सिंदूर कितने प्रकार के होते हैं? - sindoor kitane prakaar ke hote hain?

रात में सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं Raat me sindoor lagana chahiye ya nahi : हेलो दोस्तों नमस्कार आज मैं आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताऊंगी रात को सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं. क्योंकि हिंदू धर्म में जब तक दूल्हा अपने हाथों से दुल्हन की मांग में पांच या फिर 7 बार

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Mang me Sindoor Kis din nahi lagana chahiye ?  हिंदू संस्कृति के अनुसार विवाहित महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर लगाती है जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक रूप से बहुत ही बड़ा महत्व है क्योंकि सिंदूर ही एक सुहाग की निशानी होता है साथ ही महिलाएं सिंदूर अपनी पति की लंबी उम्र के लिए लगाती है।सिंदूर लगाने

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Maang me sindur kyu aur kaise lagate hai ?  maang me sindur lagane ke kya fayde hai ? हमारे भारत में सबसे बड़ा धर्म हिंदू धर्म है और जब हिंदू धर्म के अंदर किसी महिला की शादी होती है तो वह अपनी मांग पर शादी के बाद सिंदूर अवश्य लगाना चालू कर देती हैं क्योंकि

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सिन्दूर एक लाल या नारंगी रंग का सौन्दर्य प्रसाधन होता है जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में महिलाए प्रयोग करती हैं। हिन्दू, बौद्ध, जैन और कुछ अन्य समुदायों में विवाहित स्त्रियाँ इसे अपनी माँग में पहनती हैं।[1] इसका प्रयोग बिन्दियों में भी होता है। रसायनिक दृष्टि से सिन्दूर अक्सर पारे या सीसे के रसायनों का बना होता है, इसलिए विषैला होता है और इसके प्रयोग में सावधानी बरतने को और इस पदार्थ को बच्चों से दूर रखने को कहा जाता है।[2]

दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर से खेलती महिलाएं

दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर से खेलती महिला

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • सौन्दर्य प्रसाधन

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Susie J. Tharu, Ke Lalita (1993-04-01). Women Writing in India: The twentieth century (Volume 2 of Women Writing in India: 600 B.C. to the Present) Archived 2014-06-27 at the Wayback Machine. Feminist Press, 1993. ISBN 978-1-55861-029-3. ... Sindoor is a red powder worn by married women in the parting of the hair ...
  2. Indian Academy of Pediatrics (1973). Indian pediatrics, Volume 10. Indian Academy of Pediatrics, 1973. ... Sindoor (vermilion), a red powder applied to the scalp, is often used by married Indian women, especially of an orthodox Hindu background. It may consist of red sulphide of mercury, or of red lead mixed with red synthetic dye ...

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भखरा सिंदूर:क्या आप जानते हैं बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शादी के दौरान नारंगी रंग से क्यों भरी जाती है मांग?

एक वर्ष पहलेलेखक: श्वेता कुमारी

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हिन्दू धर्म में सिंदूर लगाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। रामायण और महाभारत में भी इसका जिक्र किया गया है। सिंदूर कई रंग के होते हैं। लाल, नारंगी, गुलाबी व कत्थई, जिनमें नारंगी और गुलाबी रंग के सिंदूर को सबसे शुभ माना जाता है।

क्या है इसके पीछे की वजह, बता रही हैं जानी-मानी ज्योतिषाचार्य आरती दहिया...

क्यों अहम है भखरा सिंदूर?

जहां ज्यादातर भारतीय शादियों में सिंदूर लाल रंग का होता है, वहीं बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में सिंदूरदान के लिए नारंगी और गुलाबी रंग के सिंदूर (भखरा सिंदूर) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा कुछ खास मौकों पर और शुभ कार्यों में भी इस रंग के सिंदूर को विशेष महत्व दिया जाता है। महिलाएं न केवल खुद के लिए भखरा सिंदूर का इस्तेमाल करती हैं, बल्कि देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।

पौराणिक कथाओं में भी है नारंगी सिंदूर का जिक्र

कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी को पता चला कि श्री राम सीता द्वारा सिंदूर लगाए जाने से खुश होते हैं, तो उन्होंने अपना सारा शरीर ही नारंगी सिंदूर से रंग लिया। इसी तरह सिंदूर से रंगकर वे श्री राम की सभा में उनके प्रति अपना समर्पण दिखाने के लिए पहुंचे थे। सिंदूरदान के समय इस रंग के सिंदूर का प्रयोग पति-पत्नी में एक-दूसरे के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

कैसे बनता है ये सिंदूर?

सुहाग के लिहाज से लाल सिंदूर का भी उतना ही महत्व है जितना नारंगी और गुलाबी सिंदूर का। बड़ा अंतर ये है कि नारंगी सिंदूर प्राकृतिक व शुद्ध होता है जबकि लाल सिंदूर में केमिकल युक्त रंगों के मिलावट की गुंजाइश ज्यादा होती है। नारंगी और गुलाबी रंग का सिंदूर नेचुरल तरीके से बनाया जाता है। जब इसके फल सूख जाते हैं, तो उसके बीज को पीसकर यह सिंदूर तैयार किया जाता है। इसीलिए यह बिल्कुल सुरक्षित है, इससे बाल या त्वचा को किसी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं होता है।

इस रंग के सिंदूर से क्यों होती हैं शादियां?

डॉ. दहिया बताती हैं कि इसके पीछे का तर्क बेहद अनूठा है। दरअसल शादियां देर रात शुरू होती हैं और खत्म होते-होते पौ फटने को होता है। सिंदूरदान का समय आते-आते सुबह होने वाली होती है, इसलिए इस सिंदूर की तुलना सूर्योदय के समय होने वाली उस लालिमा से की जाती है जो हल्के नारंगी रंग की दिखाई पड़ती है। उम्मीद की जाती है कि जिस तरह सूरज की किरणें हर दिन लोगों के जीवन में एक नई सुबह, दिव्य ऊर्जा और खुशहाली लेकर आती है, उसी तरह ये सिंदूर दुल्हन की जिंदगी में नया सवेरा लेकर आए। रात से लेकर सुबह तक होने वाली रस्मों के पीछे यही मान्यता होती है कि परिवार के कुटुंब के साथ ही चांद, तारे और सूर्य सभी विवाह के साक्षी बन सकें।

सिंदूर कितने प्रकार की होती हैं?

सौभाग्य के प्रतीक व देवी-देवताओं के सौंदर्य व पूजा में विशेष महत्व रखने वाला सिन्दूर दो रंगों में पाया जाता है। लाल-पीला। सिन्दूर विष और अमृत दोनों प्रकार के कामों में प्रयोग किया जाता है। यह सौन्दर्य वर्धक होने के साथ-साथ पूजा, आयुर्वेद तन्त्र-मन्त्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सिंदूर का असली रंग क्या होता है?

सिंदूर असल में पीले रंग का होता है जो हनुमान जी पर चढ़ाया जाता है, हालांकि कई लोग लाल रंग के कुमकुम को भी सिंदूर ही कहते हैं और ये अंतर अलग-अलग प्रांत के हिसाब से है। सिंदूर भी प्योर और केमिकल वाला दोनों हो सकते हैं।

हनुमान जी को कौन सा सिंदूर चढ़ाना चाहिए?

अगर आप हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं, तो पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं. इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण करें. फिर मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें. सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।

असली सिंदूर की पहचान क्या है?

असली सिंदूर भी पेड़ों से ही मिलता है। इसकी पहचान करने के लिए आप थोड़ा सा सिंदूर अपने हाथ पर रखें और हथेली को रगड़ि‍ए। इसके बाद सिंदूर पर फूंक मारें। अगर आपके हाथ पर सिंदूर का कोई भी कण चिपका रह जाता है तो समझ जाइए कि यह नकली है।

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