मेष राशि के भगवान कौन हैं? - mesh raashi ke bhagavaan kaun hain?

मेष राशि

मेष राशि वाले व्यक्ति सूर्य देव या फिर भगवान विष्णु को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। इनकी पूजा करने से हमेशा आपका कल्याण होगा। मेष राशि का स्‍वामी ग्रह मंगल है।

वृष राशि

वृष राशि वालों को देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। शुक्र की इस राशि वालों को देवी लक्ष्मी के साथ नारायण की नियमित पूजा से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के व्यक्ति माता लक्ष्मी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। इनका पूजा करने से आपको भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। बुध ग्रह के स्‍वामित्‍व वाले इस राशि के जातक पन्‍ना पहनकर लाभ हासिल कर सकते हैं।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातक हनुमानजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं और घर की दक्षिण दिशा में पंचमुखी हनुमानजी की तस्वीर लगाएं। इनकी आराधना करने से आपकी कभी जीवन में असफलता नहीं मिलेगी और आपके आसपास हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी। कर्क राशि के जातकों का स्‍वामी चंद्र होता है।

सिंह राशि

सिंह राशि का मालिक ग्रह सूर्य है और आप गणेशजी को अपना इष्ट मानकर पूजन करना चाहिए। गणेशजी को इष्ट मानकर पूजा करने से आपके सारे विघ्न दूर हो जाएंगे। जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। इस राशि के स्‍वामी सूर्य हैं।

कन्या राशि के जातकों मां काली को अपना इष्टदेव मान सकते हैं, इनकी पूजा करना आपके लिए बहुत हितकर है। कन्‍या राशि के जातकों का स्‍वामी है बुध है। इस राशि के मां काली के इष्टदेव होने से कभी भी नकारात्मकता और असफलता और कभी कोई बुराई आपके आसपास भी नहीं आएगी।

तुला राशि

तुला राशि के जातक शिव का दूसरा रूप कालभैरव या शनिदेव को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। इससे आपके जीवन में कभी कोई शत्रु आपको परेशान नहीं कर सकता है। जिसके इष्टदेव खुद शनिदेव हैं, उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। समाज में आपको हमेशा मान-सम्मान मिलेगा। तुला के जातकों का राशि स्‍वामी शुक्र है।

वृश्चिक

वृश्चिक राशि के जातक कार्तिकेयजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं, हर रोज इनकी पूजा करने से आपके आत्‍मबल में बढ़ोतरी होने के साथ उसकी शक्तियों में इजाफा होता है। वृश्चिक राशि के जातकों का स्‍वामी मंगल है।

धनु राशि

धनु राशि के जातक हनुमानजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। इनकी पूजा करने से आपके साथ हमेशा मंगल ही मंगल होगा। धनु राशि का स्‍वामी गुरु होता है और गुरु को पीली वस्‍तुएं प्रिय होती हैं।

मकर राशि

मकर राशि के जातक दुर्गाजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। दुर्गाजी की पूजा करना इस राशि के लिए विशेष लाभकारी रहेगा। मकर राशि के स्‍वामी शनि हैं।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातक भगवान विष्णु या मां सरस्वती को अपना इष्टदेव मान सकते हैं। कुंभ राशि के व्‍यक्तियों का शनि स्‍वामी होता है। इससे आपके किसी भी काम में कोई बाधा नहीं आएगी। आपका जीवन हमेशा सुखमय रहेगा।

मीन राशि

मीन राशि के जातक शिवजी को अपना इष्टदेव मान सकते हैं, साथ में हर पूर्णिमा को चांद को अर्घ्य जरूर दें। मीन राशि का स्‍वामी होता है गुरु। इससे आप और आपका परिवार नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहते हैं। आपके किसी भी कार्य में कोई भी बाधा नहीं आता।

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अक्षर तालिका : अ, चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो।

राशि विशेषता : नेतृत्व, बुद्धि, पराक्रम और बल।


मेष (Aries) का स्थान मस्तक में होता है। इसके कारक ग्रह मंगल, सूर्य और गुरु माने गए हैं। अग्नि तत्व प्रधान मेष राशि का स्वामी मंगल है और इस राशि का पूर्व दिशा पर स्वामित्व है। भाग चर है और मेष लग्न की बाधक राशि कुंभ तथा बाधक ग्रह शनि है। लेकिन लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।

लाल किताब के अनुसार पहले भाव अर्थात् खाने में मेष राशि मानी गई है। मेष के मंगल का पक्का घर तीसरा और आठवाँ माना गया है। लाल किताब अनुसार मंगल नेक और मंगल बद होता है अर्थात् अच्छा और बुरा। कुंडली अनुसार मंगल के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप मेष राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सलाह दी जा रही है।

मंगल बद : बद का अर्थ खराब या अशुभ। मंगल अशुभ होता है- माँस खाने से, भाइयों से झगड़ने से और क्रोध करने से। दूसरा यदि कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब अन्य ज्योतिष विद्या अनुसार मंगलिक दोष माना जाता है, लेकिन यहाँ मंगल का संबंध रक्त से माना गया है। रक्त या स्वभाव खराब है तो मंगल खराब की निशानी समझे।

मेष राशि के जातक का मंगल बद है तो मंगल से संबंधित बीमारियों में पेट के रोग, हैजा, पित्त, भगंदर, फोड़ा, नासूर और आमाशय से संबंधित समस्याएँ होने लगती हैं। मानसिक रोगों में अति क्रोध, विक्षिपता, चिढ़चिढ़ापन, तनाव, अनिंद्रा आदि।

सावधानी व उपाय : किसी से मुफ्त में कुछ लेंगे तो बरकत जाती रहेगी। भाई और पिता से झगड़ा न करें। अपने बच्चों को जन्मदिवस पर नमकीन वस्तुएँ बाँटें। मेहमानों को मिठाई जरूर खिलाएँ। विधवाओं की निस्वार्थ मदद करें। हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद लेते रहें। कभी-कभी गुलाबी या लाल चादर पर सोएँ। आँत और दाँत साफ रखें।

हनुमानजी की भक्ति करें। मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सुरमा आँखों में डालना चाहिए। गुड़ खाना चाहिए। भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए। क्रोध न करें।

मेष राशि वालों के देवता कौन है?

इष्ट देव : मेष राशि के देवता हनुमान जी होते है इसलिए मेष राशि के जातको के इष्ट देव हनुमान जी होते है इसलिए इनको प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।

मेष राशि का शत्रु कौन है?

मेष के दुश्मन- कर्क और वृश्चिक सबसे खराब

मेष राशि का गुरु कौन है?

मेष राशि का स्वामी कौन है? ( मंगल ग्रह को मेष राशि का स्वामी माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में मंगल को साहस, पराक्रम, युद्ध, सेना, ऊर्जा, रक्त और तकनीक आदि का कारक बताया गया है. बुध ग्रह के साथ मंगल की शत्रुता है. जबकि सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति यानि देव गुरु से मंगल की मित्रता है.

मेष राशि का मंत्र कौन सा है?

मेष राशि - इन लोगों को हनुमान के मंत्र 'ऊँ हनुमते नम:' का जाप करना चाहिए। वृषभ राशि - इस राशि के लोगों को मां दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए और मंत्र - 'देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌'। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥ का जाप करना चाहिए।

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