- 20 सेमी
- 30 सेमी
- 50 सेमी
- 100 सेमी
Answer (Detailed Solution Below)
Option 3 : 50 सेमी
सही उत्तर 50 सेमी है।
- सामान्य पूर्ण अवधि के नवजात शिशु में गर्भनाल की औसत लंबाई 50-60 सेमी होती है।
- गर्भनाल:
- गर्भावस्था के दौरान, यह एक लचीली, ट्यूब जैसी संरचना होती है जो भ्रूण को मां से जोड़ती है।
- गर्भनाल बच्चे को पोषक तत्व पहुँचाती है और बच्चे के अपशिष्ट उत्पादों को भी वहन करती है।
- गर्भनाल दो धमनियों और एक शिरा से बनी होती है।
- धमनियां शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के अन्य भागों में ले जाती हैं।
- नसें अशुद्ध रक्त को हृदय तक ले जाती हैं।
- रक्त:
- मानव शरीर में रक्त की मात्रा कुल भार का 7% होती है।
- रक्त संयोजी ऊतक है और रक्त कणिकाओं, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स से बना होता है।
- यह प्रकृति में थोड़ा क्षारीय होता है।
- इसका pH 7.4 है।
- एक वयस्क मनुष्य में इसकी मात्रा 5.8 लीटर होती है।
- प्लाज्मा:
- यह रक्त का तरल भाग है।
- रक्त का 60% हिस्सा प्लाज्मा है।
- रक्त का 90% हिस्सा पानी, 7% प्रोटीन, 0.9% नमक और 0.1% ग्लूकोज होता है।
- रक्त कणिकाएं:
- रक्त का शेष 40% भाग कणिकाओं का बना होता है
बच्चे ने गर्भ में ही लगा ली फांसी, इस हाल में डॉक्टर को खींचकर निकालना पड़ा बाहर
हटके डेस्क: खबर की हेडिंग पढ़कर आप भी हैरान रह गए होंगे। आखिर एक बच्चा मां के गर्भ में फांसी कैसे लगा सकता है? लेकिन ऐसा वाकई में हुआ। चीन के एक अस्पताल में एक बच्चे का जन्म जब हुआ तो उसे देख डॉक्टर्स हैरान रह गए। बच्चे के गले में उसका गर्भनाल लिपटा हुआ था। वो भी एक-दो नहीं, पूरे 6 बार। जिस हाल में बच्चे को निकाला गया, वो दिल दहलाने वाला है। इतनी गंभीर हालत के बाद भी डॉक्टर्स ने उसकी सर्जरी नहीं की। बल्कि नॉर्मल डिलीवरी के तहत उसे मां के गर्भ से खींचकर बाहर निकाला। डॉक्टर्स ने बच्चे की जान बचा ली। इसकी तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है।
ये मामला चीन से सामने आया। जहां ह्यूबेई के एक अस्पताल से डॉक्टर्स ने बच्चे को बेहद खौफनाक हालत में बाहर निकाला। बच्चे के गले में गर्भ में ही गर्भनाल फंसा हुआ था।
इस बच्चे को डॉक्टर्स ने मिरेकल बेबी नाम दिया है। इसका जन्म जून के आखिरी हफ्ते में हुआ था। जब उसका जन्म हुआ तो उसका वजन 6.6 पाउंड था।
अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर्स ने बताया कि उसने अपने 23 साल के करियर में ऐसा कोई भी मामला नहीं देखा था।
बच्चे के जन्म को लेकर उसकी मां मिस दाई ने कहा कि उन्हें ख़ुशी है कि उनके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। जब डॉक्टर्स ने उसे गर्भ में बच्चे का हाल बताया तब काफी डर गई थी।
डॉक्टर्स ने बताया कि महिला के पेट से 35 इंच की गर्भनाल निकली है। ये लंबाई काफी ज्यादा है। आमतौर पर गर्भनाल 11.8 इंच लंबी होती है।
बच्चे की डिलीवरी करवाने वाली डॉ ली हुआ ने कहा कि कई घंटों के प्रसव पीड़ा के बाद स्वस्थ बच्चे की डिलीवरी करवाई गई थी। इसे चमत्कार भी कह सकते हैं क्यूंकि बच्चे का जो हाल था, उसका दम घुट सकता था।
बता दें कि गर्भनाल का काम होता है गर्भ में बच्चे तक खून, ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स पहुंचाना। साथ ही एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में एक तिहाई बच्चे के गले में गर्भनाल फंसा होता है। इस बच्चे की काफी चर्चा हो रही है।
जरूरी है गर्भनाल का निकलना
सी-सेक्शन होने पर गर्भनाल को उसी समय निकाल दिया जाता है। असल में गर्भनाल का निकलना काफी जरूरी है। यदि ऐसा न किया गया तो गर्भनाल से बहते खून के कारण महिला के शरीर में इंफेक्शन हो सकता है। इसके बाद गर्भनाल निकालने के लिए सर्जरी भी की जा सकती है।
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गर्भावस्था में गर्भनाल कहां होती है
गर्भावस्था के दौरान गर्भनाल अपनी जगह बदलती रहती है। हालांकि, गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में यह गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित हो सकती है। लेकिन जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती जाती है, गर्भनाल गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में पहुंच सकती है।
गर्भनाल के साइज का पता 18 सप्ताह बाद अल्ट्रासाउंड से चलता है। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि शिशु के जन्म के बाद इसे निकाल दिया जात है। हालांकि, बच्चे के जन्म के बाद हल्का संकुचन हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिला को डिलीवरी के बाद भी दबाव बनाना पड़ता है।
इस दौरन कभी-कभी डाॅक्टर महिला के पेट की मालिश करते हैं या फिर उसे इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे गर्भनाल को धीरे से खींचा जा सके।
गर्भनाल कैसे काम करती है
यह गर्भवती महिला के शरीर से बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्व (जैसे विटामिन, ग्लूकोज, और पानी) वितरित करती है और बच्चे से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालती है।
यह उन हार्मोन का उत्पादन करती है जो शिशु को बढ़ने और विकसित होने में मदद करते हैं। यह रक्त वाहिकाओं की मदद से बच्चे के शरीर में एंटीबॉडी को जाने देती है। ये एंटीबॉडी शिशु के जन्म से पहले तक उसे कुछ जीवाणु संक्रमण और वायरल बीमारियों से बचाती है।
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कैसे रखें गर्भनाल का ख्याल
प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित चेकअप के लिए जाएं ताकि आपके स्वास्थ्य का पता चलता रहे खासकर बीपी के बारे में। हाई बीपी की वजह से गर्भनाल में परेशानी उत्पन्न हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान दी गई दवाएं ही लें। ओवर डोज कभी न करें। बिना डाॅक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें। हालांकि, कई दवाईयां गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सही मानी जाती हैं। इसके बावजूद खुद से किसी भी दवा का सेवन कभी न करें। इससे गर्भनाल पर भी असर पड़ सकता है।
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अम्बिलिकल कॉर्ड की केयर
प्रेग्नेंसी के दौरान सभी वैक्सीनेशन समय-समय पर लगवाएं। इनमें कई ऐसे वैक्सीनेशन होंगे जो आपको डिप्थीरिया आदि से बचाते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग बिल्कुल न करें। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए काफी हानिकारक है।
सी-सेक्शन की जरूरत न हो, तो सी-सेक्शन कभी न करवाएं। इसके लिए पहले डॉक्टर से सलाह लें। ध्यान रखें कि सी-सेक्शन के कारण आपकी दूसरी प्रेग्नेंसी में जटिलताएं आ सकती है। इसमें प्लेसेंटा प्रीविया और प्लेंसेंटा एक्रेटा भी शामिल हैं।
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