1880 से 1884 तक कौन भारत के गवर्नर जनरल रहे? - 1880 se 1884 tak kaun bhaarat ke gavarnar janaral rahe?

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विषय सूची

  • 1 रॉबर्ट क्लाइव (1757-60 ई० तथा 1765-67 ई०)
  • 2 वारेन हेस्टिंग्स (1772-85 ई०)
  • 3 लॉर्ड कार्नवालिस (1786-93,1798-1801 तथा 1805 ई०)
  • 4 सर जॉन शोर (1793-98 ई०)
  • 5 लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई०)
  • 6  जॉर्ज बार्लो (1805-07 ई०)
  • 7 लॉर्ड कार्नवालिस
  • 8 लॉर्ड मिंटो – I (1807-13 ई०)
  • 9 लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-23 ई०)
  • 10 लॉर्ड एम्हट (1823-28 ई०)
  • 11 लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-35 ई०)
    • 11.1 आंग्ल-अफगान युद्ध-I
  • 12 चार्ल्स मेटकॉफ (1835-36 ई०)
  • 13 लॉर्ड ऑकलैंड (1836-42 ई०)
  • 14 लॉर्ड एलिनबरो (1842-44 ई०)
  • 15 लॉर्ड हार्डिज (1844-48 ई०)
  • 16 लॉर्ड डलहौजी (1848-56 ई०)
  • 17 लॉर्ड कैनिंग (1856-62 ई०)
  • 18 1862 ई० से 1884 ई० के बीच भारत के वायसराय
  • 19 लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०)
  • 20 लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०)
  • 21 1884 ई० से 1947 ई० के वायसराय
  • 22 लॉर्ड कर्जन (1899-1905 ई०)
  • 23  लॉर्ड मिन्टो (1905-1910 ई०)
  • 24 लॉर्ड हार्डिंग-II (1910-1915 ई०)
  • 25 लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921 ई०)
  • 26 लॉर्ड रीडिंग (1921-1926 ई०)
  • 27 लॉर्ड इरविन (1926-1931 ई०)
  • 28 लॉर्ड वेलिंगटन (1931-1936 ई०)
  • 29 लॉर्ड लिनलिथगो (1936-1943 ई०)
  • 30 लॉर्ड वेवेल (1944-1947 ई०)
  • 31 लॉर्ड माउंटबेटन मार्च (1947-जून, 1948 ई०)
  • 32 विशिष्ट तथ्य

Important Governor/Governor Generals & Viceroys Of India

रॉबर्ट क्लाइव (1757-60 ई० तथा 1765-67 ई०)

  • क्लाइव ने बंगाल में वैद्य शासन (dual Govt.) की स्थापना की।
  • वह 1767 ई० के प्लासी के युद्ध में अंग्रजों का नायक बनकर उभरा।
  • उसने बंगाल के समस्त प्रदेश के लिए दो उप-दीवानों राजा शिताब राय (बिहार) एवं मुहम्मद रजा खाँ (बंगाल) की नियुक्ति की। उसने मुगल सम्राट शाह आलम-II के साथ इलाहाबाद की संधि करके उसे अपने प्रभुत्व में ले लिया।

वारेन हेस्टिंग्स (1772-85 ई०)

  • भारत आते ही 1772 ई० में वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल में क्लाइव द्वारा लागू की गई द्वैध शासन प्रणाली को समाप्त कर दिया।
  • उसने राजस्व बोर्ड (Boardofrevenue) की स्थापना की तथा कोष (Treasury) का स्थानांतरण मुर्शिदाबाद से कलकत्ता करवाया।
  • उसने मीर जाफर की विधवा मुन्नी बेगम को अल्पवयस्क नवाब मुबारिकुद्दौला का संरक्षक नियुक्त किया। उसका भत्ता 32 लाख रुपये से घटाकर 16 लाख रुपये कर दिया।
  • उसने मुगल सम्राट को 1765 ई० से दिया जाने वाला पेंशन 26 लाख रुपया वार्षिक बंद कर दिया।
  • संतोषजनक राजस्व व्यवस्था स्थापित करने के लिए उसने सुप्रसिद्ध परीक्षण तथा अशुद्धि (trial & error) का नियम अपनाया।
  • उसने 1772 ई० में प्रत्येक जिले में एक दीवानी एवं एक फौजदारी न्यायालय की स्थापना की। दीवानी न्यायालय कलेक्टर के अधीन होते थे।
  • रेग्युलेटिंग 1773 के प्रावधानों के तहत उसने कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की। वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1774 ई० में एक व्यापार बोर्ड का गठन हुआ।
  • उसने, बंगाल के एक ब्राह्मण नंद कुमार को 6 मई, 1775 ई० को झूठे मुकदमें में फंसाकर फांसी दे दी। उसका अपराध ये था कि, उसने हेस्टिंग्स पर मीर जाफर की विधवा को नवाब का संरक्षक बनाने के लिए 3.5 लाख रुपये घूस लेने का आरोप लगाया।
  • वारेन हेस्टिंग्स ने 1780 ई० में बनारस के राजा चैत सिंह का राज्य अधिकाधिक धन की मांग पूरी न करने के कारण ब्रिटिश राज में मिला लिया।
  • वारेन हेस्टिंग्स ने पूर्व से प्रयोग में चले आ रहे सिक्कों को बंद कर निर्दिष्ट प्रकार के सिक्के चलाने का प्रयत्न किया, इसके लिए उसने कलकत्ता में एक टकसाल का निर्माण कराया।
  • वारेन देस्टिंग्स के काल में ईस्ट इंडिया कंपनी को नमक के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त हुआ।
  • उसने अपने शासनकाल में सन्यासी नामक डाकूओं का दमन किया।
  • एम्पायर इन एशिया (लेखक-टॉरेन्स) नामक ऐतिहासिक रचना के अनुसार वारेन हेस्टिंग्स को अवध के नवाब शुजाउद्दौला (स्वर्गीय) की बेगम एवं माँ के साथ फैजाबाद के उनके महल में दुर्व्यवहार करने तथा उनसे 1.2 करोड़ रुपये का खजाना लूटने का दोषी माना जाता है।
  • वारेन हेस्टिंग्स ने पिट्स इंडिया एक्ट (1784 ई०) के विरोध में त्यागपत्र दे दिया एवं फरवरी 1785 में वह इंगलैंड चला गया।
  • वारेन हेस्टिंग्स ने मुस्लिम शिक्षा के विकास के लिए 1781 ई० में कलकत्ता में पहले मदरसा कलकत्ता मदरसा की स्थापना की।
  • वारेन हेस्टिंग्स के शासनकाल में 1782 ई० में जोनाथन डंकन ने बनारस में एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना की।
  • वारेन हेस्टिंग्स के शासनकाल में Code of Gentoo Laws नामक पुस्तक का संस्कृत अनुवाद 1776 ई० में प्रकाशित हुआ।
  • 1781 ई० में वारेन हेस्टिंग्स के काल में विलियम जोंस तथा कोलबुक की Digest of Hindu Laws का प्रकाशन हुआ।
  • इसी प्रकार वारेन हेस्टिंगस के कार्यकाल में फतवा-ए-आलमगीरी नामक ऐतिहासिक ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद करने का प्रयत्न भी किया गया।
  • वारेन हेस्टिंग्स अरबी, फारसी तथा बंगला जानता था उसने चार्ल्स विल्किन्स के गीता के प्रथम अंग्रेजी अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।
  • चार्ल्स विल्किन्स ने फारसी एवं बंगला मुद्रण के लिए ढलाई के अक्षरों का आविष्कार वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में किया।
  • हॉलहेड ने 1778 ई० में संस्कृत व्याकरण प्रकाशित किया, यह भी वारेन हेस्टिंगस का ही कार्यकाल था।

विशिष्ट तथ्य-Royal Asiatic Society की स्थापना एशिया के सामाजिक तथा प्राकृतिक इतिहास, पुरातत्व एवं विज्ञान के अध्ययन के लिए की गई।

  • विलियम जोन्स ने वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1784 ई० में कलकत्ता में रॉयल , एशियाटिक सोसायटी की स्थापना की।
  • वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1784 ई० में बंगाल में अरेबिक सोसायटी की स्थापना की गई।
  • वारेन हेस्टिंग्स जब 1785 ई० में वापस इंगलैंड लौटा तो उस पर ब्रिटिश संसद में महाभियोग चलाया गया।
  • अभियोग लगाने वालों में ‘फॉक्स’ एवं ‘बर्क’ प्रमुख वक्ता थे। 1795 ई० में हेस्टिंग्स को महाभियोग के सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

लॉर्ड कार्नवालिस (1786-93,1798-1801 तथा 1805 ई०)

  • 1786 ई० में कंपनी ने एक उच्च वंश एवं कुलीन वृत्ति के व्यक्ति लॉर्ड कार्नवालिस को ‘पिट्स  इंडिया एक्क’ के तहत गवर्नर जेनरल बनाकर भारत भेजा।
  • कार्नवालिस ने जिले की समस्त शक्ति कलेक्टरों के हाथों में केंद्रित कर दी।
  • उसने भारतीय न्यायाधीशों वाली ‘जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उनके स्थान पर 4 भ्रमण करने वाले न्यायालयों (Circuit courts) की स्थापना की।
  • 3 भ्रमणशील न्यायालय बंगाल के लिए गठित हुए जबकि 1 का गठन बिहार के लिए किया गया। उपरोक्त न्यायालय के अध्यक्ष अनुबद्ध यूरोपीय (Covenanted European) ही होते थे तथा भारतीय काजी एवं मुफ्ती उनकी सहायता करते थे।
  • मूर्शिदाबाद में स्थित सदर निजामत अदालत के स्थान पर इसी तरह की एक अदालत कलकत्ता में स्थापित की गई।
  • कलकत्ता की सदर निजामत अदालत में गवर्नर जेनरल तथा उसकी परिषद के सदस्य थे।
  • गवर्नर जेनरल को क्षमादान का अधिकार था।
  •  कार्नवालिस ने ग्रामीण क्षेत्रों में जमींदारों के पुलिस अधिकार एवं दायित्व दोनों समाप्त कर दिये।
  • कार्नवालिस ने 1793 ई० में स्थाई बंदोबस्त (Permanet Settlement) नामक व्यवस्था भू-राजस्व के क्षेत्र में लागू की।
  • उसने अधिकारियों के घूस एवं उपहार लेने तथा निजी व्यापार करने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया।
  • लॉर्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवा का जनक माना जाता है।

सर जॉन शोर (1793-98 ई०)

  • सर जॉन शोर कार्नवालिस के बाद गवर्नर जेनरल बना। उसने तटस्थता एवं अहस्तक्षेप की नीति अपनाई।
  • उसके कार्यकाल में कंपनी की प्रतिष्ठा को क्षति पहुँची तथा उसे 1798 ई० में वापस बुला लिया गया।

लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई०)

  • लॉड वेलेजली अपनी ‘सहायक संधि’ (Sub sidiary Alliance) के लिए प्रसिद्ध हुआ।
  • वेलजली ने हैदराबाद (1798 ई०),मैसूर (1799 ई०), तंजौर (1799 ई०), अवध (1801 ई०), पेशवा (1801 ई०), बरार एवं भोंसले (1803 ई०) तथा सिंधिया (1804 ई०) आदि के साथ सहायक संधियाँ की।
  • उपरोक्त के अलावा सहायक संधि करने वाले राज्यों में प्रमुख थे-जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूंदी तथा भरतपुर।
  • लॉर्ड वेलेजली ने मेहदी अली खाँ को 1799 ई० तथा जॉन मैल्ल को 1800 ई० में ईरान के शाह के दरबार में भेजा।

 जॉर्ज बार्लो (1805-07 ई०)

  • वेलेजली के बाद 1805 ई० में लॉर्ड कार्नवालिस पुन: गवर्नर जेनरल बना, परंतु, शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गई। तत्पश्चात जॉर्ज बार्लो की अस्थाई नियुक्त की गई।
  • जॉर्ज बार्लो ने तटस्थता की नीति अपनायी तथा राजपूताना के राजपूत राज्यों पर से कंपनी का संरक्षण समाप्त कर दिया।
  •  वेल्लोर का सिपाही विद्रोह जॉर्ज बार्लो के कार्यकाल में हुआ।

लॉर्ड कार्नवालिस

  • प्रथम माविस –  चार्ल्स कार्नवालिस,
  • 1738 ई० – जन्म
  • 1781 ई० – यार्कटाउन में अमेरिकियों के विरुद्ध शस्त्र डाल दिये।
  • लॉर्ड लेफ्टिनेंट – वह आयरलैंड का लॉर्ड लेफ्टिनेंट बना।
  • 1786-93 ई० – भारत में गवर्नर जेनरल के रूप में पहला कार्य-काल।
  • 1798-1801 ई० – भारत में गवर्नर जेनरल के रूप में दूसरा कार्य-काल।
  • 1805 ई० – भारत में गवर्नर जेनरल के रूप में तीसरा कार्य-काल
  • 1805 ई०-उसको मृत्यु हो गई।

कार्नवालिस संहिता (Cornwallis Code)

  • 1793 ई० में लॉर्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को इस नाम से प्रस्तुत किया। यह संहिता शक्तियों के पृथक्करण (Sepa ration of Powers) के प्रसिद्ध सिद्धांत पर आधारित है।
  • उस समय तक जिले में कलक्टरों के पास भू-राजस्व, न्याय एवं दंडनायक की शक्तियाँ होती थीं। परंतु कार्नवालिस ने राजस्व प्रशासन (Revenue Administration) को न्याय प्रशासन (Judicial Administration) से अलग कर दिया।
  • इस प्रकार राजस्व को छोड़कर कलेक्टरों से सभी अधिकार ले लिये गये। कार्नवालिस ने जिला दीवानी अदालतों में एक नवीन पदाधिकारियों की श्रेणी गठित की जिसकी जिला न्यायाधीश (District Judge) के रूप में नियुक्ति की तथा इन्हें फौजदारी तथा पुलिस के कार्य भी दिये।

लॉर्ड मिंटो – I (1807-13 ई०)

  • लॉर्ड मिंटो-1 ने भी देशी राज्यों के प्रति तटस्थता की नीति अपनाई।
  • उसने ट्रावणकोर एवं मद्रास के विद्रोह का दमन किया।
  • इसके कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण घटना थी चार्टर एक्ट-1813 का पारित होना जिसके द्वारा कंपनी को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने अगले 20 वर्षों का चार्टर सौंप दिया।
  • परंतु, अब कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार (चीन एवं चाय के व्यापार को छोड़कर) समाप्त कर दिये गये।
  • लॉर्ड मिंटो के कार्यकाल में चार्टर एक्ट-1813 द्वारा पहली बार भारत में शिक्षा की व्यवस्था के लिए 1 लाख रुपये प्रदान किये गये एवं इस प्रकार भारत में पाश्चात्य शिक्षा का प्रादुर्भाव हुआ।

लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-23 ई०)

  • लॉर्ड हेस्टिंग्स ने 28 युद्ध लड़े एवं 120 दुर्ग जीते।
  • आगरा एवं पंजाब में उसने भू-राजस्व के क्षेत्र में महालवाड़ी व्यवस्था लागू की।
  • लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में मद्रास के गवर्नर टॉमस मुनरो ने 1820 ई० में मालाबार, कन्नड़, कोयम्बटूर, मदुरै तथा डिण्डीगुल में रैय्यतवाड़ी व्यवस्था लागू की।
  • लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में कार्नवालिस कोड में फेरबदल करते हुए कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट के पदों को पुनः मिला दिया गया।
  • उसने कुछ प्रतिबंधों के साथ प्रेस पर से सरकारी नियंत्रण हटा दिया। जिसके परिणामस्वरूप समाचार भूषण नामक पहला हिंदी पत्र उसके कार्यकाल में प्रकाशित हुआ।
  • लॉर्ड हेस्टिंग्स ने 1822 ई० में बंगाल टेनेसी एक्ट पारित करवाया। इसके द्वारा निर्धारित हुआ कि किसान जब तक लगार दे रहा है, तब तक उसे जमीन से वंचित नहीं किया जायेगा।

लॉर्ड एम्हट (1823-28 ई०)

  • लॉर्ड हेस्टिंग्स के जाने के बाद ‘जॉन एडम्स’ ने अस्थाई तौर पर 7 महीने तक गवर्नर जेनरल का पद संभाला। एडम्स के बाद लॉर्ड एम्हर्ट ने पद संभाला।
  • इसके कार्यकाल में आंग्ल-बर्मा युद्ध-I (1824-26 ई०) हुआ, जिसमें यान्डबू संधि हुई।
  • 1826 ई० में इसके कार्य-काल में भरतपुर का राज्य ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
  • उसके शासनकाल 1824 ई० में ‘बैरकपुर’ का सैन्य विद्रोह हुआ।

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-35 ई०)

  • लॉर्ड विलियम बेंटिक के कार्य-काल में चार्टर एक्ट-1833 पारित हुआ।
  • बेंटिक ने हैदराबाद, जयपुर, जोधपुर तथा भोपाल के प्रति तटस्थता एवं मैसूर तथा कुर्ग के प्रति साम्राज्यवादी नीतियों का अनुसरण किया।
  • बेंटिक ने राजा राम मोहन राय की पहल पर 1833 ई० में कानून बनाकर सती प्रथा को गैर कानूनी घोषित कर दिया तथा कर्नल स्लीमैन की मदद से ठगी के प्रचलन का अंत किया।
  • उसने मद्रास एवं उड़ीसा में विशेष रूप से प्रचलित नरबलि प्रथा का अंत किया।
  • उसने राजपूतों में प्रचलित कन्या-हत्या की प्रथा को बंगाल रेगुलेशन एक्ट के द्वारा समाप्त कर दिया।
  • उसने 1832 ई० में कानून बनाकर दास-प्रथा का निषेध कर दिया।
  • उसने कानून बनाकर हिंदू धर्म से दूसरे धर्म को अपनाने वाले व्यक्तियों के लिए पैतृक संपत्ति का अधिकार बहाल किया। बे
  • टिक ने शीर्ष पदों को छोड़कर, सरकारी सेवा में भारतीयों के लिए दरवाजे खोल दिये।
  • बेंटिक ने कंपनी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से अफीम का निर्यात कराची से बंद करके बंबई से आरंभ किया।
  • उसने आगरा में एक सर्वोच्च अपील अदालत की स्थापना की।
  • बेंटिक ने न्यायालयों में फारसी के स्थान पर प्रांतीय भाषाओं को प्रयोग करने का आदेश दिया।
  • 1835 ई० में लॉर्ड मेकाले के प्रस्ताव पर बेंटिक ने भारत में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी को बनाया।
  • 1835 ई० में उसने कोलकाता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।
  • उसने ऊपरी गंगा नहर की योजना बनाई तथा उसके लिए सिविल इंजिनियरिंग कॉलेज को स्थापना की।
  • कलकत्ता एवं दिल्ली को जोड़ने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड का आधुनिक निर्माण उसके काल में हुआ था।

आंग्ल-अफगान युद्ध-I

  • अप्रैल 1839ई० – लॉर्ड ऑकलैंड के आदेश पर ब्रिटिश सेना ने कंधार पर कब्जा कर लिया।
  • नवंबर 1839ई०-तत्कालीन शासक दोस्त मुहम्मद को अपदस्थ कर शाहशूजा को शासक बनाया गया।
  • 1841 ई०-दोस्त मुहम्मद के पुत्र अकबर खाँ का विद्रोह।
  • 1841 ई०-अकबर खाँ के साथ अंग्रेजों की संधि।
  • जनवरी, 1842 ई०-लौटती अंग्रेज सेना पर अफगान विद्रोहियों के भीषण हमले।

चार्ल्स मेटकॉफ (1835-36 ई०)

  • उसने अपने एक वर्षीय अस्थाई कार्यकाल में समाचार पत्रों से सभी प्रकार के प्रतिबंध हटा लिये। अत: उसे ‘भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता’ कहा जाता है।

लॉर्ड ऑकलैंड (1836-42 ई०)

  • उसके कार्यकाल में आंग्ल-अफगान युद्ध-1(1839-42 ई०) लड़ा गया।
  • प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध में लौटती अंग्रेज सेना पर अफगान विद्रोहियों के हमले के कारण 15 हजार में सिर्फ 120 सैनिक लौट सके। इससे अंग्रेजों एवं लॉर्ड ऑकलैंड की भारी बदनामी हुई।
  • 1839 ई० में उसने ‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ की मरम्मत करवायी।

लॉर्ड एलिनबरो (1842-44 ई०)

  • उसके शासनकाल में 1842 ई० में काबुल (अफगानिस्तान की राजधानी) पर ब्रिटिश झंडा फहराया गया तथा प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध समाप्त हुआ।
  • इसके साथ ही वेमरु में अकबर खाँ द्वारा मिली जनरल मेकनाटन की अंग्रेज सेना की भीषण हार एवं लौटते सैनिकों पर अफगान विद्रोहियों द्वारा किये गये हमले का बदला भी ले लिया गया।
  • दोस्त मुहम्मद को कैद से आजाद कर दिया गया एवं पुनः अफगानिस्तान भेज दिया गया।
  • एलिनबरो के शासनकाल में 1843 ई० में सिंध का ब्रिटिश राज में पूर्णरूपेण विलय कर दिया गया।

लॉर्ड हार्डिज (1844-48 ई०)

  • आंग्ल-सिख युद्ध – 1(1845-46 ई०) संपन्न हुआ।
  • इसके शासनकाल में निरबलि प्रथा पूर्णरूपेण प्रतिबंधित कर दी गई।

लॉर्ड डलहौजी (1848-56 ई०)

  • लॉर्ड डलहौजी व्यपगत सिद्धांत (doctrine of lapse) के कारण इतिहास में प्रसिद्ध है।
  • लॉर्ड डलहौजी ने अपनी साम्राज्यवादी नीतियों के तहत पंजाब (1849 ई०), लोअर बर्मा अथवा पेगू (1858 ई०), सिक्किम (1850 ई०), बराड़ (1853 ई०) एवं अवध (1856 ई०) आदि का विलय अपने साम्राज्य में कर दिया।
  • बंगाल-तोपखाना को उसने कलकत्ता से मेरठ स्थानांतरित करवा दिया।
  • उसके कार्यकाल में सेना का मुख्यालय शिमला में बनाया गया। शिमला का महत्व बढ़ गया एवं वर्ष में आधे से अधिक समय तक के लिए यह सरकार का मुख्यालय बन गया।
  • डलहौजी ने पंजाब में एक अनियमित सेना का गठन किया एवं गोरखा रेजीमेंटों की संख्या में भी वृद्धि की।
  • 1852 में डलहौजी द्वारा एक इनाम कमीशन का गठन भूमि-कर रहित जागीरों का पता करने एवं उन्हें छीनने के उद्देश्य से किया।
  • डलहौजी ने 1853 में टामसन की व्यवस्था के अनुसार भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने के प्रस्ताव को स्वीकार किया।
  • डलहौजी ने 1854 ई० में चार्ल्स वुड (बोर्ड ऑफ कंट्रोल के तत्कालीन प्रधान) के निर्देश-पत्र Wood’s Despatch को शिक्षा क्षेत्र में लागू किया।
  • ‘वुड्स डिस्पैच’ जो कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली की आधारशिला है के अनुसार कई कॉलेज तथा कलकत्ता, बंबई एवं मद्रास प्रेसिडेंसियों में एक-एक विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
  • लॉर्ड डलहौजी ने 1853 ई० में बंबई से ठाणे तक भारत की पहली रेलगाड़ी चलवाई।
  • उसने 1856 ई० तक कई रेल लाइनों का सर्वेक्षण करवाया तथा कई पर निर्माण कार्य आरंभ करवाये।
  • 1854 ई. तक कलकत्ता से रानीगंज कोयला-क्षेत्र तक रेल लाईन बिछा दी गई।
  • डलहौजी ने 1852 ई० में भारत में पहली बार विद्युत तार (Electric Telegraph) व्यवस्था आरंभ की तथा ओ’शैंधनेसी (O’shangh-nessy) को विद्युत तार विभाग का अधीक्षक नियुक्त किया।
  • 1854 ई० के पोस्ट ऑफिस ऐक्ट के अनुसार इस व्यवस्था में सुधार करते हुए डलहौजी ने तीनों प्रेसिडेंसियों में एक-एक महानिदेशक की नियुक्ति की।
  • डलहौजी ने भारत में पहली बार डाक टिकटों (Postal stamps) का चलन आरंभ किया। अब देश भर में 2 पैसे’ की दर से कहीं से कहीं पत्र भेजे जा सकते थे।
  • डलहौजी ने भारत में पहली बार एक सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) को स्थापना की।
  • लॉर्ड डलहौजी ने गंगा-नहर का कार्य पूरा हो जाने पर उसे 8 अप्रैल, 1854 ई० को जनता के लिए खोल दिया।
  • 1854 ई० में पंजाब में बारी-दोआब नहर का निर्माण कार्य डलहौजी ने आरंभ करवाया।
  •  डलहौजी ने ‘ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत करवायी।
  • डलहौजी ने भारत के बंदरगाहों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए खोल दिया।
  • डलहौजी ने 1854 ई० में एक स्वतंत्र लोक सेवा विभाग की स्थापना की।
  • डलहौजी के शासनकाल में पहली बार नागरिक सेवाओं (Civil Services) के लिए प्रतियोगिया परीक्षाओं का चलन आरंभ किया किया गया।

विशिष्ट तथ्य – लॉर्ड डलहौजी का  प्रसिद्ध रेलवे पत्र (Railway Minute) भारत में रेलवे के भावी प्रसार का आधार बना।

लॉर्ड कैनिंग (1856-62 ई०)

  • लॉर्ड कैनिंग 1856 ई० में भारत का गवर्नर जेनरल बना।
  • उसके शासन काल में 1857 का विद्रोह हुआ।
  • लॉर्ड कैनिंग 1858 ई० में भारत का ब्रिटिश सम्राट के अधीन प्रथम वायसराय था।
  • कैनिंग के शासनकाल में इंडियन हाई कोर्ट एक्ट पारित हुआ एवं इसके द्वारा बंबई, कलकत्ता एवं मद्रास में एक-एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई।
  • विधवा पुनर्विवाह अधिनियम-1856 कैनिंग के शासनकाल में पारित हुआ।
  • मेकॉले द्वारा प्रस्तावित भारतीय दंड संहिता-1858 (Indian Penal code) को कानून बना दिया गया।
  • कैनिंग के शासनकाल में शिक्षा संचालन एवं नियंत्रण से शिक्षा विभाग खोला गया।
  • कैनिंग के शासनकाल में 1861 ई० में एक भयंकर अकाल पड़ा।
  • 1859-60 ई० में नील उगाने वाले यूरोपीयों और बंगाल के कृषकों के बीच झगड़े हुए। लॉर्ड कैनिंग ने विवाद सुलझाने के लिए एक नील आयोग (Indigocommission) का गठन किया।
  • कैनिंग ने करेंसी नोट का प्रचलन किया एवं असम में चाय तथा नीलगिरि में कहवा की खेती … को प्रोत्साहित किया।
  • कैनिंग के कार्यकाल में 1856 ई० में बंगाल रेंट ऐक्ट पारित किया गया। इसके तहत उन किसानों को जो 12 वर्षों से किसी खेत को जोतते आ रहे थे उसपर उनका अधिकार हो गया।

1862 ई० से 1884 ई० के बीच भारत के वायसराय

  • कैनिंग के बाद 1862 ई० में लॉर्ड एल्गिन भारत का वायसराय बना। उसने अपने कार्यकाल में बहावी आंदोलन का दमन किया।
  • 1863 ई० में एलिगन की मृत्यु के पश्चात लॉर्ड लारेंस 1864 ई० में वायसराय बना।
  • लॉरेंस के कार्यकाल में 1865 ई० में भूटान ने आक्रमण कर दिया, परिणामस्वरूप अंग्रेजों का भूटान से युद्ध हुआ एवं उसके बाद संधि हुई।
  • लॉरेंस द्वारा अफगानिस्तान में शानदार निष्क्रियता की नीति अपनाई गई।
  • लॉरेंस के कार्यकाल में चेम्बवले की अक्ष्यक्षता में एक अकाल आयोग गठित हुआ।
  • 1865 ई० में लॉरेंस ने भारत एवं यूरोप के बीच पहली बार सामुद्रिक टेलीग्राफ सेवा आरंभ की।
  • 1869 ई० में लॉरेंस के बाद लॉर्ड मेयो भारत का वायसराय बना। उसने अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की। उसने भारत में वित्तीय विकेंद्रीकरण की नीति अपनाई।
  • मेयो ने 1872 ई० में एक स्वतंत्र कृषि विभाग की स्थापना की।
  • 1872 ई० में मेयो के शासनकाल में पहली बार भारत में प्रायोगिक जनगणना कराई गई।
  • 1872 ई० में एक अफगान युवक ने अंडमान में मेयो की चाकू मारकर हत्या कर दी।
  • मेयो के पश्चात 1872 ई० में लॉर्ड नार्थबुक भारत का वायसराय बना। उसके शासनकाल में बड़ौदा के शासक मल्हार राव गायकवाड़ को कुशासन एवं भ्रष्टाचार के नाम पर अपदस्थ कर दिया गया।
  • लॉर्ड नार्थब्रुक के शासनकाल में पंजाब का प्रसिद्ध कूका आंदोलन हुआ।
  • नार्थब्रुक के शासनकाल में स्वेज नहर के खुल जाने से भारत-ब्रिटेन व्यापार में भारी वृद्धि हुई।

लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०)

  • वह एक विख्यात कवि, उपन्यासकार और निबंध लेखक था तथा साहित्य जगत में ओवन मैरिडिथ (Owen Meredith) के नाम से विख्यात था।
  • उसके शासनकाल में 1876-78 ई० की अवधि में मद्रास, बंबई, मैसूर, हैदराबाद एवं मध्य भारत में भीषण अकाल पड़े। उसने रिचर्ड स्ट्रेची की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग (Draught Commission) का गठन किया।
  • लिटन ने उपरोक्त अकालों के बावजूद 29 व्यापारिक वस्तुओं पर से आयात शुल्क हटा दिया तथा इंगलैंड को फायदा पहुंचाने वाली अबाध व्यापार की नीति अपनाई।
  • लॉर्ड लिटन के शासनकाल में नमक की अंतरराष्ट्रीय तस्करी समाप्त हो गई एवं अंग्रेजी सरकार की आय में वृद्धि हुई।
  • ब्रिटिश संसद ने उसके शासनकाल में राज-उपाधि अधिनियम (Royal Titles Act)-1876 पारित किया। इसके अनुसार महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी मानते हुए उसे कैसर-ए-हिन्द की उपाधि से विभूषित किया जाना था।
  • उपरोक्त के उद्देश्य से लिटन ने 1 जनवरी, 1877 को दिल्ली में एक भव्य दरबार का आयोजन किया एवं उसमें धन का भारी अपव्यय किया।
  • 1878 ई० में उसने भारतीय शस्त्र अधिनियम (Indian Arms Act) पारित कर भारतीयों द्वारा वगैर लाइसेंस के शस्त्र रखना एवं उनका व्यापार करना प्रतिबंधित कर दिया।
  • 1878-79 ई० में वैधानिक जानपद सेवा (Statutory Civil Service) की योजना प्रस्तुत की तथा इसके तहत उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए लंदन में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में भारतीयों के लिए अवसर कम करते हुए अधिकतम उम्र सीमा 21 घटाकर 19 वर्ष कर दी गई |
  • लॉर्ड लिटन ने एक आंग्ल-मुस्लिम प्राच्य महाविद्यालय की स्थापना अलीगढ़ में की।

भारतीयभाषासमाचारपत्रअधिनियम -1878 (Vernacular Press Act) मार्च, 1878 ई० में पारित इस अधिनियम के अनुच्छेद-9 के तहत  प्रेस पर ऐसी बातें छापने पर प्रतिबंध लगा दिया गया जो ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जाती हो एवं जिससे जनता में विद्रोह की भावना पनपती हो।

विशिष्ट तथ्य-‘भारतीय जानपद सेवा’ में , भरती होने वाले प्रथम भारतीय सत्येंद्र नाथ टैगोर थे। उन्हें 1864 ई० में नियुक्ति मिली। 

लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०)

  • लॉर्ड रिपन ने सर्वप्रथम 1882 ई० में वर्नाकूलर प्रेस एक्ट’ समाप्त कर प्रेस की स्वतंत्रता बहाल कर दी।
  • सिविल सेवा में अधिकतम उम्र सीमा रिपन के शासन काल में 19 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी गई।
  • लॉर्ड रिपन के शासनकाल में स्थानीय स्वशासन (Local Self Govt.) का सूत्रपात हुआ।
  • रिपन के शासनकाल में 1881 ई० में सर्वप्रथम भारत की प्रथम नियमित जनगणना करवायी गई। प्रत्येक 10 वर्षों के अंतराल पर नियमित रूप से जनगणना की परिपाटी तभी से चल रही।
  • रिपन द्वारा ही 1881 ई० में पहला कारखाना अधिनियम लागू किया गया।
  • रिपन ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए अनुशंसाएँ देने हेतु विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया।
  • लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में ही 1883-84 में इलबर्ट बिल विवाद हुआ।
  • लॉर्ड रिपन को फ्लोरेंस नाइटिगिल द्वारा भारत के उद्धारक की संज्ञा दी गई तथा उसके शासनकाल को भारत में ब्रिटिश युग का स्वर्णकाल कहा गया।

इलबर्टबिलविवाद – पूर्व में यूरोपीयों के मुकदमों की सुनवाई भारतीय न्यायाधीशों द्वारा नहीं होती थी। इस भेदभाव को समाप्त करने केलिए रिपन के एक काउंसिल के सदस्य सी.पी. इलबर्ट ने एक बिल प्रस्तुत किया, जिस पर अंग्रेजों ने विद्रोह कर दिया। इसे श्वेत विद्रोह | (White Revolt) कहा गया। परिणामस्वरूप इल्बर्ट बिल वापस लेना पडा।

1884 ई० से 1947 ई० के वायसराय

  • लॉर्ड रिपन के बाद 1884 ई० में लॉर्ड डफरिन (1884-88 ई०) गवर्नर जनरल बना। उसके शासनकाल में आंग्ल-बर्मा युद्ध-III (1885-88 ई०) संपन्न हुआ तथा बर्मा पूर्णरूपेण अंग्रेजी राज में मिला लिया गया।
  • डफरिन के कार्यकाल की मुख्य घटना थी 28 दिसंबर, 1885 ई० को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना थी।
  • 1888 ई० में लॉर्ड लैन्सडाउन (1888-94 ई०) भारत का वायसराय बना। उसी के कार्यकाल में भारत एवं अफगानिस्तान के बीच सीमाओं का निर्धारण रण्ड रेखा के रूप में हुआ।
  • लैंसडाउन के पश्चात लॉर्ड एल्गिन-II (1894-99 ई०) वायसराय बना। “भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी” यह वक्तव्य उसी ने दिया था।

लॉर्ड कर्जन (1899-1905 ई०)

  • एल्गिन-11 के बाद लॉर्ड कर्जन 1899 ई० में भारत का वायसराय बना।
  • उसने 1902 में सर एड्यु फ्रेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग की स्थापना की। इसने 1903 ई० अपनी रिर्पोट सौंपी।
  • लॉर्ड कर्जन ने 1904ई० में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम (IndianUniversities Act) पारित किया।
  • उसने 1899-1900 ई० में सर एण्टनी मैकडौनल की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन किया।
  • उसने 1901 ई० में सिंचाई के पूर्ण प्रश्न की जाँच के लिए सर कॉलीन स्कॉट मॉनक्रीफ की अध्यक्षता में एक सिंचाई आयोग का गठन किया।
  • 1904ई० में उसने सहकारी उधार समिति अधिनियम (Co-operativeCreditSociety) पारित करवाया।
  • लॉर्ड कर्जन के शासनकाल में एक साम्राज्यीय कृषि विभाग (Imperial Agriculture Depart ment) की स्थापना हुई। वाणिज्य एवं उद्योग के लिए भी एक विभाग स्थापित किया गया है।
  • सर्वाधिक रेल लाइनें भी कर्जन के शासनकाल में ही बनी, इसी काल में टॉमस रॉबर्टसन (एक रेल विशेषज्ञ) ने रेलवे बोर्ड की स्थापना का सुझाव दिया।
  • सैन्य अफसरों के प्रशिक्षण के लिए इंगलैंड के केम्बरले कॉलेज की तर्ज पर क्वेटा में एक कॉलेज खोला गया।

विशिष्ट तथ्य – 1899 में पारित भारतीय एक टंकन एवं मुद्रा अधिनियम (Indian coinage & paper currency Act) के अनुसार भारत में ब्रिटिश पाउंड ग्राह्य बना दिया गया। यह सब कर्जन के शासनकाल में हुआ।

  • कर्जन ने 1899 ई० के कलकता कॉरपोरेशन ऐक्ट के तहत निगम के चुने हुए सदस्यों की संख्या कम कर दी तथा निगम एवं उसकी अन्य समितियों में अंग्रेजों की संख्या बढ़ा दी गई।
  • 1904 ई० में उसने प्राचीन स्मारक परिरक्षण अधिनियम पारित किया जिसका उद्देश्य भारत में प्राचीन स्मारकों की मरम्मत, प्रतिस्थापन तथा रक्षण के लिए एक अधिनियम पारित किया और भारत में प्राचीन स्मारकों की मरम्मत के लिए £ 50000 निश्चित किया।
  • लॉर्ड कर्जन के शासनकाल 1900 ई० में लार्ड किचनर ने देशी नरेशों की सेनाओं के लिए इम्पीरियल कैडेट कोर की स्थापना करवायी।
  • श्रमजीवियों के हितों की रक्षा के लिए लॉर्ड कर्जन ने माइन्स ऐक्ट एवं आसाम लेबर ऐक्ट पारित किया।
  • अक्टूबर 1905 में उसने बंगाल को दो भागों में विभाजित कर दिया। जिसपर तीव्र प्रतिक्रिया हुई एवं बंग-भंग आंदोलन हुआ।
  • कर्जन ने अपने शासनकाल में तिब्बत में रूसी प्रभाव को बढ़ने से रोकने में सफलता हासिल की।
  • 1901 ई० में महारानी विक्टोरिया के निधन के पश्चात विक्टोरिया मेमोरियल हॉल का निर्माण उनकी स्मृति में लॉर्ड कर्जन ने कलकत्ता में कराया।

 लॉर्ड मिन्टो (1905-1910 ई०)

  • इसके शासनकाल में तिब्बत के सवाल पर 1907 ई० में आंग्ल-रूसी संधि संपन्न हुई।
  • इसके कार्यकाल में मॉर्ले-मिंटो सुधार अधिनियम-1909 ई० के द्वारा मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन (Communal Electorate) की व्यवस्था की गई। इसपर व्यापक प्रतिक्रिया हुई।

लॉर्ड हार्डिंग-II (1910-1915 ई०)

  • उसके शासनकाल में 12 दिसंबर, 1911 को आयोजित दिल्ली दरबार में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई तथा 1912 ई० में दिल्ली पुन: भारत की राजधानी बनी।
  • 23 दिसंबर, 1912 ई० को दिल्ली में लॉर्ड हार्डिंग पर बम से हमला किया गया।
  •  उसके शासनकाल में दौरान विश्वयुद्ध-Iआरंभ हुआ। उसी के शासनकाल में क्रमश: फिरोजशाह मेहता एवं गणेश शंकर विद्यार्थी ने बॉम्बे क्रॉनिकल तथा प्रताप का प्रकाशन किया।
  • 1916 ई० में लॉर्ड हार्डिंग को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया।

लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921 ई०)

  •  उसके शासनकाल में पूना में एक महिला विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 ई० में हुई।
  • उसके कार्यकाल में शिक्षा पर सैडलर आयोग का गठन किया गया।
  • उसी के शासनकाल में 13 अप्रैल, 1919 ई० को जालियाँवाला बाग (अमृतसर) कांड हुआ।
  • आंग्ल-अफगान युद्ध-III चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में ही हुआ।

लॉर्ड रीडिंग (1921-1926 ई०)

  • इसके शासनकाल में प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा नवंबर 1921 ई० में भारत की यात्रा की गई। इस दिन पूरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया।
  • इसके शासनकाल में 1922 ई० में विश्व भारती विश्वविद्यालय ने कार्य करना प्रारंभ किया।
  • 1921 ई० में एम० एन० राय ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया।
  • प्रसिद्ध आर्यसमाजी राष्ट्रवादी नेता स्वामी श्रद्धानंद की 1925 ई० में हत्या कर दी गई। यह रीडिंग के शासनकाल में ही हुआ।

लॉर्ड इरविन (1926-1931 ई०)

  • उसके शासनकाल में 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत आया।
  • उसके शासनकाल में ही जतिनदास की जेल में 64 दिन भूख-हड़ताल पर रहने के कारण मृत्यु हो गई।

लॉर्ड वेलिंगटन (1931-1936 ई०)

  • इसके शासनकाल में लंदन में गोलमेज सम्मेलन-II का आयोजन हुआ।
  • इसके शासनकाल में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैक्डोनाल्ड ने कम्युनल एवार्ड को घोषणा की।
  • उसके शासनकाल 1932 ई० में गोलमेज सम्मेलन-III का भी आयोजन हुआ।
  • उसी के शासनकाल में गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट-1935 पारित हुआ।
  • उसके शासनकाल में 1934 ई० में बिहार में भयंकर भूकंप हुआ।

लॉर्ड लिनलिथगो (1936-1943 ई०)

  • इसके शासनकाल में पहली बार प्रांतीय एसेम्बली के चुनाव कराये गये।
  • 11 में से 7 प्रांतों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकारें बनी।
  • द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर, 1939 ई० को आरंभ हुआ, जिसमें भारतीयों से अनुमति लिए बगैर उन्हें झोंक दिया गया।
  • उपरोक्त युद्ध में भारतीयों को झोंके जाने के विरोध में कांग्रेस की प्रांतीय मंत्रिमंडलों ने इस्तीफे दे दिये।
  • 1940 ई० में उसके शासनकाल में लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान की मांग की गई।
  • उसके शासनकाल में 1943 ई० में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।

ॉर्ड वेवेल (1944-1947 ई०)

  • इसके कार्यकालमें 1945 ई० में शिमला समझौता हुआ।
  •  इसके कार्यकाल में 20 फरवरी, 1947 ई० में प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने हाउस ऑफ कॉमंस में र जून, 1948 तक भारत की सत्ता भारतीयों को हस्तांतरित कर दिये जाने की घोषणा की।

लॉर्ड माउंटबेटन मार्च (1947-जून, 1948 ई०)

  • इसके कार्यकाल में प्रधानमंत्री एटली द्वारा 4 जुलाई, 1947 ई० को भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया।
  • उपरोक्त विधेयक 18 जुलाई, 1947 को स्वीकृत किया गया। इसके तहत भारत एवं पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्रों का जन्म हुआ।

विशिष्ट तथ्य

  • स्वतंत्र भारत का प्रथम एवं अंतिम विदेशी/ब्रिटिश गवर्नर जेनरल लॉर्ड माउंटबेटन था।
  • परतंत्र भारत का अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन था।
  • स्वतंत्र भारत के प्रथम एवं अंतिम भारतीय गवर्नर जेनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हुए।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 ई० से 1772 ई० तक बंगाल में 4 गवर्नरों की नियुक्ति की।
  • 1773 ई० के रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जेनरल बना दिया गया तथा मद्रास एवं बंबई के गवर्नरों को उसके अधीन कर दिया गया।
  • 1774 ई० में बंगाल का प्रथम गवर्नर जेनरल बनने का सौभाग्य वारेन हेस्टिंग्स को प्राप्त हुआ।
  • 1833 ई० में चार्टर एक्ट के प्रावधानों के अनुकूल बंगाल के गवर्नर जेनरल को भारत का गवर्नर जेनरल बनाया गया।
  • भारत का प्रथम गवर्नर जेनरल बनने का सौभाग्य लॉर्ड विलियम बेंटिक को प्राप्त हुआ।
  • अधिनियम, 1858 के द्वारा गवर्नर जेनरल को वायसराय की उपाधि दी गई, तत्पश्चात यह पद इसी नाम से पुकारा गया।
  • भारत का प्रथम वायसराय बनने का सौभाग्य लॉर्ड कैनिंग को प्राप्त हुआ। वह पराधीन भारत का अंतिम गवर्नर जेनरल था।
  • कंपनी ने 1772 ई० तक क्लाइव (1757 – 60 ई०), बरेलास्ट (1765  -67 ई०), कार्टियर (1769 – 72 ई०) एवं वारेन हेस्टिंग्स (1772 – 1774 ई०) को गवर्नर बनाया।
  • परंतु उपरोक्त में क्लाइव एवं वारेन हेस्टिंग्स ही महत्वपूर्ण थे।

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