नई दिल्ली: 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है. क्योंकि गर्मियों में उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रकाश ज्यादा और दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रकाश कम अवधि के लिए पड़ता है. इससे उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रकाश कम अवधि के लिए पड़ता है. इससे उत्तरी गोलार्द्ध में दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं. आज सूर्यास्त सबसे देर से होगा. आज के दिन सूर्योदय सुबह 5:23 हुआ और सूर्यास्त शाम 7:21 बजे होगा.इस दिन को ग्रीष्म अयनांत भी कहते हैं.
इस खगोलीय घटना के अंतर्गत 21 जून के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और दिन छोटे तथा रातें लंबी होने लगती हैं. 21 सितंबर को रात और दिन की अवधि बराबर हो जाती है. इसके बाद दिन रातों के मुकाबले छोटे होते जाते हैं. 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है. यह दिन शीत अयनांत कहलाता है. यह चक्र वार्षिक है और दक्षिणी गोलार्द्ध में ठीक उलटा होता है.
लंबे
दिन होने की खास बातें...
- ये साल का सबसे लंबा दिन होता है, जिसमें 15.5 घंटे सूरज नहीं ढलता. साथ ही जहां उत्तरी गोलार्द्ध में रह रहे लोगो के लिए इसे गर्मी की शुरुआत कहा जाता हैं. वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में रह रहे लोगो के लिए ये सर्दी की शुरुआत मानी जाती है.
- ये साल का पहला सोल्सटाइस होता है, जब सूरज की किरणे आसमान में कर्क रेखा के सीधे ऊपर होती हैं.
- यही सिर्फ एक ऐसा दिन है जब सूर्य उत्तरी स्थान पर आसमान में ढलने से पहले ही पहुंच जाता है.
- सोल्सटाइस पूरी दुनिया में एक ही समय पर होता है.
-. ये गर्मी का पहला दिन होता है, जिसके 3 महीने बाद से पतझड़ की शुरुआत होती है.
- आर्कटिक वृत्त के उत्तर में इस दिन 24 घंटे सूरज की रोशनी रहती है.
- इस हफ्ते के अंत से दिन छोटे होने लगते है.
- ये 20 जून, 21 जून और 22 जून में से किसी भी दिन हो सकता है, जिसमें 22 जून को दुर्लभ होता है. पिछली बार ये 22 जून को 1975 में हुआ था और दुबारा 2203 में होगा.
अगर हम आपसे कहें कि दुनिया में कुछ ऐसे देश हैं जहां कभी रात नहीं होती है तो क्या आप यकीन कर पाएंगे? इन देशों में सूरज हर समय अपनी किरणें बिखेरता रहता है. आप सोच रहे होंगे कि अगर ऐसा हुआ तो लोगों के सोने, जागने, खाने, पीने और काम करने का पूरा ही टाइमटेबल गड़बड़ा जाएगा. लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है. दुनिया में कुछ जगहों पर रात नहीं होती है. तो चलिए आपको बताते हैं उन देशों के बारे में.
Updated:Jun 11, 2021, 12:52 PM IST
कनाडा
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कनाडा में साल में ज्यादातर समय बर्फ जमी रहती है. यहां पर गर्मी के दिनों में रात नहीं होती है क्योंकि यहां पर गर्मियों में लगातार सूरज चमकता रहता है.
नॉर्वे
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नॉर्वे को दुनिया के सबसे खूबसूरत देशों में गिना जाता है. नॉर्वे को 'लैंड ऑफ द मिडनाइट सन' के तौर पर भी जाना जाता है. यहां पर मई के महीने से लेकर जुलाई के महीने तक 24 घंटे सूरज निकला रहता है. यहां पर 76 दिनों तक सूरज लगातार चमकता रहता है. यहां शाम के समय में बस हल्का सा अंधेरा होता है.
फिनलैंड
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फिनलैंड पहला ऐसा देश है, जहां पर 24 घंटे में से 23 घंटे तक सूरज चमकता है. यहां पर गर्मियों में 73 दिनों तक रात ही नहीं होती है. यहां की खूबसूरती को देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं.
आइसलैंड
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आइसलैंड यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है. यहां पर आधी रात में भी सूरज की रोशनी फैली रहती है.
अलास्का
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अलास्का के ग्लेशियर बहुत खूबसूरत हैं. यहां मई से लेकर जुलाई तक हमेशा सूरज निकला रहता है. यहां पर रात को 12 बजकर 30 मिनट पर सूरज डूबता है और ठीक 51 मिनट बाद फिर से उग जाता है.
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सबसे बड़ा दिन, सबसे छोटी रात
परछाई होगी शून्य, साया भी छोड़ देगा साथ
21 जून 2011, मंगलवार को
परछाई भी आपका साथ छोड़ेगी। दरअसल ऐसा सूर्य की कर्क रेखा में स्थिति होने के चलते होगा। ठीक 12 बजकर 28 मिनट पर आपको अपनी परछाई नहीं दिखाई दी होगी।
परिभ्रमण पथ के दौरान
21 जून को ठीक 12.28 बजे सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लंबवत हो गया। इस दिन भारत सहित उत्तरी गोलार्द्घ में स्थित सभी देशों में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होगी। उज्जैन में सूर्योदय प्रातः 5.42 बजे तथा सूर्यास्त सायं 7.16 मिनट पर होगा, जिससे दिन 13 घंटे 34 मिनट तथा रात 10 घंटे 24 मिनट की होगी।
इस खगोलीय घटना के अंतर्गत 21 जून के बाद से सूर्य दक्षिण की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा, जिसे दक्षिणायन का प्रारंभ कहा जाता है। दिन क्रमशः छोटे होते जाएंगे और 23 सितंबर को रात-दिन बराबर होंगे।
जीवाजीराव वेधशाला के अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गुप्त के अनुसार मंगलवार को इस खगोलीय घटना को शंकु यंत्र के माध्यम से देखा जा सका। इस दिन शंकु की परछाई कर्क रेखा पर गमन करने तथा 12.28 बजे शंकु की परछाई शून्य होती दिखाई दी। मौसम खुला होने से इसे वेधशाला में देखा जा सका।
उन्होंने बताया कि लीप ईयर वर्ष 2012 में होगा और उस दौरान यह घटना 22 जून को होगी। इस वर्ष
फरवरी माह 28 दिन की था, इसलिए 21 जून को यह खगोलीय घटना घटी।
पंचांग में संक्रांति के तौर पर दर्ज इस दिन पृथ्वी का अक्षीय झुकाव सूर्य की ओर अधिकतम होने पर दिन की अवधि बढ़ जाती है।
सौरमंडल और खगोल संबंधी विषयों पर काम कर रही संस्था स्पेस के अध्यक्ष सीबी देवगन ने बताया कि कर्क संक्रांति के समय पर सूरज की ओर पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 डिग्री और 26 मिनट तक झुकी रहती है, जोकि इसके झुकाव की अधिकतम सीमा है।
डोंगला
वेधशाला पर कल छाया शून्य
भारतीय संस्कृति के अनुसार काल गणना की शून्य रेखा भी उज्जैन व डोंगला से गुजरती है। अतः डोंगला में कर्क रेखा (पूर्व से पश्चिम) व शून्य रेखा (उत्तर से दक्षिण) का कटाव बिंदू होने से विश्व में डोंगला वेधशाला कालगणना हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
डोंगला वेधशाला के खगोल
विज्ञानी घनश्याम रतनानी के अनुसार 22 जून को 23 अंश 26 कला उत्तरी अक्षांश पर सूर्य कर्क रेखा में प्रवेश के साथ दोपहर 12.28 पर डोंगला वेधशाला पर छाया शून्य प्रत्यक्ष देखी जा सकेगी।
चूंकि सौर वर्षमान के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 6 घंटे संक्रांति आगे बढ़ जाती है और चौथे वर्ष लीप ईयर में समाहित होकर फरवरी माह 29 दिन का होता है। अतः इस वर्ष कर्क संक्रांति की शून्य छाया 22 जून को देखी जा सकेगी।
सूर्य का उत्तरायन से दक्षिणायन की ओर गमन
22 जून को डोंगला वेधशाला पर विभिन्न स्थानों से खगोल वैज्ञानिक अध्ययन हेतु पहुंचेंगे। आचार्य वराहमिहिर न्यास एवं मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल के संयुक्त प्रयासों से यहां कार्यशाला होगी। कावेरी शोध संस्थान के अध्यक्ष, इतिहासज्ञ एवं प्रसिद्घ पुरातत्वेत्ता डॉ. श्यामसुंदर निगम की अध्यक्षता में कार्यक्रम होगा। करीब 200 वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों के आने की संभावना है।