क्या होता है अगर हम पर्याप्त नींद लेते हैं? - kya hota hai agar ham paryaapt neend lete hain?

Health Tips

Health Tips: आपने कई लोगों से सुना होगा कि 7 या 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है। बेहतर नींद लेने से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है और हमारी बॉडी हमेशा एक्टिव रहती है। पर्याप्त नींद लेने से हम अगले दिन फ्रेशनेस और ऊर्जावान महसूस करते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि सोने का यह समय ही सही होता है। क्योंकि कई बार यह आपके डीएनए पर भी डिपेंड करता है कि आप कितने घंटे सोने से सेहतमंद रहेंगे। 

अगर हम अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे- सिरदर्द, आलस, थकान, कमजोरी, सुस्ती, पेट में एसिड बनना जैसी समस्याएं शामिल हैं। आज हम जानेंगे कि व्यक्ति को उसके हिसाब से कितनी नींद की आवश्यकता होती है। 

बदलते मौसम में

मौसम में बदलाव के कारण हमारे शरीर में भी कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं। इन दिनों हमें अधिक नींद आती है और ठंड के मौसम में रात काफी काफी लंबी होती है और दिन के समय भी धूप कम मिलती है। यही वजह है कि हमें अधिक नींद लेने की आदत पड़ जाती है। 

बीमारी में नींद की जरूरत

अच्छी नींद लेने से बीमारियों को हराया जा सकता है। जब कोई बीमारी हमें अपने चपेट में ले लेती है, जिससे हमारा शरीर कमजोर होने लगता है और हर समय नींद और थकान महसूस होती है। इस समय हमें आम दिनों की तुलना में अधिक  नींद लेने की नीड होती है, जिससे कि हमारा शरीर बीमारियों से आसानी से लड़ सके। 

कितने घंटे सोना जरूरी

हर एक व्यक्ति का सोने का समय अलग अलग होता है। कुछ लोग 5 घंटे से 6,7,8 या उससे ज्यादा समय तक भी नींद लेते हैं। लेकिन अगर आप 6 घंटे सोने के बाद ताजगी और सक्रियता महसूस करते हैं तो यह आपके हेल्थ के लिए अच्छा इशारा  है। वहीं जिन लोगों को 6 घंटे सोने के बाद भी हमेशा थकान, हर समय नींद आना, सुस्ती जैसी परेशानी दिखे। उन्हें 8 या 9 घंटे सोना चाहिए, जिससे कि वह फ्रेश फील कर सके और पूरे दिन एनर्जी के साथ काम कर पाएं। 

पीरियड्स के दिनों में

मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं को अधिक थकान और चिड़चिड़ापन, शरीर में ऐंठन जैसी दिक्कतें महसूस होती है। इसलिए पीरियड्स टाइम में ज्यादा नींद लेने की आवश्यकता पड़ती है। वैसे तो कई महिलाओं को इन परेशानियों के चलते नींद कम आती है। लेकिन कोशिश करें कि इन दिनों में अधिक से अधिक नींद लें, जिसकी वजह से आपको दर्द और चिड़चिड़ापन से राहत मिलेगी। आप पर्याप्त और अच्छी नींद लेने के बाद अच्छा फील करेंगी। 

नींद लेने के नुकसान

कई रिसर्च में पाया गया है कि कम नींद लेने वाले लोगों का इम्यून सिस्टम गड़बड़ रहता है। जो लोग 5 घंटे से भी कम सोते हैं उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है और इसका असर उनकी दिल की सेहत पर भी पड़ता है। नींद की कमी से स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है। कम नींद लेने वालों को एंजाइटी, मेंटल प्रॉब्लम, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन जैसी कई समस्याएं आसानी से अपने चपेट में ले सकती हैं। ‌साथ ही ऐसे लोगों में याददाश्त की कमी देखने को भी मिलती है। ये अन्य लोगों की तुलना में चीजों को जल्दी भूलने लगते हैं। कम सोने से मोटापा काफी तेजी से बढ़ने लगता है और आंखों की रोशनी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। वहीं जो लोग 9 घंटे से ज्यादा सोते हैं उनमें भी यह परेशानियां देखने को मिलती हैं।

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नींद की कमी क्यों होती है?

नींद की कमी के सबसे सामान्य कारण निम्नलिखित हैं -

स्वैच्छिक व्यवहार - यह आमतौर पर तब होता है जब व्यक्ति इस बात से अनजान होते हैं कि उनके शरीर को नींद की अधिक ज़रूरत है और वे सोते नहीं हैं। उत्तेजक का उपयोग करने से भी नींद पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग सोते समय अल्कोहल या कैफीन का उपभोग करते हैं, जो नींद के लिए कठिनाई को बढ़ा सकते हैं।

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काम या पढाई - कुछ विशिष्ट कार्य वातावरण शरीर की प्राकृतिक नींद लेने और जागने के चक्र को बाधित कर सकते हैं और नींद की कमी पैदा कर सकते हैं। विशेष रूप से, शिफ्ट में काम करने वाले लोग और वो लोग जो अक्सर हवाई यात्रा करते हैं, वे अक्सर पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। बच्चों और किशोरों को वयस्कों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है, लेकिन ऑफिस व विद्यालय के कार्यों के कारण पर्याप्त नींद लेना मुश्किल हो सकता है।

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पर्यावरण और नींद की आदतें - कुछ मामलों में, व्यक्ति के सोने के आसपास की जगहों में उत्तेजनाओं के परिणामस्वरूप नींद की कमी हो सकती है। इसमें अधिक तापमान, आसपास शोर होना या साथी का खर्राटे लेना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, नींद की आदतों से नींद की गुणवत्ता और मात्रा पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

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अनिद्रा (नींद न आना) - अनिद्रा एक ऐसी समस्या है जिसमें रात में सोने में कठिनाई होती है, जो वयस्क आबादी के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित करती है और नींद की कमी से सम्बंधित है।

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स्लीप एप्निया
स्लीप एप्निया एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसमें सोते समय साँस रूकती है, जिससे फेफड़ों में कम हवा जाती है। इसमें आमतौर पर अपर्याप्त ऑक्सीजन के कारण व्यक्ति बार-बार जागता है। इसके बाद, दिन के दौरान नींद आना सामान्य है।

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अल्पकालिक बीमारी
अल्पकालिक बीमारियां जैसे कि सर्दी जुकाम, फ्लू (इन्फ्लूएंजा) या टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) के चलते सोते समय सांस लेने में दिक्क्त हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति को पूरी रात जागना पड़ सकता है जिससे नींद की कमी होती है।

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नींद की कमी किन किन कारणों से होती हैं ?

नींद के जोखिम कारक निम्नलिखित हैं -

  • जीवनशैली - जीवनशैली, नींद की कमी का एक प्रमुख कारण है। असंतुलित आहार और सोते समय अत्यधिक शराब या कैफीन का सेवन नींद की कमी के सामान्य कारण होते हैं। रात के समय काम करने से लोगों को सामान्य नींद की कमी हो सकती है। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करने से काफी संभावनाएं ठीक हो सकती हैं।
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  • आयु - नींद की कमी का एक जोखिम कारक उम्र भी है। बुजुर्ग, युवा लोगों की तुलना में कम नींद लेते हैं, इसलिए युवाओं की तुलना में उन्हें काफी कम नींद आती है और वे नींद न आने की समस्याओं से जूझते है। बुजुर्ग व्यक्तियों को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं जैसे शुगर, हाई बीपी और गैस्ट्रोइसोफ़ेगल रिफ़्लक्स (Gastroesophageal reflux), नींद को प्रभावित कर सकती है।
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  • दवाएं - कुछ दवाएं आपके शरीर की सामान्य नींद की लय को बदल सकती हैं, जिससे नींद की कमी हो सकती है। अगर आप नींद के विकारों से पीड़ित हैं, तो हमेशा अपने चिकित्सक को बताएं। खासकर यदि आप नई दवा ले रहे हैं या अपनी वर्तमान दवा की मात्रा बढ़ा रहे हैं।
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  • चिकित्सा समस्याएं - कुछ चिकित्सा समस्याएं आपकी मानसिक और शारीरिक स्थितियों को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे नींद की कमी हो सकती है। उदाहरण के तौर पर अगर अस्थमा के चलते देर रात सांस की दिक्क्त होती है तो निश्चित रूप से रोगी के सोने के क्रम पर असर पड़ता है। इसी तरह अवसाद और किसी दुर्घटना होने के बाद पनपा तनाव भी लोगों से सुकून से सोने नहीं देता। मानसिक विकार जैसे रात को नींद में डरावने सपने आने से भी लोग नींद न आने की समस्या से जूझने लगते हैं। 

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पर्याप्त नींद लेने से क्या होता है?

मस्तिष्क को बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करने के साथ है, शरीर को री-फ्रेश रखने, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देकर रोगों के जोखिम को कम करने और चिंता-तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से बचाने में अच्छी नींद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

कितने घंटे की नींद पर्याप्त होनी चाहिए?

9-12 साल के बच्चों को प्रतिदिन 9 से 12 घंटे तक सोना चाहिए. 13-18 साल के युवाओं को हर दिन 8 से 10 घंटे तक नींद लेनी चाहिए. 18-60 साल के लोगों के लिए प्रतिदिन 7 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है. 61-64 साल के लोगों के लिए हर दिन 7 से 9 घंटे सोना जरूरी होता है.

क्या 6 घंटे की नींद पर्याप्त है?

रोजाना छह घंटों की नींद उतना ही महत्वपूर्ण है जितना आप उपभोग करते हैं और आपके द्वारा किए जाने वाले अभ्यास की मात्रा एक दिन में होती है. खराब नींद अगले दिन कम उत्पादकता के साथ कम एकाग्रता का कारण बन सकती है. इस प्रकार, रोजाना कम से कम 6 से 8 घंटे नींद लेना आवश्यक है.

क्या 5 घंटे की नींद पर्याप्त है?

अगर आपकी उम्र 50 से ज़्यादा है और आप कम से कम पांच घंटे भी नहीं सो रहे हैं तो इससे आपको कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि कम से कम पांच घंटे की नींद लेने से 50 से ज़्यादा उम्र में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का ख़तरा कम हो जाता है. स्वास्थ्य ठीक न हो तो नींद में ख़लल पड़ सकती है.

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