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अप्रैल माह में शनि वृश्चिक राशि के जातकों के तीसरे भाग में प्रवेश करेगें, जिसे भाई और पराक्रम का स्थान माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अप्रैल माह में शनि के वृश्चिक राशि वालों के चौथे भाव में गोचर करने के कारण वृश्चिक राशि के विद्यार्थियों को अध्ययन में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा जो लोग व्यापारी हैं उन्हें उनके काम में रुकावट पैदा हो सकती है। वहीं यदि आप काफी समय से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो इस गोचर अवधि के दौरान आपकी सेहत बेहतर होने की संभावना है।
इसके बाद जुलाई के महीने में शनि पुनः वृश्चिक राशि वालों के तीसरे भाव में गोचर करेगा। इस समय हो सकता है कि आप कुछ निष्फल और थकावट भरी यात्राओं पर जा सकते हैं। साथ ही इस गोचर अवधि में आपका धन खर्च बढ़ सकता है। जिससे आपके द्वारा बेकार की चीजों में अधिक खर्चा किया जा सकता है। इसके अलावा आप अपने परिवार के लोगों को महंगे और फैंसी उपहार देकर खुश करने की भी कोशिश करेंगे। जिस कारण भी आपका खर्चा बढ़ने की संभावना है।
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वृश्चिक राशि में तीन ग्रहों के संयोग मीन राशि वालों के लिए मध्यम फलदायी रहने वाला है। इस दौरान किसी भी नए उद्यम में निवेश करने से बचें। कुछ अवांछित यात्राएं स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। निजी जीवन में शिक्षक, संरक्षक और बुजुर्ग आपको स्नेह और समर्थन प्रदान करेंगे, जो आपके लिए आनंद का स्रोत होगा। विवाहित अपने परिवार का विस्तार करने की योजना बना सकते हैं। पिता को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है। ससुराल में शुभ उत्सव मनाया जा सकता है। आपकी रचनात्मक प्रवृत्ति में वृद्धि होगी और आप कुछ नया सीखने के इच्छुक रहेंगे।
जल तत्व प्रधान वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल और प्लूटो है। वृश्चिक राशि के कारक ग्रह चंद्र, मंगल और गुरु माने गए हैं। भाग स्थिर है और वृश्चिक लग्न की बाधक राशि वृषभ तथा बाधक ग्रह शुक्र है। लाल किताब अनुसार आठवें भाव में वृश्चिक राशि मानी गई है जिसके मंगल का पक्का घर भी तीन और आठ माना जाता है। यदि आप वृश्चिक राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सामान्य सलाह दी जा रही है।
वृश्चिक राशि का ग्रह मंगल होता है। यदि आपकी कुंडली में मंगल खराब है तो आप निम्नलिखित सावधानी और उपाय अपना सकते हैं। मंगल खराब होने की नीचे अशुभ की निशानी दी गई है। इससे आप पता लगा सकते हैं कि आपका मंगल खराब है या नहीं।
*मांस खाने से, भाइयों से झगड़ने और क्रोध करने से मंगल अशुभ हो जाता है।
*रक्त या स्वभाव खराब है तो मंगल खराब की निशानी समझे।
*शरीर पर जगह जगह लाल मस्से या तील जैसे निशान हो गए हैं तो अशुभ।
*वृश्चिक राशि के जातक का मंगल बद है तो मंगल से संबंधित बीमारियों में पेट के रोग, हैजा, पित्त, भगंदर, फोड़ा, नासूर और आमाशय से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं।
*मानसिक रोगों में अति क्रोध, विक्षिप्तता, चिढ़चिढ़ापन, तनाव, अनिद्रा आदि मंगल के अशुभ होने की निशानी है।