial in Loose Vaginal in Hindi)
    • 3.21 स्तनों के ढीलापन की समस्या में बरगद की जटा से लाभ (Bargad Tree Uses in Breast Laxity in Hindi)
    • 3.22 कमर दर्द में वट वृक्ष के दूध से लाभ (Uses of Bargad Tree Milk to Get Relief from Back Pain in Hindi)
    • 3.23 शरीर को पुष्ट बनाने के लिए बरगद के फल का सेवन (Uses of Bargad Tree for Body Weakness in Hindi)
    • 3.24 अधिक नींद आने की समस्या में वट वृक्ष के पत्‍तों का सेवन फायदेमंद (Benefits of Bargad Tree Leaves in Excessive Sleeping Problem in Hindi)
    • 3.25 याद्दाश्‍त बढ़ाने के लिए वट वृक्ष की छाल फायदेमंद (Bargad Tree Beneficial to Boost Memory  in Hindi)
    • 3.26 वट वृक्ष की छाल से घाव का इलाज (Benefits of Bargad Tree Bark in Healing Wound in Hindi)
    • 3.27 बरगद के दूध से कुष्ठ रोग का इलाज (Uses of Bargad Tree Leaves in Leprosy Treatment in Hindi)
    • 3.28 बरगद के दूध से रसौली का इलाज (Bargad Tree Milk is Beneficial in Rasauli (knar) in Hindi)
    • 3.29 आग से जलने बरगद के पत्‍तों से फायदा (Bargad Tree Leaves Helps in Fire Burning in Hindi)
    • 3.30 बरगद के पत्‍तों से खुजली का इलाज (Benefits of Bargad Leaves in Itching in Hindi)
    • 3.31 कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में फायदेमंद बरगद का पेड़ (Banyan Tree Beneficial to Control Cholesterol in Hindi)
    • 3.32 त्वचा के लिए बरगद के फल फायदेमंद (Banyan Fruit Beneficial for Skin in Hindi)
    • 3.33 शीघ्रपतन से निजात दिलाने में फायदेमंद बरगद का पेड़ (Banyan Tree Beneficial to Treat Premature Ejaculation in Hindi)
    • 3.34 बरगद के पत्‍तों से सूजन की समस्या का उपचार (Banyan Tree Leaves Benefits in Reducing Swelling in Hindi)
  • 4 बरगद के उपयोगी भाग (Useful Parts of Banyan Tree in Hindi)
  • 5 बरगद का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Banyan Tree?)
  • 6 बरगद कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Banyan Tree Found or Grown in Hindi?)

बरगद क्या है? (What is Banyan Tree in Hindi?)

बरगद का वृक्ष विशाल तना और शाखाओं वाला होता है। यह बहुत ही छायादार और लंबे समय तक जीवित रहने वाला पेड़ है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह अकाल के समय भी जीवित रहता है। मनुष्‍य बरगद के पेड़ के फल खाते हैं तो जानवर इसके पत्‍ते खाते हैं। यहां बरगद के पेड़ से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Bargat Tree in hindi) में लिखा गया है ताकि आप बरगद के पेड़ से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अनेक भाषाओं में बरगद के नाम (Name of Banyan Tree in Different Languages)

बरगद को मूलतः बड़ या बट के नाम से ही जानते हैं, लेकिन इसके अलावा भी देश-विदेश में बरगद को कई नाम से जाना जाता है। बरगद (bargad ka ped) का वानस्पतिक नाम Botanical name FicusbenghalensisLinn. (फाइकस् बेंगालेन्सिस्) Syn-Ficus banyana Oken है और इसके अन्य नाम ये हैंः-

Banyan tree in:-

  • Hindi (bargad tree in hindi) – बर, बरगट, बरगद, बट
  • English – ईस्ट इण्डियन फिग ट्री (East Indian fig tree)
  • Sanskrit – वट वृक्ष, न्यग्रोध, वैश्रवणालय, बहुपाद, रक्तफल (bargad ka fal),  शृङ्गी, स्कन्धज, ध्रुव, क्षीरी, वैश्रवण, वास, वनस्पति
  • Oriya – बरो (Boro)
  • Urdu – बर्गोडा (Bargoda)
  • Konkani – वड (Vad)
  • Kannada– अल (Al), अला (Ala), मरा (Mara)
  • Gujarati – वड (Vad), वडलो (Vadlo)
  • Tamil – अला (Ala), अलम (Alam)
  • Telugu – मर्री (Marri), वट वृक्षी (Vati)
  • Bengali – बर (Bar), बोट (Bot), बडगाछ (Badgach)
  • Nepali – बर (Bar)
  • Punjabi – बरगद (Bargad), बर (Bar)
  • Malayalam – अला (Ala), पेरल (Peral)
  • Marathi – वड (Wad), वर (War)
  • Arabic – जतुलेजईब्वा (Jhatulejaibva), तईन बनफलिस (Taein banfalis)
  • Persian – दरखत्तेरेशा (Darakhteresha)

बरगद के पेड़ के फायदे और उपयोग (Banyan Tree Benefits and Uses in Hindi)

बरगद का पेड़ अपने विभिन्‍न औषधीय प्रयोगों और और गुणों से महिला, पुरुष, बच्‍चे और बुजुर्ग सभी के लिए अत्‍यंत फायदेमंद है। बरगद के पेड़ का उपयोग (bargad ka ped) या औषधीय इस्‍तेमाल इस प्रकार से किया जाना चाहिए:

बालों की समस्‍या में बरगद के पेड़ के फायदे (Banyan Tree Benefits to Treat Hair Problem in Hindi)

  • वट वृक्ष (bargad ka tree) के पत्ते लें। इसका भस्म बना लें। 20-25 ग्राम भस्म को 100 मिलीग्राम अलसी के तेल में मिलाकर सिर में लगाएं। इससे बालों की समस्‍या दूर होती है।  
  • वट वृक्ष के स्वच्छ कोमल पत्‍तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिला लें। इसे आग पर पका लें। इस तेल को बालों में लगाने से बालों की सभी प्रकार की समस्‍याएं दूर होती हैं।  
  • बड़ (banyan tree uses) की जटा और जटामांसी का चूर्ण 25-25 ग्राम, तिल का तेल 400 मिलीग्राम तथा गिलोय का रस 2 लीटर लें। इन सभी को आपस में मिलाकर धूप में रखें। पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे गंजेपन की समस्या खत्म होती है, और सिर पर बाल आते हैं। इससे बाल झड़ना बंद हो जाता है। बाल सुंदर और सुनहरे हो जाते हैं।
  • बड़ की जटा और काले तिल को बराबर भाग में मिलाकर खूब महीन पीस लें। इसे सिर पर लगाएं। आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर लें। अब सिर में भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाएं। कुछ दिन ऐसा करते रहने से कुछ दिनों में बाल लम्बे हो जाते हैं।

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बरगद के फायदे आंखों के रोगों में (Uses of Bargad Tree in Eye Disease in Hindi)

  • बड़ के 10 मिलीलीटर दूध में 125 मिलीलीटर कपूर और 2 चम्मच शहद मिलाएं। इसे आखों में लगाने (काजल की तरह) से आखों की समस्‍याएं दूर होती हैं।  
  • बड़ के दूध को 2-2 बूंद आंखों में डालने से आंखों से संबंधित रोगों का उपचार होता है। इसका प्रयोग चिकित्सक की सलाह से करें।

नाक से खून आने पर बरगद के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Banyan Tree to Stop Nasal Bleeding in Hindi)

  • 3 ग्राम बरगद की जड़ की छाल लें। इसे लस्सी के साथ पिएं। इससे नाक से खून आने की समस्या में लाभ होता है।
  • 10 से 20 ग्राम तक वट वृक्ष के कोपलों या पत्तों को पीस लें। इसमें शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी पित्त में लाभ होता है।

कान के रोगों में बरगद के पेड़ से फायदे (Banyan Tree Benefits in Ear Disease in Hindi)

  • कान में यदि फुंसी हो तो वट वृक्ष के दूध की कुछ बूंदों में सरसों के तेल मिलाकर काने में डालें। इससे कान की फुंसी ठीक हो जाती है।
  • वट वृक्ष के 3 बूंद दूध (bargad tree milk benefits) को बकरी के 3 ग्राम कच्‍चे दूध में मिलाकर कान में डालें। इससे कान की फुंसी  खत्म हो  जाती है।

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बरगद के औषधीय गुण से चेहरे की चमक में बढ़ोतरी (Benefits of Banyan Tree in Glowing Skin in Hindi)

  • वट वृक्ष (bargad ka ped) के 5-6 कोमल पत्ते या जटा को 10-20 ग्राम मसूर के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर लगाएं। इससे उभरने वाले मुंहासे और झाई दूर होती है।
  • वट वृक्ष के पीले पके पत्तों के साथ, चमेली के पत्ते, लाल चन्दन, कूट, काला अगर और पठानी लोध्र 1-1 भाग में लें। इनको पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से मुहांसे तथा झाई की समस्या दूर हो जाती है।
  • निर्गुण्डी बीज, बड़ के पीले पके पत्ते, प्रियंगु, मुलेठी, कमल का फूल, लोध्र, केशर, लाख तथा इंद्रायण चूर्ण को बराबर भाग में लें। इन्हें पानी के साथ पीसकर लेप तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ जाती है।  

दांतों के रोग में बरगद के पेड़ के फायदे (Benefits of Banyan Tree Bark to Treat Dental Disease in Hindi)

  • 10 ग्राम बड़ की छाल के साथ 5 ग्राम कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च लें। इन तीनों को खूब महीन पीसकर चूर्ण बना लें। इसका मंजन करने से दांतों का हिलना, दांतों की गंदगी, मुंह से दुर्गंध आने जैसी परेशानी दूर होते हैं। दांत स्वच्छ एवं सफेद होते हैं।
  • दांतों में दर्द हो रहा है तो दर्द वाले स्थान पर बरगद का दूध लगाएं। इसमें आराम मिलता है।
  • यदि किसी दांत आ रहा हो तो उस स्‍थान पर बरगद का दूध (bargad ka doodh) लगा दें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं।
  • बरगद की जड़ का दातून बनाकर मंजन करने से दांतों का दर्द और मुंह से आने वाली बदबू दूर होती है।  

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टॉन्सिल रोग में बरगद के पेड़ से लाभ (Banyan Tree Milk Benefits in Tonsil Disease Treatment in Hindi)

वट वृक्ष के दूध (आक्षीर) का लेप करने से कंठ के रोग जैसे टॉन्सिल रोग में लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

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बरगद के औषधीय गुण से खांसी और जुकाम का इलाज (Bargad Tree Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)

  • वट वृक्ष के कोमल लाल रंग के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसके एक या डेढ़ चम्मच चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसमें 3 चम्मच चीनी मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम व नजला दूर होकर मस्तिष्क की दुर्बलता भी नष्ट होती है।
  • बरगद की छोटी-छोटी कोमल शाखाओं से शीत निर्यास (रात भर ठंडे पानी में रखकर सुबह तैयार किया गया रस) तैयार करें। 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में इसका सेवन करने से कफ से होने वाली बीमारी में फायदा होता है।
  • बरगद के 10 ग्राम कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीग्राम पानी में खूब पीस लें। इसे छानकर थोड़ी मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम 15 दिन तक पिलाने से हृदय रोगों में लाभ होता है।

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पेचिश में बरगद के पेड़ से लाभ (Benefits of Bargad Tree to Stop Dysentery in Hindi)

दस्‍त के साथ खून आता हो तो वट वृक्ष वृक्ष (Bargad ke ped) की 20 ग्राम कोपलों को पीस लें। इसे रात में पानी में भिगोकर सुबह छान लें। छने हुए पानी में 100 ग्राम घी मिलाकर पकाएं। इसमें केवल घी बच जाने पर उतार लें। इस घी से 5-10 ग्राम घी लें और इसमें 2 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे खूनी दस्‍त या पेचिश में लाभ होता है।  

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बरगद के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Bargat Tree Milk to Stop Diarrhea in Hindi)

  • बरगद के दूध (bargad ka doodh) को नाभि के छेद में भरने और उसके आस-पास लगाने से दस्‍त रुक जाती है।
  • 6 ग्राम वट वृक्ष के कोपलों को 100 मिलीग्राम पानी में घोंट लें। इसे छानकर थोड़ी मिश्री मिला लें। इसे पिलाएं, और ऊपर से छाछ पिल दें। इससे दस्‍त में लाभ होता है।
  • छाए में सुखाए गए वट वृक्ष की छाल से 3 ग्राम का चूर्ण तैयार करें। दिन में 3 बार चावलों के धुले हुए पानी के साथ या ताजे जल के साथ इसे देने से दस्‍ते में तुरंत लाभ होता है।
  • वट वृक्ष की 8-10 कोपलों का सेवन दही के साथ करने से दस्‍त में लाभ होता है।

खूनी की उल्‍टी रोकने में बरगद का गुण फायदेमंद (Bargat Tree Benefits in Hematemesis Treatment in Hindi)

  • वट वृक्ष की नर्म शाखाओं की टहनियों में चीनी या बतासा मिलाकर सेवन करें। इससे खून की उल्‍टी पर रोक लगती है।
  • 6 ग्राम वट वृक्ष की जटा के अंकुर लें। इसे जल में घोटकर छान लें। इसे पिलाने से खून की उल्‍टी बन्द हो जाती है।

बार-बार प्‍यास लगने की समस्‍या में बरगद का गुण लाभदायक (Bargad Tree Benefits to Control Excessive Thirst Problem in Hindi)

बराबर भाग में वट वृक्ष की कोपलें, दूब, लोध्र, अनार और मुलेठी लें। इसे पीस लें। इसमें शहद मिलाकर चावलों के धुले हुए पानी के साथ सेवन करें। इससे उल्‍टी और बार-बार प्‍यास लगने की समस्‍या दूर हो जाती है।  

बरगद के पत्‍तों के सेवन से खूनी बवासीर में लाभ (Benefits of Banyan Tree Leaves in Piles in Hindi)

  • बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीग्राम पानी में घोंटकर पिलाएं। इससे 2-3 दिन में ही बवासीर में खून बहना बन्द हो जाता है।
  • बरगद के पीले पत्तों की भस्म को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लेप करें। इससे तुरंत लाभ होता है।
  • 100 मिलीग्राम बकरी के दूध और इतना ही पानी लें। इसमें वट वृक्ष (bargad ka pedh) की 10 ग्राम कोपलों को मिला लें। इसे आग पर पकाएं। जब केवल दूध बचा जाय तो छान कर सेवन करें। इससे खूनी पित्‍त, खूनी बवासीर, खूनी दस्‍त में लाभ होता है।
  • वट वृक्ष की सूखी हुई शाखा को जलाकर कायेला बना लें। इन कोयलों को महीन पीसकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ लेने से बवासीर में लाभ होता है।
  • कोयले के चूर्ण को 21 बार धोये हुए मक्खन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। इस मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से बिना कष्ट के दूर हो जाते हैं।
  • 20 ग्राम वट वृक्ष की छाल को 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर गाय का घी और खांड 10-10 ग्राम मिला लें। इसके सेवन से कुछ दिनों में बवासीर में लाभ होता है।
  • बड़ के पत्ते, पुरानी इऔट का चूर्ण, सोंठ, गिलोय तथा पुनर्नवा की छाल का चूर्ण को बराबर मात्रा में लें। इन्‍हें जल के साथ पीसकर भगंदर के घाव पर लेप करें। इससे नासूर में लाभ होता है।

और पढ़ें: गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार

मधुमेह (डायबिटीज) में बरगद की छाल से लाभ (Benefits of Banyan Tree Bark to Control Diabetes in Hindi)

  • 20 ग्राम बरगद के फल के चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं। जब इसका आठवां भाग बच जाए तो उतारकर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर छानकर सेवन करें। ऐसा 1 महीने तक सुबह और शाम सेवन करें। इससे डायबिटीज में बहुत लाभ होता है।
  • बरगद के पेड़ की ताजी छाल का महीन चूर्ण बनाएं। इसमें बराबर भाग खांड मिलाकर 4 ग्राम की मात्रा में ताजे जल के साथ सेवन करें। इससे डायबिटीज में फायदा होता है। ध्यान रखें कि यदि बार-बार वीर्य निकले तो खांड न मिलाएं।
  • पहले दिन बरगद के एक बूंद दूध को 1 बतासे पर डालकर खाएं। दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंद, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद खाए। इसी तरह 21 दिन तक दूध व बतासा बढ़ाते जाएं। 21 दिन बाद इसी तरह घटाते हुए एक बूंद और एक बतासे तक आकर छोड़ दें। यह मधुमेह की विशेष औषधि (bargad ke ped ke fayde) है। इससे स्वप्नदोष की समस्या दूर होकर वीर्य की वृद्धि होती है।
  • बरगद के 2.5 किलोग्राम पके पीले पत्ते लें। इसे 15 लीटल जल में 3-4 दिन भिगोने के बाद पकाएं। एक चौथाई पानी शेष रहने पर मसलकर छान लें। अब इस पानी को गाढ़ा होने तक फिर से पकायें। इसे आग से उतार लें। इसमें गिलोय सत् (पानी में गर्म करने के बाद पानी में नीचे जम जाने वाला भाग) व 3 से 6 ग्राम प्रवाल पिष्टी, तथा 2 ग्राम छोटी इलायची के बीज पीसकर मिलायें। इसकी 250 मिलीग्राम की गोली बना कर रख लें। सुबह-शाम 1-1 गोली गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करायें। इससे डायबिटीज में फायदा होता है।
  • 4 ग्राम की मात्रा में बरगद जटा के चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन कराने से मधुमेह में लाभ होता है। इससे धातु का स्राव एवं स्वप्न दोष की शिकायत दूर होती है।
  • बरगद (bargad ka pedh) के फल का चूर्ण लें। चूर्ण की मात्रा 10-20 ग्राम की मात्रा होनी चाहिए। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है। यह पौष्टिक व धातुवर्धक है।

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मूत्र रोग (पेशाब की समस्‍या) में बरगद के बीज से फायदा (Banyan Tree Seed Benefits for Urinary Disease in Hindi)

  • बरगद के फलों (bargad ka fal) के बीज को महीन पीस लें। इसे 1 या 2 ग्राम की मात्रा में, सुबह के समय गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे बार-बार पेशाब आने की समस्‍या दूर हो जाती है।
  • बरगद की जटा का महीन चूर्ण बना लें। अब चूर्ण 9 ग्राम, कलमी शोरा, सफेद  जीरा, छोटी इलायची के बीज लें। सभी का महीन चूर्ण बना लें। अब 2-2 ग्राम को जल में मिलाकर 2-2 ग्राम की बाती बना लें। सुबह के समय गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करें। इससे पेशाब के रुक-रुक कर आने की समस्या ठीक होती है। इससे सूजाक में लाभ होता है।

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मासिक धर्म विकार में बरगद के सेवन से फायदा (Benefits of Banyan Tree in Menstrual Disorder in Hindi)

  • 10 ग्राम बरगद की जटा के अंकुर को 100 मिलीग्राम गाय के दूध में पीस लें। इसे छानकर दिन में 3 बार पिलाने से मासिक धर्म विकार या रक्‍त प्रदर में लाभ होता है।
  • बरगद के 20 ग्राम कोमल पत्तों को 100 से 200 ग्राम पानी में घोट लें। इसे सुबह-शाम पिलाने से तुरंत लाभ होता है। महिला या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो इसके सेवन से लाभ होता है।
  • 3 से 5 ग्राम बरगद के कोपलों का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन से मधुमेह और माहवारी से जुड़े रोग में लाभ होता है।

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सिफलिस (उपदंश) से में बरगद की जटा से लाभ (Use of Bargad to Treat Syphilis in Hindi)

पानी में बरगद की जटा के साथ बराबर भाग में अर्जुन की छाल हरड़, लोध्र और हल्दी को पीस लें। इसका लेप लगाने से सिफलिस (उपदंश) के घाव ठीक होते हैं।  

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सूजाक में बरगद की छाल से लाभ (Banyan Tree Uses in Gonorrhea Treatment in Hindi)

छाए में सूखाए हुए बरगद की जड़ (banyan tree roots benefits) और छाल का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 3 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम शर्बत या साधारण ताजे पानी के साथ लें। इससे सूजाक में लाभ होता है।

गर्भधारण में फायदेमंद बरगद की छाल का उपयोग (Bargad Tree Bark is Useful During Pregnancy in Hindi)

  • गर्भाधारण के दौरान छाए में सुखाए गए छाल के चूर्ण को लस्‍सी के साथ सेवन करें। इससे गर्भपात नहीं होता।
  • 20-30 मिलीग्राम बरगद की छाल के काढ़ा में 3-5 ग्राम लोध्र की पेस्‍ट, तथा थोड़ा शहद मिला लें। इसका दिन में दो बार सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।
  • योनि से स्राव यदि ज्‍यादा हो रहा हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में मुलायम कपड़े को 3-4 बार भिगोएं। इसे योनि पर रखें। यह दोनों प्रयोग योनी से सफेद पानी (ल्योूकिरिया) आने की शिकायत में लाभदायक होते हैं।
  • बरगद के दो कोमल पत्त लें। 250 मिली गाय के दूध में बराबर भाग जल मिलाकर पत्तों को पकाएं। केवल दूध शेष रहने पर छानकर पी लें। यह लाभ देता है।
  • पुष्य नक्षत्र एवं शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद के कोपलों का चूर्ण तैयार करें। इस चूर्ण का 6 ग्राम ऋतु काल में सुबह में पानी के साथ 4-6 दिन सेवन करें। इससे फायदा होता है।
  • बरगद के कोपलों को पीसकर बेर जैसी 21 गोलियां बना लें। 3 गोली घी के साथ सेवन करें। ऐसा करने से महिला अवश्य गर्भ धारण करती है।

योनि के ढीलेपन में फायदेमंद बरगद के कोपलों का सेवन (Uses of Bargad Tree Beneficial in Loose Vaginal in Hindi)

वट वृक्ष के कोपलों के रस में रुई भिगों कर योनि (पिचू) में रोजाना 1 बार लगभग 15 दिनों तक रखें। इससे योनी की शिथिलता (योनि का ढीलापन) दूर होती है।

स्तनों के ढीलापन की समस्या में बरगद की जटा से लाभ (Bargad Tree Uses in Breast Laxity in Hindi)

बरगद की जटा के बारीक आगे वाले भाग के पीले व लाल तंतुओं को पीस लें। इससे स्तनों में लेप करें। इससे स्तनों की शिथिलता (स्तनों के ढीलापन की समस्या) दूर होती है।

कमर दर्द में वट वृक्ष के दूध से लाभ (Uses of Bargad Tree Milk to Get Relief from Back Pain in Hindi)

बरगद के दूध को लगाने से कमर दर्द ठीक होता है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श ले।

शरीर को पुष्ट बनाने के लिए बरगद के फल का सेवन (Uses of Bargad Tree for Body Weakness in Hindi)

  • बरगद के वृक्ष से उतारे हुए फलों को हवादार स्थान में कपड़े पर सुखा लें। ध्‍यान रखें कि इससे लोहे का सम्पर्क न होने पाए। इसका चूर्ण तैयार कर लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। 6 ग्राम चूर्ण को सुबह गर्म दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन की समस्या आदि विकार दूर होते हैं। इससे शारीरिक शक्ति की वृद्धि (bargad ke ped ke fayde) होती है।
  • बड़ के पके फल व पीपल के फल को सुखाकर महीन चूर्ण बना लें। 25 ग्राम चूर्ण को 25 ग्राम घी में भूनकर हलवा बना लें। इसे सुबह और शाम को सेवन करें। ऊपर से गाय का दूध पीने से विशेष शरीरिक शक्ति की वृद्धि होती है। यदि स्त्री और पुरुष दोनों सेवन करे दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
  • छाया में सुखाए गए कोपलों के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इस चूर्ण को 7 दिन सुबह खाली पेट 5-10 ग्राम तक की मात्रा में लस्सी के साथ सेवन करें। इससे वीर्य का पतलापन दूर होता है।

अधिक नींद आने की समस्या में वट वृक्ष के पत्‍तों का सेवन फायदेमंद (Benefits of Bargad Tree Leaves in Excessive Sleeping Problem in Hindi)

छाया में सूखाए गए वट वृक्ष के कड़े हरे पत्ते लें। इसके 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर जल में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो 1 ग्राम नमक मिला लें। इसे 10-30 मिलीग्राम मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से अधिक नींद आने की समस्‍या दूर होती है।  

याद्दाश्‍त बढ़ाने के लिए वट वृक्ष की छाल फायदेमंद (Bargad Tree Beneficial to Boost Memory  in Hindi)

छाया में सुखाए गए वट वृक्ष की छाल का महीन चूर्ण बना लें। इसमें दोगुनी मात्रा में खांड या मिश्री मिला लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करें। इससे याददाश्त बढ़ती है। इस दौरान खट्टे पदार्थों से परहेज रखें।

वट वृक्ष की छाल से घाव का इलाज (Benefits of Bargad Tree Bark in Healing Wound in Hindi)

    • घाव में यदि कीड़े हो गए हों या घाव से बदबू आती हो तो वट वृक्ष की छाल का काढ़ा बना लें। इससे हर दिन धोएं। इससे फायदा होता है।
    • बरगद के दूध की कुछ बूंद दिन में 3-4 बार घाव पर डालें। इससे कीड़े मर जाते हैं और घाव ठीक (bargad ke pedh ke fayde) हो जाता है।
    • साधारण घाव पर वट वृक्ष के दूध को लगाने से वह जल्‍दी ठीक होता है।
    • यदि घाव ऐसा हो जिसमें टाके लगाने की आवश्यकता न हो तो घाव वाले त्वचा के दोनों सिरे को मिला दें। इसके बाद बड़ के पत्ते को गर्मकर घाव पर रख दें। ऊपर से कसकर पट्टी बांध दें। ऐसा करने से 3 दिन में घाव भर जायेगा। ध्यान रखें कि पट्टी को 3 दिन तक खोलें नहीं।
    • फोड़े और फुन्सियों पर वट वृक्ष के पत्तों को गर्म कर बांधने से वे जल्‍द ही पक कर फूट जाते हैं।
    • वट वृक्ष के पत्तों को जला लें। इसके भस्म में मोम और घी मिलाकर मलहम तैयार करें। इसे घावों में लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
    • वर्षा ऋतु में पानी में अधिक रहने से अगुंलियों के बीच में जख्म से हो जाते हैं। ऐसे जगह पर बड़ का दूध लगाने से जल्‍द ही बीमारी ठीक हो जाती है।
    • यदि किसी व्‍यक्ति को साइनस का घाव हो जाए तो बरगद के कोपलें तथा कोमल पत्तों को जल में पीसकर छान लें। इसमें बराबर भाग में तिल का तेल मिलाकर तेल को आग पर गर्म कर लें। इस तेल को दिन में 2-3 बार साइनस के घाव पर लगाएं। इससे लाभ होता है। यह तेल भगन्दर रोग में भी लाभदायक होता है।

बरगद के दूध से कुष्ठ रोग का इलाज (Uses of Bargad Tree Leaves in Leprosy Treatment in Hindi)

रात के समय बड़ वृक्ष के दूध का लेप करें। उसपर वट वृक्ष की छाल का पेस्‍ट बांध दें। इससे कुष्ठ रोग एवं घाव में लाभ होता है।

बरगद के दूध से रसौली का इलाज (Bargad Tree Milk is Beneficial in Rasauli (knar) in Hindi)

  • कूठ व सेंधा नमक को बड़ के दूध में मिलाकर लेप करें। इसके ऊपर छाल का पतला टुकड़ा बांध दें। सात दिन तक दो बार उपचार करने से बढ़ी हुई रसौली की समस्या में लाभ होता है।
  • गठिया, चोट व मोच पर बरगद का दूध लगाने से पीड़ा तुरंत कम (bargad ke ped ke fayde) हो जाती है।
  • यदि गांठ पकने वाली नहीं है तो बड़ का दूध लगाने से बैठ जाती है। यदि फूटने वाली है तो शीघ्र पककर फूट जाती है।
  • वट वृक्ष के पत्तों पर तिल का तेल चुपड़ कर बंद गाठ पर बांधें। इससे वह पककर फूट जाती है।

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आग से जलने बरगद के पत्‍तों से फायदा (Bargad Tree Leaves Helps in Fire Burning in Hindi)

आग से जले हुए स्थान पर वट वृक्ष (aalamaram tree) के कोमल पत्ते लें। इसे गाय के दही में पीसकर लगाने से लाभ होता है।

बरगद के पत्‍तों से खुजली का इलाज (Benefits of Bargad Leaves in Itching in Hindi)

बरगद के पेड़ (bargad ka ped) के आधा किलो पत्तों को कूट लें। 4 लीटर पानी में रात के समय भिगोकर रख दें। इसे सुबह पकाएं। जब एक लीटर पानी बच जाए तो इसमें आधा लीटर सरसों का तेल डालकर फिर से पकाएं। जब केवल तेल रह जाए तो छानकर रख लें। इस तेल की मालिश से गीली और सूखी दोनों प्रकार की खुजली दूर होती है।

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कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में फायदेमंद बरगद का पेड़ (Banyan Tree Beneficial to Control Cholesterol in Hindi)

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने में  कफ दोष का असंतुलित होना माना गया भी एक कारण माना जा सकता है और बरगद में कफ शामक गुण होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को निंयत्रित  करने में मदद करता है। 

त्वचा के लिए बरगद के फल फायदेमंद (Banyan Fruit Beneficial for Skin in Hindi)

त्वचा सम्बंधित अधिकतर परेशानियाँ पित्त दोष के बढ़ने के कारण होती हैं। बरगद में पित्त शामक एवं कषाय गुण होने के कारण यह त्वचा के लिए काफी लाभदायक होता है। 

शीघ्रपतन से निजात दिलाने में फायदेमंद बरगद का पेड़ (Banyan Tree Beneficial to Treat Premature Ejaculation in Hindi)

एक रिसर्च के अनुसार बरगद की वायव जड़ों यानी मूल के सेवन से शीघ्रपतन की समस्या में भी लाभ मिल सकता है क्योंकि इसमें स्तम्भन का गुण पाया जाता है। 

बरगद के पत्‍तों से सूजन की समस्या का उपचार (Banyan Tree Leaves Benefits in Reducing Swelling in Hindi)

वट वृक्ष (aalamaram tree) के पत्तों पर घी चुपड़कर सूजन पर बांधने से जल्‍द लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

बरगद के उपयोगी भाग (Useful Parts of Banyan Tree in Hindi)

आप बरगद के पेड़ के इन भागों का उपयोग कर सकते हैं।

  • बरगद के पत्‍ते (bargad leaves)
  • बरगद की जड़ (banyan tree roots benefits)
  • बरगद के फल (bargad ka fal)
  • बरगद के बीज (bargad seeds)
  • बरगद के फूल (bargad flower)

बरगद का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Banyan Tree?)

  • काढ़ा – 50-100 मिलीग्राम,
  • बरगद के फल का चूर्ण – 3-6 ग्राम
  • बरगद का दूध – 5-10 बूंद

यहां बरगद के पेड़ से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Bargat Tree in hindi) में लिखा गया है ताकि आप बरगद के पेड़ से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में बरगद के पेड़ का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

बरगद कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Banyan Tree Found or Grown in Hindi?)

बरगद का पेड़ (Bargad ka Ped) हर जगह पाया जाता है। धार्मिक प्रयोजन में इस्‍तेमाल होने के कारण इसे अक्सर मंदिरों के आस-पास देखा जा सकता है। यह बाग-बगीचे या सड़कों के किनारे भी मिलता है

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बरगद के पेड़ में दूध डालने से क्या होता है?

वात , पित और कफ को संतुलित करता है बरगद का दूध ठंडी प्रकृति का होता है। यह शरीर से अनावश्यक गर्मी को निकालता है। इसका दूध शरीर में वात, पित्त और कफ तीनों ही दोषों को नष्ट करता है। इसलिए इसके दूध का सेवन करने से वात, पित्त और कफ से उत्पन्न कोई भी समस्याएं आपके शरीर में नहीं रह सकती हैं।

बरगद के पेड़ में कौन से देवता निवास करते हैं?

बेल और बरगद का पेड़ बेल और बरगद के पेड़ पर भगवान शिव वास करते हैं। रोजाना भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र अर्पित करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

बरगद के पेड़ की पूजा करने से क्या होता है?

हिंदू धर्म में बरगद वृक्ष की पूजा करना बहुत ही फलयादी माना गय है. इसकी पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, नौकरी-व्यापार में लाभ होता है, दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

बड़ के पेड़ में किसका वास होता है?

बरगद का धार्मिक महत्व वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहते हैं. अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है.

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