मैकनॉटन ( Mc Naughton) के शब्दों में, “व्यवसाय शब्द से तात्पर्य, पारस्परिक हित के लिए वस्तुओं, मुद्रा अथवा सेवाओं के विनियम से है।”
उर्विक ( Urwick) का कहना है, “यह एक ऐसा उपक्रम है जो समुदायों की आवश्यकता की पूर्ति हेतु वस्तुओं या सेवाओं का निर्माण, वितरण तथा इन्हें उपलब्ध कराता है।”
एल.एच. हैने (L.H. Haney) ने लिखा है, “व्यवसाय से तात्पर्य उन मानवीय क्रियाओं से है जो वस्तुओं के क्रय-विक्रय द्वारा धन उत्पादन या धन प्राप्ति के लिए की जाती है।”
व्यावसायिक पर्यावरण की परिभाषा
व्यावसायिक पर्यावरण की परिभाषा विभिन्न विद्वानों द्वारा निम्न प्रकार दी गयी है-
डेविक ( Devic) के अनुसार, “व्यावसायिक पर्यावरण उन सभी परिस्थितियों, घटनाओं एवं कारकों का योग है जो व्यवसाय पर प्रभाव डालते हैं।”
ग्लूक व जॉक (Gluek and Jouck) के शब्दों में, “पर्यावरण में फर्म के बाहर के घटक शामिल होते हैं, जो फर्म के लिए अवसर एवं खतरा पैदा करते हैं। इनमें सामाजिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकी व राजनैतिक दशाएँ प्रमुख हैं।”
शॉल (Schoell) के कथनानुसार, “यह उन समस्त तत्वों का योग है, जिनके प्रति व्यवसाय अपने को अनावृत करता है तथा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करता है।”
रिचमैन एवं कोपन (Richman and Copen) के अनुसार, “पर्यावरण में दबाव व नियन्त्रण होते हैं, जो अधिकतर व्यक्तिगत फर्म एवं इसके प्रबन्धकों के नियन्त्रण के बाहर होते हैं।”
व्यावसायिक पर्यावरण के प्रकार
1. आन्तरिक पर्यावरण: आन्तरिक पर्यावरण के अन्तर्गत वे घटक आते हैं जिन पर व्यवसाय आसानी से नियन्त्रण रख सकता है जैसे व्यवसाय के उद्देश्य, व्यावसायिक नीतियाँ, उत्पादन के संसाधन, उत्पादन व्यवस्था, श्रमिक संघ, सूचना प्रणाली आदि।
2. बाह्य पर्यावरण: इसके अन्तर्गत व्यवसाय या फर्म के बाहर कार्यरत शक्तियाँ, दशायें आदि घटक आते हैं। इन्हें हम सूक्ष्म एवं वृहद पर्यावरण के रूप में बांट सकते हैं।
3. सूक्ष्म पर्यावरण: एक फर्म के आस पास दिखाई पडने वाले घटकांे को सूक्ष्म पर्यावरण में शामिल किया जाता है। जैसे-ग्राहक, विपणन मध्यस्थ, प्रतियोगी, आपूर्तिकर्ता आदि।
4. वृहद पर्यावरण: यह अकेले एक व्यवसायी के लिये संभव नहीं है कि वृहद पर्यावरण को नियंत्रित करें। वृहद पर्यावरण के अन्तर्गत - आर्थिक एवं अनार्थिक दोनों प्रकार के घटक होते हैं।
5. आर्थिक पर्यावरण- आर्थिक पर्यावरण के अन्तर्गत हम उस देश की आर्थिक नीति, आर्थिक प्रणाली एवं आर्थिक दशाओं का अध्ययन करते हैं।
6. अनार्थिक पर्यावरण: आर्थिक पर्यावरण के अन्तर्गत सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, वैधानिक, तकनीकी, जनसंख्या सम्बन्धी, नैतिक, अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण के घटकों का अध्ययन करते हैं।
7. वैधानिक वातावरण: सरकार द्वारा बनाये गये कानूनी प्रावधान वैधानिक वातावरण तैयार करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण: विदेश नीति, विदेशी विनियम नीति, अन्तर्राष्ट्रीय समझौते, संरक्षण नीति आदि अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण बनाती है।
8. राजनैतिक वातावरण: राजनैतिक एवं शासकीय व्यवस्था, शासन प्रणाली, राजनैतिक दृष्टिकोण, देश की सुरक्षा, राजनैतिक स्थिरता आदि राजनैतिक वातावरण तैयार करती है।
व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषताएं
(1) बाह्य शक्तियों की समग्रता : व्यावसायिक पर्यावरण संस्था के बाहर की शक्तियों/घटकों का योग होता है जिनकी प्रकृति सामूहिक होती है।
(2) विशिष्ट एवं साधारण शक्तियाँ : व्यावसायिक पर्यावरण में विशिष्ट तथा साधारण दोनों शक्तियां सम्मिलित होती हैं। विशिष्ट शक्तियों में ग्राहक, प्रतियोगी, निवेशक आदि आते हैं जो उद्यमों को प्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करते हैं तथा साधारण शक्तियों में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, कानूनी तकनीकी दशाएं आती है जो उद्यमों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
(3) आंतरिक संबंध : व्यावसायिक पर्यावरण के विभिन्न तत्व/भाग एक-दूसरे से घनिष्ट रूप से जुड़े होते हैं। अत: आतंरिक संबंध होता है।
उदाहरणार्थ : स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ने से स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन एवं उत्पादो जैसे वसारहित खाद्य पदार्थ, शूगर फ्री आदि की मांग बढ़ रही है।
(4) गतिशील : व्यावसायिक गतिशील होता है जो तकनीकी विकास, उपभोक्ताओं की रूचि तथा फैशन के अनुसार बदलता है।
(5) अनिश्चितता : व्यावसायिक पर्यावरण अनिश्चित होता है क्योंकि भविष्य में होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तनों तथा उनके प्रभावों के पूर्वानुमान लगाना सम्भव नहीं है।
(6) जटिलता : व्यावसायिक पर्यावरण एक जटिल तथ्य है जिसको अलग-अलग हिस्सों में समझना सरल है, परन्तु समग्र रूप से समझना कठिन है।
(7) तुलनात्मकता : व्यावसायिक पर्यावरण एक तुलनात्मक अवधारणा है जिसका प्रभाव भिन्न-भिन्न देशों एवं क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होता है।
उदाहरणार्थ : पेय पदार्थों में लोग आजकल पेप्सी, कोक की जगह पौष्टिक फलों का रस पसंद करने लगे हैं, यह बदलाव पेप्सी, कोक आदि के निर्माताओं के लिए ‘खतरा’ है जबकि जूस बनाने वालों के लिए यह एक ‘अवसर’ है।