अल बेरुनी
An imaginary rendition of Al Biruni on a 1973 Soviet post stamp |
अल बेरुनी |
973 Kath, Khwarezm, Afrighid dynasty (modern-day Uzbekistan) |
c. 1050 (aged 77) Ghazni, Ghaznavid Empire (modern-day Afghanistan) |
Islamic Golden Age |
Khwarezm, Central Asia |
Geology, physics, anthropology, comparative sociology, astronomy, astrology, chemistry, history, geography, mathematics, medicine, psychology, philosophy, theology |
The Remaining Signs of Past Centuries, Gems, Indica, The Mas'udi Canon, Understanding Astrology |
इनपर प्रभाव Aristotle, Ptolemy, Aryabhata, Brahmagupta, Abū Ḥanīfa Dīnawarī, Rhazes, al-Sijzi, Iranshahri, Abu Nasr Mansur, Avicenna, al-Battani, Al-Tamimi |
इनसे प्रभावित al-Sijzi, Avicenna, Omar Khayyam, al-Khazini, Zakariya al-Qazwini, Maragha observatory, Islamic science, Islamic philosophy |
अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी (फ़ारसी-अरबी : ابوریحان محمد بن احمد بیرونی यानि अबू रयहान, पिता का नाम अहमद अल-बरुनी) या अल बेरुनी (973-1048) एक फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था।[3] अल बेरुनी की रचनाएँ अरबी भाषा में हैं पर उसे अपनी मातृभाषा फ़ारसी के अलावा तीन और भाषाओं का ज्ञान था - सीरियाई, संस्कृत, यूनानी। वो भारत और श्रीलंका की यात्रा पर 1017-20 के मध्य आया था। ग़ज़नी के महमूद, जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किये, के कई अभियानों में वो सुल्तान के साथ था। अलबरुनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता था।[कृपया उद्धरण जोड़ें] प्रारम्भ में अलबरूनी ख़्वारिज्म के ममुनि शासक का मंत्री था क्योंकि शासक उसकी विद्वता से प्रभावित था।।
जीवन[संपादित करें]
अब्बासी शासन के पतनोन्मुख दिनों में उसका जन्म ख्वारज़्म में सन् 973 में हुआ था। यह स्थान वर्तमान उज़्बेकिस्तान में है। उसने गणित और खगोलविज्ञान अबू नस्र मंसूर से सीखी। वे अवेसिन्ना के साथी थे। अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिण एशिया की यात्रा पर वो महमूद गज़नवी के साथ उसके काफ़िले में गया। भारत में रहते हुए उसने भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया और 1030 में किताब-अल-हिन्द (भारत के दिन) नामक किताब लिखी। उसकी मृत्यु ग़ज़नी, अफ़गानिस्तान (समकालीन इसे अफ़गानिस्तान नहीं कहा जाता था बल्कि फ़ारस का हिस्सा कहते थे) में हुई।
रचनाएं[संपादित करें]
चाँद की विभिन्न अवस्था को दर्शाती अलबेरुनी की ये क़िताब दसवी-ग्यारहवीं सदी में लिखी गई थी। यहाँ सूरज को फ़रसी-अरबी लिपि में आफ़ताब लिखा गया है
अलबरुनी ने 146 क़िताबें लिखीं - 35 खगोलशास्त्र पर, 23 ज्योतिषशास्त्र की, 15 गणित की, 16 साहित्यिक तथा अन्य कई विषयों पर।
- [ख़िताब-उल-तफ़ीम]
- अल कानून अल-मसूद
- कानून अल मसूदी अल हैयत
- अल नजूम
- किताब-उल-हिन्द /तहकीक-ए-हिन्द
दर्शन[संपादित करें]
अल-बरुनी चिकित्सा विशेषज्ञ था और भाषाओं पर भी अच्छा अधिकार रखता था। इसके साथ ही वह एक मशहूर गणितज्ञ,भूगोलवेत्ता,कवि,रसायन वैज्ञानिक और दार्शनिक भी था। उन्होनें ही धरती की त्रिज्या (radius) नापने का एक आसान फार्मूला पेश किया। बरुनी ने यह भी साबित किया कि प्रकाश की गति (speed of light) ध्वनि की गति (speed of sound) से अधिक होती है।
किताब-उल-हिन्द[संपादित करें]
अल-बिरुनी ने किताब-उल-हिन्द की रचना की थी। अरबी में वर्णित यह पुस्तक एक विस्तृत ग्रंथ है,जिसमें धर्म,दर्शन,त्योहार,खगोलिक-विज्ञान,रीति-रिवाज़,प्रथाओं,सामाजिक-जीवन,कानून आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। यह ग्रंथ अस्सी अध्यायों में विभाजित है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Kennedy, E.S. (1975-06-26). "The Exact Sciences". प्रकाशित Frye, R. N.; Fisher, William Bayne (संपा॰). [अल बेरुनी at Google Books The Cambridge History of Iran: The period from the Arab invasion to the Saljuqs] (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. पृ॰ 394. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780521200936.
- ↑ Ataman, Kemal (2008). [अल बेरुनी at Google Books Understanding Other Religions: Al-Biruni's and Gadamer's "fusion of Horizons"] (अंग्रेज़ी में). CRVP. पृ॰ 58. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781565182523.
- ↑ "BĪRŪNĪ, ABŪ RAYḤĀN – Encyclopaedia Iranica". www.iranicaonline.org. मूल से 17 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-05-29. BĪRŪNĪ, ABŪ RAYḤĀN MOḤAMMAD b. Aḥmad (362/973- after 442/1050), scholar and polymath of the period of the late Samanids and early Ghaznavids and one of the two greatest intellectual figures of his time in the eastern lands of the Muslim world, the other being Ebn Sīnā (Avicenna).