समुद्रगुप्त के शासनकाल में कौन सा चीनी यात्री भारत आया था? - samudragupt ke shaasanakaal mein kaun sa cheenee yaatree bhaarat aaya tha?

Q. चीनी यात्री फाह्यान किसके समय भारत आया?
Answer: [B] चंद्रगुप्त द्वितीय
Notes: फाह्यान चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय भारत आया था। उसने यहां के बारे में काफी अच्छा वर्णन किया है।

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चीनी यात्री फाह्यान चन्द्रगुप्...

चीनी यात्री फाह्यान चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में ही भारत आया था। वह छः वर्ष तक भारत में रहा। फाह्यान ने तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दशा का बहुत सुन्दर वर्णन किया है। उनके विवरण के अनुसार उस समय देश का शासनकाल अत्यन्त सुव्यवस्थित था, लोग शान्तिपूर्ण और समृद्धिशाली जीवन बिता रहे थे। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने धार्मिक औषधालयों और यात्रियों के लिए निःशुल्क विश्रामशालाओं का निर्माण कराया। वे विष्णु के उपासक थे। लेकिन उन्होंने बौद्ध और जैन धर्मों को भी प्रश्रय दिया। उस समय भारत के लोग धनी, धर्मात्मा और विद्याप्रेमी थे। <br> <br> फाह्यान किसके शासनकाल में भारत आया?

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लिखित उत्तर

समुद्रगुप्त विक्रमादित्य अशोक हर्ष

Answer : B

उत्तर

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गुप्त साम्राज्य
320 CE–550 CE
श्री गुप्त (240 – 280)
घटोत्कच (280 – 319)
चन्द्रगुप्त प्रथम (320 – 335)
समुद्रगुप्त (335 – 380)
रामगुप्त
चन्द्रगुप्त द्वितीय (380 – 413/415)
कुमारगुप्त प्रथम (415 – 455)
स्कन्दगुप्त (455 - 467)
पुरुगुप्त (467 – 473)
कुमारगुप्त द्वितीय (473 - 476)
बुद्धगुप्त (476 – 495)
नरसिंहगुप्त (495 – ?)
कुमारगुप्त तृतीय
विष्णुगुप्त (540 – 550)
वैन्यगुप्त (550 – ?)
भानुगुप्त

  • दे
  • वा
  • सं

श्रीगुप्त (शासनकाल 240 – 280 ई)[1] गुप्त साम्राज्यगुप्त वंश वैश्य जाति का था तथा इसके संस्थापक श्री गुप्त थे। श्रीगुप्त के बाद उसका पुत्र घटोत्कच शासक बना।जिसका शासनकाल 280 से 319 सीई तक था।इस वंश का प्रथम प्रतापी राजा चंद्रगुप्त प्रथम था जिसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। चंद्रगुप्त ने लिच्छवी वंश की राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया जिससे इसे पाटलिपुत्र दहेज में प्राप्त हुआ। गुप्तवंश में सबसे पहले रजत सिक्के। घटोत्कच के पुत्र चंद्रगुप्त के द्वारा चलाये गए थे।

श्रीगुप्त को प्रभावती गुप्ता के पूना ताम्रफलक में आदिराज और उसके प्रपौत्र समुद्रगुप्त को प्रयाग प्रशस्ति में महाराज कहा गया है। विद्वानों ने उसका समय प्राय: २६० और ३०० ई. के बीच निश्चित किया है। ७वीं सदी के अंमिम चरण में भारत आए चीनी यात्री इत्सिंग ने चि-लि-कि-तो (श्रीगुप्त) नामक एक शासक की चर्चा की है जो ५०० वर्ष पहले नालन्दा से लगभग ४० योजन पूर्व दिशा में शासन करता था। जिसने चीनी तीर्थयात्रियो के लिये मृगशिखा वन में एक बौद्ध मंदिर का निर्माण कराकर उसके व्यय हेतु २४ गाँव दान मे दिये थे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Radha K. Mookerji (1995): The Gupta empire (pág. 11). Nueva Delhi: Motilal Banarsidass (5.º edición); ISBN 81-208-0440-6, ISBN 978-81-208-0440-1.

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