गोपियों द्वारा उद्भव को भाग्यवान करने में क्या व्यंग्य निहित है? - gopiyon dvaara udbhav ko bhaagyavaan karane mein kya vyangy nihit hai?

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गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है ?

  • Posted by Atul Kumar 2 years ago

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    गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।

    गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

    उत्तर

    गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।

    Posted by Amogh Aggarwal 1 day, 3 hours ago

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    Posted by Ananya Pandey 2 weeks ago

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    Posted by Akriti Singh 4 days, 14 hours ago

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    Posted by Sonam Pandey 8 hours ago

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    Posted by Gurjott Kaurr 1 week, 5 days ago

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    Posted by Nipun Reddy . 2 weeks, 1 day ago

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    Posted by Lavanya Verma 2 weeks, 3 days ago

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    Posted by Jinesh Suthar 1 week, 6 days ago

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    Posted by Devil Girl 5 days, 1 hour ago

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    Posted by Ankit Singh 4 days, 2 hours ago

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    गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

    गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती है कि श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। वे कैसे श्री कृष्ण के स्नेह व प्रेम के बंधन में अभी तक नहीं बंधे?, श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। परन्तु ये उद्धव तो उनसे तनिक भी प्रभावित नहीं है प्रेम में डूबना तो अलग बात है।

    Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A)

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    Q1.

    गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

    Q2.

    उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है?

    Q3.

    गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

    Q4.

    उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम कैसे किया?

    Q5.

    'मरजादा न लही' के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

    Q6.

    कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

    Q7.

    गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

    Q8.

    प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

    Q9.

    गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

    Q10.

    गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

    Q11.

    गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

    Q12.

    संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?

    गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान में क्या व्यंग्य निहित है?

    उत्तर 1-1: गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं।

    गोपियों ने उद्धव को योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

    गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनके मन में चकरी हो, जो अस्थिर बुद्धि हो, जिनका मन चंचल हो। योग की शिक्षा तो उन्हीं को दी जानी चाहिए, जिनके मन प्रेम-भाव के कारण स्थिरता पा चुके हैं। उनके लिए योग की शिक्षा की कोई आवश्यकता ही नहीं है।

    यहाँ क्या व्यंग्य निहित है?

    यह व्यंग्य कवि ने उस मीडिया पर किया है, जो इस प्रकार के कार्यक्रमों का निर्माण करते हैं। समर्थ शक्तिवान कहकर वे उनकी उन शक्ति को प्रदर्शित करते हैं, जिसके माध्यम से वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे लोग मानते हैं कि उनके पास इतनी शक्ति है कि वह कुछ भी कर सकने में समर्थ हैं।

    गोपियों ने उद्धव को बड़भागी क्यों कहा है?

    गोपियों ने उद्धव को इसलिए बड़भागी कहा है क्योंकि उद्धव श्रीकृष्ण के प्रेम से दूर हैं। उन्हें कृष्ण का प्रेम अपने बंधन में न बाँध सका। ऐसे में उद्धव को प्रेम की वैसी पीड़ा नहीं झेलनी पड़ रही है जैसी गोपियाँ झेलने को विवश हैं।

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