दर्द होने पर कौन सा इंजेक्शन दिया जाता है? - dard hone par kaun sa injekshan diya jaata hai?

सूरत. न्यू सिविल अस्पताल में ऑर्थोपेडिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर ने नई तकनीक पेन स्पाजम ब्रेकिंग इंजेक्शन से कमर तथा गर्दन दर्द के मरीजों का इलाज शुरू किया है। रिसर्च पर जयपुर और चेन्नई में कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर इस तकनीक को अपनाने का निर्णय किया गया है। इसमें सिर्फ एक इंजेक्शन लगाकर दर्द से राहत दिलाई जाती है।
न्यू सिविल अस्पताल में ऑर्थोपेडिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जीज्ञेश पटेल ने बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में रोजाना नए-नए रिसर्च किए जा रहे है। पुराने जमाने में हड्डी की बीमारी के उपचार का तरीका तथा नई रिसर्च को मिलाकर एक नई तकनीक तैयार की गई है। सोलापुर के चिकित्सक डॉ. सतीष चन्द्र गोरे तथा मध्यप्रदेश के डॉ. अरविंद दिवाकर जैन, चेन्नई के डॉ. एल. लक्ष्मण तथा इराक के डॉ. अमजदी ने यह रिसर्च किया है। इससे मरीजों की गर्दन, रीढ़ की हड्डी और कमर से निकलने वाली नस को हाथ-पैर, कंधे या पंजे में खोज करके उसी जगह दर्द का इंजेक्शन देने से मरीजों को राहत मिलती है। यह तकनीक पहली बार सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में शुरू हुई है। यह इंजेक्शन सोडियम चेनल ब्लोकिंग तकनीक से काम करता है। हाथ की हथेली, पैर के पंजे में इंजेक्शन देने से मरीज को दर्द से राहत मिलती है। इराक के डॉ. अमजदी ने इस तकनीक से मरीजों को मिलने वाली राहत को गेट्स ऑफ हैवन, स्वर्ग की अनुभूति नाम दिया है। मेडिकल भाषा में अलग-अलग जगह दिए जाने वाले इंजेक्शन को गेट ए, बी, सी, डी, इ, जे का नाम दिया गया है। डॉ. गोरे ने इस उपचार पद्धति पर रिसर्च किया है। इस इंजेक्शन के लिए मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता है। इंजेक्शन देने के तुरंत बाद मरीज को दर्द से राहत मिलने लगती है। डॉ. पटेल ने बताया कि वह दो माह से मरीजों को ये इंजेक्शन दे रहे हंै। गुरुवार को भी एक महिला को पैर दर्द होने पर यह इंजेक्शन लगाकर दर्द से छुटकारा दिलाया गया है।
चिकित्सकों ने बताया कि कमर, गर्दन, अंगुलियों, रीढ़ की हड्डी के अलावा टेनिस एल्बो, एड़ी दर्द के मरीजों के लिए यह इंजेक्शन वरदान साबित हो रहा है। इंजेक्शन से मरीज को दर्द से तुरंत राहत मिलने के बाद उसके फीजियोथेरेपी, खानपान, लाइफ स्टाइल में बदलाव तथा विटामिन समेत अन्य दवाएं शुरू की जाती हैं। इससे मरीजों को ऑपरेशन तक जाने से बचाया जा सकता है। इस उपचार का निजी अस्पताल में सात से आठ हजार रुपए का खर्च आता है।

छह गुना अधिक दाम पर बिक रहा दर्द निवारक इंजेक्शन

मरीजों को ऑपरेशन से पहले व बाद में लगाए जाने वाले दर्द निवारक इंजेक्शन फोर्टविन की कमी होती जा रही है। इस कारण इसकी कालाबाजारी भी तेजी से हो रही है। पांच रुपये में मिलने वाला इंजेक्शन तमाम मेडिकल...

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादTue, 26 Jun 2018 11:53 AM

मरीजों को ऑपरेशन से पहले व बाद में लगाए जाने वाले दर्द निवारक इंजेक्शन फोर्टविन की कमी होती जा रही है। इस कारण इसकी कालाबाजारी भी तेजी से हो रही है। पांच रुपये में मिलने वाला इंजेक्शन तमाम मेडिकल स्टोरों पर अब 30 रुपये में मिल रहा है।

अधिक दर्द होने पर ही फोर्टविन इंजेक्शन दिया जाता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग के डॉक्टर प्रसव कराने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। सर्जन व एनेस्थिटिक भी यह इंजेक्शन ऑपरेशन के समय मरीज को लगाते हैं। इसको लगाने के बाद मरीज को नींद भी आ जाती है और दर्द दूर हो जाता है। आर्थोपेडिक सर्जन भी इसका उपयोग करते हैं।

इंजेक्शन सस्ता होने से नशे के लिए भी लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। इसलिए सरकार ने इसकी बिक्री के लिए तमाम शर्तें लगा दी हैं। जिससे तमाम मेडिकल स्टोर वाले फोर्टविन इंजेक्शन बेचते ही नहीं। बहुत कम मेडिकल स्टोंरों पर यह उपलब्ध है। बाजार में कमी की वजह से दुकानदार भी फायदा उठा रहे हैं। पांच रुपये कीमत वाला यह इंजेक्शन से 30 से 35 रुपये में बेच रहे हैं।

क्या कहते हैं डॉक्टर

फोर्टबिन इंजेक्शन अक्सर दुकानों पर उपलब्ध नहीं होता। इसकी जरूरत आमतौर पर प्रसव के दौरान ऑपरेशन करते समय ही पड़ती है। जरूरत पड़ने पर मरीजों के तीमारदारों को कई दुकानों का चक्कर काटना पड़ता है। इसका फायदा भी मेडिकल स्टोर संचालक उठाते हैं। पांच रुपये का इंजेक्शन 30 से 35 रुपये में बेचते हैं। - डॉ. अभिलाषा चतुर्वेदी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, निदेशक अभिलाषा हॉस्पिटल

नियम कड़ा होने से तमाम दुकानदार फोर्टविन इंजेक्शन रखते ही नहीं है। खपत न होने से थोक दुकानों पर भी इसका संकट रहता है। वैसे डॉक्टर की पर्ची पर यह इंजेक्शन मिल जाता है।- डॉ. सुजीत कुमार सिंह, सर्जन, आशा हॉस्पिटल

एनेस्थीसिया के साथ इस इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। ऑपरेशन के समय फोर्टविन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। कभी-कभी ऑपरेशन के बाद तेज दर्द होने पर यह इंजेक्शन देना पड़ता है। वैसे इसका संकट अक्सर रहता है। -डॉ. केडी त्रिपाठी, चर्चित आर्थोपेडिक सर्जन

फोर्टविन बेचने में रिस्क अधिक

इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल दुबे का कहना है कि फोर्टविन इंजेक्शन बेचने में खतरा अधिक रहता है। अगर इस इंजेक्शन को बेचते समय सारा विवरण रजिस्टर में नहीं दर्ज किया गया तो लाइसेंस रद भी हो सकता है। इसलिए थोक दुकानदार भी इसका ज्यादा स्टॉक नहीं रखते। शहर के कुछ ही मेडिकल स्टोरों पर यह मिलता है। इसलिए संकट है।

फोर्टविन इंजेक्शन का इस्तेमाल नशे के तौर पर भी किया जा रहा है। इसलिए इसको बेचते समय दुकानदार को पूरा विवरण दर्ज करना पड़ता है। दवा लिखने वाले डॉक्टर का नाम, उसकी योग्यता, किस के लिए यह इंजेक्शन लिखा गया है। इन सभी तथ्यों को दर्ज करना होता है। इसकी जांच भी कड़ाई से की जाती है। - गोविंद गुप्ता औषधि निरीक्षक

दर्द में कौन सा इंजेक्शन काम करता है?

उन्होंने बताया कि दबी नस के इलाज में एपिड्यूरोग्राफी एंड एपि ड्यूरल एडिजियोलाइसिस तकनीक कारगर है। इसमें उस दबी नस तक पहुंचकर इंजेक्शन लगाते हैं और दवा डालते हैं। इसमें दो दिन आराम करने के बाद आदमी काम पर जा सकता है। इसी तरह रीढ़ की टूटी हड्डी का इलाज करने के लिए इंजेक्शन के सहारे उसमें बोन सीमेंट भरा जाता है।

दर्द के इंजेक्शन का नाम क्या है?

नए इंजेक्शन में साइड इफेक्ट की आशंका बहुत कम है। नए इंजेक्शन का नाम XT-150 रखा गया है।

ताकत के इंजेक्शन का नाम क्या है?

अब बात करते हैं इंट्रामस्‍क्‍युलर इंजेक्‍शन की. नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि यह इंजेक्‍शन मांसपेशियों में लगाया जाता है.

घुटने के दर्द में कौन सा इंजेक्शन लगाया जाता है?

घुटने के जोड़ में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इंजेक्शन, पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के शुरुआती चरणों में दर्द और सूजन को कम कर सकता है लेकिन इंजेक्शन देने की संख्या सीमित होती है। चिकनाई बनाए रखने के लिए का इंजेक्शन जो हाइलूरोनिक एसिड से बना होता है, कुछ कुशनिंग प्रदान करके दर्द से राहत दे सकता है।

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