खुशबू रचते हैं हाथ से क्या तात्पर्य है? - khushaboo rachate hain haath se kya taatpary hai?

“ खुशबू रचते हैं हाथ”

bihar board 8th class hindi note

वर्ग – 8

विषय – हिंदी

पाठ 17 – “ खुशबू रचते हैं हाथ”

 “ खुशबू रचते हैं हाथ”
              –अरुण कमल
( यह कविता वंचित …………………..करती है)

भावार्थ –
जहाँ हाथ से रच – रचकर खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाई जाती उस लघु उद्योग वाले स्थान प्राय : गंदे होते हैं । यह उद्योग प्रायः गली , नालों के किनारे , कुड़े के ढेरों के बगल में ही होते हैं । इस उद्योग में काम करने वाले बूढे , जवान , बच्चे एवं नवयुवतियाँ भी होती हैं । इस उद्योग में जुड़े लोग प्रायः गंदे दिखते हैं लेकिन वे अपने हाथों से खुशबूदार विविध प्रकार की अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं ।

शब्दार्थ –
जख्म = घाव । रातरानी = एक तरह का सुगंधित फूल । मुल्क = देश । मशहूर प्रसिद्ध । केवड़ा = एक तरह का सुगंधित फूल । खस = पोस्ता ।

पाठ से

1. खुशबू रचने वाले हाथ कैसी परिस्थितियों में रह रहे हैं ?

उत्तर– खुशबू रचने वाले हाथ अर्थात् जो लोग अगरबत्तियाँ बनाकर संसार को खुशबू प्रदान करते हैं । वे लोग विषम परिस्थितियों में रह रहे हैं । उनके टोले या मुहल्ले तथा गली गंदगियों से भरे रहते हैं । उनके वस्त्र भी प्रायः मैले – कुचले होते हैं ।

2. खुशबू रचते हैं हाथ से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर– ” खुशबू रचते हैं हाथ ” से तात्पर्य है खुशबूदार विविध प्रकार की अगरबतियाँ बनाने वाले लोग ।

पाठ से आगे

1. आपके विचार से इस कविता का मुख्य उद्देश्य क्या हो सकता है ?

उत्तर– हमारे विचार से इस कविता का मुख्य उद्देश्य लघु उद्योग में जुड़े लोगों को परिस्थितियों को जानकारी देना ।

2. व्याख्या कीजिए –
यहीं इस गली में बनती हैं
          मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
          इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग ।
          बनाते हैं केवड़ा , गुलाब , खस और रातरानी     
          अगरबत्तियाँ । ll

उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियाँ ” अरूण कमल ” जी रचित ” खुशबू रचते हैं हाथ ” कविता से उद्धत हैं । जिसमें लघु उद्योग वाले मुहल्लों / गलियों या टोले की परिस्थितियों को दर्शाया गया है । यह उद्योग जिस गली में होते हैं वह स्थान गंदगियों से भरा होता है दुर्गन्धों से भरे उस स्थान पर रहकर भी लोग अपने हाथों से केवड़ा , गुलाब , खस , रातरानी इत्यादि सुगन्धयुक्त अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

( क ) “ उभरी नसों वाले हाथ ” का क्या अर्थ है ?

उत्तर– ” उभरी नसों वाले हाथ ” का अर्थ है बूढ़े लोग ।

( ख ) “ पीपल के पत्ते से नए – नए हाथ ” का क्या अर्थ है ?

उत्तर– ” पीपल के पत्ते से नए – नए हाथ ” का अर्थ है नन्हें – नन्हें बच्चों का कोमल हाथ ।

4. अमीरी एवं गरीबी की खाई को कैसे पाटा जा सकता है – अपना सुझाव दीजिए ।

उत्तर– अमीरी एवं गरीबी अर्थात् अमीर और गरीब के बीच की खाईयों को हम साम्यवाद के द्वारा ला सकते हैं । जिसके अन्दर अमीर लोग गरीबों को मदद देकर उनकी उन्नति में सहायक बनें । सरकार भी गरीबों के रोजगारयुक्त करने के लिए यथोचित मदद करें । गरीब लोगों को रोजगार प्रदान करें तो अमीरी – गरीबी के बीच खाई पाटा जा सकता है ।

गतिविधि

1 . पता कीजिए कि जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं , वहाँ का माहौल कैसा होता है ?

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

2. अगरबत्ती बनाना , माचिस बनाना , मोमबत्ती बनाना , पापड़ बनाना , मसाले का निर्माण करने जैसे लघु उद्योगों में से किसी एक के बारे में जानकारी एकत्रित कीजिए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

3. नवगीत के बारे में अपने शिक्षक से जानिए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

4. मजदूरों द्वारा किए जाने वाले कार्यों की सूची बनाइए ।

उत्तर — छात्र स्वयं करें ।

5. इस कविता से मिलती – जुलती कुछ रचनाएँ संकलित कीजिए और कक्षा में सुनाइए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

खुशबू रचते हैं हाथ का क्या अर्थ है?

खुशबू रचते हैं हाथ। व्याख्या – कवि कहता है कि इसी तंग गली में पूरे देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ बनती हैं। उस गंदे मुहल्ले के गंदे लोग (गरीब लोग) ही केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनाते हैं। यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है।

खुशबू रचने से कवि का क्या आशय है?

उत्तर:- कवि कहता है कि खुशबू रचने वाले हाथ अर्थात् अगरबत्ती बनाने वाले लोग स्वयं कितने गंदे और बदबूदार वातावरण में रहते हैं, इसकी कल्पना करना भी कठिन है। पर इस गंदगी में रहकर भी इनके हाथ में कमाल का जादू है ये खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाते हैं। स्वयं बदहाल हैं लेकिन दूसरों के जीवन को महकाते हैं।

खुशबूरचते हैं हाथ कविता क्या संदेश देती है?

खुशबू ​ रचने वाले हाथ संसार में सुगंध फैलाते हैं। वे खुद गंदे और अंधियारे निवास में रहते हैं। नाली और कीचड़ के बीच में रहकर सबको खुशबू ​ बांटते हैं। इससे हमें यह सन्देश मिलता है कि मजदूर वर्ग जो सुंदर कलाकृति को जन्म देता है, खुद गंदे और बदतर हालात में रहता है।

खुशबू रचते हैं हाथ कविता का भाव क्या है?

प्रस्तुत कविता 'खुशबू रचते हैं हाथ' में कवि ने हमारा ध्यान समाज के उपेक्षित वर्ग की ओर खींचने का प्रयास किया है। ये अगरबत्ती बनाने वाले लोग हैं जो की हमारी जिंदगी को खुश्बुदार बनाकर खुद गंदगी में जीवन बसर कर रहे हैं। वे नालियों के बीच, कूड़े-करकट के ढेरों में रहकर अगरबत्ती बनाने का काम अपने हाथों से करते हैं

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