शलगम (अंग्रेज़ी: turnip, वानस्पतिक नाम:Brassica rapa) क्रुसीफ़ेरी या ब्रेसीकेसी कुल का पौधा है। इसकी जड़ गांठनुमा होती है जिसकी सब्ज़ी बनती है। कोई इसे रूस का और कोई इसे उत्तरी यूरोप का देशज मानते हैं। आज यह पृथ्वी के प्राय: समस्त भागों में उगाया जाता है।
इसकी जड़ मोटी होती है, जिसको पकाकर खाते हैं और पत्तियाँ भी शाग के रूप में खाई जाती हैं। पशुओें के लिए यह एक बहुमूल्य चारा है। कुछ स्थानों में मनुष्यों के खाने के लिए, कुछ पशुओें को खिलाने के लिए और कुछ स्थानों में इन दोनों कामों के लिए यह उगाया जाता है। इसमें ठोस पदार्थ ९ से १२ प्रतिशत और कुछ विटामिन, विशेषत: "बी' और "सी' रहते हैं।
यह शीतकालीन पौधा है। अधिक गरमी यह सहन नहीं कर सकता। पौधे लगभग १८ इंच ऊँचे और फलियाँ एक से डेढ़ इंच लंबी होती हैं। इसके फूल पीले, या पांडु, या हलके नारंगी रंग के होते हैं। शलजम का वर्गीकरण इसकी जड़ के आकार पर, अथवा जड़ के ऊपरी भाग के रंग पर, किया गया है। कुछ जड़ें लंबी, कुछ गोलाकार, कुछ चिपटी और कुछ प्याले के आकार की होती हैं। कुछ किस्म के शलजम के गुद्दे सफेद और कुछ के पीले होते हैं। भारत में उपर्युक्त सब ही प्रकार के शलजम उगाए जाते हैं।
शलजम बोने के लिए खेतों की जुताई गहरी और अच्छी होनी चाहिए। अच्छी सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ १०-१५ टन और नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटैश वाला उर्वरक ८६० पाउंड डालने से पैदावार अच्छी होती है। इसका बीज छिटकावा, या ड्रिल द्वारा, कतार में बोया जाता है। ए एकड़ के लिए छह से आठ पाउंड तक बीज की आवश्यकता पड़ती है। आधे इंच की गहराई पर बीज बोया जाता है। यदि मिट्टी कड़ी या मटियार हो, तो मेंड़ों पर भी बीज बोया जा सकता है। बीज शीघ्र ही जम जाता है। जम जाने पर पौधों को विरलित करने की आवश्यकता पड़ती है, ताकि वे चार से छह इंच की दूरी पर ही रहें। पौधे शीघ्र ही बढ़ते हैं। लंबे समय तक अच्छी नरम जड़ की प्राप्ति के लिए, एक साथ समस्त खेत को न बोकर १०-१५ दिन के अंतर पर बोना अच्छा होता है। आषाढ़ सावन में बीज बोया जाता है।
दूसरी बार फरवरी से जून के आरंभ तक बोया जाता है। बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, पर अन्य मौसम में प्रत्येक ८.१० दिनों में सिंचाई आवश्यक होती है। ठंढे देशों में गरमी में भी इसकी बोआई होती है। भारत में पैदावार प्रति एकड़ सामान्यत: २०० मन होती है, पर पूरी खाद और उर्वरकों की सहायता से सरलता से, ड्योढी और दुगुनी की जा सकती है। पौधों में कुछ कवक (तना गलना आदि) और कुछ कीड़े (घुन, पिस्सू, गुबरेले, सूँडी आदि) भी लगते है, जिनसे बचाव का उपाय करना आवश्यक होता है।
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इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका रापा (Brassica Rapa) है। जहां यह खाने में स्वादिष्ट है, वहीं इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी हैं। प्रॉफिट बिज़नस के इस आर्टिकल में शलजम के फायदे और शलजम के नुकसान के बारे में बताएंगे।आइए, अब जानते हैं कि शलजम स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार लाभदायक साबित हो सकता है।
दोस्तों शलजम की तासीर गर्म होती हे .तो इस बात का ध्यान जरुर रखे आप ..
शलजम के फायदे – Benefits of Turnip (Shalgam) in Hindi
1.दोस्तों शलजम इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए शलजम इसलिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार शलजम में इम्यूनोलॉजिकल (प्रतिरक्षात्मक) प्रभाव पाया है।
२. शलजम हमारे हृदय स्वास्थ्य के लिए भी अछा हे प्राकृतिक रूप से शलजम एक सक्रिय एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में काम करता हे
3. कैंसर के जोखिम से बचने के लिए भी शलजम के गुण फायदा पहुंचा सकता है।
अब एसा नही हे की आप शलजम का ही उपयोग करोगे . केंसर की समय डॉक्टर का इलाज लेना बहुत जरुरी हे |
4. ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए शलजम फायदेमंद साबित हो सकता हे
अगर आप का ब्लड प्रेशर बड़ता हे तो सही समय पर डॉक्टर से सलाह ले |
5. वजन घटाने के लिए शलजम फायदेमंद साबित हो सकता हे
6. आंखों के स्वास्थ्य के लिए शलजम फायदेमंद साबित हो सकता हे
7. त्वचा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शलजम के औषधीय गुण देखे जा सकते हैं। शलजम में विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है और यह एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट का भी मुख्य स्रोत है
शलजम के नुकसान
1.अगर इसका सेवन वाफरीन (ब्लड क्लोट्स रोकने की एक दवा) के साथ किया जा रहा है, तो दवा का असर कम हो सकता है . इस लिए आप शलजम का उपयोग करते हे तो पहले डॉक्टर की सलाह जरुर ले
2.शलजम की पतियों में विटामिन ए जादा पाया जाता हे गर्भावस्था के दौरान इसका अधिक सेवन करने से शिशुओं में जन्म दोष का खतरा बढ़ सकता है
3.इस लिए आप शलजम का उपयोग करते हे तो पहले डॉक्टर की सलाह जरुर ले
अगर शलजम से कोई नुकसान हो रहा हो तो डॉक्टर की सलाह जरुर ले वे
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