यूपी के ललितपुर जिले में कितने बांध हैं? - yoopee ke lalitapur jile mein kitane baandh hain?

ललितपुर जिले में दो दिनों से लगातार झमाझम बारिश हो रही है। पूरे जिले में बाढ़ आई हुई है। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। बारिश के चलते जिले के 13 बांधों में से 9 बांधों के गेट खोलकर जल निकासी की जा रही है।

जिले में हो रही बारिश के चलते सोमवार को गोविंद सागर बांध, शहजाद बांध, जामनी बांध, राजघाट बांध, माताटीला बांध, कचनौंदा बांध, जमराड़ बांध, भावनी बांध एवं बण्डई बांध के गेट खोलकर जल निकासी की जा रही है। जबकि सजनाम बांध, रोहिणी बांध, घुटारी बांध एवं लोअर रोहिणी बांध में पानी की कमी बनी हुई है ।

ललितपुर में बांध से छोड़े गए पानी को देखने के लिए पहुंचे लोग।

गोविंद सागर बांध से छोड़ा गया 9795 क्यूसेक पानी

शहर किनारे स्थित गोविंद सागर बांध के 15 गेट खोलकर 9795 क्यूसिक जल निकासी की जा रही है। बांध के अधिशाषी अभियंता मनमोहन सिंह ने बताया कि बारिश के चलते बांध में जल स्तर बढऩे से रात 1 बजे बांध के 8 गेट चार-चार फिट खोलकर 13856 क्यूसिक जल निकासी की गई। रात 3:32 बजे जल स्तर बढ़ऩे से 8 गेट 6-6 फुट खोलकर 7152 क्यूसिक जल निकासी की गई, प्रात: 4:45 बजे जल स्तर बढने से 15 गेट 6-6 फिट खोलकर 9795 क्यूसिक जल निकासी की गई, जो दोपहर 4 बजे तक जारी रही। दोपहर 4 बजे जल स्तर सामान्य होने पर बांध के 11 गेट खोलकर 7200 क्यूसेक जल निकासी की जा रही है।

राजघाट बांध के खोले गए 12 फीट गेट

वहीं राजघाट बांध के गेट खोलकर की जा रही जल निकासी से माताटीला बांध का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। बांध के अवर अभियंता तुलसीदास ने बताया कि माताटीला बांध के 21 गेट खोलकर 4 लाख 17 हजार क्यूसिक जल निकासी की जा रही है, जिसमें 19 गेट 20 फुट एवं 2 गेट 12 फिट खोलकर जल निकासी की जा रही है।

परिवार के साथ बच्चे भी पहुंचे।

चंदेरी मार्ग पर बंद किया गया आवागमन

सहायक अभियंता अखिलेश गोस्वामी ने बताया कि राजघाट बांध के 16 गेट खोलकर 3 लाख 20 हजार क्यूसिक जल निकासी की जा रही है, जिसमें गेट 6 से लेकर 13 तक 5 मीटर, गेट 4, 5, 14, 15 को 3.5 मीटर एवं गेट 2, 3, 16 व 17 को 1.50 मीटर खोलकर जल निकासी की जा रही है। जिस कारण राजघाट चंदेरी मार्ग पर स्थित पुल पर जल भराव होने से आवागमन बंद कर दिया गया है।

जामनी बांध के खोले गए 6 गेट

जनपद में हुई झमाझम बारिश के चलते 13 में से 9 बांधों के गेट खोलकर जल निकासी की जा रही है, जिसमें शहजाद बांध के 6 गेट खोलकर 27923 क्यूसिक, जामनी बांध के 6 गेट खोलकर 26940 क्यूसिक जल निकासी की जा रही है। इसी प्रकार कचनौंदा बांध के 2 गेट खोलकर 6737 क्यूसिक, जमराड़ बांध के 2 गेट खोलकर 3668 क्यूसिक, भावनी बांध के 2 गेट खोलकर 1426 क्यूसिक एवं बण्डई बांध के 2 गेट खोलकर 2196 क्यूसिक जल निकासी की जा रही है।

इस आधुनिक स्मारक की आधारशिला स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा सन् 1971 ई. में रखी गई थी। . उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों की सीमा पर अवस्थित यह बांध बेतवा नदी पर बनाया गया है। बांध द्वारा बनाया गया जलग्रहण क्षेत्र करीब 17000 वर्ग किलोमीटर है, जिससे लगभग 70 गांव डूब गये है।

तीन नहर इस बांध से पानी वितरित करते हैं, जिसमें से दो उत्तर प्रदेश को पानी की आपूर्ति करते हैं, जबकि एक नहर मध्य प्रदेश को पानी की आपूर्ति करता है। 15 मेगावाट की तीन टर्बाइनें बिजली उत्पादन के लिए स्थापित हैं।

यहाँ निर्मित रेत की बैरियर की लंबाई 11 किलोमीटर से अधिक है, जो एशिया में किसी भी बांध में सबसे लंबा है। सीमेंट बांध 600 मीटर लंबा और 73.5 मीटर ऊँचा है। प्राचीन गाँव जैसे पंचमनगर, बारी, टोडा, सिरसौर, नरेड़ी, जल में खो गये थे और इन स्थानों से बरामद मूर्तियों को रामनगर पैलेस संग्रहालय में एकित्रत किया गया है।

ललितपुर (Lalitpur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के ललितपुर ज़िले में स्थित एक नगर व नगरपंचायत है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

ललितपुर के उत्तर में झांसी, दक्षिण में सागर, पूर्व में मघ्‍यप्रदेश के टीकमगढ़, छतरपुर एवं शिवपुरी तथा पश्चिम गुना से सटा हुआ है। बेतवा, धसन और जमनी यहां की प्रमुख नदियां है। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में देवगढ़, नीलकंठेश्‍ववर त्रिमूर्ति, रंछोरजी, माताटीला बांध और महावीर स्वामी अभ्यारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस जिले की स्थापना सत्रहवीं शताब्दी में बुंदेल राजपूत द्वारा की गई थी। 1891 से 1974 ई. तक ललितपुर जिला झांसी जिले का ही एक हिस्सा था।

ललितपुर से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देवगढ़ एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह जगह बेतवा नदी के तट पर स्थित है। इस जगह पर गुप्त, गुर्जर प्रतिहार, गोंड, मुगल, बुंदल और मराठों के वंश के कई ऐतिहासिक स्मारक और किले आज भी मौजूद है। इसके अलावा यहां कई हिन्‍दू और जैन मंदिर भी स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला काफी खूबसूरत है। पहले इस मंदिर को उत्तर भारत के पंचयत्‍न मंदिर के नाम से जाना जाता था। इसके अतिरिक्त यहां एक देवगढ़ किला है। इस किले के भीतर 31 जैन मंदिर है। इन मंदिरों में सबसे सुंदर मंदिर जैन तीर्थंकर शांतिनाथ का मंदिर है। इन मंदिरों की सजावट चंदेल राजाओं ने हिन्‍दू चिन्‍हों से की जोकि बेहद खूबसूरत लगते हैं। इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत और रामायण के चित्र भी बने हुए है। यहां घूमने के लिए सबसे उचित समय सितम्बर से मई है।

ललितपुर जिले में स्थित देवगढ़ तीर्थ प्रमुख जैन मंदिर है। यह मंदिर जैन तीर्थंकर शांतिनाथ को समर्पित है। यह मंदिर भारत के काफी पुराने जैन मंदिरों में से एक है। मंदिर में स्थित स्तम्भों पर 18 भिन्न-भिन्न भाषाओं में लिपियां लिखी हुई है। मंदिर में स्थित स्तम्भ यहां के आकर्षण के प्रमुख केन्द्र है।

ललितपुर स्थित महावीर स्वामी अभ्यारण की स्थापना 1977 ई. में हुई थी। यह अभ्यारण पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पक्षियों के कई प्रजातियां देखी जा सकती है। कई जानवर जैसे तेंदुआ, नीलगाय, साम्भर, नीली बैल, लंगूर और बंदर आदि भी देखे जा सकते हैं। यह घूमने के लिए सबसे सही समय नवम्बर से अप्रैल है। इसके अतिरिक्त यहां वन्य विभाग द्वारा रहने के लिए रेस्ट हाउस की सुविधा भी उपलब्ध है। मैं एक जैन हूँ

माताटीला बांध का निर्माण 1958 ई. में किया गया था। ललितपुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह बांध लगभग बीस वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। व यहां पर सुंदर बाग भी है इसके निकट छोटे-छोटे पर्वत देखे जा सकते है जो इस जगह की खूबसूरती को और अधिक बढ़ाते हैं। यहां घूमने के लिए उचित समय जुलाई से फरवरी है।

नीलकंठेश्‍वर त्रिमूर्ति[संपादित करें]

नीलकंठेश्‍वर मंदिर ललितपुर के दक्षिण में पाली नगर पंचायत के पास लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घने जंगलों के मध्य स्थित अत्यंत प्राचीन शिव त्रिमूर्ति मंदिर चंदेल शासन के समय का है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने परम शिव त्रिमूर्ति स्थित है। शिव त्रिमूर्ति में एक मुख्य लिंग स्थित है जिसकी की ऊंचाई 77 सेंटीमीटर और व्यास 1 फीट 30 सेंटीमीटर है।

यह जगह बेतवा नदी के तट पर स्थित धौर्रा से लगभग 4-5 किलोमीटर की दूरी पर है। त्रिमूर्ति मंदिर के समीप यहां भगवान विष्णु और देवी माता की बेहतरीन मूर्तियां स्‍थापित है। इसके अलावा यहां प्राचीन समय के कई मंदिर स्थित है। कुछ समय पहले यह जगह सघन जंगलों से घिरी हुई थी। भौरट - बांध परियोजना का कार्य जारी किया जा रहा है जिसका आभी निर्माण का कार्य जारी नही किया जा रहा है जिसका कार्य अभी जारी नही किया जा रहा है

वायु मार्ग

यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर विमानक्षेत्र है। इस जगह से ललितपुर जिले की दूरी 213 किलोमीटर है। दिल्ली, इंदौर और मुम्बई से ग्वालियर के नियमित रूप से उड़ान भरी जाती है।

रेल मार्ग

यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जखलोन (13 किलोमीटर) और ललितपुर (23 किलोमीटर) है। दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, भोपाल, मुम्बई और आगरा से ललिपुर रेल द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

ललितपुर जिले में कुल कितने बांध है?

बारिश के चलते जिले के 13 बांधों में से 9 बांधों के गेट खोलकर जल निकासी की जा रही है। जिले में हो रही बारिश के चलते सोमवार को गोविंद सागर बांध, शहजाद बांध, जामनी बांध, राजघाट बांध, माताटीला बांध, कचनौंदा बांध, जमराड़ बांध, भावनी बांध एवं बण्डई बांध के गेट खोलकर जल निकासी की जा रही है।

ललितपुर जिले में कौन कौन से बांध है?

अनुक्रम.
2.1 देवगढ़.
2.2 देवगढ़ तीर्थ.
2.3 महावीर स्वामी अभ्यारण.
2.4 माताटीला बांध.
2.5 नीलकंठेश्‍वर त्रिमूर्ति.
2.6 रणछोड़ जी.

ललितपुर जिले में सबसे बड़ा बांध कौन सा है?

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों की सीमा पर अवस्थित यह बांध बेतवा नदी पर बनाया गया है। बांध द्वारा बनाया गया जलग्रहण क्षेत्र करीब 17000 वर्ग किलोमीटर है, जिससे लगभग 70 गांव डूब गये है।

ललितपुर का पुराना नाम क्या है?

महाराजा सुम्मेर सिंह की धर्म पत्नी ललिता देवी के नाम पर जनपद का नाम ललितपुर पड़ा । ऐसा मानते हैं कि महाराज सुम्मेर सिंह को तालाब में स्नान करने पर चर्मरोग से मुक्ति मिली और फिर उन्हीं के नाम पर तालाब का नाम सुम्मेरा तालाब पड़ा। ललितपुर को 1974 में जिले का दर्जा प्राप्त हुआ।

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